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Sanjay Singh की गिरफ्तारी Arvind Keriwal के लिए कितनी बड़ी मुश्किल?

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Sanjay Singh: दोस्तों हमारी सरकार अब ‘न्यूज’ को ‘क्लिक’ करना सीख गयी है।,जी हाँ सरकार को हर न्यूज में दिलचस्पी रहती है ,क्योंकि हर न्यूज ,सरकार का बल्ब फ्यूज करने का काम करती है।,सरकार को पता है अब चुनाव है ,ओर सरकार के दो भाई ,सीबीआई ओर ed, चुनावी मोड में आ चुके है ,पहले पत्रकारों के घर पर raid पड़ी अब ,आम आदमी पार्टी के सांसद, संजय सिंह को jail यात्रा पर निकाल दिया गया है ,ओर अब अरविन्द केजरिवल भी दिवाली jail में मनाएंगे

केंद्र सरकार की ‘न खाऊंगा और न खाने दूंगा’ योजना के तहत ,संजय सिंह को गिरफ्तार किया। ,सीबीआई मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन को पहले ही जेल यात्रा पर भेज चुकी है। ,सरकार की नजर में ये तीनों ‘महाखाऊ’ हैं ,और न जाने कितना खा चुके हैं। संजय सिंह की गिरफ्तारी पर, दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि, आज एक बात साफ हो गई है कि, सच्चाई छिप नहीं सकती। ,संजय सिंह के बाद (Arvind Keriwal) अरविंद केजरीवाल हैं। ,उन्होंने कहा कि पैसे खाए हैं ,तो सच्चाई सामने आएगी ही। संजय सिंह, अरविंद केजरीवाल जितना भी शोर मचा लें, संजय सिंह ने पहले दिन से शराब घोटाले में पैसे खाए थे… ,संजय सिंह के बाद ,अरविंद केजरीवाल अब देखिए होता है क्या?

क्या अब Arvind Keriwal होंगे गिरफ्तार ?

अरविंद केजरीवाल की सेहत पर, अपने साथियों की गिरफ्तारी से कोई फर्क नहीं पड़ता। ,वे अब पहले से ज्यादा तंदरुस्त नजर आने लगे हैं। ,जब-जब उनका कोई साथी जेल जाता है, केजरीवाल की सेहत सुधर जाती है। संजय सिंह को जेल जाना ही था, संजय सिंह ने अपनी जेल यात्रा का इंतजाम खुद किया।,जी हाँ ,संजय सिंह लगातार ,सरकार के लिए संसद में समस्या खड़ी कर रहे थे। सदन के बाहर धूनी रमाये बैठे रहे। आम आदमी पार्टी का ख्याल, सबसे ज्यादा सरकार ही रखती है। संजय सिंह एक मुखर सांसद हैं। वे ज्यादा प्रभावी और मौलिक नारे गढ़ते हैं।

तेज आवाज में बोलने वालों की वजह से, संसद का ‘ईको सिस्टम’ खराब होता है। ,इसलिए सदन के नेता कोशिश करते हैं कि, तेज आवाज में बोलने वाले सांसदों को काबू में रखा जाये। वे न मानें तो उन्हें निलंबित कर दिया जाय। ,यानी ‘न रहे बांस और न बजे बांसुरी।’सरकार संस्कारित और सनातनी सरकार है। ,उसे मालूम है- “न नौ मन तेल होगा और, न राधा नाचेगी।” इसीलिए जहाँ जहाँ ज्यादा तेल नजर आता है ,सरकार उसे कम करा देती है। ,ये फॉर्मूला प्रामाणिक फॉर्मूला है। ,यही वजह है कि ,इसे न केवल सांसदों पर ,बल्कि पत्रकारों और वेब साइटों पर भी आजमाया जा रहा है।

क्या लोकतंत्र खतरे में ?

