Joshimath Crisis: जमीन धंसी, सड़क चीरकर निकल रहा पानी, 50 साल पहले दी थी चेतावनी, अब डूब रहा है जोशीमठ
Joshimath Crisis: देवभूमि उत्तराखंड चारधामों के लिए सबसे ज्यादा पॉपुलर है. चारों धामों में से एक है बद्रीनाथ और बद्रीनाथा का रास्ता जाता है
Joshimath Crisis: देवभूमि उत्तराखंड चारधामों के लिए सबसे ज्यादा पॉपुलर है. चारों धामों में से एक है बद्रीनाथ और बद्रीनाथा का रास्ता जाता है जोशीमठ से. वैसे तो जोशीमठ (Joshimath ) को बद्रीनाथ का द्वार भी कहा जाता है. लेकिन मौजूदा समय में जोशीमठ कुछ और ही कहानियां बुन रहा है. हाल ही में जोशीमठ से ऐसी डरावनी तस्वीरें सामने आ रही हैं, जिसे आप भी देखेंगे तो कांपने लगेंगे. ऐसा लग रहा है मानो प्रकृति जोशीमठ से नाराज है और अपना रूप दिखा रही है. हाल ही में जोशीमठ (Joshimath Sinking) से कई ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं, जो दिखाती हैं कि कैसे ये शहर सिकुड़ रहा है…तस्वीरें ऐसी, जो आपको सोचने पर मजबूर कर दे कि क्या दोबारा केदारनाथ त्रासदी (Kedranath Disaster) तो नहीं आने वाली. Joshimath Crisis
सड़कों से निकल रहा जमीन का पानी
पिछले कुछ दिनों से जोशीमठ में अजीबोगरीब घटनाएं हो रही हैं. कई घरों में बड़ी-बड़ी दरारें आ चुकी हैं और जमीन से पानी निकल रहा है. प्रशासन का कहना है कि ये पानी सीवन की लीकेज नहीं है, Joshimath Crisis बल्कि ये जमीन से निकल रहा है. हालांकि इस पर जोशीमठ के लोगों ने काफी नाराज़गी बताई है.
Joshimath Crisis घरों में दरार की क्या है वजह…
इस भूधंसाव को लेकर राज्य की आपदा प्रबंधन अथॉरिटी पहले यह बात कह चुकी है कि घरों में आ रही दरारें शहर की कमजोर बुनियाद के कारण हैं। Joshimath Crisis इन दरारों के बारे में आपदा प्रबंधन अथॉरिटी और जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि कंस्ट्रक्शन, शहर की कैपेसिटी और नदी होने के कारण होने वाला कटाव इन दरारों की मुमकिन वजहों में शामिल हैं। जोशीमठ नगरपालिका अध्यक्ष शैलेंद्र पवार ने जानकारी दी है कि मारवाड़ी वार्ड में कई घरों में बड़ी दरारें पानी के रिसाव होने की वजह से आई हैं। Joshimath Crisis शैलेंद्र पवार ने कहा कि मारवाड़ी वार्ड में स्थित एक मैदान से निकलने वाले पानी की वजह से कई घरों में दरार आई है।
3000 से ज्यादा लोग प्रभावित
बहरहाल जोशीमठ शहर में रहने वाले कई लोग दहशत में है और भूस्खलन की घटना के बाद अपना घर छोड़ कर किसी महफूज ठिकाने पर जाने की कोशिश में लगे हुए हैं। Joshimath Crisis ठंड का मौसम, भूधंसान और घरों में दरार यह अब जोशीमठ और पूरे उत्तराखंड के लिए बड़ा मसला बन चुका है। शहर के घरों की दीवारों और फर्श में आई दरार हर गुजरते दिन के साथ गहरी होती जा रही है। यही वजह है कि यहां लोग बेहद खौफ में हैं। नगरपालिका अध्यक्ष ने बताया है कि 576 घरों में रहने वाले 3000 से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। यहां एक-एक कर सभी घरों का सर्वे किया जा रहा है। जोशीमठ में 561 घरों में दरारें आ गई हैं और मारवाड़ी के जेपी कॉलोनी में भूमिगत से पानी का रिसाव हो रहा है।
लोगों ने छोड़ना शुरू किया अपना घर
हालांकि जोशीमठ में लोगों ने अपने घरों को छोड़ना शुरू कर दिया है और सुरक्षित जगहों पर जाना शुरू कर दिया है. इसके अलावा सर्दी का समय और भूस्खलन भी यहां एक बड़ा खतरा बना रहता है. जोशीमठ के 9 वार्ड बूरी तरह से प्रभावित हैं. Joshimath Crisis घरों की दिवारों पर फर्श पर पड़ रही दरारें गहरी होती जा रही हैं.
