Site icon जनता की आवाज

SC on RRTS Project: Supreme Court का Arvind Kejriwal सरकार को एक हफ्ते का अल्टीमेटम

SC on RRTS Project

SC on RRTS Project

SC on RRTS Project: दोस्तों बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात है दिल्ली की चुनी हुई आम आदमी पार्टी की सरकार को काम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट को लताड़ना पड़ता है केजरीवाल सरकार ना केवल भ्रष्टाचार में सर से पाओ तक लिप्त है बल्कि प्रचार प्रसार करने में सबसे आगे है विकाश कार्य के लिए पैसे नहीं है पर अपने प्रचार के लिए भरपूर पैसा है ऐसा लगता है की केजरीवाल सरकार चाहती ही नहीं की दिल्ली का विकाश हो सुप्रीम कोर्ट में फैसला दिल्ली के प्रदूषण को लेकर सुनाया जा रहा था लेकिन ईसी बीच आरआरटीएस को लेकर केजरीवाल सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने करारा झटका दिया है

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को केजरीवाल सरकार (Arvind Kejriwal) को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने ना सिर्फ सख्त लहजे में नाराजगी जाहिर की बल्कि दिल्ली सरकार के विज्ञापन बजट को लेकर आदेश भी दे दिया। रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) निर्माण के लिए हिस्सेदारी नहीं देने की वजह से कोर्ट ने यह आदेश दिया। हालांकि, कोर्ट ने अपने आदेश को एक सप्ताह के लिए स्थगित करते हुए कहा है कि यदि दिल्ली सरकार ने पैसा नहीं दिया तो इसके विज्ञापन का फंड आरआरटीएस के लिए ट्रांसफर कर दिया जाएगा।

Supreme Court ने दिल्‍ली सरकार को जमकर सुनाया

दरअसल केजरीवाल सरकार ने दिल्ली से अलवर और पानीपत के लिए बन रहे आरआरटीएस प्रॉजेक्ट (रैपिड रेल) के लिए अंशदान नहीं दिया है जिसको लेकर सर्वोच्च अदालत ने नाराजगी जाहिर की। आरआरटीएस प्रॉजेक्ट के जरिए दिल्ली और आसपास के शहरों के बीच कनेक्टिविटी बेहतर की जारी है। दिल्ली से मेरठ के बीच पहले चरण में ट्रेन साहिबाबाद से दुहाई डिपो के बीच दौड़ने लगी है। दिल्ली से राजस्थान के अलवर और हरियाणा के पानीपत तक ट्रेन चलाने की योजना है।

जस्टिस संजय किशन कौल और सुधांशु धूलिया की बेंच ने कहा कि 24 जुलाई को दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने भरोसा दिया था कि प्रॉजेक्ट के लिए पैसा दिया जाएगा। बेंच ने कहा, ‘हम यह निर्देश देने के लिए बाध्य हैं कि विज्ञापन के लिए आवंटित किए गए फंड को प्रॉजेक्ट के लिए ट्रांसफर कर दिया जाए।’,, हालांकि, दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील के अनुरोध पर सुप्रीम कोर्ट ने एक सप्ताह की मोहलत दी और अपने आदेश को एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया।

बता दे की , जुलाई में भी इस केस की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की थी जब दिल्ली सरकार ने अलवर और पानीपत आरआरटीएस के लिए पैसे देने में खुद को असमर्थ बताया था। कोर्ट ने दिल्ली सरकार की ओर से विज्ञापन पर खर्च राशि का जिक्र करते हुए कहा था तीन वित्त वर्ष में 1100 करोड़ रुपए प्रचार के लिए खर्च किया गया तो इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए पैसा क्यों नहीं दे सकते। सर्वोच्च अदालत ने 2 महीने के भीतर 415 करोड़ रुपए देने को कहा था। दिल्ली सरकार की ओर से फंड जारी नहीं किए जाने की वजह से सर्वोच्च अदालत में आवेदन दायर किया गया था जिस पर बेंच ने सुनवाई करते हुए अब एक सप्ताह की मोहलत दी है

पिछली सुनवाई में भी सुप्रीम कोर्ट ने दी थी वॉर्निंग

नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन के पास आरआरटीएस का जिम्मा है। यह केंद्र और संबंधित राज्यों का जॉइंट वेंचर है। दिल्ली और मेरठ के बीच बन रहे प्रॉजेक्ट के लिए केजरीवाल सरकार ने अपनी हिस्सेदारी दी थी। लेकिन बाकी दो रूट के लिए फंड देने में असमर्थता जताई थी। पहले कोर्ट ने दिल्ली सरकार को दिल्ली-मेरठ रूट के लिए पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क (ईसीसी) से 500 करोड़ देने को कहा था।

दोस्तों इससे ये पता चलता है की दिल्ली सरकार की क्या प्राथमिकताएं हैं। यह सरकार सिर्फ और सिर्फ झूठे प्रचार के दम पर चल रही है। कोई भी विकास कार्य इसके मॉडल में हैं ही नहीं। दोस्तों यह पहला मौका नहीं है कि दिल्ली सरकार ने विकास परियोजनाओं को लेकर इस तरह लापरवाही बरती हो। मानलों की निर्माण प्रोजेक्ट्स दिल्ली सरकार के विकास मॉडल में ही नहीं हैं। दिल्ली सरकार के मॉडल में केवल विज्ञापन यानी झूठे प्रचार को ही विकास माना जाता है। दिल्ली सरकार ने पेरिफेरियल रोड्स के निर्माण कार्य में भी अपना हिस्सा नहीं दिया था। इसके बाद प्रगति मैदान टनल जोकि 1,000 करोड़ में बनी दिल्ली सरकार ने इसमें भी अपना 20 फीसदी हिस्सा नहीं दिया।

3 साल में विज्ञापन पर खर्च किए 1100 करोड़

दिल्ली सरकार हमेशा यही बहाना बनाती है कि उसके पास फंड नहीं है। दिल्ली मेरठ प्रोजेक्ट की कुल लागत 30,274 करोड़ रुपए है और हैरानी की बात यह है कि दिल्ली सरकार को केवल 1,180 करोड़ रुपए देने हैं जोकि कुल 3 प्रतिशत ही है। इस साल दिल्ली सरकार पर 565 करोड़ रुपए बकाया है। दूसरी तरफ दिल्ली सरकार का विज्ञापन का इस साल का बजट ही 550 करोड़ है। पिछले तीन साल का दिल्ली सरकार का विज्ञापन का बजट 1100 करोड़ रुपए है।

दोस्तों वैसे तो केजरीवाल जी कहते है की दिल्ली को लंदन बनाएगे दिल्ली के विकाश ,,के लिए सब कुछ करेंगे पैसों की कमी नहीं है हमारी सरकार ने इस प्रोजेक्ट में इतना पैसा बचाया कम पैसों मे काम पूरा किया अब जब केजरीवाल सरकार के पास इतना पैसा है तो rrts प्रोजेक्ट के लिए क्यों नहीं दे रहे ऐसा क्या सोच रही है केजरीवाल सरकार या चाहती ही नहीं की दिल्ली में विकास कार्य हो आप क्या सोचते है इस मुद्दे पर अपनी राय कमेन्ट कर जरूर दीजिएगा

Exit mobile version