Operation Lotus in AAP: दोस्तों अरविन्द केजरीवाल ने अपनी राजनीति चमकाने के लिए …..कई नेताओ को भ्रष्ट बताया और खुद को कट्टर ईमानदार बताया और आज हालात ये हो गए है केजरीवाल ने भ्रष्टाचार लूट की ऐसी सीमाएँ लाँग दी है की जेल मे बतौर मुख्यमंत्री वो इकलोते मुख्यमंत्री बन गए है ये नया मुकाम तो केजरीवाल ने हासिल कर लिया लेकिन उनकी मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही कोर्ट से झटके पर झटका लग रहा है पहले गिरफ़्तारी और कस्टडी को चुनौती देने में दिल्ली हाई कोर्ट फिर वकीलों से जुड़ी मांग वाली याचिका पर राउंज ऐवन्यू कोर्ट
और फिर हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से भी निराशा हाथ लगी और अब सबसे बड़ा झटका आप पार्टी टूटने का पहले हाई कोर्ट ने केजरीवाल को भ्रष्ट बताया अब (Operation Lotus begins in Delhi to break AAP) आप के विधायक मंत्री इस्तीफा दे रहे है जी हाँ आप के ही नेता केजरीवाल के खिलाफ खड़े हो रहे है अब आम आदमी पार्टी के नेता ही केजरीवाल को भ्रष्ट बता रहे है अब केजरीवाल के pa को हटा दिया है जी हाँ विजिलेंस ने निजी सचिव विभव कुमार को पद से हटा दिया है
AAP मंत्री राजकुमार आनंद ने दिया इस्तीफा
आम आदमी पार्टी के दिल्ली के पटेलनगर से विधायक राजकुमार आनंद ने मंत्री पद के साथ-साथ विधायकी और पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। राजकुमार आनंद (AAP Minister Anand Resigns) दिल्ली में समाज कल्याण मंत्रालय संभालते थे उनका कहना है कि आम आदमी पार्टी भ्रष्टाचार में डूबी हुई है और उसके पास शासन करने की कोई नैतिक ताकत नहीं बची।आपको बता दे की ये वही राजकुमार आनंद है जिनके घर पाँच महीने पहले ईडी की रेड हुई थी। उस समय बीजेपी ने इनका इस्तीफा माँगा था क्या ed के डर से किसी के दबाव से इस्तीफा दिया है क्या अब बीजेपी मे शामिल होंगे राजकुमार आनंद
इस्तीफे से पहले ही उन्होंने सीएम केजरीवाल के समर्थन में एक पोस्ट किया था जिसमें मोदी सरकार पर निशाना साधा गया था. यह पोस्ट चर्चा का विषय बन गया था. हालांकि उन्होंने अब यह पोस्ट डिलीट कर दिया है.दरअसल राज कुमार आनंद ने संजय सिंह की प्रेस कांफ्रेंस का एक वीडियो शेयर कर लिखा था तिहाड़ जेल के अधिकारी मोदी सरकार के दबाव में काम कर रहे हैं.’
AAP के नेता पहले से लगा रहे आरोप
दोस्तों आप पार्टी शुरू से आरोप लगाती रही है की अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के पीछे कोई भ्रष्टाचार या जांच नहीं है। भाजपा का उदेश्य सिर्फ आम आदमी पार्टी को तोड़ना और सरकार को गिराना है। तो क्या भाजपा ऑपरेशन लोटस के तहत ये सब करा रही है क्या 400 पर जाने की लिए विपक्षी पार्टियों को तोड़ा जा रहा है
आप नेताओं ने आरोप लगाया कि मंत्री आनंद दबाव नहीं झेल पाए और इस्तीफा देना पड़ा क्योंकि उन्हें ईडी का डर दिखाया जा रहा था। अब कुछ दिन बाद वह भी भाजपा के पाले में नजर आएंगे।संजय सिंह ने कहा ‘मुझे लगता है आज से एक सवाल बंद हो जाएगा कि ऑपरेशन लोटस का सबूत क्या है?
AAP सांसद क्यों है चुप ?
