ECI: दोस्तों आज का टॉपिक शुरू करने से पहले 2 मिनट का मौन कर लेते है जी हाँ इससे पहले विडिओ शुरू हो हम सबको ही 2 मिनट का मौन कर लेना चाहिए अब में बताती हूँ ये मौन किस लिए क्योंकि हमारे देश का चुनाव आयोग शायद जिंदा नहीं बचा है चुनाव आयोग को लोकतंत्र का संरक्षक कहा जाता है लेकिन जिस तरह से चुनाव आयोग (Election Commission ) ने चुप्पी साध रखी है ये बेहद ही शर्मनाक है (SC/ST VIDEO) चुनाव आयोग जिस तरह से अपनी आँख और कान बंद किए हुए है ऐसे में सोशल मीडिया पर सवाल उठ रहे की आखिर चुनाव आयोग कितने में बिक गया है सरकार जी (Karnataka BJP) के इतने दबाव में है चुनाव आयोग की सरकार जी को कुछ कहना न पड़े इसलीय नया नियम तक बना दिया
Election Commission की चुप्पी शर्मनाक !
लोकसभा चुनाव के प्रचार में चुनाव आयोग को कदम कदम पर अपनी निष्पक्षता और स्वतंत्रता का परिचय देना होता है। उसके हर कदम पर लोगों की नजर रहती है और पार्टियां खुल कर उसके ऊपर टिप्पणी करती हैं।इसके बावजूद चुनाव आयोग को कोई परवाह नहीं है कि लोग क्या कह रहे हैं। कर्नाटक भाजपा का एक विवादित वीडियो सामने आया है जिसमें कथित तौर पर अनुसूचित जाति या जनजाति के सदस्यों को वोट न देने के लिए धमकाने का आरोप है।कायदे से चुनाव आयोग को ये विडिओ देखते ही भाजपा पर एक्शन लेना चाहिए थापर आपको तो चुनाव आयोग का हाल पता ही है खुद से एक्शन लेना तो दूर की बात है शिकायत करने पर भी एक्शन नहीं लिया जा रहा
दोस्तों विडिओ मे एससी एसटी और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को स्पष्ट रूप से आरक्षण की टोकरी में “अंडे” के रूप में दिखाया गया है। राहुल गांधी के एक एनिमेटेड चरित्र को आरक्षण टोकरी में मुस्लिम समुदाय का एक और “अंडा” डालते हुए दिखाया गया है। इसमें कांग्रेस नेताओं को उनके मुंह में अधिक फंड डालकर एससी एसटी और ओबीसी के मुकाबले मुस्लिम समुदाय का पक्ष लेते हुए दिखाया गया है। इस विडिओ को ऐसे पेश किया गया है जैसे कि मुस्लिम समुदाय के मुंह में राहुल गांधी पैसे डाल रहे हैं और मुस्लिम समुदाय एससी एसटी और ओबीसी समुदाय को बाहर निकाल देता है।”आप ये विडिओ खुद ही देख लीजिए
कांग्रेस ने केंद्रीय चुनाव आयोग में शिकायत की
दोस्तों इस वीडियो के खिलाफ कांग्रेस ने केंद्रीय चुनाव आयोग में शिकायत की है। इसमें भाजपा के (Congress Complaint Against BJP Chief JP Nadda) राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भाजपा सोशल मीडिया प्रभारी अमित मालवीय भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई है। कांग्रेस का आरोप है कि एससी/एसटी समुदाय के सदस्यों में शत्रुता घृणा और दुर्भावना की भावना पैदा करने के इरादे से आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया गया है। और ये सब कही न कही विडिओ देख कर पता भी चलता है ॥ कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस के मीडिया और संचार विभाग प्रभारी कांग्रेस नेता रमेश बाबू ने इस संबंध में चुनाव अधिकारियों को पत्र लिखा है। उन्होंने कर्नाटक भाजपा के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा किए गए वीडियो की ओर इशारा किया जिसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के एनिमेटेड पात्रों को दर्शाया गया है।
दोस्तों यह वीडियो न सिर्फ आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है बल्कि एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 के तहत अपराध भी है। दोस्तों इस तरह की कार्रवाइयों से समुदायों के बीच नफरत और दुर्भावना भड़क सकती है। कर्नाटक की 14 लोकसभा सीटों पर अभी मतदान होना है। यह वीडियो…एससी/एसटी समुदाय को कांग्रेस को वोट न देने के लिए डराने के अलावा और कुछ नहीं है। यह एससी/एसटी समुदाय के सदस्यों को डराने-धमकाने और एससी/एसटी समुदाय के लोगों को “अंडे” के रूप में दिखाकर उनकी छवि खराब करने का स्पष्ट मामला है।“
30 अप्रैल को भी भाजपा ने इंस्टाग्राम सहित तमाम सोशल मीडिया पर एक एनिमेटेड वीडियो प्रकाशित किया जिसमें मोदी के राष्ट्र को बचाने के लिए आने से पहले मध्ययुगीन भारत पर हमला करने और उसकी संपत्ति लूटने वाले हिंसक और लालची मुस्लिम पुरुष हमलावरों का रूढ़िवादी चित्रण दिखाया गया था। वीडियो में बताया गया अगर कांग्रेस चुनी गई तो वह हिंदू धन और संपत्ति को मुसलमानों के बीच बांट देगी। इस वीडियो के खिलाफ तमाम नागरिक संगठनों ने ऐतराज जताया। केंद्रीय चुनाव आयोग से शिकायत की गई। अदालत में जाने की धमकी दी गई। भाजपा ने सोशल मीडिया से अगले दिन इस एनिमेटेड वीडियो को हटा लिया।
