Kathua Terrorist Attack: दोस्तों जिस तरह से एक के बाद एक आतंकी हमले की खबरे आ रही है तो ऐसे में सवाल उठता है इस देश की सुरक्षा करने वाले सुरक्षित क्यों नहीं है आखिर ये आतंकी हमले थमने का नाम क्यों नहीं ले रहे आपको वो दिन तो याद ही होगा जब मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाई तब मोदी जी ने कहा था आतंकवाद को जड़ से उखाड़ देंगे लगातार हो रहे आतंकी हमलों का हल कठोर कार्रवाई से होगा (Rahul Gandhi) न कि खोखले भाषणों और झूठे वादों से। दोस्तों देश की अपेक्षा यह है कि आतंकवाद को निर्णायक रूप से परास्त किया जाए। ऐसा नहीं हो पा रहा है तो सरकार जी और सुरक्षा तंत्र को अपनी अब तक की रणनीति पर सिरे से पुनर्विचार करना चाहिए।
क्या जम्मू कश्मीर बना नया अड्डा ?
छह जुलाई को जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में आतंकवादियों के हमले में सेना को दो जवान मारे गए। उसके बाद जवाबी कार्रवाई में सेना ने छह दहशतगर्दों को ढेर कर दिया। मगर सिर्फ दो दिन बाद- आठ जुलाई की रात कठुआ में सेना के कारवां पर आतंकवादियों ने और भी ज्यादा घातक हमला किया। इसमें पांच सैनिकों की जान गई। बीते एक महीने में आतंकवादी गतिविधियों से संबंधित अनेक घटनाएं हुई हैँ।आपको याद ही होगा कि पिछले नौ जून को जिस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने तीसरे कार्यकाल के लिए शपथ ग्रहण कर रहे थे ठीक उसी समय जम्मू-कश्मीर में एक आतंकवादी हमला हुआ था।तीर्थयात्रियों पर हमला नीचता की एक नयी हद थी। उसके बाद से ऐसी घटनाओं का एक सिलसिला बना हुआ है। यह इस बात का साफ संकेत है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का एक नया दौर आया हुआ है। ऐसे में कई सवाल खड़े होते है ॥ क्या राज्य प्रशासन एवं वहां के सुरक्षा तंत्र को इस बात का कोई सुराग नहीं था कि खास कर जम्मू इलाका आतंकवाद का नया अड्डा बन रहा है? आतंकवादियों के पास से जिस तरह के आधुनिक हथियार बरामद हुए हैं उससे अनुमान लगाया जा सकता है कि उन्हें सीमा पार से मदद मिल रही होगी।
पाक मदद जारी है और हमारे अपने कश्मीरी समाज से आतंकियों को मदद मिले न मिले लेकिन हमारे खुफिया तंत्र को उनसे ज़रूरी सूचनाएं नहीं मिल रही है। ऐसा जाना-बूझकर हो रहा है या फौजी उपस्थिति का दबदबा और खौफ ऐसा करा रहा है यह मालूम नहीं है। लेकिन खुफिया सूचनाओं में फौजी तंत्र को पर्याप्त फ़ीड नहीं है तभी हमले हो रहे हैं। कठुआ के बनडोटा गाँव के पास आतंकियों ने जिस तरह घात लगाकर फौजी वाहन पर हमला किया उसमें उनको एक स्थानीय आतंकी के पूरा सहयोग मिलने की बात सामाने आ रही है।
पर इससे ज्यादा चिंता की बात यह है कि इस बार घाटी से भी ज्यादा वारदातें जम्मू इलाके में हो रही हैं। अकेले जून में ही चार बड़ी वारदातें जम्मू इलाके में हो चुकी हैं। बल्कि मई में तो वायु सेना के दो हेलीकॉप्टरों तक को निशाना बनाया गया जिसमें एक जवान शहीद हो गया। कठुआ के ही हीरन नगर में सेदा सोहल गाँव में जब फौज और आतंकियों की मुठभेड़ हुई तो केन्द्रीय रिजर्व पुलिस का एक जवान और दो आतंकी मारे गए थे। बनडोटा में कई जवान घायल हैं और विडिओ बनने तक भी आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई जारी थी।
क्यों हो रहे है आतंकी हमले ?
