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Jagannath Puri Mandir: Jagannath Mandir पर किसकी नजर, आखिर कब सामने आएगा बंद खजाने का राज?

Jagannath Puri Mandir

Jagannath Puri Mandir

Jagannath Puri Mandir: दोस्तों ओडिशा में विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, जिसके चलते एक बार फिर पुरी के जगन्नाथ मंदिर को लेकर चर्चा तेजा हो गई है,जी हाँ , जगन्नाथ मंदिर के खजाने वाले कमरे को खोलने की मांग तेज हो रही है। मंदिर के रत्न भंडार का ताला तीन दशकों से नहीं खोला गया है। अब जैसे-जैसे ओडिशा विधानसभा चुनाव और आम चुनाव करीब आ रहे हैं मांग बढ़ती जा रही है। (Jagannath Mandir) कांग्रेस ने पुरी में शक्ति प्रदर्शन किया था और अन्य मामलों के अलावा रत्न भंडार का मुद्दा भी उठाया था। और अब सवाल उठता है कि मंदिर का यह रत्न भंडार क्या है, इसे सालों से क्यों नहीं खोला गया और अब (Jagannath Puri Temple) इसे खोलने की मांग क्यों उठ रही है? आइए इन सारे सवालों के जवाब जानते है

पुरी Jagannath Mandir के रत्न भंडार का इतिहास

पुरी जगन्नाथ मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था। सदियों से भक्तों और पूर्व राजाओं ने भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा को जो बहुमूल्य आभूषण दिए, वे मंदिर के रत्न भंडार में संग्रहीत हैं। रत्न भंडार मंदिर के भीतर है और उसमें दो कक्ष हैं- भीतर भंडार (आंतरिक कक्ष) और बहरा भंडार (बाहरी कक्ष)। वार्षिक रथ यात्रा के एक प्रमुख अनुष्ठान, सुना बेशा (सुनहरी पोशाक) के दौरान और पूरे वर्ष प्रमुख त्योहारों के दौरान देवताओं का आभूषण लाने के लिए बाहरी कक्ष को नियमित रूप से खोला जाता है। आंतरिक कक्ष पिछले 38 वर्षों से नहीं खुला है।

रत्न भंडार कौन खुलवाना चाहता है और क्यों?

12वीं शताब्दी के इस मंदिर के संरक्षण का काम भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के पास है। ASI ने कक्ष की मरम्मत के लिए एक मांग पत्र दिया है। ASI के पत्र के बाद से ही रत्न भंडार को खोलने की मांग को बल मिल गया है। ऐसी आशंका है कि इसकी दीवारों में दरारें उभर आई हैं जिससे वहां रखे कीमती आभूषण खराब हो सकते हैं।

सेवकों, भक्तों और मंदिर प्रबंध समिति के सदस्यों की मांग है कि मंदिर का कक्ष खोला जाए। उसकी मरम्मत की जाए, ताकि कक्ष और उसमें रखी चीजें दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। साथ ही उसमें रखी चीजों की एक सूची भी बना ली जाए। पुरी राजपरिवार भी रत्न भंडार खोलने के पक्ष में है।

रत्न भंडार आखिरी बार कब खोला गया था?

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, रत्न भंडार की आखिरी सूची 13 मई से 23 जुलाई 1978 के बीच बनाई गई थी। हालांकि इसे 14 जुलाई 1985 को फिर से खोला गया था, लेकिन सूची अपडेट नहीं की गई थी।

अप्रैल 2018 में राज्य विधानसभा में पूर्व कानून मंत्री प्रताप जेना द्वारा दिए गए एक उत्तर के अनुसार, 1978 में रत्न भंडार में 12,831 भरी (एक भरी 11.66 ग्राम के बराबर) सोने के गहने थे, जिसमें कीमती पत्थर जड़े हुए थे। साथ ही 22,153 भरी चांदी के बर्तन थे। कुछ अन्य आभूषण भी थे जिनका वज़न सूची बनाने के दौरान नहीं किया जा सका था।

विधानसभा में गोल्ड का जितना वजन भरी में बताया गया है, वह किलोग्राम में करीब डेढ़ सौ किलो (149.60946) होगा। वर्तमान (20 अक्टूबर) में गोल्ड की कीमत 62,335 रुपये प्रति 10 ग्राम है। इस हिसाब से मंदिर में उपलब्ध गोल्ड की कीमत 92,58,58,143.21 रुपये होगी।

खजाना वाला कमरा खोलने की प्रक्रिया क्या है?

