Three Criminal Law: दोस्तों अलग- अलग अपराधों को लेकर तीन नए विधेयक संसद ने पारित कर दिए। संसद भवन से 146 सांसदों को निलंबित करने के बाद अमित शाह ने तीन बड़े कानून बिल पास कराए नाम हैं भारतीय न्याय संहिता, भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य विधेयक। इन बिलों के साथ मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की सेवा शर्तों में संशोधन वाला विधेयक भी पारित कर दिया गया। आखिर इन बिलों को पास कराने के बाद क्या-क्या बदलेगा और सबसे बड़ा सवाल आखिर इसे सांसदों के निलंबन के बाद ही क्यों पास किया गया। इसके पीछे भाजपा का मकसद क्या है।
दोस्तों सरकार का कहना है कि अपराध से जुड़े नए क़ानूनों में राजद्रोह को अब देशद्रोह कर दिया गया है क्योंकि अंग्रेजों के शासन का जमाना गया। अब राजद्रोह का कोई मतलब नहीं रह गया है। अब सरकार के खिलाफ बोलने के लिए हर कोई स्वतंत्र है लेकिन देश के खिलाफ कुछ किया तो देशद्रोह का आरोप लगेगा।,,,,,,वैसे सरकार का कहना सोलह आने सच है लेकिन देशद्रोह की श्रेणी में क्या क्या आ जाएगा यह कहना बड़ा मुश्किल है।,,,, सरकार या अफसर जिसको चाहे देशद्रोह में आरोपी बना दे तो कोई क्या कर लेगा भला?
नाबालिग से बलात्कार करने वाले को फाँसी की सजा तक का प्रावधान क़ानून का उजला पक्ष है। यह भी कि अब तारीख़ पर तारीख़ का जमाना लद गया है। एक निश्चित अवधि में न्याय देना ही होगा। यह अनिवार्यता देश के लिए सबसे बड़ी ज़रूरत थी। नए क़ानून में ऐसा प्रावधान है कि अगर नब्बे दिन तक कोई आरोपी कोर्ट में हाज़िर नहीं होगा तो केस लटका नहीं रहेगा बल्कि उस आरोपी की अनुपस्थिति में भी सुनवाई होगी और फ़ैसला कर दिया जाएगा।
मॉब लिंचिंग कानून क्या है
इस कानून के तहत मॉब लिंचिंग को हत्या की परिभाषा में जोड़ा गया है। जिसका मतलब है कि जब 5 या 5 से अधिक लोगों का एक ग्रुप एक साथ मिलकर नस्ल, जाति या समुदाय, लिंग, जन्म, स्थान भाषा, व्यक्तिगत विश्वास या किसी अन्य आधार पर हत्या करता है तो ऐसे समूह के हर सदस्य को फांसी या जेल की सजा दी जाएगी। इसके तहत कम से कम 7 साल और अधिकतम मौत की सजा का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा उसके खिलाफ जुर्माना भी लगाया जाएगा।
शादी के नाम पर धोखाधड़ी की तो सजा मिलेगी?
जी हां, अब शादी के नाम पर गुमराह करने या पहचान छिपाकर शादी करने पर 10 साल तक की सजा होगी. BNS में धोखाधड़ी या झूठ बोलकर किसी महिला से शादी करने या फिर शादी का झांसा देकर यौन संबंध बनाने पर सजा का प्रावधान किया गया है.
नाबालिग से रेप में दोषी पाए गए तो क्या होगा?
आईपीसी में धारा 375 में बलात्कार को परिभाषित किया गया है. इसमें वो 7 परिस्थितियां भी बताई गईं हैं, जब सेक्सुअल इंटरकोर्स को रेप माना जाता है. वहीं, आईपीसी में धारा 376 में रेप के लिए सजा का प्रावधान किया गया है. हालांकि, बीएनएस में इसे धारा 63 और 64 में परिभाषित किया गया है. धारा 64 में इन अपराधों के लिए सजा बताई गई है. इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है. रेप के मामलों में दोषी पाए जाने पर कम से कम 10 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है. इसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है. 18 साल से कम उम्र की नाबालिग से गैंगरेप के मामले में अभी तक दोषी को 20 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है. प्रस्तावित बीएनएस की धारा 70(2) के तहत नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को आजीवन कारावास से लेकर मौत की सजा तक हो सकती है. 16 साल से कम उम्र की लड़की से दुष्कर्म के लिए सजा बढ़ाकर 20 साल कर दी गई है. नाबालिग से दुष्कर्म में मौत की सजा का भी प्रावधान है. 12 साल से कम उम्र की नाबालिग से दुष्कर्म पर कम से कम 20 साल जेल की सजा या मौत की सजा होगी.
