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Israel-Palestine Conflict: इजरायल, फिलिस्तीन और हमास विवाद क्या है?

Israel-Palestine Conflict: जब हमास के आतंकियों ने शनिवार सुबह, इजरायल में तांडव किया तो पूरी दुनिया में चर्चा होने लगी कि इजरायल पर हमला हुआ है. ऐसे में सवाल उठा कि आखिर हमास ने इजरायल पर हमला क्यों किया? हालांकि इन दोनों देशों के बीच जंग कोई नई बात नहीं है आंकड़े बताते हैं कि जब-जब हमास ने हमला किया है तो ज्यादा नुकसान उन्हें ही उठाना पड़ा है हमास, इजरायल और फिलस्तीन. आइए जानते हैं कि आखिर इस जंग का पूरा मामला क्या है?

इजरायल हमास और फिलिस्तीन. इस लड़ाई में प्रमुख तौर पर यही तीन स्टेक होल्डर हैं . इजरायल और अरब देशों की अदावत पुरानी है. साल 1948 में जब इजरायल बना तभी से अरब देशों की इजरायल से बनती नहीं थी. जिसका नतीजा ये हुआ कि यूनाइटेड नेशन का टू स्टेट प्लान कभी अमल में नहीं लाया जा सका. टू स्टेट प्लान संयुक्त राष्ट्र ने फिलिस्तीन और इजरायल के विवाद खत्म करने के लिए किया था जिसमें यहूदियों के लिए इजरायल और फिलिस्तीनियों के लिए फिलिस्तीन का प्रावधान.

इजरायल-फिलिस्तीन का भूगोल

इजरायल मिडिल ईस्ट में मौजूद एक यहूदी देश है. इसके पूर्वी हिस्से में वेस्ट बैंक और दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में गाजा स्ट्रिप यानी गाजा पट्टी है . वेस्ट बैंक और गाजा स्ट्रिप को आमतौर पर फिलिस्तीन के तौर पर जाना जाता है. वेस्ट बैंक में ‘फिलिस्तीन नेशनल अथॉरिटी’ सरकार चलाती है. इसे संयुक्त राष्ट्र से मान्यता मिली हुई है. वेस्ट बैंक में ही इस्लाम यहूदी और ईसाई धर्म का पवित्र शहर यरूशलम भी मौजूद है.

वहीं इजरायल के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में स्थित गाजा स्ट्रिप- दो तरफ से इजरायल से घिरा है . इसके एक तरफ भूमध्यसागर है और एक तरफ से इसका बॉर्डर मिस्र से लगता है. इजरायल पर ताजा हमला इसी गाजा स्ट्रिप से किया गया है. जिसपर साल 2007 से हमास का कब्जा है. बता दें कि इजरायल की अपनी सरकार है. बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) यहां के वर्तमान प्रधानमंत्री हैं . वहीं वेस्ट बैंक में ‘फिलिस्तीन नेशनल अथॉरिटी’ के तहत फतह पार्टी की सरकार है. महमूद अब्बास अब्बास यहां के वर्तमान राष्ट्रपति है

ओटोमन साम्राज्य की हार, विवाद की शुरुआत

फिलिस्तीन और इजरायल के बीच विवाद की नींव प्रथम विश्व युद्ध (1914–1918) में ओटोमन साम्राज्य की हार के साथ ही पड़ गई थी. दरअसल फिलिस्तीन पर पहले ओटोमन साम्राज्य का शासन था. लेकिन प्रथम विश्व युद्ध में ओटोमन साम्राज्य की हार के बाद ब्रिटेन ने फिलिस्तीन पर पूरा कब्जा कर लिया. उस वक्त इजरायल नाम से कोई देश नहीं था . इजरायल से लेकर वेस्ट बैंक तक के इलाके को फिलस्तीनी क्षेत्र के तौर पर जाना जाता था. ब फिलिस्तीन में यहूदी अल्पसंख्यक और अरब बहुसंख्यक थे.

1917 में ब्रिटेन ने सार्वजनिक रूप से फिलिस्तीन में “यहूदी लोगों के लिए एक राष्ट्रीय घर” स्थापित करने के पने उद्देश्य की घोषणा की थी. जिसे बाल्फोर घोषणा कहा जाता है. युद्ध के बाद के बाकी शासनादेशों के विपरीत, यहां ब्रिटिश शासनादेश का मुख्य लक्ष्य एक यहूदी “राष्ट्रीय घर” की स्थापना के लिए स्थितियां बनाना था, – जहां उस समय यहूदियों की आबादी 10 प्रतिशत से भी कम थी. जनादेश के शुरू होने पर अंग्रेजों ने फिलिस्तीन में यूरोपीय यहूदियों के आप्रवासन को सुविधाजनक बनाना शुरू कर दिया. 1922 और 1935 के बीच यहूदी आबादी नौ प्रतिशत से बढ़कर ल आबादी का लगभग 27 प्रतिशत हो गई.