खजाना वाल खोलने के लिए ओडिशा सरकार की अनुमति आवश्यक है। ASI रिपोर्टों के आधार पर उड़ीसा उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद, राज्य सरकार ने 4 अप्रैल, 2018 को भौतिक निरीक्षण के लिए कक्ष को खोलने का प्रयास किया था। यह प्रयास असफल रहा क्योंकि कक्ष की चाबियां नहीं मिल सकीं। ऐसे में ASI की टीम ने बाहर से ही निरीक्षण किया।

क्या गुम चाबियां मिल गयीं?

5 अप्रैल, 2018 को, तत्कालीन पुरी कलेक्टर अरविंद अग्रवाल ने मंदिर समिति की बैठक में कहा कि चाबियों के बारे में कोई जानकारी नहीं है। इसके बाद राज्यव्यापी आक्रोश फैल गया। रत्न भंडार के आंतरिक कक्ष की चाबी संभालने की जिम्मेदारी पुरी कलेक्टर की होती है। दो महीने बाद, 4 जून, 2018 को मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने चाबियों के खो जाने की जांच के लिए उड़ीसा HC के सेवानिवृत्त न्यायाधीश, न्यायमूर्ति रघुबीर दास की अध्यक्षता में न्यायिक जांच का आदेश दिया।

न्यायिक जांच के आदेश के कुछ दिनों बाद 13 जून को अग्रवाल ने कहा कि कलेक्ट्रेट के रिकॉर्ड रूम में एक लिफाफा मिला है, जिस पर ‘आंतरिक रत्न भंडार की डुप्लीकेट चाबियां’ लिखा हुआ है। इस बीच आयोग ने 29 नवंबर, 2018 को ओडिशा सरकार को 324 पेज की रिपोर्ट सौंपी। निष्कर्षों का विवरण अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है।

मुद्दा फिर क्यों उठा?

अगस्त 2022 में ASI ने एक बार फिर श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन को पत्र लिखकर रत्न भंडार के आंतरिक कक्ष का निरीक्षण करने की अनुमति मांगी। इसकी अनुमति मिलना बाकी है। प्रख्यात रेत कलाकार और SJTMC सदस्य सुदर्शन पटनायक सहित विभिन्न हलकों से खजाने को फिर से खोलने की मांग उठ रहा है। विपक्षी दल इसे मुद्दा बनाकर सरकार पर निशाना साध रहे हैं। बढ़ती मांग को देखते हुए, मंदिर प्रबंध समिति ने अगस्त में सरकार से सिफारिश की कि 2024 की वार्षिक रथ यात्रा के दौरान रत्न भंडार खोला जाए।

जुलाई में पूर्व भाजपा अध्यक्ष समीर मोहंती ने रत्न भंडार मुद्दे पर उड़ीसा उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की थी। पिछले महीने सुनाए गए अपने फैसले में हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि अगर SJTMC संपर्क करती है, तो सरकार कीमती वस्तुओं की सूची बनाने की निगरानी के लिए दो महीने के भीतर एक उच्च स्तरीय समिति बनाएगी। हालांकि, अदालत ने रत्न भंडार की आंतरिक दीवारों की मरम्मत से संबंधित कार्य योजना में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।

क्यों निकाली जाती है जगन्नाथ यात्रा

पौराणिक कहानी के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की बहन ने एक बार उनसे नगर देखने की इच्छा जाहिर की थी. जिसके बाद जगन्नाथ जी और बलभद्र अपनी बहन सुभद्रा के रथ पर बैठकर नगर घूमने गए और सात दिन तक रूके नहीं. तभी से ये यात्रा निकाली जाती है. वहीं, ये भी कहा जाता है कि, जब भगवान कृष्ण के मामा कंस ने उन्हें रथ पर मथुरा बुलाया था तो वह सवार होकर अपने भाई के साथ गए थे, तभी से ये रथ यात्रा शुरू की गई.

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