Delhi coaching centre : दोस्तों जुमलोंबाजों की सरकार ने देश का क्या हाल कर दिया है महंगी पढ़ाई के बाद नौकरी तो छोड़ो जान की गारंटी भी नहीं है कही इस भ्रष्ट प्रशासन के कारण बिजली के करंट से तो कही पानी भरने से डूब कर मर रहे है लोग जी हाँ दिल्ली के राजेन्द्र नगर में 3 छात्र डूबकर मर गए जो ias की तयारी कर रहे थे दिल्ली सरकार को आम आदमी पार्टी को (Rau IAS Center) आम आदमी के जीवन के जीवन से कोई मतलब नहीं है क्या इस देश में कोई जान की कीमत है इस मुद्दे पर भी राजनीति शुरू हो गई हमारा सिस्टम (Delhi Coaching Flood) हादसा होने का इन्तजार करती है हादसा होने के बाद दोष एक दुसरे के ऊपर थोप देती है। Illegal बेसमेंट बिना भ्रष्टाचार के कैसे चल सकते हैं एक्स्ट्रा फ्लोर कैसे डल जाते हैं कैसे हो सकता है कि बिना पैसे खाये सड़क-नालियों के ऊपर क़ब्ज़े हो जाते हैं। पैसा दो काम हो जाता है। कुछ दिन पहले पटेल नगर में करंट लगने से एक मौत हुई फिर भी कुछ नहीं सीखा …दिल्ली सरकार ने आप मंत्रियों ने मेयर शैली ओबरॉय सभी ने बहुत बड़े-बड़े दावे किए थे पीसी करके कहा था दिल्ली की जनता इस बार मानसून को एंजॉय करेगी और कंट्रोल रूम बना हुआ है?किस इन्जॉइमन्ट की बात कर रही थी दिल्ली सरकार राजेंद्र नगर में बच्चों की दर्दनाक मौत ‘हादसा नहीं हत्या’ है और इसकी ज़िम्मेदार जितना कोचिंग सेंटर का मालिक है उतना ही जिम्मेदार हमरा सरकारी सिस्टम भी है उन्ही के नाक के तले सब कुछ चलता है सिर्फ चंद पैसों के रिस्वत से सबकुछ ठीक ठाक चलता है जब तक कोई हादसा ना हो और हादसा होने पर दोष सिर्फ मालिक के ऊपर थोप दिया जाता है।सरकार AAP की जल मंत्री AAP की MCD और मेयर AAP की फिर भी जवाबदेही से बच रही आप सरकार शुगर बढ़ने पर ट्वीट करने वाले लोग अब छात्रों की मौत पर ऑडर-ऑडर खेल रहे हैं!
दिल्ली में IAS के सपनों की परीक्षा!
यह कोई प्राकृतिक आपदा नहीं है। बल्कि मानव निर्मित त्रासदी है। बेसमेंट में कोचिंग सेंटर कैसे चल रहा था? क्या उनके पास लाइसेंस था? क्या उनके पास सब कुछ था।” एमसीडी के कागजात? एक-दूसरे पर सवाल उठाना और आरोप-प्रत्यारोप करना बहुत आसान हैयह प्रशासन की वजह से छात्रों की हत्या है। इस इमारत के बारे में पहले भी शिकायतें दर्ज की गई थीं…सबको पता था कि मानसून सत्र चल रहा है फिर भी सफाई का काम नहीं हुआ… राजिंदर नगर में यह पहली घटना नहीं है इससे पहले भी यहां कई घटनाएं हो चुकी हैं अंडरग्राउंड कोचिंग मैन मेड बाढ़ और घोर लापरवाही सिस्टम सवाल खड़े कर रहे हैं. गम और गुस्से से लबरेज स्टूडेंट्स सड़कों पर उतर आए हैं. तीन युवाओं की जान चली गईं लेकिन कोचिंग वाले मोन है। अपनी दुकानें चलाने के लिए खुब मोटिवेट करेगे लेकिन युवाओं के आंदोलन पर कुछ नहीं बोलेंगे। पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिए जाने की मांग उठ रही है. जांच में कई खामियां निकलकर सामने आ रही हैं. जिन स्टूडेंट्स की जान गई है उनमें उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर की श्रेया यादव तेलंगाना की तान्या सोनी और केरल के एर्नाकुलम के नवीन डल्विन का नाम शामिल है.
