Income tax raid: दोस्तों ED, CBI और इनकम टैक्स विभाग की ओर से छापेमारी की खबरें तो लगातार आती रहती हैं. आपने भी अखबारों और टीवी समाचारों में हजारों करोड़ की नोटों की गड्डियां और कई किलो सोने-चांदी के आभूषण जब्त होने की तस्वीरें व फुटेज भी देखी होंगी. कैश से भरे 176 बैग, नोट गिनने वाली 40 मशीनें, तीन बैंक के 80 स्टाफ, दर्जनों सुरक्षाकर्मी और पांच दिन का समय, कांग्रेस सांसद धीरज साहू के ‘कैशलोक’ से इतना पैसा निकला की इतिहास ही बन गया। जी हां… एक ऑपरेशन में आज तक कभी भी एक साथ इतने पैसे नहीं मिले थे। साहू ने 353 करोड़ रुपए का ‘कैश का पहाड़’ खड़ा कर दिया।
जांच एजेंसीयो के छापे में जब भी बड़ी मात्रा में नगदी पकड़ी जाती है, तो देश में कई तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म होता है। कभी राजनेता कभी कारोबारी तो कभी सरकारी अफसर इस तरह की कार्रवाई के लपेटे में आते हैं इस तरह की बरामदगी के बाद सवाल उठते है की जांच एजेंसी जब्त किए गए पैसों ज्वेललेरी प्रॉपर्टी का क्या करती है क्या जाच एजेंसी अपने पास रखती है या वापस दे दिया जाता है या सरकार के खजाने में चली जाती है … आज की इस रिपोर्ट में हम सभी सवालों के जवाब जानेगे
2002 में लागू हुआ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट
मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट साल 2002 में लागू किया गया था। उसके बाद से अब तक रिकॉर्ड के मुताबिक कुल 5,422 मामले दर्ज किए गए हैं जिसमें कई हाई प्रोफाइल लोगों का नाम भी सामने आया है। इन मामलों में छापेमारी करते हुए, 1.04 लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा संपत्ति अटैच की जा चुकी है। वहीं, अब तक कुल 400 से अधिक लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। हालांकि, सभी को इसमें दोषी नहीं पाया गया है अब तक केवल 25 लोगों को ही दोषी ठहराया गया है।
दोस्तों आंकड़ों पर गौर करें तो यूपीए सरकार में 9 साल यानी,, जुलाई 2005 से मार्च 2014 तक 1,867 केस दर्ज किए गए. यूपीए सरकार में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत 4,156 करोड़ रुपए की संपत्ति अटैच हुई थी. रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 4 महीनों में 7,833 करोड़ रुपए की संपत्ति अटैच की गई है और 785 नए केस दर्ज किए गए हैं. यह आंकड़ा यूपीए सरकार के नौ साल के मुकाबले 88 प्रतिशत तक ज्यादा है. अप्रैल 2021 से 30 नवंबर 2021 तक देश में मनी लॉन्ड्रिंग के कुल 395 केस दर्ज हुए थे और 8,989.26 करोड़ रुपए की संपत्ति अटैच की गई थी. यूपीए के 9 साल में ईडी ने सिर्फ 112 छापे मारे थे जबकि एनडीए के 8 साल में ही 2,974 छापे पड़े हैं. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट में केंद्र ने बताया कि 2004 से 2013-14 के बीच ईडी ने 112 छापे मारे थे. वहीं, अप्रैल 2014 से मार्च 2022 के बीच 2,974 छापे मारे गए.
संपत्तियों और गहनों के साथ क्या करती हैं एजेंसियां?
