JP Nadda Keshav Meet: JP नड्डा से मुलाकात के बाद केशव मौर्य के बयान के मायने?
JP Nadda Keshav Meet: दोस्तों वैसे तो आजकल बारिश और बाढ़ से हाहाकार मचा हैा लेकिन बीजेपी में हार के बाद हाहाकार है। आपने ये कहावत तो सुनी ही होगी जैसी करनी वैसी भरणी बीजेपी दूसरे दलों में तोड़फोड़ की राजनीति करती थी। अब पार्टी के अंदर ही यह काम हो रहा हैउत्तर प्रदेश की राजनीति में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है बीजेपी को लोकसभा चुनाव में एक झटका क्या मिला मतभेद की कई दीवारें पार्टी के अंदर ही खड़ी हो गईं। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने एक अलग मोर्चा ही इस समय खोल रखा है। अब यूपी की सियासत से दूर अब उनको दिल्ली बुला लिया गया है क्या सचमुच यूपी के नतीजों के बहाने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हटाने की योजना पर काम हो रहा है?क्या मोदी शाह में इतनी हिम्मत है वो योगी को हटा दे शायद नहीं तभी कैरम बोर्ड की गोटी की तरह दूसरी गोटी की सहारा लिया जा रहा है
JP Nadda ने बुलाया
केशव प्रसाद मौर्य ने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की केशव प्रसाद मौर्य खुद दिल्ली नहीं गए बल्कि उन्हें नड्डा ने ही बुलाया था। जब लखनऊ में कार्यसमिति की बैठक हुई थी उस समय ही इस दिल्ली वाली मुलाकात की पटकथा लिख दी गई थी। कयास जरूर लगाए गए कि इस मुलाकात के जरिए यूपी में कोई बड़ा सियासी भूचाल आ जाएगा। कोई बड़ा परिवर्तन देखने को मिल जाएगा शायद सीएम योगी आदित्यनाथ की मुख्यमंत्री कुर्सी खतरे में पड़ जाएगी।
लेकिन जो खबर आ रही है उससे लगता है कि जेपी नड्डा ने केशव प्रसाद मौर्य को ही नसीहत देने का काम किया है। अब बातचीत को लेकर कोई औपचारिक बयान या स्टेटमेंट सामने नहीं आया है लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक बीजेपी अध्यक्ष नहीं चाहते कि केशव प्रसाद मौर्य सार्वजनिक मंचों पर कोई भी ऐसा बयान दें जिससे पार्टी की छवि को नुकसान हो। अब यह मायने रखता है क्योंकि कुछ दिन पहले ही कार्यसमिति की बैठक में मौर्य ने कह दिया था कि सरकार से बड़ा संगठन होता है। उनके इसी बयान को सीएम योगी के खिलाफ माना गया और चर्चा शुरू हो गई कि बीजेपी के अंदर सबकुछ ठीक नहीं।और शायद ऐसा है भी क्योंकि आज उत्तर प्रदेश के उपचुनाव को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने आवास पर सभी मंत्रियों की बैठक बुलाई बैठक से ठीक पहले उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया है। कहा कि “संगठन सरकार से बड़ा है कार्यकर्ताओं का दर्द मेरा दर्द है संगठन से बड़ा कोई नहीं कार्यकर्ता ही गौरव है।” उनका क्या दर्द है लोगों को पता है कि दो बार से उप मुख्यमंत्री बन रहे केशव प्रसाद मौर्य का क्या दर्द है। बहरहाल संगठन को सरकार से बड़ा बता कर उनको मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संदेश दिया है।
अब केशव मौर्य की पोस्ट को लेकर सपा चीफ और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने निशाना साथा है। उन्होंने कहा कि बीजेपी की कुर्सी की लड़ाई की गर्मी में यूपी का शासन-प्रशासन ठंडे बस्ते में चला गया है। बीजेपी दूसरे दलों में तोड़फोड़ की राजनीति करती थी। अब पार्टी के अंदर ही यह काम हो रहा है। इसी वजह से बीजेपी अंदरूनी झगड़ों के दलदल में धंसती जा रही है।
