PM Modi Bulandshahr Rally: PM मोदी ने चुनावी शंखनाद के लिए UP को क्यों चुना?
PM Modi Bulandshahr Rally: दोस्तों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूपी के बुलंदशहर की रैली में, 20,435 ,करोड़ विकास परियोजनाओं की शुरुआत करके 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान का आगाज कर दिया गया है यह रैली अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के तीन दिन बाद हो रही है, ,इसलिए इसके पीछे राजनीतिक मकसदों को नजरन्दाज नहीं किया जा सकता। हालांकि भाजपा इसे आस्था (विश्वास) और विकास (विकास) का संगम बता रही है। लेकिन जब लोकसभा चुनाव चंद महीने में होने वाले हैं तो यह संगम कुल मिलाकर राजनीति का ही संगम है। यह बात यूपी के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने अब जाहिर कर दी है कि 15 दिनों से इस रैली की तैयारी हो रही थी। लेकिन मीडिया को बुधवार को ही इसकी जानकारी दी गई।
भाजपा के तमाम दावों और उम्मीदों के बावजूद इसका विश्लेषण जरूरी है कि आखिर अयोध्या के तीन दिन बाद ही रैली के लिए बुलंदशहर का चयन क्यों किया गया। बुलंदशहर में ऐसा क्या है कि पीएम मोदी और बीजेपी को यहीं से बुलंदी की उम्मीद नजर आ रही है
क्यों रैली के लिए चुना गया बुलंदशहर
चौधरियों के बीच भाजपा का प्रभाव जमाने में पूर्व मुख्यमंत्री और लोध नेता कल्याण सिंह ने बुलंदशहर को अपना गढ़ बनाया। उन्होंने 1991 के बाद से ,लगातार चुनावों में लोकसभा सीट जीती। सिर्फ 2009 को छोड़कर, जब समाजवादी पार्टी के कमलेश वाल्मिकी ने यहां से जीत हासिल की थी। यानी भाजपा के पैर यहां ,कल्याण सिंह की वजह से जमे। जब कल्याण सिंह यूपी के सीएम थे तो अयोध्या में बाबरी मसजिद गिराई गई थी। इस तरह पीएम मोदी की बुलंदशहर रैली कल्याण सिंह को प्रतीकात्मक श्रद्धांजलि भी है।
दोस्तों बुलंदशहर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के करीब है और यहां से निकला संदेश पश्चिमी यूपी के साथ ही, केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली और हरियाणा तक जाता है. पश्चिमी यूपी में लोकसभा की 14 सीटें हैं. दिल्ली में सात और हरियाणा में 10. यानी पीएम मोदी की इस रैली के जरिए बीजेपी की रणनीति 31 लोकसभा सीटें साधने की है . दूसरी वजह ये भी है कि बीजेपी अपने लिए बुलंदशहर को लकी मानती है. बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था.
बुलंदशहर में ही पीएम की रैली क्यों?
