Site icon जनता की आवाज

Old Infrastructure VS New Infrastructure: भारत का नया इन्फ्रास्ट्रक्चर इतना कमजोर क्यों?

Old Infrastructure VS New Infrastructure

Old Infrastructure VS New Infrastructure

Old Infrastructure VS New Infrastructure: दोस्तों देश में मॉनसून चल रहा है और मॉनसून ने राज्य सरकार केंद्र सरकार सबकी पोल खोल कर रख दी है करोड़ों करोड़ों का विकास एक बारिश तक नहीं झेल पा रहा है जबकि इसी देश में अंग्रेजों के जमाने में बने पुल इमारतें और बड़े-बड़े भवन आज भी उसी रूप में सुरक्षित हैं.लेकिन  हमारे देश की अलग-अलग सरकारों में जितना भी इन्फ्रास्ट्रक्चर बना वो इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत क्यों नहीं है? आखिर क्यों जनता की मेहनत की कमाई को सरकार पानी में बहा रही है .

घपलों की वजह से हो रही मौत !

पिछले 24 घंटे में बारिश और बाढ़ सेखबर बनने तक हमारे देश में 42 लोगों की मौतें हुई हैं जबकि 52 लोग अब भी लापता हैं. इनमें 11 मौतें देश की राजधानी दिल्ली में हुई हैं 15 मौतें उत्तर प्रदेश में 10 मौतें उत्तराखंड में 4 मौतें जयपुर में और दो मौतें हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में हुई हैं और वहां 52 लोग अब भी लापता हैं. इनमें कुछ लोग बारिश में करंट लगने से मारे गए कुछ नालों और बेसमेंट में डूबकर मर गए और कुछ लोगों की मौत उनके मकान की छत और दीवार गिरने से हो गई.

जनता का पैसा पानी में बह रहा

आज दिल्ली की एक सड़क पर हुए एक गड्ढे की पूरे देश में चर्चा हो रही है. दिल्ली का हर व्यक्ति सरकार को सालाना 80 हजार रुपये का टैक्स देता है. गुरुग्राम में ढाई लाख रुपये मुंबई में सवा दो लाख रुपये बेंगलूरु में डेढ़ लाख रुपये अहमदाबाद में 70 हजार रुपये और चेन्नई में हर व्यक्ति सरकार को सालाना 75 हजार रुपये का टैक्स देता है. सरकारें टैक्स के इन पैसों से जो सड़कें हाइवे पुल अस्पताल स्कूल और एयरपोर्ट बनाती हैं उनकी कुछ ही वर्षों में दुर्गति हो जाती है.

जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के मुख्य टर्मिनल पर इतना पानी भर गया कि वहां यात्रियों को कई घंटे संघर्ष करना पड़ा. बात सिर्फ इस एयरपोर्ट की नहीं है. इस समय जयपुर के लगभग सभी इलाकों में बाढ़ जैसे हालात हैं और कुछ इलाकों में तो स्थिति ये है कि वहां सैकड़ों मकान बारिश के पानी में जल समाधि ले चुके हैं. ये उस जयपुर का हाल है जहां सरकार हर साल जनता के टैक्स के पैसों से इन्फ्रास्ट्रक्चर पर 400 करोड़ रुपये खर्च करती है.

केजरीवाल की दिल्ली बनी झीलों का शहर ?

वही देश की राजधानी दिल्ली का हाल भी बहुत अलग नहीं है जहां बारिश और बाढ़ के चलते इन्फ्रास्ट्रक्चर ने कुछ ही वर्षों में जवाब दे दिया है. दिल्ली में कल शाम हुई बारिश के बाद 32 से ज्यादा अंडरपास में पानी भर गया 70 से ज्यादा लिंक रोड पर ट्रैफिक ठप हो गया और कई रिहायशी इलाकों में भी बाढ़ जैसे हालात बन गए.सबसे ज्यादा हैरानी की बात ये है कि भारत का जो इंस्टीट्यूट ऑफ टाउन प्लानर्स शहरों के विकास की योजना बनाता है आज वो खुद अपनी बिल्डिंग को बारिश के पानी से बचा नहीं पाया. दिल्ली की हालत ये हो गई कि यहां यमुना नदी से ज्यादा पानी दिल्ली की सड़कों पर नजर आ रहा था. बात सिर्फ बारिश और उसके कारण हुए जलभराव की नहीं है.