जबकि केशव मौर्य की अटकलों से हाईकमान खुश नहीं है और उसी वजह से केशव प्रसाद को तलब किया गया था। दिल्ली मुलाकात के दौरान उन्हें संयम बरतने के लिए कहा गया वैसे यह कोई पहली बार नहीं है जब केशव प्रसाद मौर्य और योगी आदित्यनाथ के बीच खटपट की खबरें चली हों। जब योगी को 2017 में मुख्यमंत्री बनाया गया था सबसे ज्यादा दर्द केशव प्रसाद मौर्य को ही हुआ। वे तो मानकर चल रहे थे कि पार्टी एक ओबीसी चेहरे को सीएम पद दे देगी। लेकिन जब ऐसा नहीं हुआ मतभेत की एक दीवार पहले ही दोनों नेताओं के बीच खिच गई।
अब इस समय जब फिर बीजेपी सियासी संकट से जूझ रही है यूपी में उसे संघर्ष करना पड़ रहा है जानकार मानते हैं कि मौर्य आपदा में अवसर खोज रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि इस समय उन्हें पार्टी में कोई बड़ा पद मिल सकता है। लेकिन जो जानकारी सामने आ रही है उसके मुताबिक नड्डा ने मौर्य से 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर मंथन किया है आगे की रणनीति पर बात हुई है। पद देने को लेकर कोई आश्वासन या वादा नहीं हुआ है। लेकिन आज फिर से इनकी पोस्ट ने सवाल खड़े कर दिए है
ऐसा कहा जा रहा है कि सीएम योगी आदित्यनाथ सवर्ण जाति से आते हैं जो बीजेपी का कोर वोटबैंक भी है। ऐसे में ओबीसी चेहरे मौर्य के लिए इतने बड़े दूसरे वोटबैंक को पार्टी नजरअंदाज नहीं करना चाहती। उल्टा पार्टी की कोशिश यह है कि हर वर्ग के नेताओं को कुछ ना कुछ जिम्मेदारी देकर सभी को साथ रखा जाए। 2014 और 2019 में पार्टी ऐसा करने में सफल रही उस वजह से ही उसका प्रदर्शन भी अप्रत्याशित दिख गया लेकिन 2019 के चुनाव में ओबीसी वोटबैंक छिटक गया दूसरी जातियों में भी सेंधमारी हुई और नुकसान बीजेपी को कई सीटें गंवाकर झेलना पड़ा। लेकिन इस सबके बावजूद भी जेपी नड्डा का सियासी पैगाम बताता है कि कोई बहुत बड़ा बदलाव या परिवर्तन नहीं दिखने वाला है। यह जरूर है कि केशव प्रसाद मौर्य को संगठन में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है पहले भी वे इस क्षेत्र में अपनी कुशलता दिखा चुके हैं जातियों को साधना उन्हें बखूबी आता है।
क्या जाएगी योगी की कुर्सी !
दोस्तों लोकसभा चुनावों में जिस तरह से अमित शाह ने कमान संभाली और हार के बाद जिस तरह से योगी खेमा उन्हें जिम्मेदार ठहराने की कवायद में जुटा है उससे भी रिश्तों में खटास बढ़ती जा रही है। और संयोग ही नहीं है कि मुख्यमंत्री योगी से असहज रिश्ते रखने वाले दोनो उप मुख्यमंत्री हों या सहयोगी दलों के संजय निषाद ओम प्रकाश राजभर हों या हाल ही सपा से आकर व उपचुनाव हारकर भी मंत्री बनाए गए दारा सिंह चौहान हों इन सभी से गर्मजोशी से अमित शाह से मिलते हुए तस्वीरें अक्सर आती रहती है
और ये सब किसी बिना कारण के नहीं हो रहा की पार्टी की नीतियों पर आलोचना हो रही हैजाहिर है इन सबके निशाने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही हैं।खैर आपको क्या लगता है हमे कमेन्ट कर जरूर बताएँ