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Piyush Goyal on E-commerce: 10 साल बाद मंत्री को आई व्यापारियों की याद बताया कैसे होगा समाधान?

Piyush Goyal on E-commerce: उद्योग व वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने देश के 10 करोड़ से ज्यादा रिटेल कारोबारियों के दिल की बात कही। अमेजन जैसी ई-कॉमर्स कंपनियां कैसे दाम घटाकर छोटे कारोबारियों का हक छीन रही है यह हकीकत जब गोयल ने बताई तो लगा कि चलो कोई तो है जो उनकी सुध लेने की बात कर रहा है। देश में 10 वर्ष से मोदी सरकार ने रिटेल कारोबारियों को संजीवनी देने के लिए कागजी घोषणाएं तो बहुत कीं लेकिन कुछ भी प्रत्यक्ष रूप से साकार नहीं होता नजर आया।

कल तक गोयल ने माना की ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म प्रोडक्ट्स पर भारी छूट को देकर छोटे कारोबारियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं.जहां कल तक खरी खरी सुनाई आज कह रहे है की हम खिलाफ नहीं है  क्या भारत में 10 करोड़ छोटे कारोबारियों का हक अमेजन जैसी बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियां मार रही हैं? सही है विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों ने छोटे कारोबारियों को व्यापार से बाहर करने के लिए चीजें सस्ती दरों पर बेचीं। उस कारण उन्हें घाटा हुआ। लेकिन सवाल ये है  सरकार की असल नीति क्या है? क्या सिर्फ भाषण से इसका समाधान निकलेगा।

Piyush Goyal को आई व्यापारियों की याद

दोस्तों ई-कॉमर्स को लेकर जो अब तक कहा जाता था और कहा जा रहा है की इससे छोटे कारोबारियों को नुकसान होता है आखिरकार मोदी के मंत्री को 10 साल बाद ये बात समझ आई है कि ई-कॉमर्स का जाल फैलता है तो गली-मोहल्ले की दुकानें बंद हो जाती हैं। कई देशों ने इसे रोकने के लिए सख़्त नियम बना दिए हैं कि कुछ चीज़ें आपको नुक्कड़ की दुकानों से ही लेनी होगी। बड़ी बात यह है कि गोयल ने ई-कॉमर्स से रोज़गार बढ़ने का दावा करने वाली रिपोर्ट को ही रिजेक्ट कर दिया। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने ई-कॉमर्स कंपनियों पर सीधा निशाना साधा। उन्हें देश के करोड़ों खुदरा कारोबारियों की बढ़ती मुसीबत का कारण बताया।

उन्होंने कहाः ई-कॉमर्स की भारत में बेरोक वृद्धि से “बड़े पैमाने पर सामाजिक अस्त-व्यवस्ता” पैदा हो सकती है जिसका असर दस करोड़ छोटे व्यापारियों पर पड़ेगा। गोयल एक संस्था की रिपोर्ट जारी होने के मौके पर बोल रहे थे। रिपोर्ट ‘भारत में रोजगार एवं उपभोक्ता कल्याण पर ई-कॉमर्स का संपूर्ण प्रभाव’ शीर्षक से जारी हुई है। गोयल ने अमेजन कंपनी का नाम लेकर उस पर निशाना साधा। उनकी टिप्पणी गौरतलब हैः ‘कीमत तय करने का लूटेरा चलन क्या देश के हित में है जहां अमेजन जब कहती है कि वह अरबों डॉलर का निवेश करेगी तो हम सब खुशी मनाते हैं। लेकिन हम अंदरूनी कहानी भूल जाते हैं कि ये अरबों डॉलर किसी बड़ी सेवा या भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सहायक किसी बड़े निवेश के रूप में नहीं आ रहे हैं। ये रकम कंपनी अपना घाटा पाटने के लिए ला रही है। लेकिन अरबों डॉलर का घाटा हुआ ही क्यों?’ गोयल का तात्पर्य है कि इन कंपनियों को घाटा छोटे कारोबारियों को व्यापार से बाहर करने के लिए चीजें सस्ती दरों पर बेचने के कारण हुआ। उसे पाटने के लिए अरबों डॉलर लाए गए।

प्रिडेटरी प्राइसिंग क्या है ?

