क्या कतर पर दबाव बनाकर नौ-सैनिकों को सजा-ए-मौत से बचा पाएगे PM Modi ?
दोस्तों हमारे देश के प्रधानमंत्री जी यानि की मोदी जी का पूरे देश में पूरी दुनिया भर में उनके नाम का डंका बजता है बीजेपी वाले कुछ टीवी anchors सभी मोदी जी को विश्व गुरु बताते है खुद मोदी जी भी कहते है के उनके नाम का डंका बजता है और अब विपक्षी नेता और देश के करोड़ों लोग युवा मोदी सरकार से अपील कर रहे है की अगर आपके नाम का डंका बजता है तो भारतीय नो सेना के 8 पूर्व अधिकारियों की जिंदगी बचा ले मोदी जी (PM Modi ) चाहे तो इनकी जिंदगी बचा सकते है अब देखना ये है की मोदी सरकार क्या चाहती है हमारे विश्व गुरु को ,,इस मामले में दखल देना चाहिए
दोस्तों कतर में आठ पूर्व भारतीय नौसैनिकों को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद से पूरा देश हैरान है हमास जैसे आतंकी संगठन को पनाह देने वाला देश भारत के 8 नौसैना अफसरों को बिना कोई आरोप लगाए बिना किसी सुनवाई के सीधे मौत की सजा सुना रहा है. भारत के निर्दोष लोगों को सूली पर चढ़ाने की तैयारी कर रहा है.
सभी कानूनी विकल्प तलाश रहे-MEA
इन आठों भारतीयों को पिछले साल जासूसी के कथित आरोप में गिरफ्तार किया गया था. भारत सरकार ने इस फैसले पर हैरानी जताई है. विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा ‘कतर की अदालत ने आज अल-दहरा कंपनी के आठ भारतीय कर्मचारियों से जुड़े मामले में फैसला सुनाया है. मौत की सजा के फैसले से हम हैरान हैं. और फैसले की डिटेल्ड कॉपी का इंतजार कर रहे हैं. हर परिवार के सदस्यों और कानूनी टीम के संपर्क में हैं. भारतीय नागरिकों की रिहाई के लिए सभी कानूनी विकल्पों की तलाश की जा रही है.’
विदेश मंत्रालय ने ये भी कहा कि कतर की जेल में बंद भारतीय नागरिकों को कॉन्सुलर एक्सेस और कानूनी मदद दी जाती रहेगी. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया की ‘कांग्रेस उम्मीद करती है कि भारत सरकार कतर सरकार के साथ अपने राजनयिक और राजनीतिक प्रभाव का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करेगी ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि उन्हें अपील का पूरा मौका मिले. और उनकी जल्द से जल्द रिहाई के लिए हर जरूरी कोशिश की जाए.’
कतर में फांसी की सजा पाने वाले भारतीय कौन हैं?
भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक नौसेना के इन आठ पूर्व अफसरों को पिछले साल अगस्त में हिरासत में लिया गया था. नेवी के जिन आठ पूर्व अफसरों को मौत की सजा सुनाई गई है उनके नाम- कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेंदू तिवारी, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और राजेश हैं.
क्यों सुनाई गई फांसी की सजा?
इन सभी पूर्व अफसरों ने भारतीय नौसेना में 20 साल तक सेवा दी थी. नेवी में रहते हुए उनका कार्यकाल बेदाग रहा है और अहम पदों पर रहे हैं. पिछले साल 25 अक्टूबर को मीतू भार्गव नाम की महिला ने ट्वीट कर बताया था कि भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अफसर 57 दिन से कतर की राजधानी दोहा में गैर-कानूनी तरीके से हिरासत में हैं. मीतू भार्गव कमांडर पूर्णेंदु तिवारी की बहन हैं
इन अफसरों पर कथित तौर पर इजरायल के लिए जासूसी करने का आरोप है. कतर की न्यूज वेबसाइट अल-जजीरा के रिपोर्ट के मुताबिक इन अफसरों पर कतर के सबमरीन प्रोजेक्ट से जुड़ी जानकारियां इजरायल को देने का आरोप है हालांकि, कतर सरकार की ओर से इन पूर्व अफसरों पर लगाए गए आरोपों को लेकर कुछ खास जानकारी भारत सरकार से साझा नहीं की गई है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची के मुताबिक इस साल 29 मार्च को इन पूर्व अफसरों के खिलाफ मुकदमा शुरू हुआ था. तीन अक्टूबर को मामले में सातवीं सुनवाई हुई थी. नौसेना से रिटायर्ड ये सभी अफसर दोहा स्थित अल-दहरा कंपनी में काम करते थे. ये कंपनी टेक्नोलॉजी और कंसल्टेसी सर्विस प्रोवाइड करती थी. साथ ही कतर की नौसेना को ट्रेनिंग और सामान भी मुहैया कराती थी.
इस कंपनी को ओमान की वायुसेना से रिटायर्ड स्क्वाड्रन लीडर खमीस अल आजमी चलाते थे. पिछले साल उन्हें भी इन भारतीयों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया था. हालांकि नवंबर में उन्हें रिहा कर दिया गया था. ये कंपनी इस साल 31 मई को बंद हो गई है. इस कंपनी में लगभग 75 भारतीय नागरिक काम करते थे जिनमें ज्यादातर नौसेना के पूर्व अफसर थे. कंपनी बंद होने के बाद इन सभी भारतीयों को नौकरी से निकाल दिया गया
इस मामले में अब आगे का रास्ता क्या है?
बहरहाल, फैसला आने के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने ये भी कहा कि इस मामले को कतर के अधिकारियों के सामने भी उठाया जाएगा. इस मामले में अब आगे का रास्ता क्या है? अंतरराष्ट्रीय कानून और ICCPR के प्रावधान कहते हैं कि कुछ मामलों को छोड़कर आम तौर पर फांसी की सजा नहीं दी जानी चाहिए भारत के पास कई रास्ते हैं. पहला तो यही कि इस फैसले को कतर की ऊपरी अदालत में अपील कर सकता है. अगर उचित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया जाता है या अपील नहीं सुनी जाती है तो भारत इस मामले को अंतरराष्ट्रीय अदालत में भी जा सकता है.
मौत की सजा को रोकने के लिए भारत राजनयिक स्तर पर दबाव भी बना सकता है. इतना ही नहीं एनजीओ और सिविल सोसायटी भी इस मुद्दे को वैश्विक स्तर पर उठा सकते हैं संयुक्त राष्ट्र के पास जाने का रास्ता भी भारत के पास है.
बीजेपी के नेता ऐसा दावा करते है की पीएम मोदी ने एक फोन कॉल से रूस यूक्रेन युद्ध रुकवा दिया था खैर ये तो कहने की बात है अगर ऐसा होता तो अब तक मणिपुर की हिंसा रुक गई होती क्योंकि ये तो अपने ही देश में है खैर पीएम मोदी का विदेशों में डंका बजता है और ये एक बहुत ही संवेदनसिल मुद्दा है इस पर पीएम मोदी को जरूर कुछ करना चाहिए आपकी इस पर क्या राय है कमेन्ट कर जरूर बताएँ