Delhi Pragati Maidan Tunnel: दोस्तों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 जून को प्रगति मैदान टनल का उद्घाटन किया था और उस दोरान पीएम मोदी से लेकर मीडिया तक ने खूब प्रचार किया खूब सुर्खिया बटोरी और जब पीएम मोदी ने इस सुरंग का मुआयना किया तब उन्हें वहां खाली पड़ी बोतल दिखी तो उन्होंने तुरंत उसे वहां से उठा लिया. तब मीडिया ने चलाया की पीएम मोदी ने दी स्वछता की मिसाल. उद्घाटन के समय प्रधानमंत्री ने इस पाताल पुल को लेकर जम कर तारीफों के पुल बांधें मगर अब उस पाताल पुल में कई तरह की खराबियां सामने आ गईं हैं। इस टनल में आई खामियों का अंदाज आप इसी बात से लगा सकते हैं कि उद्घाटन के डेढ़ साल के भीतर ही PWD को निर्माण करने वाली कंपनी के लिए नोटिस जारी करना पड़ा है.
दोस्तों जब ये टनल बनाई गई थी तब इसे आत्मनिर्भर भारत का एक नायाब नमूना कहा गया था। प्रधानमंत्री ने कहा था कि रविवार को ट्रैफ़िक रोक कर बच्चों को यहाँ की गई सजावट दिखाई जाए, सांसद पैदल चलें और इसे आर्ट गैलरी के रूप में देखें। 700+ करोड़ की लागत से बनी प्रगति मैदान सुरंग की हालत खस्ता हो चली है. जी हाँ , पानी रिसता है, सीमेंट/कंक्रीट में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई हैं और ड्रेनेज व्यवस्था ध्वस्त है अब इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार इसे लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) द्वारा यात्रियों के जीवन को ‘संभावित खतरा’ बताया गया है.
कंपनी को 500 करोड़ का नोटिस
प्रगति मैदान टनल को बनाने वाली कंपनी को लोक निर्माण विभाग (PWD) ने नोटिस जारी किया है। नोटिस जारी करते हुए निर्माण कंपनी (L&T) को 500 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए कहा है। इसके साथ ही PWD ने कंपनी से यह भी कहा है कि पूरे प्रगति मैदान टनल के रिपेयर का काम शुरू करे और प्रोजेक्ट की तकनीकि और डिजाइन से संबंधित समस्याओं को फिर से ठीक करें। PWD की तरफ से कंपनी को नोटिस थमाते हुए कहा गया है कि वो टोकन अमाउंट के तौर पर कम से कम 500 करोड़ रुपये जमा करें। नोटिस में यह भी कहा गया है कि यह कंपनी भैरव मार्ग के नजदीक अहम अंडरपास (अंडरपास संख्या-5) के पूर्ण निर्माण में भी नाकाम रही है।
लोक निर्माण विभाग ने कंपनी को 3 फरवरी को यह नोटिस जारी किया है और 15 दिनों के अंदर इसपर जवाब मांगा है। नोटिस में कंपनी से पूछा गया है कि प्रोजेक्ट को पूरा नहीं कर पाने की वजह से सरकार और उससे संबंधित एजेंसियों को जो आर्थिक नुकसान हुआ है और उसकी जो छवि भी खराब हुई है उसके लिए क्यों ना उनपर ऐक्शन लिया जाए? खासकर रेलवे ट्रैकों के नीचे बने टनल का काम पूरा नहीं हो सका है।
आपको बता दें कि अंडरपास संख्या-5 प्रगति मैदान इंटीग्रेटेड ट्रांजिट कॉरिडोर का हिस्सा है। यह हिस्सा दिसंबर 2022 में खुलना था लेकिन निर्माण में चुनौतियों औऱ बाढ़ की वजह से नुकसान होने की वजह से कई बार इसमें देरी हुई है। प्रगति मैदान कॉम्पलेक्स और इसके इंटिग्रेटेड ट्रांजिट कॉरिडोर को जी-20 समिट को देखते हुए विकसित किए गए भारत मंडपम के साथ ही बनाया गया था। 1.3 किलोमीटर लंबे टनल और पांच अंडरपासों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जून 2022 में लॉन्च किया था।
