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Bihar Politics : CM Nitish Kumar बिहार के स्पेशल दर्जे पर क्या बोले ?

Bihar Politics : तुम्ही से शुरू तुम्ही से खतम इसी तर्ज पर बिहार को विशेष दर्जे को लेकर राजनीति चलती रही। पक्ष और विपक्ष इस मुद्दे पर एक-दूसरे के खिलाफ बरसते रहे। केंद्र की मोदी कैबिनेट में जेडीयू को न तो मनचाहा मंत्रालय और न ही मनचाहा मंत्री पद मिला ,,तब तक लगा की बिहार को विशेष (CM Nitish Kumar) राज्य का दर्जा मिलेगा लेकिन केंद्र ने वो भी देने से मना कर दिया नीतीश कुमार कहा करते थे अगर बिहार को स्पेशल स्टैटस नहीं मिला तो बगावत करेंगे  विडिओ लगानी है सुना आपने और अब कह रहे है की मैंने तो ऐसा कहा ही नहीं स्पेशल स्टैटस मिले या   विशेष पैकेज बात एक ही है पलटूराम ने क्या पलटी मारी मानना पड़ेगा आखिर ऐसा क्या डर है जो अब विशेष राज्य पर चुप हो गए

फिर पलट गए पलटूराम ?

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने  कहा कि उन्होंने केंद्र से विशेष दर्जा या विशेष पैकेज मांगा था। लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बजट में घोषित “विशेष मदद” ने राज्य की चिंताओं को दूर कर दिया है। हालांकि जब नीतीश कुमार से पूछा  क्या वह बिहार के लिए विशेष दर्जे की मांग छोड़ रहे हैं वो कोई सीधा जवाब देने से बचते रहे। कहा “आपको सारी चीजें धीरे-धीरे पता चल जाएंगी और धीरे-धीरे सब कुछ जान जाएंगे।” आखिर इस बयान का क्या मतलब है इस बयान के कई कयास लगाए जा रहे हैं कि वह जल्द ही कोई बड़ा राजनीतिक कदम उठा सकते हैं। माना जा रहा है कि वह राज्य सरकार को गिरा भी सकते हैं। कुछ लोग इसे राजनीतिक चाल मान रहे हैं तो कुछ लोगों को उम्मीद है कि मुख्यमंत्री राज्य के हित में कोई बड़ा कदम उठाएंगे। उनके बयान से साफ है कि वह इस मुद्दे पर केंद्र सरकार के फैसले से खुश नहीं हैं। अब देखना होगा कि वह आने वाले समय में क्या रणनीति अपनाते हैं।

विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलने पर विधानसभा सत्र में तीसरे दिन भी विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया। सदन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बोलने के दौरान कांग्रेस और राजद के विधायकों ने हाय-हाय के नारे लगाए। इसके बाद सीएम नीतीश भड़क गए और कहा कि इतने दिन से आंदोलन कर रहे थे। जब केंद्र में यूपीए की सरकार थी तब क्यों नहीं दिए थे विशेष दर्जा और आज हंगामा कर रहे हैं।

सीएम नीतीश ने कहा कि ‘अरे ई सब चीजवा तो हम्हीं न किए हैं जी.. और आप लोग साथ दिए हैं। कुछ आइडिया था आप लोगों के पास.. अरे सही चीज बोलिए.. कांग्रेसी हैं आप बोलिए सही.. कोई बतवा मानें थे? कल बड़ा भारी आंदोलन कर रहे थे.. और जब हमलोग 10 से आंदोलन कर रहे थे जी.. कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले.. तो आपका पर्टिया नहीं दिया। ये दोनों एक साथ थे (राजद-कांग्रेस) अब आजकल बोल रहे हैं ऐसे ही काहे बोलते हैं’।सुना आपने नीतीश कुमार पूछ रहे  है