क्या है पूरा मामला ?
दरअसल ये पूरा मामला ओल्ड राजेंद्र नगर का है. शनिवार शाम करीब 6.20 बजे भारी बारिश हुई और मुख्य सड़क पर पानी भर गया. RAU’S IAS स्टडी सर्किल के बेसमेंट में लाइब्रेरी है और वहां स्टूडेंट्स पढ़ाई कर रहे थे.कोचिंग सेंटर में पानी जाने से रोकने के लिए गेट बंद किया गया था. इस बीच कुछ वाहनों के स्पीड से गुजरने के कारण प्रेशर बढ़ा तो पानी कांच का गेट तोड़कर सीढ़ियों से बेसमेंट में जाने लगा और दो मिनट के अंदर 10 से 12 फीट तक पानी अंदर समां गया. लाइब्रेरी में बैठे 30 से ज्यादा स्टूडेंट्स फंस गए. बेसमेंट के दरवाजे पर कुछ दिन पहले ही बायोमैट्रिक सिस्टम लगाया गया था. स्टूडेंट्स की एंट्री बायामैट्रिक तरीके से होती है. पंच करने से ही गेट खुलता है. संभवत: पानी भरने और बिजली सप्लाई ना होने से बायोमैट्रिक सिस्टम फेल गया. ऐसे में अंदर फंसे स्टूडेंट्स बाहर नहीं निकल सके. बाहर निकलने का कोई दूसरा रास्ता नहीं दिख रहा था. कई स्टूडेंट्स को रस्सियों की मदद से निकाला गया. यह पहली बार नहीं है. हफ्तेभर पहले भी बारिश के बाद इसी कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भर गया था. . बेसमेंट में लाइब्रेरी अवैध रूप से चल रही थी. इसमें सिर्फ एक एंट्री और एग्जिट पॉइंट था और ये बायोमेट्रिक था. अगर एग्जिट फ्री होता तो छात्र भाग सकते थे.
एमसीडी के अनुसार कोचिंग सेंटर की बिल्डिंग को 2021 में सिबिक बॉडी द्वारा अनुमोदित किया गया था. इंस्टीट्यूट के बिल्डिंग कंप्लीशन सर्टिफिकेट में साफ लिखा है कि बेसमेंट का इस्तेमाल सिर्फ पार्किंग और स्टोरेज के लिए किया जा सकता है. इसका मतलब है कि लाइब्रेरी बेसमेंट में अवैध रूप से चल रही थी. मान लिया की बेसमेंट में लाइब्रेरी नहीं होनी चाहिए थी पर जब लाइब्रेरी इतने दिन से बेसमेंट में चल रही थी तो क्या इसका पुलिस और MCD प्रशाशन कोपता ही नहीं था या थोड़े से पैसों के लालच में सब कुछ चलने दिया?क्या सड़क पर पानी भरने के लिए MCD और जल बोर्ड जिम्मेदार नहीं है जिनकी नालियाँ और सीवर सिस्टम फेल होने से सड़क पर बहुत ज्यादा जल भराव हुआ क्या इनके ऊपर करवाई नहीं होनी चाहिए?
घटना के बाद एक्शन
हालांकि घटना के बाद दिल्ली नगर निगम एक्शन में आया और अवैध कोचिंग सेंटरों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है. रविवार देर रात तक ऐसे करीब 13 कोचिंग सेंटरों को सील कर दिया गया. रविवार को जिन कोचिंग सेंटर्स को सील किया गया उनमें ईएएस गुरुकुल चहल एकेडमी प्लूटस एकेडमी साई ट्रेडिंग आईएएस सेतु टॉपर्स एकेडमी दैनिक संवाद सिविल्स डेली आईएएस करियर पावर 99 नोट्स विद्या गुरु गाइडेंस आईएएस और ईजी फॉर आईएएस शामिल हैं. सवाल यह भी उठ रहे हैं कि दिल्ली नगर निगम के उन कर्मचारियों और अधिकारियों की अब तक गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई जो सब कुछ जानते हुए इस संस्थान को बेसमेंट में लाइब्रेरी चलाने की सुविधा प्रदान किए हुए थे.दिल्ली पुलिस अब MCD के अधिकारियों से पूछताछ करेगी. क्या प्रसाशन हादसे होने का ही इंतजार कर रह था पुलिस ने आज 5 लोगों को और गिरफ्तार किया है. इससे पहले कोचिंग सेंटर का मालिक और कोऑर्डिनेटर को भी गिरफ्तार किया गया था. यानी अब तक इस मामले में कुल 7 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं. अब प्रशासन ने एक्शन शुरू कर दिया है. कोचिंग के आसपास अतिक्रमण हटाने के लिए5 बुलडोजर पहुंच गए . प्रशासन ने एक्शन लेते हुए जूनियर इंजीनियर को बर्खास्त कर दिया है. साथ ही सहायक इंजीनियर को भी सस्पेंड कर दिया गया है. अधिकारी अब जवाब दे आखिर दुर्घटना के पहले एक्शन क्यों नहीं लिया. अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई आखिर हादसे से पहले क्यों नहीं हुई?