जम्मू-कश्मीर और खास तौर से जम्मू क्षेत्र को आतंकी क्यों वारदातों के लिए चुन रहे हैं इसको समझना मुश्किल नहीं है। धारा तीन सौ सत्तर हटे और राज्य का विभाजन हुए पाँच साल होने को आए हैं और सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला है कि सितंबर के पहले जम्मू और कश्मीर में चुनाव हो जाने चाहिए। राज्य में विधानसभा की सीटों के पुनर्गठन का काम भी पूरा हो चुका है और इसे लेकर भी हल्की नाराज़गी है। आतंकवादियों की गतिविधियों से इस चुनाव का साफ़ रिश्ता है। हमने यह भी देखा है कि लंबा चले लोकसभा चुनाव में भी आतंकी घटनाएँ बढ़ने लगी थीं। यहाँ हम लद्दाख क्षेत्र के चुनाव और राज्य का बँटवारा करने वाली पार्टी के प्रदर्शन की चर्चा नहीं करेंगे। जम्मू और कश्मीर घाटी में राज्य का बंटवारा मुद्दा था और उससे भी उल्लेखनीय खुद चुनाव था जिसमें लोगों की भागीदारी तो ठीकठाक हुई लेकिन स्थापित दलों की हालत ख़राब रही। बड़े-बड़े नेता ढेर रहे।
नेशनल कांफ्रेस-कांग्रेस गठबंधन तथा पीडीपी के नेता तो चुनाव लड़े और हारे लेकिन भाजपा और उसके दुलारे गुलाम नबी आजाद की पार्टी तो घाटी के चुनाव मैदान में उतारने से डर गई और मैदान ही छोड़ दिया। लोगों ने मतदान में हिस्सा लेकर जिन्हें जिताया और जिन्हें हराया उन सबके माध्यम से अपना जनादेश साफ दिया।
खैर जम्मू कश्मीर आतंकी हमले पर विपक्ष के नेता राहुल ने किया ट्वीट मातृभूमि के लिए अपना सर्वोच्च न्योछावर करने वाले शहीदों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए शोक संतप्त परिजनों को अपनी गहन संवेदनाएं व्यक्त करता हूं। घायल जवानों के शीघ्र से शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं। हमारी सेना पर ये कायरतापूर्ण हमले अत्यधिक निंदनीय हैं। एक महीने के अंदर पांचवा आतंकी हमला देश की सुरक्षा और हमारे जवानों के जीवन पर भयंकर आघात है। इस दुख की घड़ी में हम मजबूती से देश के साथ खड़े हैं।
राहुल गांधी ने कम से कम ट्वीट तो कर दिया पर मोदी जी अपनी विदेश यात्रा में व्यस्त होने के कारण इस पर एक ट्वीट तक नहीं कर पाए खैर ट्वीट करने से कुछ नहीं होना पिछले 10 सालों में मोदी सरकार की झूठी छाती ठोकने की वजह से राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचा है जबकि निर्दोष लोग कायरतापूर्ण आतंकी हमलों के शिकार हुए हैं लेकिन सबकुछ पहले जैसा ही चल रहा है!”मोदी जी चुप है खैर इस मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए लेकिन कुछ सवाल अब भी वही है जिनका जवाब देना चाहिए जैसे की सीमा पर चौकसी एवं घुसपैठ रोकने के उपायों का क्या हुआ? केंद्र सरकार को यह अवश्य समझना चाहिए कि ऐसी घटनाओं के लगातार होने से देशवासियों के मनोबल पर चोट लगती है। अब सोच का यह कवच भी नहीं है कि अनुच्छेद 370 के कारण आतंकवाद रोकने में कामयाबी नहीं मिल रही है। ऐसी दलीलें ज्यादा काम की नहीं हैं कि जितने सुरक्षा कर्मी मारे गए हैं उनसे ज्यादा आतंकवादियों को ढेर किया गया है। देश की अपेक्षा यह है कि आतंकवाद को निर्णायक रूप से परास्त किया जाए। ऐसा नहीं हो पा रहा है तो सरकार और सुरक्षा तंत्र को अपनी अब तक की रणनीति पर सिरे से पुनर्विचार करना चाहिए। जम्मू-कश्मीर के लोगों का दिल जीतना और सीमा पार के दखल को नियंत्रित करना दो ऐसी चुनौतियां हैं जिनका मुकाबला किए बगैर संभवतः समस्या काबू में नहीं आएगी।इसलिए सरकार को पुनर्विचार की आवश्यकता है खैर आपकी इस मुद्दे पर क्या राय है हमे कमेन्ट कर जरूर बताएँ