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नरेला: दिल्ली सरकार के फ्लड विभाग द्वारा 72 लाख रुपये का घोटाला!

Officers are making scam schemes while sitting in the office

Officers are making scam schemes while sitting in the office

नरेला: शहर में न जाने कितनी सड़कें, गलियां, नालियाँ, नाले, पार्क और रास्ते हैं जो गड्ढों से भरे हुए हैं या टूटे पड़े है। लोग शिकायत करते-करते थक जाते हैं लेकिन अधिकारियों के कानों पर जूं भी नहीं रेंगती। हालांकि जहां इनके फायदे और जेब गर्म होने की बात हो वहां ये अधिकारी ऐसे ऐसे कारनामे कर देते हैं कि लोग सुनकर भी हैरान हो जाते हैं। ऐसा ही एक मामला फिर से चर्चा में है। दरअसल एक बिल्कुल नए बनाए गए नाले की रिपेयरिंग के काम के लिए टेन्डर जारी कर दिया गया और रिपेयरिंग के काम का रेट नाले को बनाने की कीमत से डेढ़ गुणा ज्यादा है।

बाँकनेर मुनीरपुर रोड के नाले के नाम पर हुआ घोटाला

मामला नरेला विधानसभा के बाँकनेर गाँव के मुनीरपुर रोड पर बने नाले के निर्माण से जुड़ा है। एक विभाग मतलब दिल्ली नगर निगम ने नाले का निर्माण जुलाई 2021 मे 57 लाख रुपये में पूरा किया और अब उसी नए बने नाले की मरम्मत के काम के लिए दिल्ली सरकार के सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग ने दिसम्बर 2021 टेन्डर जारी किया। वो भी पूरे 72 लाख रुपये का। वो भी उस नाले की मरम्मत के लिए जो की सिर्फ 6 महीने ही पहले एमसीडी द्वारा नया बनाया गया था और कही से टूटा फूटा भी नहीं था।इसे अब दो विभागों में तालमेल की कमी कहें या किसी नए घोटाले की नींव।

अधिकारी ऑफिस में बैठे बैठे ही बना रहे घोटाले की स्कीम

वैसे नगर निगम ने काफी पहले इस नाले के निर्माण का कार्य शुरू कर दिया था। पर कोरोना के चलते ये जुलाई 2021 में पूरा हुआ और किसी भी कार्य के निर्माण के बाद अगले 5 साल तक उसकी मरम्मत का जिम्मा उसी विभाग के उसी ठेकेदार के पास रहता है जिसने उसका निर्माण किया है। लेकिन ताज्जुब की बात ये है कि फ़्लड विभाग के अधिकारी नाले की हालत देखने गए ही नहीं औरऑफिस में बैठे बैठे ही स्कीम बना दी।

कागजी कार्यवाही में पूरा किया गया मरम्मत कार्य

नाले की मरम्मत की स्कीम या घोटाले की स्कीम ? आप बेहतर समझ सकते है क्योंकि टेन्डर से पहले किसी ही नाले या रोड के निर्माण या मरम्मत से पहले उसकी लंबाई चौड़ाई और ऊंचाई नापी जाती है फिर उसकी कमियाँ देखी जाती है तभी तो मरम्मत की जाएगी लेकिन सब क्षेत्रीय नेता ओर अधिकारियों की मिली भगत से कागजी कार्यवाही में पूरा किया गया। इस मरम्मत के काम को पूरा करने का समय फ़्लड विभाग द्वारा रखा गया था 3 महीने और अब वो समय भी पूरा हो चुका है।

अब सवाल ये उठता है कि क्या टेन्डर कैन्सल किया गया या नहीं ?
फ़्लड विभाग द्वारा ठेकेदार को अब तक कितने पैसा जारी किया गया ?
जब फ़्लड विभाग से आरटीआई द्वारा जवाब मांगा गया तो उन्होंने लिखा कि वर्क जस्ट स्टार्टिड
और अधिकारी किसी भी प्रकार का जवाब नहीं दे पा रहे है।

अब सवाल ये उठता है

अब जांच का विषय ये है कि ये किसकी गलती से हुआ है ? और इन अधिकारियों पर क्या कार्रवाई होगी?

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