द्वितीय विश्व युद्ध और खासकर जर्मनी में हिटलर के नाजी शासन में यहूदियों के व्यापक जनसंहार के बाद यहूदियों के लिए अलग देश की मांग तेज होने लगी थी. एक तरफ जहां यहूदियों का मानना था कि ये उनके पूर्वजों का घर है. वहीं दूसरी ओर फिलस्तीनी अरब भी इस क्षेत्र पर अपना दावा करते थे. इस तरह से फिलिस्तीन-इजरायल विवाद की शुरुआत हुई.

1948 में इजरायल की स्थापना

29 नवंबर 1947 को संयुक्त राष्ट्र ने प्रस्ताव 181 (जिसे विभाजन प्रस्ताव के रूप में भी जाना जाता है) को अपनाया . जिसके तहत ब्रिटिश शासन के अधीन फिलिस्तीन को यहूदी और अरब राज्यों में विभाजित करने का फैसला किया गया. प्रस्ताव के तहत यरूशलेम को संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण के अधीन रखने का फैसला किया गया.
अगले ही साल इजरायल ने अपनी आजादी का ऐलान कर दिया . 14 मई, 1948 को यहूदी एजेंसी के प्रमुख डेविड बेन-गुरियन ने इजरायल राज्य की स्थापना की घोषणा की . अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी एस. ट्रूमैन ने उसी दिन इस नए राष्ट्र को मान्यता दे दी.इजरायल ने जैसे ही अपनी आजादी का ऐलान किया इसके महज 24 घंटे के अंदर ही अरब देशों की संयुक्त सेनाओं ने उस पर हमला कर दिया . करीब एक साल तक चली इस लड़ाई में अरब देशों की सेनाओं की हार हुई.अंत में ब्रिटिश राज वाला ये पूरा हिस्सा तीन भागों में बंट गया. जिसे इजरायल वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी का नाम दिया गया.

गाजा पट्टी और हमास

अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक फिलिस्तीन पर ब्रिटिश शासन से पहले यहूदी कुल जनसंख्या का लगभग 6 प्रतिशत थे . 1947 से 1950 तक नकबा या ” कैटास्ट्रोफ” के दौरान यहूदी सैन्य बलों ने कम से कम 750,000 फिलिस्तीनियों को निष्कासित कर दिया और ऐतिहासिक फिलिस्तीन के 78 प्रतिशत हिस्से पर कब्जा कर लिया. शेष 22 प्रतिशत को वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में विभाजित किया गया था.
1967 के युद्ध के दौरान इजरायली सेना ने पूरे ऐतिहासिक फिलिस्तीन पर कब्जा कर लिया और 300,000 से अधिक फिलिस्तीनियों को उनके घरों से निकाल दिया. 2008 और 2021 के बीच कम से कम 5,739 फिलिस्तीनी और 251 इजरायली मारे गए. संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक इजरायल में एक मौत के मुकाबले फिलिस्तीन में 23 लोगों की मौतें हुई हैं. इस दौरान कम से कम 1,21,438 फिलिस्तीनी और 5,682 इजरायली घायल हुए हैं. संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक फिलिस्तीनी गुट से मारे गए लोगों में से कम से कम 1,255 (22 प्रतिशत) बच्चे थे और 565 (10 प्रतिशत) महिलाएं थीं इजरायल की ओर से मारे गए लोगों में से 121 (48 प्रतिशत) सुरक्षा बल थे.

मजबूत होता गया इजरायल

लेकिन इतिहास गवाह है कि जब-जब इजरायल पर हमले हुए इजरायल ने मुंहतोड़ जवाब दिया. न सिर्फ जवाब दिया बल्कि अपनी स्थिति भी मजबूत करता गया. फिर चाहे 1967 का 6 दिन का युद्ध हो या फिर 1973 का अरब-इजरायल युद्ध. हर युद्ध में इजरायल भौगौलिक तौर पर अपना आकार बढ़ाता गया. फिलिस्तीनियों की जमीन खिसकती गई.

1990 का दशक आते-आते इजरायल और फिलिस्तीन में बातचीत का दौर शुरु हुआ . एक तरफ बातचीत के जरिए विवाद खत्म करने का प्रयास किया जाने लगा. दूसरी तरफ मुस्लिम कट्टरपंथियों ने 1987 में हमास नाम के संगठन की शुरुआत की . अंग्रेजी में हमास का मतलब, इस्लामिक रजिस्टेंश मूवमेंट है.