दोस्तों ऐसा नहीं है की राजकुमार आनंद ही केजरीवाल से खफा है बल्कि AAP के कई कार्यकर्ता नेतासांसद तक भी केजरीवाल के समर्थन में सामने नहीं आ रहे हैंकेजरीवाल की गिरफ़्तारी को लेकर सांसदों की चुप्पी हैरान कर वाली है कुछ ने तो अब तक गिरफ्तारी की निंदा में …….एक शब्द भी नहीं कहा है ……..और न ही किसी तरह से यह प्रदर्शित किया है कि संकट की इस घड़ी में वे पार्टी के साथ खड़े हैं।केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद से आप नेताओं ने अपनी प्रोफ़ाइल तस्वीरों में जेल में बंद केजरीवाल की तस्वीर लगा दी है और नारा दिया है “मोदी का सबसे बड़ा डर केजरीवाल”।पार्टी सांसद हरभजन सिंह अशोक कुमार मित्तल संजीव अरोड़ा बलबीर सिंह सीचेवाल और विक्रमजीत सिंह साहनी ने केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ कुछ नहीं बोला है। यहाँ तक की अपने सोशल मीडिया हैंडल पर प्रोफाइल पिक्चर भी नहीं बदली है.
कोई लंदन घूम रहा है तो कोई अमेरिका 10 में से सिर्फ 3 सांसद पार्टी के लिए आवाज उठाते दिख रहे हैं। लोकसभा में आप के इलकौते सांसद सुशील कुमार रिंकू ने हाल ही में भाजपा का दामन थाम लिया था।दोस्तों पंजाब से राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा पिछले महीने आंख की सर्जरी के लिए लंदन गए थे। उनका मार्च के अंत में लौटने का कार्यक्रम था। उनकी पत्नी परिणीति चोपड़ा अपनी फिल्म अमर सिंह चमकीला को नेटफ्लिक्स पर रिलीज करने के लिए वापस लौट चुकी हैं। लेकिन रावघ चड्ढा अभी भी लंदन में ही हैं।दिल्ली से पहली बार सांसद बनीं स्वाती मालीवाल इन दिनों अमेरिका में हैं। उन्होंने पार्टी से कहा है कि उन्हें वहां रहने की जरूरत है क्योंकि उनकी बहन बीमारी से उबर रही हैं।
पंजाब से राज्यसभा सांसदहरभजन ने आप की गतिविधियों में शायद ही कभी भाग लिया हो। केजरीवाल की गिरफ्तारी पर भी वह चुप हैं। उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल्स पर हाल में कई पोस्ट किए हैं लेकिन लगभग सभी आईपीएल के बारे में हैं। 24 मार्च को उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री और आप नेता भगवंत मान को उनकी बेटी के जन्म पर बधाई दी थी। उनसे जब पूछा गया कि क्या वह AAP द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन में भाग लेंगे तो उन्होंने कहा नहीं।
पंजाब स्थित लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के संस्थापक और आप सांसद मित्तल भी पार्टी गतिविधियों से काफी हद तक ऐब्सेन्ट रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं पार्टी के विरोध-प्रदर्शन के बारे में बात करने के लिए अधिकृत नहीं हूं। पंजाब से एक और सांसद संजीव अरोड़ा ने कहा कि उन्होंने केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद 24 मार्च को उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल से मुलाकात की थी। लेकिन रामलीला मैदान रैली में वो शामिल नहीं हुए
