दोस्तों दिल्ली नगर निगम के ताजा सर्वे में चौंकाने वाली बात सामने आई है कि शहर में सिर्फ 40 इमारतें ही खतरनाक श्रेणी में हैं। राजधानी दिल्ली में दिल्ली नगर निगम के जर्जर इमारतों के सर्वे की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 18 लाख इमारतों में से केवल 40 इमारतें ही खतरनाक हैं। यह सभी इमारतें निगम के उत्तरी क्षेत्र इलाके से ही है। इसमें चांदनी चौक, पहाड़गंज और सदर बाजार के इलाके सर्वाधिक हैं।
दोस्तों दिल्ली नगर के अनुसार निगम के दक्षिणी और पूर्वी क्षेत्र इलाके में एक भी इमारत खतरनाक नहीं है, जबकि हर साल यहां कोई न कोई घटनाएं होती रहती है अब सवाल यह उठता है की एक भी खतरनाक ईमारत न होने से भी घटना कैसे हो जाती है ।
खतरनाक व जर्जर इमारतों को लेकर जारी निगम की रिपोर्ट के अनुसार 25 लाख संपत्तियां थीं, जिसमें 18 लाख से ज्यादा संपत्तियों का सर्वे पूरा कर लिया गया है। सर्वे के अनुसार उत्तरी क्षेत्र इलाके में छह लाख 29 हजार 444 संपत्तियों का सर्वे किया गया। इसमें से निगम को 562 इमारतें मरम्मत योग्य मिली है, जबकि 40 इमारतें खतरनाक मिली हैं।
वहीं पूर्वी निगम क्षेत्र में तीन लाख 18 हजार 622 संपत्तियों का सर्वे किया गया है। इसमें एक भी खतरनाक इमारत तो नहीं है, जबकि दो इमारतें मरम्मत योग्य पाई गई हैं। इसमें से एक संपत्ति की मरम्मत भी पूरी हो गई है। दक्षिणी निगम क्षेत्र में नौ लाख 41 हजार 909 संपत्तियो में से न तो कोई इमारत मरम्मत योग्य पाई गई है और न ही कोई इमारत खतरनाक पाई गई है।
खन्ना सिनेमा का हिस्सा ढहने और निगम के दावे पर सवाल उठने लगे है। निगम का दावा है कि इमारत खाली थी, जबकि घटना के बाद दिल्ली पुलिस ने अपने बयान में कहा था कि संपत्ति में कई दुकानें हैं। साथ ही जो परिवार घटना में घायल हुआ वह उस इमारत की पहली मंजिल में रहता था।
निगम का कहना है कि उक्त संपत्ति की दुकानें बंद मिलीं। स्थानीय लोग बताते हैं कि इन दुकानों में विभिन्न तरह की व्यावसायिक गतिविधियां होती थी। हालांकि, निगम ने इन्हें अब सील कर दिया है। दोस्तों आखिर निगम क्या छुपाना चाह रही है।
पहाड़गंज में जिस इमारत में एक हिस्सा गिरने से साढ़े तीन साल के बच्चे की मौत हो गई थी वह इमारत निगम के सर्वे में खतरनाक नहीं मिली थी। निगम के अनुसार निगम सर्वे के दौरान इमारतों को बाहर से देखता है। ऐसे में जब सर्वे किया गया था तो संबंधित इमारत में न तो किसी प्रकार की दरार थी और न ही इमारत झुकी हुई थी।
नगर निगम अधिकारी के अनुसार, खन्ना सिनेमा 15 साल से परिचालन में नहीं है, इसलिए बीते वर्ष भी इमारत खतरनाक इमारतों की सूची में नहीं थी। अधिकारी ने बताया कि निगम की टीम ने शुक्रवार को घटना स्थल का निरीक्षण किया है। जिसमें एहतियान इमारत में प्रवेश के दो स्थानों को सील कर दिया गया है।दोस्तों अब सवाल यह उठता है की दिल्ली नगर निगम की रिपोर्ट में क्या सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है।