दिल्ली के गाजीपुर में एक महिला और उसकी तीन साल की बच्ची बारिश के दौरान एक नाले में बह गए और अब उनका शव 7 किलोमीटर दूर नोएडा के पास मिला  एक इलाके में बिजली की तारों से करंट लगने के कारण एक छात्र की कोचिंग सेंटर जाते हुए मौत हो गई. ये हाल देश की राजधानी दिल्ली में हो रहा है.दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर से आई तस्वीरों ने सभी को चौंका दिया जहां पिछले हफ्ते एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भरने से तीन छात्रों की मौत हो गई थी. लेकिन कल एक बार फिर इस इलाके में कई फीट पानी भर गया और जिन कोचिंग सेंटर्स के बेसमेंट को MCD ने सील किया था वो बेसमेंट एक बार फिर बारिश के पानी से भर गए. ये हाल उस इलाके का है जहां देशभर से छात्र IAS IPS और IFS अधिकारी बनने के लिए UPSC परीक्षा की तैयारी करने आते हैं.पिछले हफ्ते जिस RAU’S स्टडी सर्कल के बेसमेंट में पानी भरने से तीन छात्रों की मौत हुई ये कोचिंग सेंटर शिक्षा की एक बहुत बड़ी दुकान में बदल गया और आज देशभर में इसके 3 बड़े आउटलेट हैं. इसका सालाना रेवेन्यू 10 करोड़ रुपये है.

मानसून में गुरुग्राम बना Lake City

अब बात गुरुग्राम की जिसे भारत की साइबर सिटी कहा जाता है. लेकिन साइबर सिटी अब ‘लेक सिटी’ बन चुकी है. जिस गुरुग्राम के लोग सरकार को सालाना ढाई लाख रुपये का टैक्स देते हैं उस गुरुग्राम में अब लग्जरी गाड़ियों से लेकरबड़े-बड़े बंगले और मकान बाढ़ में डूबे हुए हैं. गुरुग्राम में 24 हजार से ज्यादा बड़ी और मल्टीनेशनल कंपनियां हैं और गुरुग्राम में कई हाउसिंग सोसायटी ऐसी हैं जहां 100-100 करोड़ रुपये के फ्लैट हैं. हाल ही में वहां एक नया लग्जरी हाउसिंग प्रोजेक्ट आया था जिसमें 795 फ्लैट थे और हर फ्लैट की औसतन कीमत 7 करोड़ रुपये थी. ये सारे फ्लैट बनने से पहले ही रिकॉर्ड तीन दिनों में बिक गए थे. जिस गुरुग्राम में लोग करोड़ों रुपये खर्च करके इतने महंगे फ्लैट और बंगले खरीद रहे हैं उस गुरुग्राम का इन्फ्रास्ट्रक्चर ऐसा है कि ये थोड़ी देर की बारिश भी सहन नहीं कर सकता. गुरुग्राम में तीन लोगों की करंट लगने से मौत हो गई है.

Uttarakhand ओर Himachal pradesh मे तबाही

बारिश और बाढ़ में सबसे बुरा हाल हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड का हो गया है. हिमाचल प्रदेश में पिछले 24 घंटे से कई इमारतें ध्वस्त होकर उफनती नदियों में समा चुकी हैं. इस जलजले ने हिमाचल प्रदेश के पूरे रोड नेटवर्क को बुरी तरह से प्रभावित किया है. हिमाचल प्रदेश में पिछले एक साल में सड़कें पुल और बांध बनाने पर लगभग 5 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए. लेकिन ये इन्फ्रास्ट्रक्चर 24 घंटे की भारी बारिश को भी सह नहीं पाया. पहाड़ों पर जब किसी टनल और सड़क का निर्माण होता है तो इस दौरान दो बातों पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया जाता है. पहली बात ये कि वो सड़क हर तरह के मौसम की मार को सह पाए और दूसरा इन्फ्रास्ट्रक्चर की क्वालिटी ऐसी हो कि इसकी बार-बार मरम्मत ना करनी पड़े. लेकिन पिछले 24 घंटे की बारिश ने हिमाचल प्रदेश के इन्फ्रास्ट्रक्चर की पोल खोल कर रख दी है.वहीं उत्तराखंड में टिहरी गढ़वाल में बादल फटने से दो लोगों की मौत हो गई. जबकि केदारनाथ में भी बादल फटने से 30 मीटर की एक सड़क मंदाकिनी नदी में समा गई. ये वही सड़क है जिसका पुनर्निर्माण वर्ष 2020 में हुआ था लेकिन सिर्फ चार वर्षों में ही ये सड़क बारिश में धंस गई

नए और पुराने इन्फ्रास्ट्रक्चर मे फ़र्क ?