जब किसी भी एजेंसी को कहीं कैश मिलता है तो सबसे पहले आरोपी से यह पूछा जाता है कि उसके पास वो पैसे कहां से आए? जब आरोपी इसका जवाब नहीं दे पाते हैं तब एजेंसी उन पैसों को जब्त कर लेती है। दोस्तों अगर बीते समय के पन्ने खंगाले जाएं ऐसी ऐसी रेड के किस्से सामने आएंगे जिनके सामने पीयूष जैन के यहां पड़ी रेड छोटी लगने लगेगी. कहां-कहां पर और भी इस तरह की रिकवरी हुई थी और इन पैसों का क्या होता है..?
- 2014 में मुंबई के विरार में ठाकुर ग्रुप पर पड़ी इनकम टैक्स रेड को अब तक की सबसे बड़ी इनकम टैक्स रेड माना जाता है. इस रेड के दौरान आयकर विभाग के अधिकारियों ने 13000 करोड़ रुपये जब्त किये गए थे. इस ग्रुप के मालिक महाराष्ट्र के पूर्व विधायक हितेन्द्र ठाकुर थे. एक समय हितेन्द्र टाडा में जेल भी जा चुके थे. हैरान करने वाली बात यह है की इस रेड से जुड़ी ज्यादा जानकारी उपलब्ध ही नहीं है.
- आपको याद होगा कि 2021 में उत्तर प्रदेश के इत्र कारोबारी पीयूष जैन के ठिकाने से जीएसटी विभाग ने 197 करोड़ रुपये कैश बरामद किया था. इस पर जैन ने स्वयं आकलन कर 57 करोड़ रुपए जीएसटी सरकारी खाते में जमा कर दिया था. कोर्ट में पीयूष जैन की तरफ से पक्ष रखा गया कि उनके आकलन के अनुसार 57 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी की गई है, जो उन्होंने सरकारी खाते में जमा कर दी है, लेकिन जीएसटी विभाग ने अपनी जांच पूरी करके पीयूष जैन पर 497 करोड़ रुपए की पेनल्टी लगा दी. डीजीजीआई ने बाकी बचे हुए 140 करोड़ रुपए की भारत के राष्ट्रपति के नाम पर एफडी कराकर उसमें जमा करा दिया था.
इसी के साथ 23 किलो जब्त किए गए सोना की कीमत लगभग 11 करोड़ रुपए आंकी गई. ये सोना अभी भी जीएसटी विभाग के पास है. इस पर कस्टम विभाग ने 60 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है. 30 लाख रुपए पीयूष जैन पर जबकि 30 लाख उसकी कंपनी odochem industries पर लगाया गया है. इस कंपनी में पीयूष जैन पार्टनर हैं. साथ ही पीयूष जैन को इस सोने पर 4.38 करोड़ रुपये की कस्टम ड्यूटी चुकानी होगी. इतना ही नहीं इनकम टैक्स विभाग अलग से आय से ज्यादा स्रोत पर टैक्स ना देने के मामले में पीयूष जैन की जांच कर रहा है. आईटी ने फिलहाल अभी टैक्स लायबिलिटी का आकलन नहीं किया है. आशंका जताई जा रही है कि इनकम टैक्स द्वारा भी सैकड़ों करोड़ की टैक्स लायबिलिटी पीयूष जैन पर लगाई जा सकती है
- अगस्त 2022 में महाराष्ट्र के जालना जिले में आयकर विभाग ने स्टील, कपड़ा और रियल एस्टेट के डेवलपर के यहां छापे मार कर भारी मात्रा में बेनामी संपत्ति बरामद की थी। यहां 390 करोड़ के आसपास की संपत्ति बरामद हुई थी जिसे आयकर विभाग में जब्त किया था। इसमें 58 करोड रुपए कैश 32 किलोग्राम सोने के साथ-साथ हीरे-मोती के दाने और कई प्रॉपर्टी के कागजात भी मिले थे।
- तमिलनाडु में 2018 में आयकर विभाग के,, कार्यवाही के दौरान राजमार्ग विभाग के काम में लगी एक कंपनी के परिसर में छापेमारी करके 163 करोड़ रुपए नकद और 100 किलोग्राम सोना जब्त किया गया था। इस मामले में बताया जाता है कि यह यह उस समय की सबसे बड़ी रिकवरी थी, जिसमें 163 करोड़ रुपए के साथ-साथ और 100 किलोग्राम सोना बरामद किया गया।
- पश्चिम बंगाल में भी ममता बनर्जी की सरकार के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी और उनके सहयोगी और अर्पिता मुखर्जी के ऊपर जब ईडी ने छापेमारी करते हुए कार्रवाई की तो उनके यहां भी 49.80 करोड़ रुपए नकद और कई प्रॉपर्टी के कागजात आभूषण और भारी मात्रा में सोना बरामद हुआ। यह सब अर्पिता मुखर्जी की अपार्टमेंट से बरामद हुआ था
जब्त की गई अचल संपत्ति का कैसे होता है इस्तेमाल?
