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Rajasthan Election 2023: चुनाव से पहले Ram Rahim पर फिर मेहरबान हुई Haryana BJP Sarkar

Ram Rahim

Ram Rahim

Rajasthan Election 2023: दोस्तों चुनाव हो और हमारी सरकार जी एक rapist पर मेहरबान ना हो ऐसा हो नहीं सकता चार साल में छह महीने जेल से बाहर ये हिसाब-किताब है रेप और हत्या के मामलों में उम्र कैद की सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम का. राम रहीम रोहतक की सुनारिया जेल में कैदी नंबर 1997 के तौर पर सजा काट रहा है दोस्तों आज से 4 दिन बाद राजस्थान विधानसभा के चुनाव है। और ऐसे में rapist राम रहीम को 21 दिनों के लिए फिर से पैरोल मिल गई है आखिर rapist राम रहींम को चुनाव से पहले ही पैरोल क्यों दी जाती है

दोस्तों एक बार फिर (Haryana BJP Sarkar) हरियाणा की बीजेपी सरकार राम रहीम (Ram Rahim) पर मेहरबान हो गई है। जी हाँ हरियाणा सरकार ने एक बार फिर राम रहीम की 21 दिन की फरलो पर रिहाई को मंजूरी दे दी संभावना है कि डेरा प्रमुख के साथ उसकी मुंह बोली बेटी हरीप्रीत भी आएगी. फरलो मंजूर होने के बाद उसके अनुयायियों में खुशी की लहर दौड़ गई है और आश्रम में उसके आने की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं.

21 दिन की फरलो मंजूर

2023 में राम रहीम तीसरी बार जेल से बाहर आ रहा है. इस बार भी वह उत्तर प्रदेश के बरनावा आश्रम में रहेगा. रोहतक प्रशासन ने बरनावा आश्रम में ही बिताए गए परोल और फरलो के दौरान राम रहीम के आचरण को ध्यान में रखकर फिर एक बार फरलो दी है. राम रहीम की फरलो के लिए इस बार बीमार मां गोद ली हुई बेटियों की शादी और खेतों की देखभाल करने जैसी दलीलें दी गई हैं.

वहीं पूर्व डेरा प्रमुख शाह सतनाम की जयंती और राम रहीम के जन्मदिन को भी फरलो लेने की दलीलों में शामिल किया गया है. डेरा सच्चा सौदा आश्रम के प्रवक्ता जितेंद्र खुराना ने बताया कि उन्हें भी मीडिया से जानकारी मिली है कि 21 दिन की फरलो मंजूर हो गई है. इंस्पेक्टर बिनौली एमपी सिंह ने बताया कि रोहतक जेल अधीक्षक ने इस संबंध में कई बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी थी जिसे भेज दिया गया था.

राम रहीम को इस बार राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए 25 नवंबर को होने वाली वोटिंग से 5 दिन पहले पैरोल मिली है। राम रहीम राजस्थान में श्रीगंगानगर जिले के गुरुसर मोडिया का रहने वाला है। वहां गांव में उसका बड़ा आश्रम बना हुआ है। राजस्थान के हरियाणा बॉर्डर से लगते श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ चूरू और दूसरे कई जिलों में राम रहीम के अनुयायियों की अच्छी-खासी संख्या है। इन इलाकों में राम रहीम के डेरे सच्चा सौदा से बड़ी संख्या में लोग जुड़े हुए हैं।

Ram Rahim पर सरकार इतनी मेहरबान क्यों?

दरअसल, ये कोई पहली बार नहीं है जब किसी चुनाव से पहले राम रहीम को पैरोल दी गई है। इससे पहले हरियाणा पंचायत चुनाव और आदमपुर उपचुनाव के पहले भी राम रहीम को पैरोल पर छोड़ा गया था। इससे पहले जुलाई में भी हरियाणा सरकार ने 30 दिनों की पैरोल दी थी। हालांकि, जब भी इस पर सवाल उठाए जाते हैं तो हरियाणा सरकार और उसके अधिकारी पल्ला झाड़ लेते हैं।

पत्रकार रामचंद्र छत्रपति और डेरा सच्चा सौदा के मैनेजर रणजीत सिंह की हत्या और महिलाओं से बलात्कार जैसे गंभीर मामलों का दोषी गुरमीत राम रहीम रोहतक के सुनारिया जेल में उम्र कैद की सजा काट रहा है। पिछले 30 महीने में ये 5वीं बार है जब राम रहीम को पैरोल या फरलो दी गई है। इससे पहले 24 अक्टूबर 2020 में राम रहीम 24 घंटे की पैरोल पर जेल से बाहर आया था। फिर 21 मई 2021 को राम रहीम बीमार मां से मिलने के लिए 48 घंटे की पैरोल पर बाहर आया था। फिर 7 फरवरी 2022 को राम रहीम को 21 दिनों की पैरोल दी गई थी इस दौरान वो गुरुग्राम आश्रम में रहा।

गुरमीत राम रहीम सिंह को एक और पैरोल मिली


बता दें कि, पैरोल का मतलब किसी कैदी को विशेष उद्देश्य के लिए अस्थायी रूप से या सजा की समाप्ति से पहले अच्छे व्यवहार के वादे पर पूरी तरह रिहा करना है। फरलो में किसी दोषी को जेल से अस्थायी तौर पर रिहा किया जाता है। गुरमीत राम रहीम इन 21 दिनों की पैरोल के दौरान उत्तर प्रदेश के बागपत में एक आश्रम में रहेगा। जनवरी में राम रहीम को 40 दिन की पैरोल मिलने पर विवाद खड़ा हो गया था। इस पैरोल के दौरान राम रहीम का एक वीडियो सामने आया था जिसे लेकर खूब हंगामा मचा।

डेरा प्रमुख इसमें तलवार से केक काटकर जश्न मनाते देखा गया था। इससे पहले जेल से बाहर आने के बाद राम रहीम कई बार समर्थकों और अनुयायियों के साथ सत्संग करता नजर आ चुका है, जिसमें कई बार राजनीतिक पार्टियों के दिग्गज भी नजर आ चुके हैं। इसे लेकर भी सोशल मीडिया यूजर्स ने सवाल उठाए थे। लोगों का कहना था कि आखिर जो व्यक्ति रेप जैसे मामले में दोषी करार दिया जा चुका है वह बाहर आकर सत्संग कैसे कर सकता है।

इससे पहले भी पंजाब के विधानसभा चुनाव और हरियाणा में आदमपुर-ऐलनाबाद के विस उपचुनाव और नगरीय निकाय चुनाव से पहले राम रहीम को पैरोल देने के आरोप हरियाणा की मनोहर सरकार पर लगते रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि अपने समर्थकों के जरिये वो राजस्थान के चुनावी समीकरण पर असर डाल सकता है।

आखिर चुनाव से पहले ही राम रहीम को पैरोल क्यों दिया जाता है इस सवाल का जवाब अभी तक खुल के सामने नहीं आया है। बस जब भी सवाल उठते हैं तो इसे पैरोल और फरलो का नियम बता दिया जाता है दोस्तों आपको क्या लगता है हरियाणा सरकार एक rapist पर इतनी मेहरबान क्यों है अपनी राय कमेन्ट कर जरूर बताएँ

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