MP Election: बीजेपी की 39 उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी, सांसदों सहित बड़े नेताओं को पार्टी ने बनाया उम्मीदवार
MP Election: दोस्तों बीजेपी की जिस रणनीति को लेकर, सियासी गलियारों में चर्चाए की जा रही थी,. बीजेपी ने भी ठीक वैसा ही किया है,,जी हाँ ,मध्य प्रदेश में, इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव है. और इसके लिए बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी कर दी है. इस बार भी पार्टी ने 39 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है.,और बीजेपी की इस लिस्ट में ,कई चौंकाने वाले नाम सामने आए हैं. ,पार्टी ने केंद्रीय मंत्रियों व सांसदों को भी, विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया है, जिसमें तीन केंद्रीय मंत्रियों को टिकट दिया है,. इसके अलावा 4 और सांसदों को मैदान में उतारा है. कुल मिलाकर 7 सांसदों को टिकट दिया गया है.
टिकट दिया कोई बात नहीं लेकिन अब सवाल ये उठता है की ,एक तरफ तो बीजेपी, एक देश एक चुनाव की बात करती है ,ताकि खर्चे को बचाया जा सके ,ओर दूसरी तरफ मंत्रियों को ,सांसदों को चुनाव में उतार रही है ,मंत्रियों से इस्तीफा दिलवाया जा रहा है ,चुनाव लड़ाया जा रहा है ,ऐसी भी क्या मजबूरी है ,जो ऐसा क्या जा रहा है ,क्या चुनाव लड़ने के लिए नेता नहीं बचे है ,क्या भाजपा जान गई है ,बिना बड़े चेहरे के चुनाव जितना मुस्किल है ,मध्य प्रदेश के सभी चुनावी सर्वे ने सत्तारूढ़ भाजपा ,और कांग्रेस के बीच ,कड़ी टक्कर के संकेत दिया है ,यही कारण है, कि भाजपा इस चुनाव में फूंक-फूंक कर कदम रख रही है।
6 महिलाओं को टिकट दिया
अब सबसे बड़ी बात यह है कि ,देश के कृषि मंत्री ,नरेंद्र सिंह तोमर को भी ,बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में उतारा है। ,कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ,दिमनी विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाए गए हैं। वहीं केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते भी, उम्मीदवार बनाए गए हैं। ,फग्गन सिंह कुलस्ते को निवास विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाए गए हैं।,वहीं बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव ,कैलाश विजयवर्गीय को भी इंदौर 1 से उम्मीदवार बनाया गया है। ,जबकि भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और सांसद राकेश सिंह को भी उम्मीदवार बनाया गया है। केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल को भी बीजेपी ने ,मैदान में उतारा है। प्रह्लाद सिंह पटेल को नरसिंहपुर से उम्मीदवार बनाया गया है।
बीजेपी ने दूसरी लिस्ट में 39 में से, 6 महिलाओं को टिकट दिया है. वहीं, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की ,सबसे करीबी इमरती देवी को भी टिकट मिला है,. वह डबरा विधानसभा सीट से उप चुनाव हार गई थीं. सांसद गणेश सिंह, ,सांसद राकेश सिंह और सांसद रीति पाठक को भी टिकट दी गई है. छिंदवाड़ा से कमलनाथ के सामने ,विवेक बंटी साहू को उतारा गया है. इससे पहले बीजेपी ने पहली लिस्ट में 39 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की थी. अभी तक बीजेपी मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा में से 78 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर चुकी है,
जालम सिंह पटेल का टिकट काट दिया