न्यूज क्लिक‘ वालों पर इसका जोरदार इस्तेमाल हो रहा है। वे भी संजय सिंह की ,तरह बहुत जोर-जोर से सरकार के खिलाफ बोलते हैं। इसलिए उन्हें भी हिरासत में लिया जाता है। ,संकेत दिए जाते हैं कि -‘ मान जाओ! वरना संजय सिंह की तरह जेल यात्रा पर भेज दिए जाओगे’। ,लोकतंत्र की रक्षा के लिए तेज आवाज में बोलने वालों को ,मुश्कें कसनी ही पड़ती हैं। भाजपा सरकार को इस विधि का पता पूर्ववर्ती इंदिरा गाँधी की सरकार दे गयी थी। पुरानी सरकार का ‘आपातकाल’ लगाने का फ़ॉर्मूला ,इस सबके मूल में है। ,भाजपा को ले-देकर सरकार चलाने का तजुर्बा ,कुल 16 साल का है ,जबकि कांग्रेस ने पांच दशक से ज्यादा सरकार चलाई है। ,इसलिए मजबूरन मौजूदा सरकार को कांग्रेस सरकार के, अनुभवों से काम चलाना पड़ता है। ,कांग्रेस के अन्वेषण, कांग्रेस द्वारा किया गया विकास, सब कुछ आज की सरकार के काम आ रहा है।

ये दोनों सरकार विरोधी काम करते हैं। आप इसे राष्ट्रविरोधी भी मान सकते हैं। ,न्यूज़क्लिक वाले चीन से पैसे लेकर, भारत सरकार के ख़िलाफ़ काम करते हैं, जबकि इस पर खुद, भारत सरकार का एकाधिकार है। भारत सरकार ‘पीएम केयर फंड’ के लिए, चीन से धन ले सकती है ,लेकिन न्यूज़क्लिक वाले नहीं। ,न्यूज़क्लिक वाले लेंगे तो ,उन्हें ‘किक’ कर दिया जायेगा। ,और किया भी जा रहा है। सरकार खुद चीनी पैसे से चलने वाले, ‘पेटीएम’ का विज्ञापन कर सकती है ,लेकिन आपको चीनी धन का इस्तेमाल नहीं करने दे सकती। ये सरकार की प्रतिष्ठा के खिलाफ है। ,सरकार की प्रतिष्ठा बचाने के लिए ही ,ईडी को मेहनत करनी पड़ती है।

सरकार के दो भाई ED और CBI !

ed और सीबीआई ,दोनों मन मारकर काम करते हैं। राष्ट्रहित की बात न होती, तो ये दोनों एक भी आदमी को गिरफ्तार न करते, फिर चाहे वो मनीष सिसोदिया होते या ,संजय सिंह या, केरल वाले कप्पन मियाँ। ,ईडी और सीबीआई पहले भी थे, लेकिन इतने उदासीन नहीं थे। ,अब तो दोनों की दशा कठपुतलियों जैसी हो गयी है। ,दोनों की डोर, किसी और के हाथों में है ,जो उन्हें अपने स्टाइल में नचाता रहता है। जिसे बचाना होता है, उसे बचाता रहता है। ,जिसे देश के बाहर भगाना होता है, भगाता रहता है। ,न उनका ईडी कुछ बिगाड़ पाती है ,ना ही सीबीआई।

कमल पुष्प प्रेमी को ईडी और सीबीआई ,सपने में भी पूछताछ के लिए नहीं बुला सकती, गिरफ्तारी तो बहुत दूर की बात है! ,आप ईडी और सीबीआई का रोजनामचा उठाकर देख लीजिये, एक भी कमल पुष्पधारी नेता, पत्रकार या समाजसेवी ,अपनी जेलयात्रा पर जाता नहीं दिखाई देगा। ,कमल पुष्प सरकार की तमाम गारंटियों में से ,एक गारंटी जैसा है।,देश में पिछले दरवाजे से आपातकाल आज नहीं आ रहा, उसे आये एक दशक होने को है। वो तो गनीमत है कि, सरकार उदार है अन्यथा ,इंदिरा गाँधी की तरह आज के माहौल में कभी का ,आपातकाल लगा चुकी होती। ,खैर अभी तो चुनाव है ,अब देखते जाइए ,किस किस पर ,ईडी ओर सीबीआई की कमल पुष्प वर्षा होती है ,आपकी इस मुद्दे पर क्या राय है ,हमे कमेन्ट कर जरूर बताएँ

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