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Arvind Kejriwal : क्यों जेल मे रहना चाहते है केजरीवाल, जाने जेल के पीछे का सच !

Arvind Kejriwal : दोस्तों  देश में चुनावी मौसम है और चुनावी मौसम में नेताओ को राजनीतिक पार्टियों को क्या चाहिए सिर्फ प्रचार चाहे प्रचार सही हो या गलत  बस मुद्दा चर्चा में रहना चाहिए सभी राजनीतिक पार्टिया करोड़ों करोड़ों रुपये खर्च करती है चुनाव प्रचार में और जब यही प्रचार किसी के पार्टी के लिए मीडिया आम जनता और यहाँ तक की विपक्षी पार्टिया भी करे और वो भी फ्री में तो ऐसा प्रचार किसे अच्छा नहीं लगेगा इस समय ये सब हो रहा है आम आदमी पार्टी के साथ केजरिवाल की साथ जी हाँ एक सोची समझी रणनीति के साथ केजरीवाल जेल में ही रहना चाहते है शायद इसलीय जमानत का कोई दबाव नहीं बना रहे है इस मुद्दे को आम आदमी पार्टी अच्छे से भुना रही है खूब ईमोशनल कार्ड खेला जा रहा है केजरीवाल जेल मे रहकर राजनीति कर रहे है और वो भी ऐसी राजनीति जो वो बहार रहकर भी नहीं कर सकते थे

केजरीवाल के जेल में रहने का सच!

दोस्तों जब से केजरीवाल जी जेल में है तब से कोई न कोई संदेश भेजे जा रहे है कभी पार्टी के मंत्रियों के लिए तो कभी जनता के लिए आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने बताया की  मुख्यमंत्री ने तिहाड़ जेल से नागरिकों के लिए एक संदेश जारी कर कहा है ‘मेरा नाम अरविंद केजरीवाल है और मैं कोई आतंकवादी नहीं हूं।

आम आदमी पार्टी शुरू से ही कह रही है की जेल से सरकार चलेगी जेल में होने के बावजूद अरविंद केजरीवाल को अपनी से ज्यादा दिल्ली के लोगों की ही फिक्र है  ऐसे संदेश आते रहे है और हाल में केजरिवाल से भगवंत मान और आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संदीप पाठक  मिलने तिहाड़ जेल गये थे  और मुलाकात के बाद बताया है कि अरविंद केजरीवाल को जेल में भी अपनी नहीं बल्कि जनता की चिंता है. संदीप पाठक ने कहा जेल में मुलाकात के दौरान अरविंद केजरीवाल ने कहा है मेरी चिंता मत करो मैं संघर्ष के लिए तैयार हूं… मेरा पूरा जीवन जनता के लिए संघर्षमय रहा है… आगे भी संघर्ष ज़ारी रहेगा.

इससे पहले भी केजरीवाल ने ईडी की हिरासत से संदेश भेजा जिसे उनकी पत्नी ने पढ़ा उसमें वे राष्ट्रीय नेता के तौर पर अपनी पोजिशनिंग करते रहेखुद आम आदमी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता भी सार्वजनिक मंचों से कहते फिर रहे थे कि केंद्र सरकार अरविंद केजरीवाल की कभी भी गिरफ्तारी करवा सकती है।यहाँ तक जनता से पहले ही राय ली गई की मुख्यमंत्री को जेल से सरकार चलानी चाहिए या नहीं ये सब किसलिए किया सिर्फ सहानुभूति के लिए और केजरीवाल को आशीर्वाद देने के लिए आम आदमी पार्टी ने एक अभियान लॉन्च किया  इसे अभियान को ‘केजरीवाल को आशीर्वाद’  नाम दिया यानि इन सबके जरिए जनता का मूड जानने की कोसिस की जा रही है

क्या ईमोशनल कार्ड खेल रहे kejriwal ?

