Madhya Pradesh : रेवड़ी कल्चर से मध्य प्रदेश के बुरे दिन आने वाले है !
Madhya Pradesh : दोस्तों जब त्योहार आते हैं,, तो बंपर सेल होने लगती है। ,,तरह-तरह के ऑफर दिए जाते हैं।और ऐसे ही ऑफर, अब चुनावों में भी दीये जा रहे है , बात चुनाव की है , चुनावी मौसम की। चुनाव की घोषणा की है ….मतदाताओं को लुभाने के लिए,, सत्ताधारी पार्टियां भी चुनावी ऑफर लाती हैं। मुफ्त के वादों की भरमार होती है।, जिनका आजकल एक नया नाम यही रेवड़ी
जी हाँ, रेवड़ियां आज की राजनीति में बड़ी अहम हो गई है और मध्य प्रदेश भी इन फ्रीबीज में पीछे नहीं है। ,,अपनी कुल आय और हैसियत को दरकिनार रखकर सूबे की सरकार मुक्त हाथों से चुनावी रेवड़ियां बांट रही है।राज्य की कुल आय में 28.8 फीसदी हिस्सा रेवड़ियों के रूप में बांट दिए जाने का आरोप ,,मध्य प्रदेश पर है।, इसे लेकर ही कोर्ट ने नोटिस भी दिया है। अब सबसे बाद सवाल यही है की क्या विधानसभा चुनाव के बाद मध्य प्रदेश के बुरे दिन आने वाले हैं,
राज्य पर कर्ज 3.37 लाख करोड़ रुपयों का
जी हाँ बिल्कुल सही सुन आपने मध्य प्रदेश राज्य गले-गले तक कर्ज में डूबा हुआ है। मौजूदा वित्तीय वर्ष का उसका बजट 2.95 लाख करोड़ रुपयों का है।, जबकि राज्य पर कर्ज 3.37 लाख करोड़ रुपयों का है। राज्य पर बजट साइज से 42 हजार करोड़ रुपयों का,, ज्यादा कर्ज हो चुका है।, कर्ज की यह स्थिति 30 सितंबर 2023 की है। वित्तीय वर्ष समाप्ति में अभी छह महीनों का समय बचा है। ,,प्रदेश की सरकार को लोक-लुभावनी मुफ्त योजनाओं को पूरा करने के लिए हर महीने हजारों करोड़ रुपयों का कर्ज लेना पड़ रहा है।
कर्ज लेने की गति का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है, सरकारी आंकड़ों के अनुसार छह महीने पहले तक सूबे के प्रति व्यक्ति पर जहां 25 हजार का कर्ज था 30 सितंबर को प्रति व्यक्ति कर्ज का आंकड़ा बढ़कर 50 हजार हो चुका है। यानि दोगुना कर्ज शिवराज सरकार ने मौजूदा वित्तीय वर्ष में 36 हजार करोड़ रुपयों से ज्यादा की नई मुफ्त वाली योजनाएं लांच की हैं। चुनावों के मद्देनज़र लांच की गई योजनाओं में 1.31 करोड़ बहनों को हर महीने निश्चित राशि सीधे बैंक खातों में पहुंचाने और सस्ता सिलेंडर यानि रुपये 450 में सिलेंडर देने वाली योजनाएं प्रमुख हैं।
कर्ज पर ब्याज का बोझ सतत बढ़ रहा है। फिलहाल सरकार 24 हजार करोड़ रुपये साल का ब्याज एमपी सरकार चुका रही है। और आने वाले महीनों में ब्याज का बोझ और भी बढ़ना तय है। दरअसल अभी वित्तीय वर्ष समाप्त होने में 6 महीने का समय शेष है। फाइनेशियल ईयर समाप्त होने तक कर्ज का आंकड़ा,, 3.85 करोड़ के करीब पहुंचने की संभावनाएं हैं। दिसंबर में नई सरकार आयेगी। सरकार जिस भी दल की बने उसे वित्तीय संकट का सामना करना ही पड़ेगा।
राज्य में घोषणाओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं
चुनावी लालीपॉप चुनावों तक लोगों तक पहुंचती रहे इसके लिए शिवराज सिंह सरकार को,, विकास एवं बजट में सुनिश्चित अनेक कार्यों को रोकना पड़ा है।सूत्रों के अनुसार राज्य के 41 महकमों में 137 योजनाओं को वित्त विभाग ने न केवल रोक दिया है बल्कि फरमान जारी कर दिया गया है कि संबंधित विभाग वेतन-भत्तों और स्थापना से जुड़े आवश्यक खर्चों से विभाग की आज्ञा के बिना अन्य कोई भी खर्च नहीं करें। चुनावी घोषणाओं को पूरा करने के लिए विभागीय बजट में हेराफेरी के आरोप भी राज्य की सरकार और नौकरशाही पर लग रहे हैं।
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा के सदस्य ,,दिग्विजय सिंह ने तो इस बारे में,, बयान जारी करते अफसरों को चेताया है,, ‘कांग्रेस की सरकार बनने पर बजट में हेराफेरी की जांच कराई जायेगी। बजट में हेरफेर के आरोपी पाये जाने वाले ,,अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।’पूर्व सीएम और पीसीसी चीफ कमल नाथ भी बार-बार कह रहे हैं ‘की पूरा हिसाब-किताब किया जायेगा।
अफसोस कर्ज के बावजूद राज्य में घोषणाओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। अक्टूबर महीने की 1 से 7 तारीख के बीच मध्य प्रदेश की सरकार ने 1 लाख करोड़ रुपयों से ज्यादा के कामों की आधारशिलाएं रखी हैं।, भूमिपूजन किए हैं।,,मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने 6 अक्टूबर को भोपाल में बैठकर सूबे की 13 हजार से ज्यादा योजनाओं वाले ,,पत्थरों से परदे हटाए हैं। उन्होंने एक स्ट्रोक में 53 हजार करोड़ रुपयों की नई परियोजनाओं का शुभारंभ किया है।
पीएम मोदी बीते 6 महीनों में कई बार मध्य प्रदेश आये हैं। अक्टूबर महीने में दो दौरे उन्होंने राज्य के किए हैं। वे 2 अक्टूबर को ग्वालियर में 19 हजार करोड़ से ज्यादा और फिर 5 अक्टूबर को जबलपुर में 12 हजार 500 करोड़ के कार्यों का ‘शुभारंभ’ करके गए हैं। आदिवासी वोट बैंक को रिझाने के लिए रानी दुर्गावती के 100 करोड़ से ज्यादा की लागत वाले भव्य स्मारक की आधारशिला भी प्रधानमंत्री मोदी ने जबलपुर में रखी है।
रेवड़ी कल्चर से मध्य प्रदेश के बुरे दिन आने वाले है !