CM Nitish Kumar ने congress पर साधा निशाना

आखिर आप चाहते क्या हैं। विपक्षी सदस्य आज विशेष राज्य का दर्जा की मांग कर रहे हैं। हम तो 2010 से ही इस मसले पर आंदोलन कर रहे हैं कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले लेकिन कांग्रेस नहीं मानी। केवल ऐसे ही बोलते रहते हैं। कांग्रेस को तो सब पता है। उनको तो सच बोलना चाहिए। कांग्रेस ने बिहार की मांगों की अनदेखी की।शोर-शराबे के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आरक्षण पर सरकार की स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि ये मेरी ही कल्पना थी। हमने ही इसकी पहल की थी। किसी को कुछ आइडिया भी नहीं था। सबको पता है कि मैंने ही सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। सबकी सहमति से जातिगत गणना का निर्णय लिया गया। भूल जाते हैं कि हमने इसके लिए क्या-क्या किया। जातिगत सर्वे के बाद जब यह जानकारी मिली कि 94 लाख गरीब परिवार हैं तो उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर करने के लिए दो-दो लाख देने का निर्णय लिया गया। साथ ही आरक्षण की सीमा बढ़ाई गई। 50 फीसदी से बढ़ाकर 75 फीसदी आरक्षण किया गया। 10 फीसदी केंद्र सरकार ने सभी वर्गों के गरीब सवर्णों को आरक्षण दिया था।सीएम ने कहा कि पटना हाईकोर्ट ने आरक्षण के विरोध में निर्णय सुनाया है। निर्णय आते ही राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी गई है। और केंद्र को भी कह दिए हैं कि इसको 9वां अनुसूची में शामिल करिए।

बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिला लेकिन केंद्र सरकार काफी मदद कर रही है। कई तरह से बिहार को मदद दी जा रही है। योजनाओं के लिए पैसा दिया गया है। अतिरिक्त सहायता दी गई है। ऐसे में विपक्षी सदस्यों के हंगामे का कोई मतलब नहीं है। राजद विधायक रेखा देवी की ओर से की जा रही नारेबाजी पर सीएम ने कहा कि आपको कुछ नहीं पता। महिलाओं के लिए राजद ने कभी कुछ नहीं किया। 2005 से ही हम महिलाओं के लिए काम कर रहे हैं। हमारी बात कोई सुनना नहीं चाहता है तो उसकी गलती है की बात सुननी चाहिए।

स्पेशल स्टेट का दर्जा क्यों मांगा ?

दरअसल बिहार को स्पेशल स्टेट का दर्जा देने की मांग बहुत पुरानी है. वर्ष 2000 में बिहार से अलग झारखंड बनने के बाद से यह मांग हो रही है. इसके पीछे का लॉजिक यह है कि बिहार के बंटवारे के वक्त 90 फीसदी उद्योग-धंधे झारखंड के हिस्से में चले गए. बिहार के हिस्से में खेती और बाढ़ वाले क्षेत्र आए. इससे इसकी आर्थिक सेहत पर बड़ा असर पड़ा.  दरअसल जिन राज्यों को केंद्र की तरफ से विशेष राज्य का दर्जा दिया जाता है उन्हें केंद्र की तरफ प्राथमिकता के आधार आर्थिक मदद टैक्स में छूट सहित कई रियायतें एवं सहूलितयतें मिलती हैं। केंद्र की किसी योजना को लागू करने के लिए विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों को महज 10 फीसदी अपना फंड खर्च करना पड़ता है बाकी योजना पर 90 प्रतिशत खर्च केंद्र सरकार करती है। बाकी राज्यों को केंद्र योजना लागू करने के लिए 60 से 70 प्रतिशत फंड जारी करता है। यही नहीं योजना के लिए केंद्र द्वारा जारी फंड का इस्तेमाल यदि सामान्य राज्य नहीं कर पाते तो वह राशि निष्प्रभावी हो जाती है जबकि विशेष राज्य के दर्जे वाले राज्य में यह फंड आगे इस्तेमाल की जाती है। यही नहीं विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों में निवेश आकर्षित करने के लिए उन्हें टैक्स में छूट दी जाती है। इसके अलावा केंद्र जब राज्यों के लिए बजट जारी करता है तो उसमें भी उन्हें प्राथमिकता दी जाती है।वर्तमान में ऐसे कई प्रदेश हैं जो विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर रहे हैं। आंध्र प्रदेश के नेता भी राज्य को विशेष दर्जा देने की मांग करते हैं। इनके अलावा छत्तीसगढ़ और ओडिशा भी विशेष राज्य के दर्जे की मांग करते हैं।

दोस्तों नीतीश कुमार के बयानों ने कई सवाल खड़े कर दिए है क्या किसी पुराने मामले की वजह से नीतीश कुमार केंद्र की मोदी सरकार से बेहद डरे हुए हैं। क्या इसलिए ही  उन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले पलटी मारी। क्या उन्हें इंडिया गठबंधन में इसी काम के लिए भेजा गया था ताकि वो इंडिया को कमजोर करके वहां से निकल आएं। ये सब सवाल ही है पर लाख टके का सवाल  बिहार अपनी विडंबनाओं से कैसे बाहर निकलेगा? आपको क्या लगता है हमे कमेन्ट कर जरूर बताएँ

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