पीयूष गोयल ने कहा अमेजन जैसी कंपनियां प्रिडेटरी प्राइसिंग (Amazon predatory pricing) करती हैं। जहां एक ओर कंपनियां प्रोफेशनल्स और टॉप के वकीलों को भारी भरकम भुगतान करती हैं। इन वजहों से जो घाटा होता है उसे इन कंपनियों की ओर से  नए इनवेस्टमेंट के जरिए बैलेंस किया जाता है। यह विजन देश के ट्रेडिशनल रिटेल बिजनेस के लिए खतरनाक हो सकता है। इसे जल्द से जल्द कंट्रोल करने की जरूरत है।बता दे की प्रिडेटरी प्राइसिंग एक किसी भी प्रोडक्ट की कीमत तय करने की पॉलिसी होती है। अक्सर बड़ी कंपनियां इस पॉलिसी का इस्तेमाल करती हैं। प्रिडेटरी प्राइसिंग पॉलिसी के  तहत कंपनियां अपने प्रोडक्ट या सर्विसेज की कीमतें बेहद कम कर देती है। ऐसा होने पर इस कंपनी से कंपटीशन कर रहीं दूसरी कंपनियां मुकाबला नहीं कर पातीं। मजबूरन छोटी कंपनियों को मार्केट छोड़ना पड़ता है। इसके साथ ही ऐसे बिजनेस में छोटी कंपनियों की एंट्री लेने की संभावना भी बेहद कम हो जाती है।

Piyush Goyal ने कहा

अब ई-कॉमर्स कंपनियों को खरी-खरी सुनाने के एक दिन बाद आज कह रहे है की वे ऐसी कंपनियों के खिलाफ नहीं हैं बशर्ते वे निष्पाक्ष और ईमानदार रहें.पीयूष गोयल ने मुंबई में एक कार्यक्रम में कहा ‘इस बात को लेकर बहुत स्पष्ट हैं कि हम FDI लाना चाहते हैं हम टेक्नोकलॉजी को बुलाना चाहते हैं हम दुनिया का सर्वश्रेष्ठ चाहते हैं और हम ऑनलाइन के बिल्कुल भी खिलाफ नहीं हैं.देश हमेशा यही चाहता है कि ग्राहकों के प्रति निष्पक्ष व्यवहार हो ईमानदारी बरती जाए वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति करने वालों के प्रति ईमानदारी हो और साथ ही ये सुनिश्चित हो कि अन्य लोगों को भी ऐसे ऑनलाइन बिजनेस के खिलाफ कंपटीशन का उचित अवसर मिले.सरकार चाहती है कि ऐसी कंपनियां देश के लोगों की सेवा करें.


पीयूष गोयल ने कहा ‘हम ये सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हमारे कंज्यू मर्स को ऑप्शंनस मिलें बिजनेस की कार्यशैली ईमानदार हो और देश के कानून के अनुसार हो.’ इस बीच उन्होंशने ये भी कहा कि सरकार जल्दर ई-कॉमर्स पॉलिसी ला सकती है. उन्होंहने कहा कि हमें जल्द ही नई ई-कॉमर्स पॉलिसी लाने की उम्मीद है.प्रत्येक मुक्त व्यापार समझौता (FTA) भारत के लिए निष्पक्ष न्यायसंगत और संतुलित लाभ के पैमाने पर आधारित होगा.देश ये सुनिश्चित करेगा कि कोई भी FTA हमारे किसानों पशुपालन डेयरी मछुआरों MSMEs और घरेलू विनिर्माण के हितों की रक्षा करे और इसे इस तरह से तैयार किया जाए जो देश के सर्वोत्तम हित में हो और हमारे समकक्षों को समान अवसर भी प्रदान करे. गोयल ने कहा ‘हम जल्दबाजी में समझौते नहीं करते हैं और भारत के हितों के आधार पर उन्हें अंतिम रूप दिया जाता है.’