कर्ज लेने को लेकर सरकार से सवाल होते रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना रहा है ‘कर्ज मिलने की स्थिति है कर्ज लेने की हैसियत है- तभी तो नया कर्ज मिल रहा है।, अर्थशास्त्र के जानकारों का कहना है,, ‘बजट से ज्यादा कर्ज होना खराब स्थिति नहीं होती है लेकिन यह निर्भर करता है कि कर्ज से मिली राशि का उपयोग किन मदों में करना है? यदि डवलपमेंट, इन्फ्रास्ट्रक्चर या फिर पब्लिक से जुड़ी योजनाओं के लिए,, बजट से ज्यादा कर्ज लिया जाता है तो कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन राशि फ्रीबीज पर उड़ाई जा रही है, तो आने वाले दिनों में खजाने का ध्वस्त होना तय मानिए।
लगातार कर्ज लेने की वजह से राज्य की आय की बड़ी राशि केवल ब्याज के तौर पर जायेगी तो सूबा कैसे आगे बढ़ पायेगा? कैसे और कब तक हर महीने की एक तारीख को,सतत वेतन बंट पायेगा?’ वर्ष 2024-25 के बजट में मध्य प्रदेश की जनता पर नये करों के जरिये ही आने वाली सरकार खजाने की हालत को सुधार पायेगी। और जनता को नये करों के लिए तैयार रहना होगा।’,
जहां तक आम आदमी के मुद्दों का सवाल है, उनके बारे में तो, अब कोई सोचना भी नहीं चाहता। कहने के लिए राजनीतिक पार्टियों के घोषणापत्रों में ज़रूर कुछ मुद्दे दिखाई पड़ते हैं लेकिन वे दिखाई ही पड़ते हैं,, उनका आख़िर में कुछ होता- जाता नहीं है। हर किसी को ,,किसी न किसी तरह सत्ता चाहिए। गद्दी चाहिए। वो दे दीजिए फिर वादे पूरे हों, या न हों, कौन पूछने वाला है?, गई बात पाँच साल पर।, तब की तब देखेंगे। ,,ज़्यादातर राजनीतिक दल, इस चुनावी मौसम में इसी मूड में रहते हैं। और लोग यानी आम मतदाता उसे किसी की परवाह नहीं! अपने वोट और उसके मूल्य की भी नहीं।
सर्वोच्च न्यायालय ने चार सप्ताह में जवाब मांगा
देश की सर्वोच्च न्यायालय ने भी इन्हें बांटने की प्रक्रिया के सामने ,,इसे रोकने में मना कर दिया है।,,जी हाँ , अभी-अभी पिछले दिनों ही ,,सर्वोच्च न्यायालय ने,, राजनीतिक दलों द्वारा ,,बांटी जा रही वादों की रेवड़ियों के वितरण को ,,रोकने से अपने आपको ,,अयोग्य घोषित कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इन रेवड़ियों पर,, केंद्र सरकार,, मध्य प्रदेश सरकार ,,तथा निर्वाचन आयोग को नोटिस अवश्य जारी किए हैं,, लेकिन खुद सुप्रीम कोर्ट यह जानती है कि,, यह मेहज एक औपचारिकता है,, इससे होना जाना कुछ नहीं है।, सबसे बड़ी चिंता का विषय यह है ,,कि जब सर्वोच्च न्यायालय ने ही,, इन रेवड़ियों के खातमे से ,,अपने आप को असमर्थ सिद्ध कर दिया,, तो फिर ऐसी कौन सी हस्ती है,, जो इनको खत्म कर सके
सुप्रीम कोर्ट ने मुफ्त की रेवड़ियां बांटे जाने को लेकर ,,मध्य प्रदेश और राजस्थान की सरकारों के साथ ही केन्द्र सरकार,, चुनाव आयोग और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को नोटिस दिए हैं। ,,चार सप्ताह में इन सभी से जवाब मांगा है। चुनाव आयोग की तो आजकल क्या पूछिए!, कुछ समझ में नहीं आता! आयोग की बात आयोग ही जाने!,,खैर इस बार वोट में सच का ही चुनाव करना चाहिए।, लोग करेंगे भी।, यही विश्वास है। यही अपेक्षा भी।आपकी इस मुद्दे पर क्या राय है हमे कमेन्ट कर जरूर बताएँ