क्यों अहम है Indian Antarctic Bill 2022, जानिए आपको क्या फायदा होगा?
संसद में जो मानसून सत्र चल रहा है, उसमें एक बड़ा रोचक बिल पेश हो रहा है। अब आपको अंटार्कटिका जाना है, घूमना है तो काम शायद थोड़ा आसान हो जाए। जाकर घूमिए, इग्लू में रहिए, मछली मार लीजिए। पहले विदेशों के ज़रिए होता था। मामला सेट हो जाए तो अब काम इंडिया से ही सीधे हो जाएगा। इसको लेकर जो बिल आया है, उसका नाम है इंडियन अंटार्कटिका बिल, 2022(Indian Antarctic Bill 2022) लेकिन दोस्तों उससे पहले जान लेते है अंटार्कटिका के बारे में
क्या है अंटार्कटिका
अंटार्कटिका एक महाद्वीप है जो पृथ्वी के दक्षिणी ध्रुव पर स्थित है। यह निर्जन इलाका है और पूरी तरह बर्फ से ढका है। पृथ्वी पर उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव सबसे ठंडी जगह हैं। यह इलाके इतने ठंडे इसलिए हैं क्योंकि पृथ्वी के ठीक ऊपर और नीचे होने की वजह से सूर्य की सीधी रोशनी यहां नहीं पड़ती। इन दोनों जगहों पर, सूरज हमेशा क्षितिज पर रहता है। यह साफ़ पानी का दुनिया का सबसे बड़ा स्रोत भी है। यह कई दुर्लभ जीव-जंतुओं का घर भी है। लेकिन इंसान यहां नहीं रहते, हालांकि, सालों से दुनियाभर के तमाम वैज्ञानिक यहां शोध कर रहे हैं।
क्यों बनाई गई अंटार्कटिका संधि
दोस्तों दुनिया प्रकृति के इस अहम हिस्से को बचाना चाहती है और इसलिए, 1959 में 12 देशों ने मिलकर एक संधि पर हस्ताक्षर किए। इसे अंटार्कटिका संधि कहा जाता है। इस संधि में यह प्रावधान किया गया कि दुनिया के तमाम देश आपस में सहयोग के साथ यहां शांतिपूर्ण ढंग से शोध करेंगे, लेकिन यहां पर कोई सैन्य गतिविधियां नहीं की जाएंगी। शुरुआत भले ही 12 देशों से हुई हो, लेकिन अब तक 54 और देश इसके साथ और जुड़े और समितियां बनाई गईं, जिसमें भारत भी एक हिस्सा है। भारत ने 1983 में इस संधि पर हस्ताक्षर किया था। लेकिन 40 साल बाद भारत सरकार इसपर एक बिल ला रही है- ‘इंडियन अंटार्कटिका बिल, 2022’
क्या है अंटार्कटिका बिल 2022
यह बिल अंटार्कटिका संधि, अंटार्कटिका समुद्री जीव संसाधन संबंधी कनवेंशन और अंटार्कटिका संधि के लिए पर्यावरणीय संरक्षण पर प्रोटोकॉल को प्रभावी बनाने का प्रयास करता है। यह बिल, वातावरण के संरक्षण और इस क्षेत्र में होने वाली गतिविधियों को रेग्यूलेट करने का भी प्रयास करता है। यह बिल उन लोगों पर लागू होगा जो बिल के तहत जारी परमिट के तहत, अंटार्कटिक के लिए भारतीय अभियान का हिस्सा हैं।
इस बिल के जरिए केंद्र सरकार एक अंटार्कटिका शासन और पर्यावरणीय संरक्षण समिति बनाएगी। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव इस समिति के अध्यक्ष होंगे। इस विधेयक में परमिट जारी करने और कई कार्यों पर रोक लगाए जाने के प्रावधान हैं। बिल के जरिए अंटार्कटिका के लिए अभियान का हिस्सा बने लोगों के परमाणु कचरे के निष्पादन और यहां की मिट्टी को वहां ले जाने संबंधित दिशा-निर्देश और रोक के नियम तय किए गए हैं। इस बिल में तय नियमों को तोड़ने पर सजा और जुर्माने का भी प्रावधान है।
साफ शब्दों में कहा जाए तो अंटार्कटिका में भारतीय मिशन पर गए लोगों की किसी गलती, अनियमितता, अपराध जैसी चीजों पर भारत की अदालतों में फैसला करने के लिए ये कानून लाया जा रहा है। अभी तक अंटार्कटिका में भारतीय अभियानों पर अंतरराष्ट्रीय कानून चलता था। अभी तक अभियानों के दौरान किए गए अपराधों या पर्यावरण अपराधों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कोई कानून नहीं था।
इस बिल के तहत इन चीजों पर रोक होगी
इस बिल के तहत, अंटार्कटिका में खुदाई, ड्रेजिंग, उत्खनन या खनिज संसाधनों के संग्रह पर पूरी तरह से रोक होगी। ये चीजें सिर्फ वैज्ञानिक शोध के लिए की जा सकेंगी, वो भी अनुमति लेने के बाद। इसके अलावा यहां के पौधों, पशु-पक्षियों और सील मछलियों को किसी तरह का नुकसान पहुंचाना, फायरआर्म्स का इस्तेमाल और यहां के जीव-जंतुओं किसी भी तरह से परेशान करने पर रोक होगी। विधेयक के मुताबिक, अंटार्कटिका में ऐसे पक्षियों, जानवरों, पौधों या माइक्रोस्कोपिक जीवों को नहीं लाया जा सकता है, जो इस क्षेत्र के नही हैं।