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने 16 मार्च को लोकसभा चुनाव 2024 के कार्यक्रम की घोषणा करते हुए राजनीतिक दलों को नफरत भरे भाषणों जाति या धार्मिक अपीलों निजी जीवन के किसी भी पहलू की आलोचना विज्ञापनों को समाचार और सोशल मीडिया के रूप में प्रस्तुत करने के खिलाफ सलाह दी थी। लेकिन उन्हीं राजीव कुमार के पास अब ऐसी शिकायतों को देखने का समय भी नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश
दोस्तों नफरत किसी भी रूप में फैलाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश हैं। 2023 में तो सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि अगर किसी जगह साम्प्रदायिक भाषण से माहौल बिगाड़ा जाता है तो वहां के डीएम और एसपी इसके जिम्मेदार होंगे। उन्हें ऐसे लोगों के खिलाफ फौरन कोई कार्रवाई करना होगी। लेकिन चुनाव के दौरान जब सबसे ज्यादा हेट स्पीच हो रही है तो चुनाव आयोग चुप बैठा है।
यह आचार संहिता राजनेताओं को ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल होने से रोकती है जो मौजूदा मतभेदों को बढ़ा सकती है या आपसी नफरत पैदा कर सकती है। आचार संहिता के पहले ही पैराग्राफ में लिखा है “कोई भी पार्टी या उम्मीदवार ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होगा जो मौजूदा मतभेदों को बढ़ा सकता है या आपसी नफरत पैदा कर सकता है या विभिन्न जातियों और समुदायों धार्मिक या भाषाई के बीच तनाव पैदा कर सकता है।”
कांग्रेस का घोषणापत्र आने के बाद हीपीएम मोदी ने मुसलमानों की आड़ लेकर हमले शुरू कर दिए थे। सबसे पहले उन्होंने कहा कि कांग्रेस घोषणापत्र में लिखा है कि कांग्रेस बाकी लोगों की संपत्ति छीनकर मुसलमानों को बांट देगी। किसी के पास दो कमरा है तो एक कमरा मुसलमान को दे देगी। किसी के पास दो भैंस है तो एक भैंस मुसलमान को दे देगी। महिलाओं को डराते हुए कहा कि आपका मंगलसूत्र छीनकर मुसलमानों में बांट देंगे आपके जेवरात छीन लिए जाएंगे। मीडिया ने बार-बार बताया कि कांग्रेस के घोषणापत्र में ऐसा कहीं नहीं लिखा है लेकिन मोदी जी के बयान रुके नहीं है। इसके बाद उन्होंने मुस्लिमों को वोट बैंक बताते हुए कांग्रेस पर हमला किया।
चुनाव आयोग दोहरा रैवया नहीं रख सकता
कोई कुछ भी कहता रहे लेकिन प्रधानमंत्री को नोटिस नहीं देना पड़े इसके लिए चुनाव आयोग ने नया नियम बना लिया। यह तय कर दिया कि स्टार प्रचारक पर आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगेगा तो नोटिस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को जाएगा। इसलिए कांग्रेस या दूसरी विपक्षी पार्टियां प्रधानमंत्री पर जितना आरोप लगाएंगी उन सब मामलों में नोटिस जेपी नड्डा को जाएगा।
इसी तरह संभावित लाभार्थियों का पंजीयन कराने का मामला है। चुनाव आयोग ने पार्टियों से कहा है कि वे संभावित लाभार्थियों का पंजीयन नहीं कराएं।दरअसल भाजपा ने शिकायत की थी कि कांग्रेस फॉर्म भरवा कर जमा करा रही है और वादा कर रही है कि फॉर्म भरने वालों को चुनाव के बाद क्या क्या लाभ मिलेंगे। बता दे की कांग्रेस ने अपनी जो गारंटी योजना घोषित की है उसके तहत घर घर गारंटी अभियान चल रहा है जिसे पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने दिल्ली से ही शुरू किया था।
भाजपा का कहना है कि यह मतदाताओं को रिश्वत देने जैसा है और इस शिकायत पर चुनाव आयोग ऐक्टिव भी हो गया। लेकिन दोस्तों पिछले ही साल के अंत में छत्तीसगढ़ में चुनाव हुआ था जहां भाजपा ने लाखों की संख्या में महिलाओं का पंजीयन कराया था और महतारी वंदन योजना का फॉर्म भरवाया था। वह गेमचेंजर साबित हुआ था। लेकिन तब भाजपा को यह रिश्वत देने जैसा नहीं लगा और न चुनाव आयोग को लगा कि ऐसा नहीं होना चाहिए। अब कांग्रेस की गारंटी योजना को लेकर भाजपा और आयोग दोनों चिंता में हैं।
दोस्तों कांग्रेस ने इससे पहले करीब 20 शिकायतें भाजपा के खिलाफ चुनाव आयोग में की हैं लेकिन आयोग ने किसी पर सीधी कार्रवाई नहीं की है। इससे पहले मोदी के साम्प्रदायिक भाषणों की शिकायत भी की गई थी लेकिन चुनाव आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की। हालांकि मोदी के साम्प्रदायिक बयानों को विदेशी मीडिया ने कवर करते हुए उन्हें नफरत फैलाने वाला पाया था। दोस्तों ऐसा नहीं है की चुनाव आयोग कोई एक्शन नहीं ले सकता केंद्रीय चुनाव आयोग के पास भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत अपार शक्तियां हैं। आयोग के पास पावर की कोई कमी नहीं है बल्कि कमी है तो बस विल पावर की आपकी चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर क्या राय है हमे कमेन्ट कर जरूर