किसी आपदा का यह संकेत है?
जोशीमठ को बदरीनाथ धाम और हेमकुंड साहिब का प्रवेश द्वार भी माना जाता है। यह चीन सीमा के पास है और यहां सेना की बिग्रेड और आईटीबीपी कैंप भी है। Joshimath Crisis जोशीमठ अध्यात्म प्रेमियों के लिए ज्योतिर्मठ है। अब सवाल यह है कि क्या जोशीमठ में हो रहा भूधंसान यहां आने वाली किसी बड़ी आपदा का संकेत है? यहां आपको याद दिला दें कि जोशीमठ में पिछले साल नवंबर के महीने में भी जमीन धंसने और घरों में दरार पड़ने की घटनाएं सामने आई थीं। अब यहां धरती फाड़कर पानी निकलने लगा है। इससे यहां कृषि योग्य भूमि भी प्रभावित हुई है। खेतों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गई हैं और यह दरारें बढ़ भी रही हैं।
वैज्ञानिकों ने दिये हैं अहम सुझाव…
इस दरार और धंसाव को लेकर रुड़की स्थित केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान व भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के वैज्ञानिकों ने लगातार निगरानी और इसकी व्यापक पैमाने पर जांच किये जाने की बात पर जोर दिया है। Joshimath Crisis सर्वेक्षणों में यह बात भी सामने आई है कि यहां पर पानी निकासी की सही व्यवस्था नहीं है जबकि निर्माण कार्य बढ़ता ही जा रहा है। Joshimath Crisis स्लोप में बने घरों का कंस्ट्रक्शन सही नहीं है। Joshimath Crisis वैज्ञानिकों ने जो सुझाव दिये हैं उसके मुताबिक, यहां ड्रेनेज सिस्टम को बेहतर बनाया जाना चाहिए। निचली ढलानों पर स्थित परिवारों को विस्थापित किया जाना चाहिए। वैज्ञानिकों ने कहा है कि यहां निर्माण कार्य पर तुरंत रोक लगाना चाहिए।
गुस्से में नजर आ रहे लोग
जोशीमठ के सिंहधार वार्ड में स्थित बीएसएनएल के कार्यालय और सरकारी भवनों में भी दरारें पड़ने की सूचना है। इस बीच इस संभावित संकट से निपटने के लिए सरकार योजना बनाने की बात कह रही है लेकिन लोग सरकार पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं। जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति ने गुरुवार को यहां बाजार बंद का ऐलान भी कर दिया है। लोगों ने यहां मशाल जुलूस भी निकाला और सराकर की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए।
हेल्पलाइन नंबर भी जारी
अचानक आई दरार की वजह से जेपी कंपनी के परिसर में चल रहे पोस्ट ऑफिस को भी दूसरी जगह ले जाया गया है। यह पोस्ट ऑफिस जोशीमठ का मुख्य डाकघर है। इसके अलावा ज्योतिर्मठ परिसर के भवनों में भी दरारें आ गई हैं। लक्ष्मी नारायण मंदिर के आसपास बड़ी-बड़ी दरारें नजर आई हैं। प्रशासन ने यहां भूधंसाव को लेकर कंट्रोल रूम बनाया है। जिसका फोन नंबर – 8171748602 है। बता दें कि औली रोपवे का संचालन भी यहां अगले आदेश तक बंद कर दिया गया है।
CM धामी करेंगे दौरा
जोशीमठ में हो रही इस बड़ी घटना के बाद राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Puhskar Singh Dhami) ने वहां का दौरा करेंगे. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में वो जोशीमठ जाएंगे और वहां का दौरा करेंगे. सभी रिपोर्ट्स को मॉनिटर किया जाएगा और उचित कदम उठाए जाएंगे.