सरकार का दावा है कि अब इंसाफ के लिए भटकना नहीं पड़ेगा. अब देश में कहीं भी जीरो एफआईआर दर्ज करवा सकेंगे. इसमें धाराएं भी जुड़ेंगी. अब तक जीरो एफआईआर में धाराएं नहीं जुड़ती थीं. 15 दिन के भीतर जीरो एफआईआर संबंधित थाने को भेजनी होगी. छोटे-छोटे मामलों और तीन साल से कम सजा के अपराधों के मामलों में समरी ट्रायल किया जाएगा. इससे सेशन कोर्ट में 40% से ज्यादा मामले खत्म होने की उम्मीद है. पुलिस को 90 दिन में चार्जशीट दाखिल करनी होगी. परिस्थिति के आधार पर अदालत 90 दिन का समय और दे सकती है. 180 दिन यानी छह महीने में जांच पूरी कर ट्रायल शुरू करना होगा. अदालत को 60 दिन के भीतर आरोपी पर आरोप तय करने होंगे. सुनवाई पूरी होने के बाद 30 दिन के अंदर फैसला सुनाना होगा. फैसला सुनाने और सजा का ऐलान करने में 7 दिन का ही समय मिलेगा. अगर किसी दोषी को मौत की सजा मिली है और उसकी अपील सुप्रीम कोर्ट से भी खारिज हो गई है, तो 30 दिन के भीतर दया याचिका दायर करनी होगी.
वहीं दूसरे कानून के बारे में बात करें तो शाह ने नए कानून में राजद्रोह को देशद्रोह में बदल दिया है। इसके तहत धारा 124 को खत्म कर दिया गया है। वहीं भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (CRPC) में पहले 484 धाराएं थीं, अब 531 होंगी, 177 धाराओं में बदलाव होने को है। नए कानून में 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं, साथ ही 39 नए सब सेक्शन भी जोड़े गए हैं। 44 नए प्रोविजन और स्पष्टीकरण जोड़े गए हैं, 35 सेक्शन में टाइम लाइन जोड़ी हैं और 14 धाराओं को हटा दिया गया है।
बिना सांसदों के पास हुए कानून
चुनाव आयुक्तों की सेवा शर्तों वाला बिल ज़रूर विवादित बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि अब मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए मुख्य न्यायाधीश की भूमिका ख़त्म हो जाएगी। पहले नियुक्ति कमेटी में प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और मुख्य न्यायाधीश हुआ करते थे। अब मुख्य न्यायाधीश को हटाकर एक मंत्री को इस कमेटी में जगह देने की बात चल रही है। ऐसा हुआ तो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में आगे से सरकार की ही चलेगी। नेता प्रतिपक्ष अगर किसी प्रस्ताव का विरोध भी करेगा तब भी वह बहुमत के आधार पर पास हो जाएगा। ऐसा क्यों किया जा रहा है सरकार इसका कोई जवाब देना नहीं चाहती। विपक्ष सवाल पूछ भी नहीं पा रहा है।
इस बिल को पास करने के बाद विपक्ष के लोगों का कहना है कि ये केवल और केवल भाजपा की तानाशाही है। इतना बड़ा बिल बिना किसी डिस्कशन के और सभी सांसदों को सस्पेंड करके पास कर दिया गया। इस मामले लोगों ने बहुत कुछ कहा। आप भी देखिए वो लोग आखिर क्या कह रहे हैं।
मेहुल मारू कहते हैं- आज भी लोकतंत्र का काला दिन है। जब भारतीय क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम के 3 सबसे महत्वपूर्ण अधिनियम हैं: -IPC, CrPC , Evidence Act इनमें संशोधन होगा जो बिना चर्चा/विपक्ष के पास हो जाएंगे।
नीरज कुमार कहते हैं- R.I.P IN NEW PARLIAMENT BUILDING…..जब विपक्ष के सांसद है ही नही तो संसद का क्या वजूद बचा है…सरकार को बस जाना है।अगले 6 महीने में..भारत से ऊंचा दर्जा मोदी और मोदी।सरकार की नही हो सकती…
रीता कहती हैं- ये कौन सा बिल पास करने का तरीका है। जब 141 सांसद है ही नहीं। गजब नौटंकी है खुद ही बनाओ खुद ही मिटाओ।
सुनिल कुमार अंसल कह रहे हैं- किसे सुना रहे है अब?? धड़ाधड़ बिल लाओ और पास करवाओ।
दोस्तों ये इतिहास में पहली बार हुआ होगा कि ,,इतना बड़ा बिल बिना विपक्ष के पास हो गया खैर आप इस बार में क्या सोचते हैं हमें कमेंट करके जरूर बताए