Vande Bharat Accident: वंदे भारत ट्रेनों की बार-बार क्यों टूट रही ‘नाक’, सही करने में कितना खर्च? जानिए
Vande Bharat Accident: दोस्तों वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन एक बार फिर मुंबई में सफर के दौरान जानवर से टक्करा गई। टक्कर से ट्रेन का आगे का हिस्सा फिर टूट गया है। आपको बता दे की पहले भी सफर के दौरान टक्कर से वंदे भारत ट्रेन का अगला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो चुका है।
Vande Bharat Accident: दोस्तों वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन एक बार फिर मुंबई में सफर के दौरान जानवर से टक्करा गई। टक्कर से ट्रेन का आगे का हिस्सा फिर टूट गया है। आपको बता दे की पहले भी सफर के दौरान टक्कर से वंदे भारत ट्रेन का अगला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो चुका है। Vande Bharat Accident दोस्तों हर बार दुर्घटनाग्रस्त वंदे भारत की फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगती है। लोग रेलवे और सरकार की खिंचाई करने लगते हैं। दोस्तों वंदे भारत ट्रेनों के मवेशियों से टकराने के लगातार मामले सामने आ रहे हैं. मुंबई सेंट्रल से गुजरात के गांधीनगर कैपिटल के बीच चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन बीते शनिवार को एक बार फिर हादसे का शिकार हुई. Vande Bharat Accident बता दे की इस ट्रेन के साथ एक महीने के अंदर मवेशियों से टकराने का ये तीसरा मामला है.,,,,दोस्तों ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर वंदे भारत ट्रेन का अगला हिस्सा इतना कमजोर क्यों है? तो चलिए देखते है इस पर रेलवे अधिकारी का क्या कहना है ,,
क्यों वंदे भारत की बार-बार टूट जाती है ‘नाक’?
रेलवे अधिकारी के मुताबिक, वंदे भारत एक्सप्रेस के नोज कोन को इस तरह से डिजाइन किया गया है, ताकि ये टक्कर के बाद भी ट्रेन और उसमें बैठे यात्रियों को नुकसान न पहुंचे. Vande Bharat Accident इसी वजह से प्रीमियम ट्रेनों में फ्रंट का हिस्सा कोन शेप का रखा जाता है. Vande Bharat Accident यह हिस्सा मजबूत फाइबर प्लास्टिक का होता है. इसमें आगे के सिर्फ कोन शेप हिस्से को नुकसान पहुंचता है, गाड़ी का अन्य हिस्सा, चेचिस और इंजन नुकसान होने से बच जाता है. Vande Bharat Accident यही वजह है कि मवेशियों के टकराने के बाद इसके आगे के हिस्से को बार-बार नुकसान पहुंच रहा है.
नोज कोन कवर को सही करने में कितना आता है खर्च
वंदें भारत के नोज कोन कवर की कीमत 10 हजार से 15 हजार रुपये प्रति पीस है. टक्कर के कुछ ही घंटे बाद ट्रेन के क्षतिग्रस्त इस हिस्से को आसानी से बदला जा सकता है. रेलवे के पास इन ट्रेनों के लिए 10 पुर्जों की टोकरी है. आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी में महीने भर के अंदर मवेशियों से प्रभावित ट्रेनों के 360 मामले आते थे. वहीं, सितंबर में यह केस बढ़कर 635 हो गए हैं. बता दें कि रोजाना तकरीबन 22 ट्रेनें मवेशियों से प्रभावित हो रही हैं.
ट्रेन और यात्रियों को कैसे बचाता है ये नोज कोन
Vande Bharat Accident रेलवे अधिकारी के अनुसार वंदे भारत एक्सप्रेस के नोज कोन को इस तरह से डिजाइन किया गया है, ताकि ये टक्कर के असर को कंज्यूम कर उसका असर कम कर सके। टक्कर के बाद ये Shock Absorber का काम करता है। इसी तकनीक का इस्तेमाल कार में भी किया जाता है, इसीलिए कार का अलगा हिस्सा भी मजबूत प्लास्टिक का होता है। Vande Bharat Accident
अन्य ट्रेन से कितनी सुरक्षित है वंदे भारत
Vande Bharat Accident दोस्तों रेलवे के मुताबिक सामान्य ट्रेनों में अलग हिस्सा भी लोहे का होता है। जोरदार टक्कर होने पर इससे पूरी ट्रेन को जबरदस्त झटका लगता है। इससे यात्रियों को नुकसान पहुंचता ही है, साथ ही ट्रेन का इंजन और उसकी चेचिस पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा टक्कर होने पर सामान्य ट्रेन के पटरी से उतरने का खतरा काफी ज्यादा रहता है, जबकि ऐसी परिस्थिति में वंदे भारत के डिरेल होने की संभावना काफी कम है। Vande Bharat Accident
आपको बता दे की रेलवे के नॉर्थ जोन में मवेशियों से जुड़े सबसे ज्यादा करीब 6800 हादसे हुए हैं. अधिकारियों के मुताबिक, ये घटनाएं यूपी के मुरादाबाद और लखनऊ डिविजन जबकि पंजाब के फिरोजपुर, हरियाणा के अंबाला और दिल्ली में हुए हैं. इन दो जोन्स में पांच में से 3 वंदे भारत ट्रेनें गुजरती हैं Vande Bharat Accident
रेलवे के इन्फॉर्मेशन एंड पब्लिसिटी विभाग के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अमिताभ शर्मा ने रेलवे मवेशियों से ट्रेनों की होने वाली टक्कर की घटनाओं को कम करने के लिए हर प्रयास कर रही है. इस घटनाओं के पीछे की वजह जानने की भी कोशिश की जा रही है. साथ ही मवेशियों के मालिक को जागरूक करने की भी कोशिश किया जा रहा है. उनसे जानवरों को पटरियों के पास चरने के लिए नहीं छोड़ने की भी अपील की जा रही है. Vande Bharat Accident