अब आपको बताते हैं कि हमारे नए और पुराने इन्फ्रास्ट्रक्चर में क्या फर्क है? आज हमारे देश में नई-नई सड़कें एक्सप्रेस-वे बिल्डिंग एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन बन रहे हैं लेकिन वो एक बारिश में ही दम तोड़ना शुरू कर देते हैं. पानी अंदर भर जाता है या छत लीक करने लगती है और ये स्थिति भी तब है जब हमारे देश में हर साल इन्फ्रास्ट्रक्चर पर सरकारें 10 से 11 लाख करोड़ रुपये खर्च करती हैं. महाराष्ट्र में हर साल नए इन्फ्रास्ट्रक्चर पर 74 हजार करोड़ रुपये दिल्ली में 11 हजार करोड़ रुपये हरियाणा में साढ़े 18 हजार करोड़ रुपये हिमाचल प्रदेश में 5 हजार करोड़ रुपये उत्तराखंड में 13 हजार करोड़ रुपये और उत्तर प्रदेश में 1 लाख 47 हजार करोड़ रुपये हर साल इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च होते हैं. लेकिन ये इन्फ्रास्ट्रक्चर एक ही बारिश में दम तोड़ देता है और आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में कंक्रीट रोड की औसत उम्र 25 वर्ष होनी चाहिए लेकिन ऐसी ज्यादातर सड़कें 4 वर्षों में ही दम तोड़ देती हैं.

ये वो इन्फ्रास्ट्रक्चर है जो पिछले कुछ दशकों में बना है और नया इन्फ्रास्ट्रक्चर है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे देश में जो पुराना इन्फ्रास्ट्रक्चर है वो सर्दी गर्मी बरसात और तूफान के बीच ऐसे ही खड़ा रहता है.दिल्ली का कुतुब मीनार पिछले 800 वर्षों से बारिश तूफान और यहां तक कि हजारों भूकंप सह चुकी है लेकिन कभी ये ध्वस्त होकर नीचे नहीं गिरी. इसी तरह आठवीं शताब्दी में केदारनाथ मंदिर का निर्माण कराया था. एक समय ऐसा भी आया जब ये मंदिर पूरे 400 वर्षों तक बर्फ के नीचे दबा रहा और यहां कई बार बाढ़ भी आई. लेकिन 1200 वर्षों के बाद भी ये मंदिर अपने मूल रूप में ही सुरक्षित है.

कलकत्ता में हुगली नदी पर बना हावड़ा ब्रिज आज 82 वर्षों के बाद भी पूरी तरह से सुरक्षित है. मुंबई की जिस इमारत में बीएमसी का दफ्तर है उस इमारत का निर्माण वर्ष 1893 में अंग्रेजों द्वारा किया गया था. आज बीएमसी का दफ्तर अंग्रेजों द्वारा बनाई गई इस बिल्डिंग में है और ये बिल्डिंग आज भी बारिश तूफान आंधी और कई भूकंप को सहने के बाद भी सुरक्षित है. लेकिन इस दफ्तर में बैठकर बीएमसी के अधिकारी मुंबई में जो इन्फ्रास्ट्रक्चर बना रहे हैं वो कुछ वर्ष भी टिक नहीं पाता है. यही स्थिति दिल्ली के इंडिया गेट लाल किला और आगरा के ताजमहल की है जो तीन सदियों के बाद भी सुरक्षित हैं

तो क्या आपको नहीं लगता जब इतना पुराना इन्फ्रास्ट्रक्चर टिक सकता है तो नया बना हुआ क्यों नहीं ऐसा देख कर तो लगता है सरकार की नीति मे खोट है इसलिए इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं ये भ्रष्टाचार ढह रहा है खैर आपकी इस पर क्या राय है हमे कमेन्ट कर जरूर बताएँ।

Exit mobile version