पंजाब से आप के राज्यसभा सांसद बलवीर सिंह सीचेवाल को भी अधिकांश पार्टी विरोध प्रदर्शनों में नहीं देखा गया है। जब उनसे उनकी ऐब्सेन्ट के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा ”मैं एक धर्मनिष्ठ व्यक्ति हूं और अपने कर्तव्यों का पालन कर रहा हूं। अगर कोई योजना है तो हम उसे साझा करेंगे।”साहनी भी दूसरे सांसदों की तरह आम आदमी पार्टी की गतिविधियों से काफी हद तक ऐब्सेन्ट हैं। वह केजरीवाल की गिरफ्तारी पर चुप हैं। शायद इन सांसदों को भी लगता है की दाल मे कुछ काला है या फिर पूरी दाल ही काली है तभी इन्होंने चुप्पी साध राखी है
कुछ तो खुद ही केजरीवाल का साथ नहीं दे रहे ओर जो दे रहे है उन्हे देने नहीं दिया जा रहा उन्हे किसी न किसी बहाने पार्टी से अलग किया जा रहा हैं इसी के तहत केजरीवाल के पीए विभव कुमार की सेवाएं खत्म कर दी गई हैं। यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जब दो दिन पहले सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें दिल्ली शराब घोटाला मामले में पूछताछ के लिए बुलाया था।
विजिलेंस निदेशालय (डीओवी) द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि कुमार की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गई हैं क्योंकि उन्हें अस्थायी नियुक्ति से संबंधित केंद्रीय सिविल सेवा नियमों का उल्लंघन करके अपॉइंट किया गया था। ‘विभव कुमार की उक्त नियुक्ति के लिए निर्धारित प्रक्रिया और नियमों का ईमानदारी से पालन नहीं किया गया इसलिए ऐसी नियुक्ति अवैध और अमान्य है।’
HC ने लगाई फटकार
दिल्ली हाई कोर्ट ने गिरफ्तारी व ईडी रिमांड को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। इतना ही नहीं केजरीवाल घोटाले के mastermind निकले जी हाँ मुख्य साजिशकरता है केजरीवाल कोर्ट ने कहा है की ed ने सबूत दे दिए है ईडी के पास बहुत सारे सबूत हैं. इसमें हवाला डीलरों के बयान अप्रूवर्स के बयान इसके अलावा आम आदमी पार्टी के सदस्यों के बयान भी मैजूद हैं जिन्होंने कहा है कि उसे गोवा चुनाव में खर्च के लिए पैसे दिए गए थे. यह गोवा चुनाव के संबंध में मनी ट्रेल को पूरा करता है. केजरीवाल की गिरफ्तारी कानून का उल्लंघन नहीं है और दिल्ली सीएम के रिमांड को अवैध नहीं कहा जा सकता है.
केजरीवाल मनी लॉन्ड्रिंग केस मामले में गिरफ्तार हुए है. मुख्यमंत्री समेत किसी को भी कोई विशेष विशेषाधिकार नहीं दिया जा सकता. जांच और पूछताछ के मामले में कोई व्यक्ति भले ही सीएम क्यों न हो उसे विशेष छूट नहीं दी जा सकती है.हाईकोर्ट ने केजरीवाल की उस दलील को भी नकार दिया कि उनसे पूछताछ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए भी हो सकती थी. हाई कोर्ट ने कहा ED गिरफ्तारी का समय तय करती है.ईडी के पास पर्याप्त सामग्री थी जिसके कारण उन्हें गिरफ्तार करना पड़ा. उनके पूछताछ में शामिल न होने से साबित होता कि जेल में बंद अन्य लोगों पर इसका असर पड़ता. यह एक सहायक कारक था.
हाईकोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि जज कानून से चलते हैं राजनीति से नहीं. निर्णय कानूनी सिद्धांतों पर लिखे जाते हैं न कि राजनीतिक संबद्धता पर. कानूनी निर्णय के दायरे में अदालतों को केवल कानून की व्याख्या करने का काम सौंपा गया है न कि राजनीति में जाने का. राजनीतिक विचारों को कोर्ट में नहीं लाया जा सकता. मामला केंद्र सरकार और केजरीवाल के बीच का नहीं है. यह केजरीवाल और ईडी के बीच हैइसका मतलब सपष्ट हैकेजरीवाल भ्रष्ट है
क्या राष्ट्रपति शासन की तरफ बढ़ रही दिल्ली?
