Manipur News: दोस्तों हमारे देश के प्रधानमंत्री (PM Modi) जी का कहना है यानि की मोदी जी का कहना है मोदी का मतलब वादों को पूरा करने की गारंटी है और कभी झूठे वादे नहीं करते चलो हमने मान लिया की वो झूठे वादे नहीं करते है कम से कम एक और सच्चा वादा हमारी सरकार जी को मणिपुर के लिए करना चाहिए आखिर कब मिलेगी मणिपुर को मोदी की गारंटी-वारंटी!
दोस्तों संकट के काले बादल अंदर -बाहर लगातार मंडरा रहे हैं लेकिन दुर्भाग्य ये की हम और हमारे भाग्य विधाता राजनीति में ही उलझकर रह गए है।जी हाँ माणिपुर से फिर दिल तोड़ने वाली ‘ ब्रेकिंग न्यूज ‘ आई है । राज्य में आतंकियों द्वारा दो छात्रों की हत्या के बाद मणिपुर की आग फिर भड़क गयी है । सरकार ने एक बार फिर से माणिपुर में नागरिक आजादी का एसबीएस बड़ा औजार ‘ इंटरनेट ‘ पांच दिन के लिए बंद कर दिया है। दोस्तों देश का कायाकल्प करने के लिए वचनबद्ध हमारी सरकार मणिपुर को अकेला छोड़कर पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में उलझी हुई है ।
खड़गे ने पीएम मोदी पर साधा निशाना
उलझी हुई है कनाडा से,,उलझी हुई है पंजाब में खालिस्तानियों से। यानि हमारी सरकार जी को हर दिन एक नयी उलझन का सामना करना पड़ रहा है । इन उलझनों के चलते देश न जी-20 की कथित कामयाबी का जश्न मना पाया। न सनातन विरोधियों से निपट पाया न नारी शक्ति वंदन क़ानून संसद से पारित होने के बाद आतिशबाजी हो पायी। उपलब्धियों के अनार,चकरियां, राकेट सबकी बारूद गीली हो गयी है।दोस्तों हमारे भाग्य विधाता परेशान हैं की आखिर ये सब हो क्या रहा है ? दरअसल केंद्र सरकार को मणिपुर की आग बुझाने में जो कदम उठाने चाहिए थे वो कदम अभी तक नहीं उठा पाए है जो करना चाहिए था वो अभी तक नहीं किया
कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट किया कि 147 दिन से मणिपुर के लोग परेशान हैं लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी के पास राज्य का दौरा करने का समय नहीं है। और ये सच्चाई है दोस्तों सरकार ने मणिपुर की समस्या को सुलझाने के लिए सबको साथ लिया ही नही। विपक्ष वहां गया तो उसकी आलोचना की। विपक्ष के अनुभवों का इस्तेमाल करने में, सत्ता पक्ष ने अपनीइ हेठी समझी नतीजा नो दिन चले अढ़ाई कोस जैसा हो गया ।
क्या पीएम मणिपुर को दे पायेगे सुरक्षा की गारंटी?