दोस्तों अब आपको बताते हैं कि इन सब पैसों का क्या होता है क्योंकि अक्सर इस तरह की बरामद नकदी में कुछ टैक्स चोरी का पैसा होता है तो कुछ पैसा अवैध रूप से कमाई गयी ब्लैक मनी भी होती है, जिसका किसी भी कारोबारी या अधिकारी के पास कोई जवाब नहीं होता। नियमानुसार जब आप अपने घर में बड़ी मात्रा में कैश रखते हैं या उसे लेकर कहीं आते जाते हैं तो आपको उस संपत्ति का हिसाब रखना होता है और उसका वाजिब सोर्स भी बताना होता है। अगर आप ऐसा करने में असमर्थ रहे तो इनकम टैक्स विभाग उसे पूरी धनराशि को जब्त कर लेता है और उसके ऊपर भी आपके ऊपर जुर्माना लगाया जाता है।
जब्त किए गए कैश का पंचनामा बनाया जाता है. जांच एजेंसी एक एक रुपये का हिसाब रखती है. नोटों के हिसाब से गड्डियां बनती है . कितने 200, 500 और अन्य नोट हैं. नोटों पर अगर किसी तरह के निशान मिलते हैं तो या फिर उनमें कुछ लिखा होता है या फिर लिफाफे में हों तो उसे एजेंसियां अपने पास रख लेती हैं. इनका इस्तेमाल सबूत के तौर पर किया जाता है. बाकि बैंकों में जमा कर दिया जाता है. ED-IT इन नोटों को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया या फिर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में केंद्र सरकार के खाते में जमा कर दिया जाता है हालांकि कुछ मामलों में जांच एजेंसियां कुछ पैसा इंटरनल ऑर्डर से केस की सुनवाई पूरी होने तक अपने पास जमा रखती हैं.
बात करे प्रॉपर्टी की तो जांच एजेंसी प्रॉपर्टी को अटैच करके उस पर बोर्ड लगाकर उसकी खरीद-बिक्री पर रोक लगा देती है. वहीं कई मामलों ऐसे भी होते है जहां जब्त COMMERCIAL प्रॉपर्टी में इस्तेमाल की छूट मिल सकती है. ED को 6 महीने के भीतर प्रॉपर्टी की जब्ती साबित करनी होती है जिसके बाद कोर्ट में जब्ती साबित होने पर वो प्रॉपर्टी सरकारी हो जाती है. जांच एजेंसी रेड के दौरान सोने-चांदी के कीमती गहने बरामद करती है, उसे सरकारी भंडारघर में जमा कर दिया जाता है. साथ ही रेड के दौरान मिले कैश को भी सुरक्षित भंडारघर में रखा जाता है. कई मामलों में जब्त संपत्तियां सालों तक यूहीं,, पड़ी रहती है और खराब होने लगती है क्योंकि कई मामलों में फैसला नहीं हो पाता है.