सीएम केजरीवाल कम से कम 15 अप्रैल तक तो जेल में ही रहेंगे. इन सबको देखते हुए ही ऐसा लग रहा है कही केजरीवाल को इस्तीफा न देना पड़ जाए यादिल्ली में राष्ट्रपति शासन न लग जाए मंगलवार को ही उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने गृह मंत्रालय को एक चिट्ठी लिखी है. इसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि केजरीवाल के जेल जाने के बाद सरकार के कामकाज की चर्चा को लेकर बैठक बुलाई गई थी जिसमें मंत्रियों ने हिस्सा नहीं लिया. एक हफ्ते में गृह मंत्रालय को ये एलजी ऑफिस से लिखी गई दूसरी चिट्ठी है. इससे पहले 4 अप्रैल को एलजी ऑफिस ने केंद्रीय गृह सचिव को एक और चिट्ठी लिखी थी जिसमें दिल्ली सरकार पर अदालतों को ‘गुमराह’ करने का आरोप लगाया गया था.
इन सबके बीच अब दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगने की संभावनाएं और तेज हो गईं हैं. मंगलवार को विधानसभा में आम आदमी पार्टी के विधायकों ने आरोप लगाया है कि केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद बीजेपी दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू करने की कोशिश कर रही है.न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक विधायक मदन लाल ने कहा दिल्ली में आपातकाल जैसी स्थिति पैदा हो गई है….
दिल्ली में इस वक्त जैसे हालात हैं उससे राष्ट्रपति शासन लगने की संभावनाओं से इनकार भी नहीं किया जा सकता. दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू करना संविधान के अनुच्छेद 239AB के अंतर्गत आता है. अगर मंत्रिमंडल सरकार नहीं चला पा रहा है तो उपराज्यपाल राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर सकते हैं.अनुच्छेद 239AB राष्ट्रपति को विधानसभा को निलंबित करने या पूरी तरह से भंग करने का अधिकार देता है. इसके अलावा राष्ट्रपति चाहें तो दिल्ली के सुचारू कामकाज के लिए कानून भी बना सकते हैं.
जानकारों का मानना है कि जेल में रहने के बाद भी केजरीवाल अगर मुख्यमंत्री बने रहते हैं तो दिल्ली में आगे क्या होगा ये सबकुछ उपराज्यपाल पर निर्भर करता है.अगर उपराज्यपाल को लगता है कि मुख्यमंत्री के जेल में रहने के कारण सरकारी कामकाज प्रभावित हो रहा है तो वो अनुच्छेद 239AB के तहत राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर सकते हैं. अगर उपराज्यपाल दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश करते हैं तो आम आदमी पार्टी के पास अदालत में जाने का विकल्प खुला है. उसके दो कारण हैं. पहला ये कि जेल जाने के बावजूद केजरीवाल पर इस्तीफा देने के लिए कानूनी दबाव नहीं है. दूसरा कारण है कि दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी की सरकार बहुमत में है.
इसके बाद भी अगर राष्ट्रपति शासन लागू होता है तो इसे 1994 के एसआर बोम्मई मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर चुनौती दी जा सकती है. उस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि कोई सरकार बहुमत में है या नहीं इसका फैसला सदन में ही हो सकता है.अगर केजरीवाल इस्तीफा दे देते हैं और उनकी जगह कोई और मुख्यमंत्री बनता है तो दिल्ली में भी राष्ट्रपति शासन की अटकलों पर विराम लग जाएगा.
इसके अलावा एक दूसरा विकल्प भी है लेकिन वो आम आदमी पार्टी के लिए शायद सही न हो. उपराज्यपाल चाहें तो जब तक केजरीवाल की जगह कोई और मुख्यमंत्री नहीं बनता तब तक के लिए ही राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर सकते हैं. जैसे ही कोई दूसरा मुख्यमंत्री बनता है वैसे ही राष्ट्रपति शासन को हटाया जा सकता है. ऐसा करके आम आदमी पार्टी की सरकार पूरी तरह से बर्खास्त होने से बच जाएगी. केजरीवाल ने SC में ना सिर्फ हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी बल्कि आम चुनाव प्रचार में हिस्सा लेने के लिए जल्द रिहाई की मांग भी की है. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में 15 अप्रैल को सुनवाई करेगा. हालांकि बेंच को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है. अब सवाल है क्या पांच झटकों के बाद केजरीवाल को अगले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलेगी?आपकी इस पर क्या राय है हमे कमेन्ट कर जरूर बताएँ