इंडिया फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक

आपको बता दे की भारत में ई-कॉमर्स सेक्टर की वृद्धि दर 2018 से 2030 के बीच 27% तक पहुंचने की संभावना है। पहले इंडिया फाउंडेशन की एक रिपोर्ट से यह जानकारी सामने आई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक ई-कॉमर्स से देश में 1.6 करोड़ नौकरियां पैदा हुई हैं। हालांकि गोयल ने इवेंट के दौरान इस बात के लिए चेताया कि अगर ई-कॉमर्स सेक्टर तेजी से बढ़ता है आने वाले वक्त में देश में रोजगार के मौके कम कर सकता है।


दोस्तों ये नहीं कहा जा सकता किपीयूष गोयल की बातें बेबुनियाद हैं। मगर सवाल यह उठेगा कि नरेंद्र मोदी सरकार की नीति क्या है? क्या उसकी नीतियों ने हर तरह के विदेशी निवेश को प्रोत्साहित नहीं किया है? और क्या उसका ही यह परिणाम नहीं है कि देश में विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों का पूरा वर्चस्व बन गया है। आप ही बताइए क्या यह भी एक सच नहीं है कि केंद्र की ही नीतियों या कार्य-प्रणाली से तंग आकर अनेक कंपनियां बाहर चली गई हैँ। इस क्रम में ना तो देसी उद्योग का विकास हुआ है और ना विदेशी निवेश से अपेक्षित उद्देश्य पूरा हुआ है। वैसे खुदरा कारोबार सेक्टर की मुसीबतें बढ़ाने में नोटबंदी और जीएसटी जैसे नीतिगत फैसलों का क्या रोल रहा है मंत्री जी को या भी बताना चाहिए था


ई-कॉमर्स कंपनियां लगातार दीमक की तरह रिटेल कारोबारियों को नष्ट करती जा रही है। सरकार को जल्दी ही कुछ करना होगा। देश में रिटेल कारोबार में ही सबसे ज्यादा रोजगार सृजन की क्षमता है। जहां ई-कॉमर्स कंपनियां 10 लोगों को काम देती हैं तो रिटेल कारोबारी उसकी अनुपात में 100 लोगों को काम देते हैं।ई-कॉमर्स का पैसा कुछ चुनिंदा परिवारों और उद्योगपतियों की तिजोरी में जाता है जबकि रिटेल कारोबारी देश के गांव-गांव में अपना नेटवर्क फैला है। जब स्वदेशी आदमी कारोबार करता है तो उसका लाभ देश को होता है और जब विदेशी कंपनियां यहां कारोबार बढ़ाती हैं तो सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था में ही वह झलकता है। इससे देश का भला नहीं होने वाला। इसमे बस सुकून की बात इतनी ही है कि गोयल जैसे संवेदनशील मंत्री ने मधुमक्खी के इस छत्ते को हाथ लगाने की हिम्मत दिखाई। अब लगता है कि सरकार जल्दी ही कोई ठोस समाधान निकालेगी जिससे डूबते स्वदेशी कारोबारियों को ‘तिनके’ का सहारा मिल सकेगा।

खैर मंत्री जी ने भाषण तो दे दिया लेकिन फिर भी सवाल वही है क्या सरकार के पास कोई ठोस योजना है या फिर सिर्फ जख्मों पर मरहम लगाने के इरादे से इस तरह की बयानबाजी कर रही है। बगैर ठोस समाधान के यह मरहम जख्मों पर नमक का काम कर रहा है। बीजेपी और मोदी सरकार यह जानती है कि जो 10 करोड़ रिटेल कारोबारियों की यह नासूर बनती समस्या है वह उसका कोर वोटर है। वैसे ऐसे मुद्दों का राजनीति से कोई वास्ता नहीं होना चाहिए लेकिन कम से कम अपने वोट-बैंक को देखते हुए कम से कम केन्द्र सरकार को गंभीरता दिखाते हुए इस चुनौती को निपटने की उपाययोजना बतानी चाहिये।आपकी इस पर क्या राय है हमे कमेन्ट कर जरूर बताएँ

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