मणिपुर रह-रहकर सुलग रहा है । वहां की जनता को सुरक्षा और शान्ति की गारंटी देने वाला देश में कोई है नहीं लेकिन हमारी सरकार इन दिनों ,मप्र,राजस्थान ,छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में दिन -रात ‘ मोदी गारंटी ‘ बाँट रही है । दोनों हाथों से बाँट रही है। अधजले मणिपुर में एक बार फिर हिंसा भड़क उठी है। इंफाल घाटी में अज्ञात हमलावरों द्वारा दो छात्रों की हत्या के विरोध में मंगलवार को इंफाल में सैकड़ों छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान सुरक्षा बलों के साथ झड़प में लड़कियों सहित कम से कम 34 छात्र घायल हो गए।
दोस्तों अधिसूचनाओं और अध्यादेशों के जरिये नहीं कार्यकार्ताओं के महाकुंभों के जरिये गारंटी वितरण अभियान चल रहा है। जिस पार्टी की जहां सरकार है व्हा गारंटी दी जा रही है । कांग्रेस ने सेवा गारंटी देकर, कर्नाटक में सरकार बनाई तो उसी की नकल कर ,मध्यप्रदेश में सरकार चला रही भाजपा और सरकार बनाने के लिए संघर्ष कर रही कांग्रेस ने भी जनता के बीच गारंटियां देना शुरू कर दिया। राजस्थान ,छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में भी इन दिनों गारंटियों का मौसम है। भर भर कर गारंटियों की बाल्टी बाटी जा रही है हर राजनितिक दल गारंटीड सेवा का ऑफर दे रही है। सियासत का गारंटी देना इस बात का प्रमाण देता है की अब सियासी लोग भरोसे लायक नहीं है प्रधानमंत्री से लेकर राज्यों में मुख्यमंत्री तक भरोसेमंद नहीं रहे है। जनता भी अब बिना गारंटी लिए शायद जनादेश देने को राजी नहीं है ।
दोस्तों जनता को भी पता है कि सियासी दल जनादेश के लिए कैसे कार्य करते है कैसे जनादेश को खरीदते ,बेचते है। यानि सियासत ने जनादेश को भी एक बाजारू प्रोडक्ट बना दिया है। स्थिति ये है की अब चुनाव नेताओं कि चेहरे दिखाकर नहीं गारण्टी देकर लड़े जा रहे हैं। और यहा हैरानी की बात ये है की मणिपुर को शान्ति की गारंटी कोई भी नहीं दे रहा। न केंद्र सरकार दे रही है और न मणिपुर की सरकार।
चुनावी साल में गारंटियों की बारिश
दोस्तों सायद हमारी सरकार जी के पास शांति नाम के प्रोडक्ट की कोई गारंटी ही नहीं है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के साथ ही अगले साल होने वाले आम चुनावों की तैयारिओं में उलझी देश की मजबूत सरकार के पास मणिपुर में शांति लाने के लिए फुरसत ही नहीं है लेकिन चुनावी राज्यों में ,हर हफ्ते मंडराने वाली शक्तिशाली सरकार मणिपुर की और पांव करके भी नहीं सोतीं । मणिपुर का सपना भी इनकी आँखों में प्रवेश नहीं कर सकता ।
दोस्तों इन सबके लिए मणिपुर से ज्यादा जरूरी मध्य प्रदेश और दिल्ली है। मणिपुर जलता है तो जल जाये लेकिन मध्य प्रदेश,,राजस्थान ,छत्तीसगढ़ और तेलंगाना बच जाय। क्योंकि आगामी सरकार मणिपुर से नहीं इन्हीं मैदानी राज्यों की जनता की कृपा से बनना और बिगड़ना है। डबल इंजन की सरकार मणिपुर को ही नहीं किसी भी प्रदेश को नहीं बचा पा रही। आप खुद ही देख लीजिए डबल इंजन की सरकार वाला हरियाणा जला या नहीं ?
मध्यप्रदेश में जिस दिन प्रधानमंत्री जी सरकारी पार्टी के कार्यकर्ताओं के महाकुम्भ को सम्बोधित करने गए थे, उसी के अगले दिन, मध्यप्रदेश में ग्वालियर जल उठा । ओबीसी की भीड़ ने शहर की क़ानून और व्यवस्था को ठेंगे पर रखकर ऐसा तांडव मचाया की जनता को घरों में छुपना पड़ा । सैकड़ों सरकारी और निजी वाहनों के शीशे चकनाचूर कर दिए गए लेकिन सरकार हाथ पर हाथ धरे देखती रही । कोई माने या न माने ,लेकिन हकीकत ये है कि इस समय देश के मैदानी राज्यों से कहीं ज्यादा गारंटी की जरूरत मणिपुर को है । सरकार जी को सब कुछ छोड़कर मणिपुर पर ध्यान देना चाहिए । मणिपुर की जनता को सुरक्षा की गारंटी देनी चाहिए अब भी चुनावी राजनीति छोड़ कर इंसानियत की राजनीति करनी चाहिए आपको क्या लगता है इस चुनावी साल में मणिपुर को कोई गारंटी वारंटी दे पाएगी सरकार अपनी राय कमेन्ट कर जरूर दीजिएगा