Nirmala Sitharaman on Inflation: आसमान छूती महंगाई (High Inflation) ने देश के हर परिवार ( Indian Families) की कमरतोड़ रखी है। Inflation Is Not Red Letter Priority. ऐसे में सरकार से महंगाई पर नकेल ( Controlling Inflation) कसने की उम्मीद की जाती है। लेकिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ( Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने एक चौंकाने वाला बयान दिया है। वित्त मंत्री ने कहा कि महंगाई का दवाब सबसे बड़ी चुनौती नहीं है। बल्कि ज्यादा से ज्यादा नौकरियां का सृजन और आर्थिक समानता के लक्ष्य को हासिल करना सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है।
महंगाई नहीं है ‘लाल अक्षर’ वाली प्राथमिकता
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल आइिया समिट (US-India Business Council Ideas Summit) को संबोधित करते हुए कहा, कुछ प्राथमिकताएं लाल अक्षर वाली होती हैं जिसमें उन्होंने कहा कि नौकरियों का सृजन (Jobs), समान धन वितरण (Equitable Wealth Distribution) यानि आर्थिक समानता और देश को विकास के पथ पर आगे लेकर जाना लाल अक्षर वाली प्राथमिकताओं में शामिल है। उन्होंने कहा कि उस लिहाज से देखा जाए तो महंगाई लाल अक्षर वाली प्राथमिकताओं में शामिल नहीं है। उन्होंने का कि हमने पिछले कुछ महीनो में महंगाई पर काबू पाने में सफलता हासिल कर दिखाया है।
Nirmala Sitharaman on Inflation (महंगाई ने किया परेशान)
आपको बता दें वैश्विक कारणों से चलते जब कमोडिटी के दाम आसमान छूने लगे तो अप्रैल 2022 में खुदरा महंगाई दर 7.79 फीसदी पर जा पहुंचा है। जबकि जुलाई में ये घटकर 6.71 फीसदी पर आ गया है। महंगाई दर में बढ़ोतरी के बाद इसपर काबू पाने के लिए आरबीआई को 1.40 फीसदी रेपो रेट बढ़ाना पड़ा। तो सरकार को पेट्रोल डीजल पर एक्साइज ड्यूटी को कम करना पड़ा। साथ में सरकार ने गेंहू, चीनी और आटा के एक्सपोर्ट पर रोक लगाया है। तो सरकार ने खाने के तेल के दामों में कमी लाने के लिए इंपोर्ट ड्यूटी घटाया है।
निवेश को आकर्षित करेगा भारत
वित्त मंत्री ने कहा कि के विकास की रफ्तार को तेज करने के साथ दो लक्ष्यों को प्राथमिकता दी गई है। वित्त मंत्री ने कहा कि नेशनल इंवेस्टमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (NIIF) को और प्रभावी कैसे बनाया जाए सरकार इसकी समीक्षा करेगी। उन्होंने कहा कि भारत लगातार निवेश को आकर्षित कर रहा है।
खाद्य वस्तुओं के दाम में नरमी से राहत
खबर के मुताबिक, सीतारमण ने आगे कहा कि इस लिहाज से मुद्रास्फीति प्राथमिकता नहीं है। आपको इस बात से हैरानी नहीं होनी चाहिए बीते कुछ महीनों में हम इसे वहनीय स्तर पर लाने में कामयाब रहे हैं। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक जुलाई में खाद्य वस्तुओं के दाम में नरमी से मुद्रास्फीति (Inflation) कम होकर 6.71 फीसदी पर आ गई। हालांकि यह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की संतोषजनक स्तर की उच्च सीमा 6.0 प्रतिशत से लगातार सातवें महीने ऊपर बनी रही।
जून और जुलाई में खुदरा महंगाई
जून 2022 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति 7.01 प्रतिशत जबकि जुलाई 2021 में 5.59 प्रतिशत थी। अप्रैल से जून के बीच यह सात फीसदी के ऊपर बनी रही। वित्त मंत्री ने भरोसा जताया कि अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व और यूरोपीयन सेंट्रल बैंक द्वारा दरों में तेज वृद्धि से उत्पन्न अस्थिरता से रिजर्व बैंक निपट लेगा। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के चलते पैदा हुए वैश्विक ऊर्जा संकट का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की उपलब्धता को लेकर अनिश्चितता अब भी बनी हुई है।
अभी भी बढ़ सकते हैं नीतिगत दर
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (finance minister Nirmala Sitharaman) ने भुगतान प्रौद्योगिकी (पेमेंट टेक्नोलॉजी) समेत हर लिहाज से भारत और अमेरिका के बीच संबंधों को और गहरा करने का आह्वान किया। रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति (Inflation) दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बरकरार रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। ऐसी स्थिति में आरबीआई सितंबर के आखिर में प्रस्तावित मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में एक और बढ़ोतरी कर सकता है।