दिल्ली में 10 मिनट की तेज बारिश में सड़कों पर पानी भर जाता है. मुखर्जी नगर ओल्ड राजेंद्र नगर दोनों ही जगह तैयारी करने वाले बच्चों की काफी भीड़ है. मुखर्जी नगर के कोचिंग सेंटर की बिल्डिंग में 15 जून 2023 को आग लगने की खबर सामने आई थी. यहां बिजली के मीटर में आग लगने से 60 से ज्यादा छात्र घायल हो गए थे. 2020 में भजनपुर कोचिंग सेंटर की दो छतें भरभराकर गिर गईं थीं. इस मामले में कोचिंग सेंटर की बिल्डिंग काफी पुरानी थी. इस हादसे में चार छात्रों की जान चली गई थी. घटना को एक साल ही नहीं बीते कि एक और बड़ा हादसा हो गया.
हादसों के इंतजार में बैठता सिस्टम !
बीते दो दशकों से दिल्ली बाढ़ से नए किस्म की चुनौतियां झेल रहे हैं. लोगों के साथ साथ म्युनिसिपल अधिकारियों प्लानिंग के विभागों अधिकारियों की फौज और राजनेताओं को भी मालूम है कि जून से अगस्त तक देश का बड़ा हिस्सा मानसून का सामना करता है. लेकिन इस के बावजूद भारत का प्रशासनिक ढांचा और उत्तरदायी एजेंसियां जलभराव को एक सीजनल समस्या के तौर पर देखते हैं.और इसके अनदेखी के चलते लोगों की जान नुकसान हो रहा है. तेज परिवहन के लिए बनाई गई सड़कें झीलों में बदल रही हैं. सोशल मीडिया के दौर में इन पर मीम और रीलें जरूर बन जातीं हैं लेकिन समस्याएं कम ही हल हो पाती हैं.
एमसीडी को भी पता है कि मानसून में जलभराव होता है। इसके बावजूद एमसीडी ने नालों की सफाई नहीं करवाई और न ही मानसून में बारिश से निपटने की कोई तैयारी की गई। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा और सांसद बांसुरी स्वराज का कहना है कि पिछले 10 दिनों से नालों की सफाई करवाने की मांग हो रही थी। लेकिन विधायक दुर्गेश पाठक ने लोगों की बुनियादी मांगों को नजरअंदाज किया। अगर समय रहते ऐसा कर लिया गया होता जो छात्रों को अपनी जिंदगी से हाथ नहीं धोना पड़ता लेकिन जेल में बंद मुख्यमंत्री केजरीवाल को सत्ता का मोह है। इस मामले पर राजनीति करने की बजाय गंभीरता से सोचना होगा। क्या आम नागरिकों की जान की कोई कीमत नहीं है? क्या यह सरकारी सिस्टम की नाकामी द्वारा की गई हत्या नहीं है? इन छात्रों की मौत के जिम्मेदार लोगों पर हत्या का केस चलाकर उचित कार्रवाई करनी होगी। ताकि फिर कोई छात्र सिस्टम की नाकामी का शिकार न हो पाए। क्या सरकार कभी गलत करती ही नहीं या लोकतंत्र में गलती सिर्फ लोगों की होती है और सरकार सिर्फ मुवावजे देकर अपना दामन पाक साफ़ कर लेती है?आपको क्या लगता MCD और जल बोर्ड पर करवाई होगी अपनी राय हमे कमेन्ट कर जरूर बताएँ