PWD ने जो नोटिस जारी किया है उसमें कहा गया है कि इस प्रोजेक्ट के लिए साल 2017 में टेंडर जारी किए गए थे और 2019 में इसका निर्माण पूरा होना था। हालांकि, प्रोजेक्ट बाद में पूरा हुआ औऱ साल 2022 में इसका उद्घाटन हुआ। हालांकि, गुजरते समय के साथ ही इसके निर्माण में खामियों का पता चला। यह कमियां ना सिर्फ तकनीकी हैं बल्कि इसके डिजाइन में भी खामियां हैं।
प्रगति मैदान टनल में कई खामियां उजागर
सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि अंडरपास में कई जगह पानी जमा होता है।’ इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में 777 करोड़ रुपये खर्च हुए। यह 1.3 किलोमीटर लंबा टनल इंटिग्रेटेड कॉरिडोर के सेंटर में है और इससे जुड़े अंडरपास इस लक्ष्य को ध्यान में रखकर बनाए गए थे कि इससे भैरव मार्ग, रिंग रोड और मधुरा रोड सिग्नल फ्री हो जाएंगे।
PWD ने 12 ऐसे अहम खामियों की पहचान की है। इसमें टनल के कुछ ज्वाइंट्स के पास से पानी का लीकेज होना टनल में कई जगहों पर कंक्रीट/सीमेंट पर दरारें पड़ना, टनल में जलभराव, पूरे टनल और अंडरपास में ड्रेनेज सिस्टम का खराब इत्यादि शामिल है। इसके अलावा कर्बस्टोन में डैमेज, ब्रांच टनल के ITPO पार्किंग का लंबे समय से साफ ना होना, नालियों के इंतजाम में कमी, छत से पानी टपकना, भित्ति चित्रों का कई स्थानों पर खराब हो जाना इत्यादि शामिल है।
टनल के निर्माण से जुड़ी L&T कंपनी ने इसपर अपनी प्रतिक्रिया दी है। कंपनी की तऱफ से कहा गया है कि वो PWD के खिलाफ 500 करोड़ रुपये का काउंटरक्लेम कर रही है। कंपनी की तरफ से कहा गया है कि PWD, DELHI उनके अहम क्लाइंट हैं और वो बरसों से उनके साथ अपने संबंधों को वैल्यू देते हैं। हालांकि, कंपनी के एक प्रवक्ता ने कहा है कि L&T, लोक निर्माण विभाग पर 500 करोड़ रुपये का काउंटरक्लेम करेगी।
प्रगति मैदान टनल में जुगाड़ टेक्नोलॉजी
दोस्तों जब इस टनल का उद्घाटन हुआ तो केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि पूरा प्रोजेक्ट केंद्र सरकार का है इसमें 80 फीसदी केंद्र को और 20 फीसदी केजरीवाल सरकार को देना था लेकिन उन्होंने नहीं दिया. इंफ्रास्ट्रक्चर का कोई डेवलपमेंट केजरीवाल सरकार ने नहीं किया. मतलब साफ साफ है दोस्तों उद्घाटन के समय किसी ने प्रचार ,गुणगान करने में कोई कमी नहीं छोड़ी चाहे वो पीएम मोदी हो नेता हो या मीडिया हो लेकिन अब खामिया नजर आ रही है तो न कोई नेता बोलेगा न पीएम मोदी और न ही मीडिया किसी से कोई सवाल करेगा
अमृतकाल में राममय सरकार से कौन सवाल कर सकता है आखिर चुनाव के समय तो बिल्कुल भी नहीं दोस्तों अब सवाल उठता है जब इसके निर्माण का श्रेय केंद्र की सरकार ने लिया था तो इसकी बदहाली की ज़िम्मेदारी किस पर डाली जानी चाहिए? अपनी राय कमेन्ट कर जरूर बताएँ