Congress On Bajrang Dal: दोस्तों बजरंग दल इन दिनों पूरे देश में चर्चा के केंद्र में है। कारण कांग्रेस के घोषणा पत्र में इस नाम को शामिल करना,,दोस्तों कांग्रेस ने कर्नाटक चुनाव को लेकर जो घोषणा पत्र जारी किया है, उसमें कहा है कि अगर उनकी सरकार बनती है तो,, वह (Bajrang Dal) सूबे में बजरंग दल (Karnataka Election 2023) पर बैन लगा देंगें,,,कांग्रेस के इस एलान के चंद घंटों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बयान आ गया। उन्होंने इसे बजरंग बली (Bajrang Dal ban) का अपमान बताया। कहा, ‘पहले कांग्रेस ने ,,भगवान राम को ताले में बंद किया और अब वह जय बजरंग बली बोलने वालों को ताले में बंद करना चाहते हैं,,,
प्रधानमंत्री के बयान (PM Modi On Bajrang Dal) के बाद कहा जाने लगा है कि अब पूरे कर्नाटक चुनाव का फोकस बजरंग बली पर ही रहेगा। ऐसे में आज हम आपको बजरंग दल की पूरी कहानी बताएंगे की कैसे इस संगठन की स्थापना हुई? कैसे ये देशभर में फैला और इसका कामकाज क्या है? आइए जानते हैं…
विश्व हिंदू परिषद की यात्रा को सुरक्षा देने के लिए हुआ था गठन
दोस्तों अक्टूबर 1984 की बात है। विश्व हिंदू परिषद की पहली धर्म संसद में मंदिर आंदोलन की शुरुआत हुई। इसके साथ ही राम जानकी रथयात्रा के नाम से नियमित रूप से शोभा यात्रा निकालने की शुरुआत हुई। इसका मकसद था कि लोगों को हिंदुत्व के बारे में अधिक से अधिक बताया जाए। कुछ समय में ही इससे युवा और साधु-संत जुड़ते गए। इस यात्रा के खिलाफ कुछ लोगों ने बयान देने शुरू कर दिए। कई धमकियां भी दी गईं। तब विश्व हिंदू परिषद ने यूपी सरकार से यात्रा के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम करने का अनुरोध किया। यूपी में तब कांग्रेस की सरकार थी। मुख्यमंत्री थे नारायण दत्त तिवारी। एक तरफ विश्व हिंदू परिषद की ,,इस यात्रा को लेकर धमकियां मिल रहीं थीं, तो दूसरी ओर यूपी सरकार ने सुरक्षा देने से साफ इनकार कर दिया। तब कुछ युवाओं ने अपनी ओर इस यात्रा को सुरक्षा प्रदान करने का एलान कर दिया।
ऐसे पड़ा बजरंग दल नाम
विनय कटियार उन दिनों हिंदूवादी युवा नेताओं में से एक थे। एक अक्टूबर 1984 को बड़ी संख्या में युवा जुटे और इस दल की स्थापना हुई। विनय कटियार ने कहा, प्रभु श्रीराम की सेवा के लिए हमेशा बजरंग बली आगे रहे हैं और इस बार भी प्रभु श्रीराम और माता जानकी की यात्रा की सुरक्षा ,,बजरंग बली के भक्त ही करेंगे। इसी के साथ इस संगठन का नाम बजरंग दल रख दिया गया।
बजरंग दल को सौंपी गईं ये जिम्मेदारियां
दोस्तों युवा जोश और उत्साह को देखते हुए विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने बजरंग दल को कई बड़ी जिम्मेदारियां सौंपी। इनमें धार्मिक स्थलों का नवीनीकरण, धार्मिक स्थलों को अवैध कब्जे से मुक्त कराने के लिए आंदोलन और संघर्ष करना, गौ संरक्षण, सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आंदोलन चलाना… जैसे दहेज प्रथा, , जातिगत भेदभाव, फिल्मों, विज्ञापन के जरिए फैलाए जाने वाले अश्लीलता का विरोध करना, अवैध घुसपैठ का विरोध करना, धर्म परिवर्तन को रोकने जैसा काम शामिल है।
कारसेवा में बड़ी संख्या में बजरंग दल के कार्यकर्ता शामिल हुए
दोस्तों बात है 1992 की। अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस में भी ,,बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था। इसके बाद सरकार ने बजरंग दल पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि, एक साल बाद ही प्रतिबंध हटा दिया गया। दोस्तों बजरंग दल पर कई तरह के आरोप भी लग चुके हैं। आरोप है कि ,,अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को ,,बजरंग दल के कार्यकर्ता परेशान करते हैं। कई मस्जिदों और चर्च पर हमले के आरोप भी बजरंग दल के कार्यकर्ताओं पर लग चुके हैं। इसके अलावा वैलेंटाइन डे पर प्रेमी जोड़ों को परेशान करने का आरोप भी ,,बजरंग दल के कार्यकर्ताओं पर लगता रहा है।,,
बाबरी विध्वंस के बाद बैन लगा, मांग कई बार उठी
दोस्तों बजरंग दल पर बैन लगाने की मांग कई बार उठी,,29 जनवरी 2013 में ,,लोक जनशक्ति पार्टी के नेता ,,राम विलास पासवान ने कर्नाटक और ओडिशा में हुई हिंसा पर मांग की । वही 23 अक्टूबर 2008 में मालेगांव और मोडासा विस्फोटों में शामिल होने की खबरों के बाद ,,बजरंग दल और हिंदू जागरण मंच पर ,,प्रतिबंध लगाने की मांग की गई। इसको लेकर राज्यसभा में हंगामा भी हुआ। ओर 18 मार्च 2002 में NDA की सहयोगी तृणमूल कांग्रेस, समता पार्टी और JDU ने लोकसभा में VHP और बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। दोस्तों काँग्रेस का किया वादा ,,बजरंग दल पर बैन लगाना क्या सही है ,,आप इस पर क्या सोचते है हमे कमेन्ट कर जरूर बताएँ