केजरीवाल की गिरफ़्तारी से उनकी पार्टी को एक मुद्दा मिल गया है। अब कांग्रेस हो या आप या भारतीय जनता पार्टी हो सबका मुद्दा सिर्फ अरविंद केजरीवाल हैं। अब दिल्ली में किसी दूसरे मुद्दे की चर्चा नहीं हो रही है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने दिल्ली में घर घर गारंटी योजना लॉन्च की लेकिन उसका कोई माहौल बनता नहीं दिख रहा बल्कि सारी पार्टियां सारे नेता और यहां तक कि आम मतदाता भी सिर्फ केजरीवाल की बात कर रहे हैं। हालांकि ऐसा नहीं है कि बात कर रहे हैं तो उनका समर्थन कर रहे हैं या उनके प्रति सहानुभूति हो रही है। लेकिन चुनावी चर्चा के केंद्र में सिर्फ केजरीवाल हैं। उनकी पार्टी ने केजरीवाल के समर्थन में सार्वजनिक उपवास किया तो भाजपा ने केजरीवाल के इस्तीफे की मांग पर प्रदर्शन किया।

ऐसा लग रहा है कि दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुद्दा उतना नहीं है जितना केजरीवाल है। केजरीवाल के पक्ष में या उनके विरोध में मतदाताओं की गोलबंदी हो रही है और यह भी लग रहा है कि कांग्रेस को भी इसी मसले पर वोट मांगना होगा। पहले कांग्रेस के नेता केजरीवाल का नाम लेने से हिचक रहे थे लेकिन अब उनको लग रहा है कि इसी नाम पर चुनाव लड़ना होगा।

केजरीवाल की गिरफ्तारी पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से भी प्रतिक्रिया आई अमेरिकी विदेश विभाग ने नई दिल्ली से मामले में निष्पक्ष कानूनी प्रक्रिया के लिए “निष्पक्ष और समय पर कानूनी प्रक्रिया” सुनिश्चित करने का आह्वान किया जबकि जर्मनी ने भी गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया व्यक्त की जिससे एक तसलीम हुई जहां भारत ने इन टिप्पणियों को अनुचित बाहरी हस्तक्षेप करार दिया।इस गिरफ़्तारी से आम आदमी पार्टी को चुनाव के दौरान मीडिया में महत्वपूर्ण कवरेज मिली है। यह लड़ाई जितनी न्यायिक अदालतों में लड़ी जा रही है उतनी ही सार्वजनिक तौर पर भी लड़ी जा रही है। इंडिया ब्लॉक जो भारतीय समाचार मीडिया पर पक्षपाती होने का आरोप लगा रहा था ने अपनी रामलीला मैदान रैली का प्रमुख चैनलों पर सीधा प्रसारण किया।

दोस्तों अरविंद केजरीवाल जमानत हासिल करने के लिए दबाव की राजनीति कर रहे हैं। मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं देना और जेल से सरकार चलाने के उपाय करना इसी दबाव की राजनीति का हिस्सा है। क्योंकि उनको पता है कि मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देते ही सारा फोकस उनके ऊपर से हट जाएगा जैसे झारखंड में हेमंत सोरेन के मामले में हुआ है।मीडिया के साथ साथ विदेशी मिशन जो उनके पक्ष में बयान दे रहे थे उनका भी ध्यान हट जाएगा।

केजरीवाल की पार्टी इसका प्रचार कर रही है कि जेल में उनको सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। मुलाकात सामान्य कैदी की तरह हो रही है जबकि पहले राजनीतिक लोगों की मुलाकात अलग कमरे में बैठा कर होती थी। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि जेल प्रशासन केजरीवाल के साथ आतंकवादी की तरह बरताव कर रहा है।इसके साथ ही मान और राज्यसभा सांसद संदीप पाठक ने आगे की रणनीति बताते हुए कहा कि केजरीवाल जेल से ही सरकार चलाएंगे और इसके लिए हर महीने वे दो मंत्रियों से मिलेंगे। उनको कामकाज के बारे में निर्देश देंगे। मतलब इस तरह से केजरीवाल न्यायपालिका केंद्र सरकार मीडिया दिल्ली और देश की जनता और विश्व बिरादरी को भी मैसेज दिया है कि वे महीनों जेल में रह सकते हैं लेकिन इस्तीफा नहीं देंगे और जेल से ही सरकार चलाएंगे।

केजरीवाल की गिरफ़्तारी फायदा या नुकसान ?

