Congress Income Tax Notice: चुनावी चंदे का धंधा। केवल धंधा नहीं है बल्कि फंदा भी है। अभी तक हम धंधे की बात कर रहे थे आज इसके एक फंदे की बात करेंगे कि कैसे विपक्षी दल कांग्रेस पर फंदा कस दिया गया है। जी हाँ, आयकर विभाग ने उसका खाता फ्रीज कर दिया और उसमें से आयकर बकाए के तौर पर 135 करोड़ रुपए निकाल लिए। आयकर विभाग ने उसके खातों में 524 करोड़ रुपए की गड़बड़ी पकड़ी है। जैसे तैसे कांग्रेस अपने को इस स्थिति से निकाल ही रही थी कि अब खबर आई है कि इनकम टैक्स ने कांग्रेस को नोटिस जारी किया है कांग्रेस के खाते ज़ब्त कर दिए गए हैं वह इस चुनाव में प्रचार से लेकर उम्मीदवारों को जनता के बीच पहुंचाने के लिए खर्च नहीं कर पाएगी।
लोकतंत्र में यकीन रखने वाले किसी भी दल के समर्थक के लिए यह घटना महत्वपूर्ण है। जब मैदान में विपक्ष नहीं होगा मैदान में आने से पहले विपक्ष को खत्म या कमज़ोर कर दिया जाएगा तो कैसा लोकतंत्र रह जाएगा भारतीय राजनीति आज जिस मोड़ पर खड़ी है उसकी कल्पना कभी नहीं की थी। सोच भी नहीं सकते थे कि प्रधानमंत्री पद पर कभी कोई ऐसा नेता बैठेगा जो भारत के लोकतंत्र को विपक्ष विहीन बनाने की कोशिश करेगा। ,लेकिन आज़ादी के अमृत काल का यही सच है।
कांग्रेस पार्टी को नोटिस भेजा
दोस्तों कांग्रेस पार्टी को नोटिस भेजा है. इस नोटिस में पार्टी से 1700 करोड़ रुपए मांगे गए हैं. सूत्रों के अनुसार, आयकर विभाग का डिमांड नोटिस वर्ष 2017-18 से 2020-21 के लिए है. 1700 करोड़ की राशि में जुर्माना और ब्याज शामिल है. आयकर विभाग के नोटिस ने लोकसभा चुनाव 2024 के बीच कांग्रेस की परेशानी और बढ़ा दी है. कांग्रेस ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर 2017-2021 के लिए आयकर विभाग के जुर्माने की दोबारा जांच की मांग की थी लेकिन अदालत ने कांग्रेस की याचिका खारिज कर दी इसके बाद पार्टी को नोटिस भेजा गया है. अब कांग्रेस पार्टी 3 अन्य वर्षों की आय की जांच पूरी होने का इंतजार कर रही है. यह जांच रविवार तक पूरी होगी.
इस फ़ैसले में झाँक रहा है मोदी का भय!
पीएम मोदी ने चुनाव की घोषणा के काफ़ी पहले ‘चार सौ पार’ का नारा दे दिया था। पूरा मीडिया रात दिन यह बताने में जुटा है कि देश के सामने मोदी का कोई विकल्प नहीं है। बीजेपी का आईटी सेल रात दिन मोदी के महामानव होने और उनके नेतृत्व में भारत के विश्व गुरु बन जाने का प्रचार कर रहा है। हर शहर, हर कस्बे की हर सड़क, हर चौराहे पर ‘जित देखो तित मोदी’ है। इस प्रचार युद्ध में इतना पैसा झोंक दिया गया है कि सोशल मीडिया के किसी भी प्लेटफ़ॉर्म पर सिर्फ़ मोदी जी का चेहरा नज़र आता है। यहाँ तक कि जिन चुनिंदा वेबसाइट या यूट्यूब चैनलों को बीजेपी का कथित आलोचक माना जाता है, वहाँ भी विज्ञापन मोदी जी के ही चलते हैं।
यानी एक ऐसा परिदृश्य हमारे सामने है जिसमें दूर-दूर तक किसी मुक़ाबले की कोई गुंजाइश नज़र नहीं आती। ऐसे में मुख्य विपक्षी दल को संसाधन विहीन करने की ज़रूरत क्या है? अगर मीडिया में नज़र आ रही छवि हक़ीक़त है तो मोदी जी आसानी से चुनाव जीत लेते। थोड़ा बहुत मुक़ाबला उन्हें अखाड़े में रियाज़ का सुख ही देता। कौन पहलवान चाहता है कि उसका प्रतिद्वंद्वी बिना दाँव आज़माये ही चित हो जाये। फिर कांग्रेस का बैंक खाता क्यों सील कराया गया?
