ताश के पत्तों की तरह ढेर हुई महाकाल लोक की मूर्तियां
‘ये और बात की आंधी हमारे बस में नहीं, मगर चराग़ जलाना तो इख़्तियार में है’,,दोस्तों अज़हर इनायती के ये लाइनें MP के उज्जैन महाकाल लोक में आई आंधी पर फिट बैठती हैं। ताश के पत्तों की तरह ढेर हुई सप्तऋषियों की मूर्ति ने क्वालिटी को उखाड़ दिया है,,विपक्ष हो या फिर इस प्रसिद्ध जगह पर कदम रखने वाले लोग,, सत्ता पक्ष से सवाल इसलिए भी कर रहे है,, क्योकि जिस बुनियाद के सहारे महाकाल लोक का सपना देखा गया,,वो दोस्तों दो-चार या पचास-सौ करोड़ का नहीं,, बल्कि 856 करोड़ का प्रोजेक्ट हैं,,
महाकाल लोक का PM ने खुद किया था उद्घाटन
दोस्तों इन तस्वीरों को जरा ध्यान से देखिए,,हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद मध्य प्रदेश में उज्जैन महाकाल लोक का अपने कर कमलों से उद्घाटन किया था,,उस वक्त BJP के सभी नेताओं ने महाकाल लोक को लेकर पीएम की,,अपनी पार्टी की खूब तारीफ की थी,,लेकिन आज देखिए किस तरह टुकड़ों में,,ताश के पत्तों की तरह,,ये मूर्तियां बिखर गई है,,दोस्तों जब हम छोटा सा कोई मकान भी बनाते है,, तो भविष्य में आंधी-तूफ़ान भूकंप जैसी आपदा का ख्याल रखकर अपने घरों का निर्माण करते हैं। लेकिन मध्य प्रदेश में उज्जैन महाकाल लोक में ऐसा क्यों हुआ कि,, 30 किमी रफ्तार की आंधी में मूर्तियां गिरती चली गई।
856 करोड़ की लागत से बना है ये कॉरिडोर
दोस्तों महाकाल कॉरिडोर कोई छोटा मोटा प्रोजेक्ट नहीं था,,महाकाल कॉरिडोर को तैयार करने में 856 करोड़ की लगात लगी है,,लेकिन अफ़सोस 856 करोड़ की लागत के बाद भी महाकाल कॉरिडोर एक आंधी तक नहीं झेल पाई,,दोस्तों पहला फेज 351 करोड़ रुपये में पूरा हुआ। 900 मीटर लंबे इस कॉरिडोर के पहले चरण में धार्मिक महत्व को दर्शाती कई मूर्तियां स्थापित की गई हैं। इनमें सप्तऋषियों की 7 मूर्तियां भी शामिल थी। महज 30 किमी रफ्तार की आंधी के झोंके में 6 मूर्तियां ऐसे ढेर हुई, जैसे हवा में कागज का टुकड़ा उड़ जाता हैं,,
उज्जैन के नंदी द्वार में लगा लट्टू गिरा
दोस्तों उज्जैन के महाकाल महालोक में अव्यवस्थाओं का आलम पसरा हुआ है,,खासकर 28 मई को आई आंधी ने तो जैसे कांग्रेस को बैठे-बिठाए एक मुद्दा दे दिया,,दोस्तों आज नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड नंदी द्वार से महाकाल लोक में प्रवेश करने वाले है,, इसी नंदी द्वार के ऊपर लगा पत्थर का लट्टू नीचे गिर गया,,जी हाँ दोस्तों पहले मूर्तियां और अब द्वार पर लगा हुआ लट्टू,,करीब दो-तीन किलो वजनी वाला यह लट्टू गिर गया,,लट्टू निचे गिरने से निचे की टाइल्स टूट गई। महाकाल लोक मे कई स्थानों पर यह लट्टू लगे हैं। बताया जा रहा है कि ज्यादा गर्मी की वजह से जिस केमिकल से इन्हें फिक्स किया था, वह पिघल रहा है। जिस कारन से लट्टू गिर रहे है,,दोस्तों 856 करोड़ के प्रोजेक्ट का ये हाल है,,856 करोड़ में लट्टू को चिपकाने के लिए ऐसे लोकल केमिकल का केमिकल का इस्तेमाल किया गया,,की लट्टू पिघल पिघल कर निचे गिर रहे है,,गनीमत तो यह रही दोस्तों ये लट्टू किसी पर गिरा नहीं,,वरना सोचिये कितनी गंभीर चोट लग सकती थी,,,
महाकाल लोक के निर्माण में लगे है भ्रष्टाचार के आरोप