और ये फैसला भाजपा और केंद्र सरकार दोनों का सिरदर्द बढ़ाने वाला है क्योंकि अगर वे बिना इस्तीफा दिए लंबे समय तक जेल में रहते है तो उनके ऊपर फोकस बना रहेगा। लेकिन अगर उनको जमानत मिल जाती है तो देश भर में घूम घूम कर विपक्षी गठबंधन के लिए प्रचार करेंगे। तभी केंद्र सरकार को यह आकलन करना होगा कि जेल में बंद केजरीवाल कम नुकसानदेह हैं या जमानत पर छूटे केजरीवाल? यह देखना दिलचस्प होगा कि पहले कौन पीछे हटता है।

गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उस पर ईडी को नोटिस जारी किया है। इस महीने के आखिर में उस पर सुनवाई होनी है। केजरीवाल उम्मीद कर रहे हैं कि वहां से कुछ राहत मिल जाएगी।अगर ईडी के आरोपों को अदालत निरस्त नहीं करेगी तब भी उनकी जमानत का रास्ता साफ हो सकता है। लेकिन अगर सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली तब वे क्या करेंगे यह भी अहम है।

दोस्तों ये लड़ाई अब धारणा की लड़ाई बन गई है जहां AAP एक कहानी बनाने की कोशिश कर रही है कि सर्वशक्तिमान भाजपा एक नौसिखिया पार्टी को खत्म करना चाहती है। आप का मानना है कि इसका कारण डर हो सकता है। क्या बीजेपी केजरीवाल से डरती है? क्या वह AAP को एक उभरते खतरे के रूप में देखती है क्योंकि 2024 के चुनावों में कांग्रेस और कमजोर हो गई है?वास्तव में भाजपा समर्थकों के एक वर्ग ने भी केजरीवाल की गिरफ्तारी पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है उनका मानना है कि यह कदम उन्हें केवल एक नायक के रूप में चित्रित करता है। आख़िरकार पार्टी की उपस्थिति दिल्ली और पंजाब में लगभग 20 सीटों तक ही सीमित है।

भाजपा के लिए समस्याएँ इस से बढ़ गई हैं कि दिल्ली भाजपा पार्टी के लिए सबसे कमजोर राज्य इकाइयों में से एक है  दिल्ली में केजरीवाल का मुकाबला करने के लिए पार्टी के पास कोई खास चेहरा नहीं है.केजरीवाल एक लोकप्रिय नेता हैं और सी-वोटर के  मूड ऑफ द नेशन सर्वे  के अनुसार वह ममता बनर्जी और राहुल गांधी के साथ इस मामले में दूसरे स्थान पर हैं कि जनता विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए किसे सबसे उपयुक्त मानती है।

जबकि दिल्ली में 48% लोगों का कहना है कि केजरीवाल की गिरफ्तारी से पता चलता है कि वह भ्रष्ट हैं लगभग समान हिस्सेदारी वाले 46% लोगों का कहना है कि उन्हें मोदी की प्रतिशोध की राजनीति के कारण गिरफ्तार किया गया है और क्योंकि वह प्रधान मंत्री के लिए खतरा हैं। शेष भारत के आंकड़े भी भाजपा के लिए उत्साहवर्धक नहीं हैं। केवल 39% लोग केजरीवाल की गिरफ्तारी को भ्रष्टाचार का परिणाम मानते हैं जबकि आधे से अधिक (51%) इसे मोदी तानाशाही का  परिणाम मानते हैं।

इस सवाल पर  क्या केजरीवाल को इस्तीफा दे देना चाहिए या जेल से दिल्ली सरकार चलानी चाहिए दिल्ली में उनके इस्तीफे को शुद्ध रूप से 2% अनुमोदन प्राप्त है जबकि शेष भारत में शुद्ध रूप से 4% अस्वीकृति है जिसमें अधिक संख्या में लोगों की राय है कि उन्हें जेल से सरकार चलानी चाहिए।सर्वेक्षण से पता चलता है कि केजरीवाल की गिरफ्तारी से वास्तव में उन्हें दिल्ली के बाहर ब्राउनी अंक मिले हैं अब देखना ये होगा की इससे भाजपा के ‘मिशन 400’ से   फायदा है या पटरी से उतरने का खतरा है? ये केवल समय बताएगा।खैर आपकी इस पर क्या राय है हमे कमेन्ट कर जरूर बताएँ

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