क्यों सिकुड़ रहा है जोशीमठ?
बता दें कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग ब्रॉड गाज रेल लिंक, जिसकी लंबाई 125 किलोमीटर है पर काम चल रहा है. ऐसा दावा है कि ये देश की सबसे बड़ी रेलवे टनल है. ऐसे में टनल को बनाने के लिए पहाड़ों को तोड़ा जा रहा है, अंदर से ब्लास्ट किया जा रहा है. रिसर्चर्स का कहना है कि इससे नेचुरल वाटर ड्रैनेज की समस्या पैदा होगी. इसके अलावा गैर जरूरी कंस्ट्रक्शन की वजह से भी पहाड़ों में स्टोर पानी बाहर निकल रहा है, जिसकी वजह से जोशीमठ की सड़कों और घरों में भयानक दरारें देखने को मिल रही हैं.
लगभग 50 साल से धंस रहा जोशीमठ
गौरतलब है कि उत्तराखंड का जोशीमठ तब से धंस रहा है जब ये यूपी का हिस्सा हुआ करता था। उस समय गढ़वाल के आयुक्त रहे एमसी मिश्रा की अध्यक्षता में एक 18 सदस्यीय समिति गठित की गई थी। इसे मिश्रा समिति नाम दिया गया था, जिसने यह इस बात की पुष्टि की थी कि जोशीमठ धीरे-धीरे धंस रहा है। समिति ने भूस्खलन और भू धसाव वाले क्षेत्रों को ठीक कराकर वहां पौधे लगाने की सलाह दी थी। इस समिति में सेना, आईटीपी समेत बीकेटीसी और स्थानीय जनप्रतिनिध शामिल थे। 1976 में तीन मई को इस संबंध में बैठक भी हुई थी, जिसमें दीर्घकालिक उपाय करने की बात कही गई थी।
यूं तो जोशमठ का धंसना कई साल पहले ही शुरू हो चुका है, लेकिन 2020 के बाद से समस्या ज्यादा बढ़ गई है। फरवरी 2021 में बारिश के बाद आई बाढ़ से सैकड़ों मकानों में दरार आ गई। 2022 सितंबर में उत्तराखंड के राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से विशेषज्ञों की टीम ने सर्वे किया। खराब सीवरेज, वर्षा जल और घरेलू अपशिष्ट जल के जमीन में रिसने से मिट्टी में उच्च छिद्र-दबाव की स्थिति पैदाहोने की बात कही गई इसके अलावा अलकनंदा के बाएं किनारे में कटाव को जोशीमठ शहर पर हुए प्रतिकूल प्रभाव का कारण माना जा रहा है। वैज्ञानिकों ने कहा कि जोशीमठ शहर में ड्रेनेज सिस्टम नहीं है. यह शहर ग्लेशियर के रोमैटेरियल पर है। ग्लेशियर या सीवेज के पानी का जमीन में जाकर मिट्टी को हटाना, जिससे चट्टानों का हिलना, ड्रेनेज सिस्टम नहीं होने से जोशीमठ का धंसाव बढ़ा है।
जोशीमठ का धार्मिक इतिहास
देवभूमि उत्तराखंड में बसा जोशीमठ का धार्मिक इतिहास है। यही वजह है कि इसे धार्मिक नगरी भी कहा जाता है। यह एक छोटा शहर है, जिसका एक और नाम ज्योतिर्मठ भी है। आपको बता दें कि धार्मिक और सांस्कृतिक वाले इस शहर को बद्रीनाथ का द्वार भी कहा जाता है। इस शहर का इतिहास करीब 1500 साल पुराना बताया जाता है। 8वीं सदी में आदि शंकराचार्य को जोशीमठ में ज्ञान प्राप्त हुआ था। उन्होंने चार मठों में पहले मठ की स्थापना यहीं की थी।