जांच एजेंसी के सामान जब्त करने के बाद मामला कोर्ट जाता है. अगर कोर्ट में जांच एजेंसी की कार्रवाई सही पाई जाती है तो सारी संपत्ति पर सरकार का अधिकार हो जाता है. लेकिन अगर कोर्ट में जांच एजेंसी की कार्रवाई सही साबित नहीं होती है तो सारा सामान उस व्यक्ति को वापस लौटा दिया जाता है., और ये तभी होता है जब जिस व्यक्ति के पास से सामान बरामद हुआ है वो उसे लीगल साबित करने के सभी सबूत अदालत में पेश कर दे. वहीँ कोर्ट सभी मामलों में ये निर्णय नहीं लेती है कुछ मामलों में कोर्ट संपत्ति पर कुछ फाइन लगाकर उसे संपत्ति लौटाने का अवसर भी देती।
छापेमारी में बरामद पैसों का क्या करती है केन्द्रीय एजेंसियां
इन कार्रवाइयों के दौरान जब्त किया गया पैसा एक व्यवस्थित कानूनी प्रक्रिया से गुजरता है जिससे अंततः सरकार और, आम लोगों को लाभ होता है. चाहे वह सरकारी खजाने में जाता हो स्पेशल प्रोजेक्ट्स के लिए पैसा दिया जाता हो या लॉ एनफोर्समेंट प्रयासों में योगदान देता हो जब्त किए गए पैसे का गंतव्य भारत में राजकोषीय जिम्मेदारी और आर्थिक अखंडता को बढ़ावा देने के ,,व्यापक लक्ष्य को पूरा करता है. गौरतलब है की एक आंकड़े के हिसाब से ED ने पिछले 4 सालों में 60 हजार करोड़ से ज्यादा रुपये और गहने रेड के दौरान जब्त किए हैं वहीँ प्रॉपर्टी और पैसों पर रेड मरने का अधिकार सिर्फ प्रवर्तन निदेशालय के पास ही नहीं बल्कि आयकर विभाग या चुनाव आयोग के पास भी होता है।
वहीं अगर धीरज साहू के यहां बरामद हुई 350 करोड़ से अधिक की संपत्ति के बारे में बताया जा रहा है कि जो भी कैश उनके पास से बरामद हुआ है उसमें 60 प्रतिशत टैक्स काटकर ,,बाकी संपत्ति धीरज साहू को लौटायी जा सकती है बशर्ते उन्हें यह साबित करना होगा कि उनके यहां से बरामद संपत्ति का उन्होंने टैक्स नहीं भरा है। इतना ही नहीं उनको यह भी सिद्ध करना होगा कि बरामद कैश व संपत्ति उन्होंने अपराध या किसी अन्य अपराधिक कृत्यों से नहीं कमाया है बल्कि अपने कारोबार से अर्जित किया है। अगर धीरज साहू अपने कारोबार की इनकम में इन पैसों को सिद्ध नहीं कर पाए तो उनके ऊपर आपराधिक धाराओं में भी मुकदमा दर्ज होगा और यह पैसा पूरी तरह से जब्त कर लिया जाएगा।
ऐसे में अब धीरज साहू को 353 करोड़ रुपए तभी वापस मिलेंगे जब वो साबित कर सकेंगे कि उनके पास यह पैसे कहां से आए। ऐसा नहीं कर पाने पर साहू का ‘कैशलोक’ भारत सरकार का हो जाएगा। दोस्तों माना अगर धीरज साहू ने साबित कर दिया की ये पैसा कारोबार से कमाया तो टैक्स काटकर उनको वापस दे दिया जाएगा लेकिन अब सवाल ये उठता है अगर ऐसा ही होता है तो इसका क्या फायदा मतलब जब तक चोरी की जाती है चोरी करो जब पकड़े जाओ तो जुर्माना भर दो आपको क्या लगता है ऐसा होना चाहिए या नहीं अपनी राय कमेन्ट कर जरूर बताएँ