पार्टी ने अपनी इस दूसरी सूची में ,कई सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों को इसलिए ही जगह दी है, ताकि उनके कद और प्रभाव का फायदा ,उस सीट के साथ ही आसपास की दूसरी सीटों पर भी पार्टी को मिले। ,बीजेपी ने मैहर से नारायण त्रिपाठी, ,सीधी से केदारनाथ शुक्ला और ,नरसिंहपुर सीट से जालम सिंह पटेल का टिकट काट दिया है.,इसमें से केदारनाथ शुक्ला पर, पिछले दिनों कांग्रेस हमलावर थी। ,सीधी में पेशाब कांड के बाद ,कांग्रेस आरोपी युवक को ,उनसे जुड़ा हुआ होने का आरोप लगाती रही है। ,ये वैसी सीटें हैं ,जहां पार्टी कमजोर है। ऐसे में अगर इन सीटों पर 2018 वाला ,इतिहास दुहराया जाता है ,पार्टी के लिए दुबारा मध्य प्रदेश की सत्ता में वापसी ,मुश्किल हो सकती है। यही कारण है कि पार्टी यहां फूंक-फूंक कर कदम रख रही है।
2018 में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में
2018 में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 230 सदस्यीय विधानसभा में ,बहुमत से दो कम 114 सीटें मिलीं थीं. वहीं, बीजेपी के खाते में 109 सीटें आई थीं. वहीं बसपा को दो जबकि अन्य को पांच सीटें मिली थीं. तब कांग्रेस ने बसपा, सपा और अन्य का साथलेकर सरकार बनाई थी ,और 15 साल बाद राज्य में सत्ता पाई थी, कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.,दिसंबर 2018 से मार्च 2020 तक कांग्रेस की सरकार चली,. लेकिन 15 महीने पूरे होते–होते कमलनाथ सरकार की सत्ता से विदाई तय हो गई ,और कई विधायक बीजेपी के साथ हो गए, और फिर बीजेपी ने सत्ता में वापसी की. शिवराज सिंह चौहान फिर मुख्यमंत्री बन गए थे.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के मुताबिक
दोस्तों जहां तक एक चुनाव कराकर ,पैसे बचाने की बात है, वह पूरी तरह मूर्खतापूर्ण है, इसके अलावा ,यह गरीब विरोधी भी है। भारत में चुनाव गरीबों को धन देने का ,एकमात्र प्रभावी साधन है ,क्योंकि सरकार किसी भी ,अन्य माध्यम से ऐसा करने में बुरी तरह विफल रही है।
एडीआर यानि एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के मुताबिक, मौजूदा लोकसभा में 521 सांसदों में से 430 करोड़पति हैं ,और उनके राजनीतिक दलों के पास हजारों करोड़ रुपये हैं। चुनाव यह सुनिश्चित करते हैं कि ,इनमें से कुछ धनराशि उन लोगों को वापस मिल जाए ,जिनसे वे उचित-अनुचित तरीके से हड़प लिए गए थे। यह पुनर्वितरण एक अच्छी बात है ,और इसलिए जितने अधिक चुनाव होंगे, आम आदमी के लिए उतना ही अच्छा होगा,! अकेले इसी आधार पर, इस एक राष्ट्र, एक चुनाव की बकवास को, तुरंत खत्म करने की जरूरत है।
अपने तरीके से संविधान में, संशोधन करने के लिए जरूरी संख्या ,न होने के कारण ,सरकार की रणनीति तमाम कार्यकारी कदमों के माध्यम से, ऐसा करने की दिखती है- अनुच्छेद 370, बोलने और असहमति पर अंकुश लगाने के लिए कठोर कानून, अदालत के फैसलों की अवहेलना, बुलडोजर न्याय, खास समुदाय को अलग-थलग करना, एक देश एक चुनाव, देश का नाम बदलना वगैरह।
संविधान पर धीरे-धीरे तब तक हमला करते रहो ,जब तक उसमें से प्राण न निकल जाए ,और संशोधन के लिए कुछ भी न बचे। ,यह तो शैतानी भरी चालाकी है, है ना? हमने शून्य का आविष्कार किया, ,अब हम ‘एक’ की अवधारणा का पुनः, आविष्कार कर रहे हैं। हम जो कभी थे, उससे एकदम अलग- ,एक राष्ट्र, अनेक भारत।,अब देखने की बात ये है की बीजेपी की ये रणनीति काम आती है या नहीं ,ये तो वक्त ही बताएगा ,आपको क्या लगता है ,क्यों मंत्रियों को उम्मीदवार बनाया गया है ,अपनी राय कमेन्ट कर जरूर दीजिएगा