फिलीस्तीन को इस्लामिक स्टेट बनाने का था मकसद

हमास का उद्देश्य फिलिस्तीन को इजरायल से आजाद कराना और उसे इस्लामिक स्टेट बनाना था . फिलिस्तीन में हमास अपनी जड़ें जमा रहा था और उधर बातचीत के जरिए फिलिस्तीन और इजरायल के रिश्ते सामान्य होने लगे. 1995 में इजरायल ने फिलिस्तीनियों को जमीनें लौटाना शुरू कर दिया.

ओस्लो समझौते के तहत शांति बहाल करने की कोशिश

ओस्लो समझौते के तहत गाजा स्ट्रिप और वेस्ट बैंक को 3 तरह के क्षेत्रों में बांटा गया. जोन ए में ऐसे क्षेत्रों को रखा गया जिनपर फिलिस्तीन का पूरा नियंत्रण था. जोन बी में उन क्षेत्रों को रखा गया जहां प्रशासन फिलिस्तीन का लेकिन सुरक्षा इजरायल के हाथ रही. इसी तरह जोन सी में वो क्षेत्र थे जहां पूर्ण रूप से इजरायल का नियंत्रण था.


1995 में हुए ओस्लो-2 समझौते के बाद जो वेस्टबैंक से फिलिस्तीन के हिस्से में कई प्रमुख शहर आए जिसमें हेब्रों, यत्ता, बेतलहम, रमल्ला, कल्कइलियाह, तुलकार्म, जैनीन, नाबुलुस थे . इसके अलावा गाजा पट्टी के शहर भी फिलिस्तीन को मिले. जिसमें रफाह, खान यूनुस, डायरल, अलबलह, जबलियाह, अन नजलाह शामिल हैं. इस समझौते के बाद ऐसा लगने लगा था कि इजरायल और फिलिस्तीन का विवाद अब खत्म हो गया है. अब दोनों देश शांतिपूर्वक आगे बढ़ेंगे. लेकिन दोनों पक्षों के कट्टरपंथियों को ये समझौता मंजूर नहीं था.

जब एक ही दिन पड़ा यहूदियों और मुसलमानों का त्योहार

1994 में इत्तेफाक से यहूदियों का त्योहार, पुरिम और मुसलमानों को रमदान एक ही दिन पड़ गया.तब एक यहूदी कट्टरपंथी ने मुसलमानों की भीड़ पर फायरिंग कर दी. इसके बदले में हमास के आतंकियों ने आत्मघाती हमलों के जरिए धमाके शुरू कर दिए.इन घटनाओं के बाद भी ओस्लो समझौते पर बातचीत जारी थी.

शांति प्रयासों पर पूर्णविराम लगा 4 नवंबर 1995 को, . जब एक कट्टरपंथी यहूदी ने प्रधानमंत्री यिजक रॉबिन की हत्या कर दी . फिर साल 1996 में बेंजामिन नेतन्याहू पहली बार इजरायल के प्रधानमंत्री बने . नेतन्याहू ने सख्त रुख अपनाया सेक्युरिटी विद पीस का नारा दिया और ओस्लो समझौते को मानने से इनकार कर दिया.

इधर हमास ने फिलिस्तीन की राजनीति पर धीरे-धीरे कब्जा कर लिया. हमास के आतंकी मुस्लिम भाईचारे के नाम पर, फंड इकट्ठा करते हैं और उसका इस्तेमाल इजराइल ये खिलाफ करते हैं . आत्मघाती हमलों से शुरू हुआ हमास का आतंकी सफर अब रॉकेट अटैक तक पहुंच गया है.आए दिन हमास के आतंकी इजरायल पर हमला करते रहते हैं.

सदी का सबसे बड़ा हमला

7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इजरायल पर जो रॉकेट दागे वो इस सदी का सबसे बड़ा अटैक है. अलजजीरा टेलिवजन के एक कार्यक्रम में हमास के प्रवक्ता ने कहा कि इजरायल पर ये हमला मुस्लिम देशों को संदेश है कि वो इजरायल से रिश्ते सामान्य करने का प्रयास छोड़ दें.

आपको बता दें कि, वेस्टबैंक में कई ऐसे मजहबी स्थल हैं, जिनपर यहूदी और इस्लामिस्ट दोनों दावा करते हैं. ऐसे ज्यादातर क्षेत्रों पर इजरायल का कब्जा है. हमास उन क्षेत्रों को इजरायल से छीनकर इस्लामिक देश बनाना चाहता है. क्योंकि मामला मजहबी है इसलिए आतंकी संगठन हमास को समर्थन और फंडिंग भी मिल जाती है, . मजहब के नाम पर युवाओं को बरगलाना और इजरायल पर आतंकी हमले करवाने में हमास का साथ हिजबुल्ला जैसे संगठन भी देते हैं.

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