Supreme Court on Electorol Bond: दोस्तों चुनावी बॉन्ड बीजेपी का मोदी जी का पीछा नहीं छोड़ रहा है लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टरोल बॉन्ड को असंवैधानिक बताते हुए रद्द किया था और अब फिर से मामला सुर्खियों में है जी हाँ सुप्रीम कोर्ट 22 जुलाई को फिर से चुनावी चंदे के धंदे (SC) पर अहम फैसला सुनाने जा रहा है और इस बार मोदी सरकार नहीं एनडीए गठबंधन की सरकार है क्या अब चुनावी चन्दा बीजेपी का धंदा बंद और जब्त करेगा
दोस्तों चुनावी बॉन्ड में हुए घोटाले को लेकर विपक्ष शुरू से मोदी सरकार पर हमलावर है घोटाले पर जांच की मांग कर रहा है और अब चुनावी बॉन्ड से हुए प्रत्येक लेन-देन भ्रष्टाचार और रिश्वत के मामलों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है.
SC में चुनावी बॉन्ड पर फिर सुनवाई
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने… कहा कि इस याचिका पर 22 जुलाई को सुनवाई होगी.जी हाँ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा यह याचिका कॉमन कॉज और सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन द्वारा दायर की गई थी जिनका प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण नेहा राठी और चेरिल डिसूजा कर रहे हैं.
याचिका में कहा गया है कि देश की कुछ प्रमुख जांच एजेंसियां जैसे सीबीआई प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग ‘भ्रष्टाचार में सहायक बन गई हैं’. याचिका के मुताबिक इन एजेंसियों द्वारा जांच के दायरे में आई कई कंपनियों ने सत्तारूढ़ दल को बड़ी मात्रा में चुनावी बॉन्ड के माध्यम से चंदा दिया है जिसका उद्देश्य जांच के परिणामों को प्रभावित करना था.याचिका में लिखा है ‘प्रत्येक मामले में पूरी साजिश को उजागर करने की आवश्यकता है क्योंकि इसमें न केवल कंपनी के अधिकारी सरकार के अधिकारी और राजनीतिक दलों के पदाधिकारी शामिल हैं बल्कि ईडी/आईटी और सीबीआई आदि जैसी एजेंसियों के संबंधित अधिकारी भी शामिल हैं जो इस साजिश का हिस्सा बन गए हैं.’
कई मीडिया संस्थानों द्वारा की गई रिपोर्टों का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया है कि प्रकाशित जानकारी (चुनावी बॉन्ड की) से पता चलता है कि कॉरपोरेट्स द्वारा राजनीतिक दलों को अधिकांश बॉन्ड किसी एवज में दिए गए हैं.मतबल की धंदा लिया और चन्दा दिया
याचिका में कहा गया है ‘ऐसा प्रतीत हो रहा है कि हजारों करोड़ों का चंदा देकर लाखों करोड़ों के अनुबंध हासिल किए गए.’ नियामक एजेंसियों पर निष्क्रियता बरतने का भी संदेह जताया गया है जिससे बाजार में खराब और ख़तरनाक दवाएं बेची जा रही हैं. उन दवाइयों से लाखों लोगों की जिंदगी खतरे में पड़ गई है. इन्ही वजहों से चुनावी बॉन्ड योजना को कई विशेषज्ञ भारत का सबसे बड़ा घोटाला बता रहे हैं और संदेह जता रहे हैं कि शायद यह दुनिया का भी सबसे बड़ा घोटाला हो.
याचिका में कहा गया है कि कम से कम 20 कंपनियों जिसमें कुछ ने तो स्थापना के तीन साल के अंदर राजनीतिक दलों को 100 करोड़ रुपये से अधिक का योगदान दिया है। यह कंपनी अधिनियम की धारा 182 (1) के तहत निषिद्ध है। याचिका में यह भी बताया गया है कि कैसे घाटे में चल रही और शेल कंपनियों ने कथित तौर पर इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए महत्वपूर्ण राशि दान की है।
15 फरवरी को चुनावी बॉन्ड को रद्द किया
आपको बता दें कि 15 फरवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने सर्वसम्मति से चुनावी बॉन्ड योजना को ‘असंवैधानिक’ करार दिया था. शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया था कि यह योजना राजनीतिक दलों को मिलने वाली फंडिंग का खुलासा करने में विफल रहने के कारण संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन करती है.
इसके परिणामस्वरूप सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी अधिनियम आयकर अधिनियम और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में चुनावी बॉन्ड से संबंधित प्रावधानों को भी अमान्य कर दिया था. इसके अलावा शीर्ष अदालत ने चुनावी बॉन्ड के खरीदारों और प्राप्तकर्ताओं की जानकारी भी सार्वजनिक करने का आदेश दिया था. उक्त जानकारी के मुताबिक 1260 कंपनियों और व्यक्तियों ने 12769 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे. शीर्ष 20 कंपनियों ने 5945 करोड़ रुपये का चंदा दिया था जो चुनावी बॉन्ड के माध्यम से दान की गई कुल राशि का लगभग आधा हिस्सा था.
चुनाव आयोग की वेबसाइट पर जारी डेटा के मुताबिक सभी चुनावी बॉन्ड का लगभग आधा हिस्सा सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मिला. इसमें तेलंगाना स्थित बुनियादी ढांचा कंपनी मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एमईआईएल) ने सबसे अधिक चंदा दिया. सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश के बाद भारतीय स्टेट बैंक ने चुनावी चंदे से जुड़ी सभी जानकारी चुनाव आयोग को सौंप दी थी जिसके बाद आयोग ने इसे अपनी वेबसाइट पर साझा किया. इस डेटा के अनुसार भाजपा ने 12 अप्रैल 2019 से 24 जनवरी 2024 के बीच कुल 6060.5 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड भुनाए जबकि मार्च 2018 से पार्टी द्वारा भुनाई गई कुल राशि 8251.8 करोड़ रुपये रही.
एमईआईएल ने भाजपा को सबसे ज्यादा चंदा दिया. कंपनी ने साल 2019 से 2023 के बीच अपनी कुल बॉन्ड खरीद 966 करोड़ रुपये में से 519 करोड़ रुपये का चंदा भाजपा को दिया था. कंपनी के पास टीवी9 नेटवर्क में भी एक बड़ी हिस्सेदारी है. एक अन्य एमईआईएल कंपनी वेस्टर्न यूपी पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड ने भी भाजपा को अतिरिक्त 80 करोड़ रुपये का चंदा दिया.इसलिए सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की देखरेख में एक एसआईटी के गठन का अनुरोध किया। अब देखना ये होगा की सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या फैसला सुनाता है आपको क्या लगता है सुप्रीम कोर्ट का फैसला मोदी जी के लिए राहत बनेगा या आफत हमे अपनी राय कमेन्ट कर जरूर बताएँ