दोस्तों 11 अक्टूबर 2022 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकाल लोक का उद्घाटन किया था, उस समय भी मूर्तियों की मजबूती को लेकर सवाल खड़े किए गए थे। महाकाल लोक के निर्माण में हुए भ्रष्टाचार को लेकर तराना से कांग्रेस विधायक महेश परमार ने लोकायुक्त में शिकायत दर्ज कराई थी। विधायक ने शिकायत में ठेकेदार मनोज भाई पुरुषोत्तम भाई बाबरिया को करोड़ों रुपए का लाभ पहुंचाने के लिए SOR यानि (शेड्यूल ऑफ रेट) की दरें और आइटम को बदलने का आरोप लगाया गया था।
उज्जैन के महाकाल लोक कॉरिडोर के प्रथम चरण के कामों में भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद लोकायुक्त संगठन ने जांच शुरू की,,लोकायुक्त ने तीन IAS (तत्कालीन उज्जैन कलेक्टर और स्मार्ट सिटी लिमिटेड के अध्यक्ष आशीष सिंह, उज्जैन स्मार्ट सिटी के तत्कालीन कार्यपालक निदेशक क्षितिज सिंघल और तत्कालीन नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता) के अलावा 15 अफसरों को नोटिस देकर जवाब मांगा था। नोटिस में कहा गया है कि लोकायुक्त संगठन की जांच में आरोप प्रमाणित पाए गए हैं। लेकिन इसके बाद भी उन अधिकारीयों पर कोई एक्शन नहीं लिया गया
महाकाल कॉरिडोर की मूर्तियों में है 3 खामियां
दोस्तों मोदी जी अपने शुभ हाथों से महाकाल लोक कॉरिडोर का उद्घाटन किया था,,लेकिन दोस्तों एक आंधी ने मोदी जी का नाम डुबो दिया,,दोस्तों हमे मूर्तियों में 3 खामिया दिखी,,हमें ये तीन खामियां दिखीं…पहला कारण: मूर्तियों का बेस बेहद कमजोर था। नीचे की ओर इतनी जगह छोड़ दी गई कि इससे आसानी से हवा-पानी अंदर जा सकता था।
दूसरा कारण: 10 से 25 फीट ऊंची मूर्तियों को फाइबर रेनफोर्स प्लास्टिक से बनाया गया था। मजबूती देने के लिए अंदर सरिए लगाने होते हैं, लेकिन मूर्तियां खोखली थीं,,तीसरा कारण: मूर्तियों की बनावट इस तरह की नहीं थी कि वे 30 से 50 किमी/घंटे की स्पीड से चलने वाली हवा झेल सकें। भोपाल मौसम विभाग के अनुसार उज्जैन में दिन में 45 किमी/घंटे की रफ्तार से हवा चल रही थी। मूर्तियां हवा का प्रेशर झेल नहीं सकीं। दोस्तों तेज आंधी में गिरकर क्षतिग्रस्त हुई मूर्तियों को लेकर कांग्रेस जिन बिंदुओं पर सवाल उठा रही हैं, उसके जबाव में स्थानीय प्रशासन कह रहा है कि ठेके की शर्तों के अनुसार ठेकेदार कंपनी नई मूर्तियां लगाएगी। इस बीच सवाल यह भी उठ रहा है कि कुल 136 मूर्तियों में जब 6 मूर्तियों का ऐसा हाल हुआ है,, तो आने वाले वक्त में बाकी 130 मूर्तियों का क्या होगा ?
महाकाल कॉरिडोर की क्षतिग्रस्त 6 मूर्तियों
दोस्तों हम आपको बता दे की,,इन मूर्तियों की लागत 15 करोड़ रुपये है, औसतन हर मूर्ति को बनाकर लगाने में 11 लाख रुपये खर्च हुए। क्षतिग्रस्त 6 मूर्तियों का हिसाब जोड़ा जाए,, तो नुकसान 66 लाख रुपये का होता है,,टेंडर की शर्तों के हिसाब से बाबरिया कंपनी नई मूर्ति भी लगा देगी, लेकिन दोस्तों यह जानना जरुरी है कि शुरू में हाई क्वालिटी का दावा करने के बाद भी ये मूर्तियां 30 किमी रफ्तार की आंधी सहन क्यों नहीं कर पाई?
जबकि दोस्तों निर्माण कार्य के वक्त जब इन मूर्तियों को स्थापित किया गया था तो कंपनी ने इनकी 10 साल लाइफ का दावा किया था। कई BJP नेताओं ने तो ये तक बयान दिए थे कि भूकंप में भी ये मूर्तियां हिलेंगी तक नहीं,,हमे बताया गया था कि ये मूर्तियों गुजरात, ओडिशा और राजस्थान के कलाकारों ने 5 साल कड़ी मेहनत कर तैयार की हैं। अब नई मूर्तियां लगाने के मामले में यह स्पष्ट नहीं है कि कंपनी क्षतिग्रस्त मूर्तियों को ही रिपेयर करके लगाएगी या फिर मूर्तियों का नए सिरे से निर्माण होगा? अगर ऐसा होता है तो फिर नई मूर्तियां बनने में 5 साल वक्त तो लगेंगे ही