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Rahul Gandhi को Shankardev मंदिर में जाने से रोका तो धरने पर बैठे

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Rahul Gandhi: दोस्तों आज का दिन यानि 22 जनवरी का दिन इतिहास में याद रखा जाएगा 500 साल के लंबे इंतजार के बाद अयोध्या में रामलला विराजमान हुए. पूरे देश में दिवाली जैसा माहौल है. हर कोई राममय हो चुका है. प्रभु श्रीराम की भक्ति में देश-विदेश के लोग रमे हैं. एक तरफ तो राम भक्ति में डूबा बॉलीवुड, मंदिर के बाहर खुशी से झूम उठा और दूसरी तरफ काँग्रेस नेता राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ों न्याय यात्रा से लोकसभा की सीढ़ी छड़ने में जुटे है जी हा, दरअसल असम में राहुल गांधी की न्याय यात्रा चल रही है इसी दोरान प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर आज राहुल गांधी मंदिर के दर्शन करने जा रहे थे जहां पर उनको दर्शन करने से रोक दिया गया इसि के विरोध में राहुल गांधी धरणे पर बैठ गए और बीजेपी पर निशाना साधा की अब मोदी जी तय करेंगे कौन मंदिर जाएगा

अब क्या कहा जाए काँग्रेस के बारे में ये अपनी अलग राजनीति में लगे है माना मंदिर के नाम पर राजनीति हो रही है तो काँग्रेस इससे अलग क्या कर रही है जब इन्हे प्राण प्रतिष्ठा का न्योता दिया गया तब जाने से मना कर दिया कहा की ये बीजेपी कार्यक्रम है अब सवाल उठता है आखिर एक मंगलमय दिन पर काँग्रेस पूरे देश में धरना प्रदशन क्यों करना चाहती है अब असम में मंदिर दर्शन के पीछे आखिर काँग्रेस की क्या राजनीति है

असम में क्यों हो रहा हाई वोल्टेज ड्रामा

राहुल गांधी ने असम के बोर्दोवा थान मंदिर में राम मंदिर प्रतिष्ठा के समय प्रार्थना करने की बात कही। वह मंदिर जा रहे थे लेकिन अन्य कांग्रेस नेताओं के साथ हैबोरागांव में आगे बढ़ने से रोक दिया गया और वह धरने पर बैठ गए हैं महिला कांग्रेस के नेताओं ने अनुमति न दिए जाने पर अपना असंतोष व्यक्त करने के लिए धरणे पर बैठकर विरोध प्रदर्शन किया। राहुल गांधी के साथ बैठे लोग जय श्री राम के नारे लगाने लगे। धरना स्थल पर राम भजन हुए और कांग्रेसियों ने रघुपति राघव राजा राम भी गाया।

राहुल गांधी खुद विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए और अधिकारियों से सवाल किया। राहुल गांधी ने कहा कि उन्हें मंदिर जाने से क्यों रोका जा रहा है। उन्होंने पीएम मोदी की आलोचना करते हुए कहा, ‘क्या पीएम मोदी अब तय करेंगे कि कौन और कब मंदिर जा सकता है? हम कोई समस्या पैदा नहीं करना चाहते बस मंदिर में प्रार्थना करना चाहता हूं।’ दोस्तों समझ ही नहीं आता एक तरफ काँग्रेस नेता मंदिर निमंत्रण ठुकरा देते है और एक तरफ दर्शन करना चाहते है

21 जनवरी को कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान उसके नेताओं पर भाजपा समर्थकों ने हमला किया. कांग्रेस का आरोप था कि भीड़ ने जिन कांग्रेस नेताओं को घेरा उनमें राहुल गांधी भी शामिल थे. भीड़ ने ‘जय श्री राम’ और ‘मोदी-मोदी’ के नारे भी लगाए. इस पर कांग्रेस का कहना था कि उनकी पार्टी न तो प्रधानमंत्री से डरती है और न ही असम के मुख्यमंत्री से. और इसी के साथ पार्टी ने सोमवार शाम को यानि की आज देश भर में प्रदर्शन करने का ऐलान किया है।

रविवार को देर रात एक पोस्ट में कांग्रेस महासचिव, संगठन, केसी वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि असम में यात्रा के प्रवेश के बाद से “भारत में सबसे भ्रष्ट मुख्यमंत्री हमारे काफिलों, संपत्तियों और नेताओं पर लगातार हमले कर रहे हैं। यह एक ऐसा मामला है जिसे हर भारतीय को गंभीरता से लेना चाहिए क्योंकि यह भाजपा के फासीवाद और गुंडागर्दी को उजागर करता है। पूरे भारत में, पीसीसी और डीसीसी को निर्देश दिया जाता है कि वे कल शाम बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करें और उजागर करें कि कैसे मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा असम में उनके भ्रष्ट सीएम के माध्यम से लोकतंत्र की हत्या कर रही है। न्याय के लिए हमारी लड़ाई – सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक – अविचल जारी रहेगी!”

सब के राम, 2024 में किसके आएंगे काम ?

दोस्तों जनवरी 2024 का भारत के इतिहास में एक दिलचस्प पाठ बतौर दर्ज होगा। मीडिया की आँखों से देखने पर पूरा भारत राममय ही नज़र आयेगा जिसके लिए अयोध्या में बन रहे राममंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा पर लहालोट होना एकमात्र ख़बर है। राममंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय दावा कर चुके हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भगवान विष्णु के अवतार हैं लेकिन मीडिया के ऐंकरों-रिपोर्टरों का मन इतने भर से नहीं भर रहा है। पीएम मोदी केंद्रित अयोध्या रिपोर्टिंग कुछ ऐसा आभास दे रही है जैसे विष्णु ख़ुद मोदी के अवतार हों।

मीडिया बता रहा है कि अयोध्या त्रेतायुग में पहुँच गयी है। दावा भव्यतम नगर बन जाने का है। उत्साह में टीवी रिपोर्टर इसे नये भारत की आध्यात्मिक राजधानी भी बताते फिर रहे हैं। यह भूलकर कि यह पदवी उस काशी नगरी को हासिल है जो प्रधानमंत्री मोदी का संसदीय क्षेत्र भी है। इस मीडिया की नज़र उन अयोध्यावासियों पर भूलकर भी नहीं पड़ रही है जिन्हें बेघर कर दिया गया है या जिनका रोजगार छीन लिया गया है

और देश की जनता के लिए राहुल गांधी न्याय यात्रा पर निकल पड़े है या ये कहे अपने राजनीतिक करिअर के लिए अपनी छवि को बदलने के लिए भारत की जिस तस्वीर को राहुल गांधी बदलना चाह रहे हैं वह अगर 2024 के चुनावों के बाद भी नहीं बदली तो वे क्या करने वाले हैं ? क्या देश का धैर्य उनका लंबे वक़्त तक साथ देने के लिए तैयार होगा ? अगर चीजें नहीं बदलीं तो क्या उन्हें इसी तरह की या और ज़्यादा कठिन कई नई यात्राएँ करनी पड़ेंगी ? उन यात्राओं की तब दिशा क्या होगी ? सहयात्री कौन बनेंगे ? आपकी इस पर क्या राय है कमेन्ट कर जरूर बताएँ

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