मतलब साफ़ है कि मोदी जी को न ‘चार सौ पार’ नारे पर भरोसा है और न मीडिया में बनायी जा रही छवि उन्हें जीत को लेकर आश्वस्त कर पा रही है। ऐसा लगता है कि वे कांग्रेस की न्याय योजनाओं से घबरा गये हैं और क़तई नहीं चाहते कि इनका व्यापक प्रचार हो सके। कथित मुख्यधारा मीडिया से राहुल गाँधी की भारत जोड़ो यात्राओं को ग़ायब करवाने के बावजूद इनमें उमड़ी भीड़ ने भी उनकी नींद उड़ाई होगी।
मोदी जी जानते हैं कि दस साल के शासन के बाद उन्हें अपना रिपोर्ट कार्ड जनता के सामने रखना होगा। दस साल पहले वे महंगाई, बेरोज़गारी आदि जितने भी मुद्दों को लेकर सरकार में आये थे, उनमें वे बुरी तरह फेल हुए हैं। ऐसे में राम मंदिर से लेकर जी-20 तक का ढोल लोगों को तभी लुभा पायेगा जब विपक्ष की ओर से जनता को देने के लिए कोई विश्वसनीय सपना न हो।
राहुल गाँधी ने पहले चार हज़ार किलोमीटर पैदल चलकर और फिर क़रीब छह हज़ार किलोमीटर पैदल और बस यात्रा करके जनता के बीच अपनी और कांग्रेस की विश्वसनीयता कई गुना बढ़ा दी है। उन्होंने ‘जाति जन गणना’ और आरक्षण की पचास फ़ीसदी सीमा हटाने का वादा करके पिछड़ी और दलित जातियों के सामने एक गंभीर प्रस्ताव रख दिया है।
साथ ही, हर नौजवान को एक लाख सालाना की पहली नौकरी, तीस लाख ख़ाली पड़े सरकारी पदों पर भर्ती, इन भर्तियों में महिलाओं को पचास फ़ीसदी आरक्षण, घर की एक महिला को सालाना एक लाख रुपये की मदद, किसानों को स्वामीनाथन कमेटी की सिफ़ारिशों के आधार पर एसएसपी की गारंटी, आशा कार्यकर्ताओं के वेतनमान में इज़ाफ़ा, न्यूनतम मज़दूरी चार सौ रुपये करने, पुरानी पेंशन की बहाली जैसे ठोस वादे कांग्रेस ने किये हैं जो समाज के बड़े हिस्से को प्रभावित कर रहे हैं।
ज़ाहिर है, पीएम मोदी नहीं चाहते कि इन मुद्दों पर कांग्रेस कोई आक्रामक प्रचार अभियान चलाये। साफ़ है कि उन्हें कांग्रेस के घोषणापत्र से डर लग रहा है जिसका व्यापक प्रचार उनके ‘चार सौ पार’ नारे की हवा निकाल सकता है। इसलिए कांग्रेस के हाथ से उसके वित्तीय संसाधन छीन लिये गये जो प्रचार अभियान के लिए ज़रूरी है। ऐसा करते वक़्त यह भी ध्यान नहीं रखा गया कि राजनीतिक दल आयकर के दायरे से बाहर हैं और आयकर विभाग को समय पर जानकारी न देने का जुर्माना महज़ दस हज़ार रुपये है जबकि कांग्रेस पर सौ करोड़ से ज़्यादा जुर्माना लगाया गया है। यह बताता है कि कांग्रेस को घेरने के लिए नियम-कानून की कोई परवाह नहीं की जा रही है। हद तो यह है कि आयकर विभाग से भेजा गया एक नोटिस 1994 के किसी मामले का है जब सीताराम केसरी कांग्रेस के कोषाध्यक्ष थे।
क्या लोकतंत्र में मोदी खुद से लड़ेंगे ?
एक प्रेस कान्फ्रेंस में राहुल गाँधी ने देश में लोकतंत्र के होने को लेकर सवाल उठाया अदालतों से लेकर मीडिया तक उन तमाम संस्थाओं की चुप्पी का सवाल भी महत्वपूर्ण है जिन पर लोकतंत्र को बचाने की ज़िम्मेदारी है। मोदी जी ने कांग्रेस को आर्थिक रूप से पंगु बनाने की कोशिश में पूरी पार्टी को ही सड़क पर आकर लड़ने के लिए मजबूर कर दिया है।
दोस्तों इसे लेकर कांग्रेस नेता आशंकित हैं। उनको लग रहा है कि लोकसभा चुनाव के बीच कांग्रेस को अगर अतिरिक्त कर और जुर्माना चुकाने को कहा गया तो पार्टी पैसे कहां से लाएगी? यह भी सवाल है क्या आयकर विभाग कांग्रेस की संपत्तियां जब्त करके कर की वसूली कर सकता है? याद हो तो आयकर विभाग ने कांग्रेस की मर्जी के बगैर उसके खाते से पिछला बकाया निकाल लिया था।
लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व चुनाव से पहले केजरीवाल की गिरफ़्तारी काँग्रेस के खाते सील इंकम टैक्स द्वारा नोटिस ये सब दिखाता है मोदी जी 400 पर के लिए कितने व्याकुल है ,,कैसे democracy लोकतंत्र की धज्जिया उड़ा रखी है आपकी इस पर क्या राय है ,,हमे कमेन्ट कर जरूर बताएँ