अब आंकड़ों पर गौर फरमाएं तो 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बुलंदशहर की सभी सात विधानसभा सीटों–अनूपशहर, डिबाई, खुर्जा, बुलंदशहर सदर, स्याना, शिकारपुर और सिकंदराबाद पर जीत हासिल की थी। ,भाजपा ने 2019 में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इस हिस्से में 14 लोकसभा सीटों में से आठ पर जीत हासिल की थी। बाकी सीटें उस समय समाजवादी पार्टी-बहुजन समाज पार्टी (एसपी-बीएसपी) गठबंधन ने जीती थीं। लेकिन भाजपा को आठ सीटें जबरदस्त ध्रुवीकरण की वजह से मिली थीं। मुजफ्फरनगर दंगे का मामला रह-रह कर चुनाव में गरमा उठता है।,
लेकिन दोस्तों हालात लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बदल गए हैं। सपा-आरएलडी का गठबंधन पहले से ही बना हुआ है उसकी पुष्टि हाल ही में अखिलेश और जयंत चौधरी ने फिर से कर दी है। कांग्रेस को अभी इस गठबंधन में शामिल होना है। लेकिन बसपा इस बार सपा के साथ गठबंधन में नहीं है। हालांकि इस इलाके में बसपा रेस में कहीं दूर दूर तक नहीं है।
मुकाबला भाजपा बनाम इंडिया गठबंधन में संभावित है। पीएम मोदी के पास यह रिपोर्ट जरूर होगी कि जाट उनकी पार्टी के बारे में अब क्या राय रखते हैं। इसलिए बुलंदशहर में जहां उन आठ सीटों पर कब्जा बरकरार रखने और विपक्ष से छह सीटों को झटकने की लड़ाई है। ,लेकिन यह आसान नहीं है। विपक्ष किसी भी नजरिए से भाजपा के मुकाबले कमजोर नजर नहीं आ रहा है।
सिर्फ दो सीटें जीत पाई थी सपा
विपक्षी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का भी फोकस वेस्ट यूपी पर है। दोनों पार्टियां भाजपा को चुनौती देने के लिए मुसलमानों, जाटों और दलितों का समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रही हैं। कांग्रेस की यूपी जोड़ो यात्रा ने सहारनपुर से शाहजहाँपुर तक पश्चिमी क्षेत्र के अधिकांश जिलों को कवर किया। राहुल गांधी भी वेस्ट यूपी से भी गुजरेंगे। इसलिए भी मोदी जी ने बुलंदशहर पर फोकस किया है।
इसी तरह से सपा ने भी 17 जनवरी को पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) यात्रा निकाली है। पीडीए यात्रा शाहजहाँपुर, बदांयू, मुरादाबाद, संभल, बिजनौर, हरिद्वार, सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, मेरठ, गाजियाबाद ,सहित पश्चिम यूपी के कई जिलों को कवर करेगी। कई जिलों में अखिलेश खुद इस पीडीए यात्रा का, नेतृत्व करने वाले हैं।
पश्चिमी यूपी की राजनीतिक लड़ाई इस रैली के बाद दिलचस्प होने वाली है। कांग्रेस और सपा तो यात्राओं के जरिए भीषण ठंड में गरमाहट लाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं आरएलडी प्रमुख जयंत सिंह का बिना शोर मचाए ,पश्चिमी यूपी के चप्पे-चप्पे पर जनसंपर्क अभियान जारी है। हर बड़े गांव में उनकी बैठकें हो रही हैं, जिनमें स्थानीय लोगों को बुलाया जाता है।
आरएलडी नेताओं का कहना है कि पीएम मोदी की रैली में भाजपा सरकारी मशीनरी के दम पर भीड़ तो जुटा लेगी ,लेकिन वोट नहीं पाएगी। भाजपा के वरिष्ठ नेता बुलंदशहर में कई दिनों से कैंप कर रहे थे। उन्होंने भीड़ लाने के लिए आरामदेह बसों का इंतजाम किया है।,दोस्तों अयोध्या में श्री राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद भी किसानों से जुड़े हुए मुद्दे बीजेपी के लिए हमेशा की तरह कड़वा घूंट बने हुए है. बुलंदशहर के अलावा पीएम की इस रैली के लिए बिजनौर, मुजफ्फरनगर और मेरठ अच्छे विकल्प थे, लेकिन यह तीनों जिले 2022 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को अपेक्षित नतीजे नहीं दे पाए.
इन इलाकों में किसान संगठनों का प्रभाव होने के कारण यहां विरोध जैसी स्थितियां देखने को मिल सकती थी. हाल ही में भारतीय किसान यूनियन ने एक बार फिर से आंदोलन का ऐलान किया है, ऐसे में बुलंदशहर में, पीएम की रैली को सही माहौल मिलेगा. आपकी इस पर क्या राय है comment कर जरूर बताएं