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Coal Ministry : अडानी पर मेहरबान मोदी सरकार ! Adani Group के लिए ट्रेन कैंसिल, हरे जंगल काट दिए

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Coal Ministry : दोस्तों अक्टूबर 2021 के पहले हफ्ते में, मीडिया में एक चौंकाने वाली खबर आई, जिसमें कहा गया कि भारत के कोयला-आधारित बिजली संयंत्रों में बस चार दिनों के लिए कोयला शेष है। और अब सामने आया मोदानी का एक और काला सच कैसे मोदी जी की सरकार अपने परम मित्र अडानी को फिर एक बार पीछे के दरवाजे से फायदा पहुंचाया है। उसका काला चिट्ठा खुल गया।

एबीपी असोसिएशन ऑफ पावर प्रोड्यूसर ने नवंबर 2021 में कोयला मंत्रालय को पत्र लिखकर मांग की कि भारत के सबसे घने जंगलों में से एक में स्थित दो (Adani Group) कोयला ब्लॉकों को नीलामी के लिय उपलब्ध कराया जाए जिसमें फाउंडिंग मेंबर के तौर पर अडानी ग्रुप यहाँ पर मौजूद है। तब चर्चा गर्म थी कि देश में कोयले की कमी होने वाली है और एपीपी ने अपने पत्र में कहा ऐसी स्थिति से निपटने के लिए हमें तैयार रहना चाहिए। लेकिन ये लॉबिंग शुरू से ही एपीपी के सदस्य अडानी ग्रुप को लाभ पहुंचाने के लिए हो रही थी। गौर करने वाली बात यह है कि इस असोसिएशन ने 2021 में कोयला मंत्रालय को एक पत्र लिखा था कि देश के सबसे घने जंगलों में स्थित कोयला ब्लाकों को अब नीलाम कीजिए जबकि पर्यावरण मंत्रालय ने पहले ही इन कोयला ब्लॉकों को इसका खनन करने से इस पर बैन लगा दिया था।

सेंट्रल इन्स्टिट्यूट ऑफ माइन प्लानिंग ऐंड डिजाइन की रिपोर्ट

क्योंकि बायोडाइवर्सिटी को भारी नुकसान होता है। अगर जंगलों के भीतर स्थित कोयला को खनन कार्य में उसमें खनन कार्य अगर चलता है घने जंगलों को काटने से वहाँ के आदिवासीयो को भी चोट पहुचेगी इसीलिए ही पर्यावरण मंत्रालय ने पहले ही कोयला ब्लॉकों को बैन कर दिया था लेकिन adani की नजर जैसे ही उन कोयला ब्लॉकों पर पड़ी वैसे ही सबकुछ बदल गया

अडानी के लिए मोदी जी किसी भी सीमा को लांघ सकते हैं ब्लॉक को अन ब्लॉक कर सकते हैं अनब्लॉक को ब्लॉक कर सकते हैं। रितु राष्ट्र की तरह ही, मोदी जी ने अडानी मोह में देश को बर्बाद कर अदानी को फायदा पहुंचाने से कभी पीछे नहीं हटे। जिन दो ब्लॉकों के लिए असोसिएशन ने पैरवी की उनमें से एक मध्यप्रदेश में और एक छत्तीसगढ़ में स्थित है। कोयला मंत्रालय ने ना केवल एपीपी की आड़ में अदानी की मांग पर कार्रवाई की बल्कि पर्यावरण मंत्रालय द्वारा 2018 में दिए गए उन सुझावों की समीक्षा पर भी जोर दिया

जिनमें कहा गया था। की इन दो ब्लाकों में से एक समेत 15 कोयला ब्लाकों को खनन हेतु नीलामी से बाहर रखा जाना चाहिए और उसका संरक्षण जरूरी है। दोस्तों उस समय कोयला मंत्रालय और जो हमारे पर्यावरण मंत्रालय है दोनों में जंग छिड़ गई थी। लेकिन अदानी मांगे और मोदी सरकार ना दे ये नहीं हो सकता। आज तक शायद ही ऐसा हुआ होगा। पर्यावरण मंत्रालय पर दबाव बनाया गया कि जिन ड्रीम कोयला ब्लाकों को खनन के लिए बैन किया गया है उसकी नीलामी शुरू होनी है

पहले तो कोयला मंत्रालय ने सेंट्रल इन्स्टिट्यूशन ऑफ माइन प्लानिंग एण्ड डिजाइन को ये पता लगाने का काम दिया की क्या जंगलों से छेड़छाड़ किए बिना इन 15 ब्लॉकों के कुछ हिस्सों को हम खनन कार्य में लगा सकते हैं? क्या यहाँ खनन कार्य चल सकता है? सेंट्रल इन्स्टिट्यूट ऑफ माइन प्लानिंग ऐंड डिजाइन ने अपनी रिपोर्ट में ये कहा की 15 कोयला ब्लाकों में से किसी में भी खनन नहीं किया जा सकता क्योंकि यह बहुत घने जंगलों के बीच है। इसमें बायोडाइवर्सिटी को भारी नुकसान होगा। लेकिन कोयला मंत्रालय ने अपने ही एक्स्पर्ट अपने साइअन्टिस्ट की सलाह को खारिज कर दिया और ताक पर रखकर नीलामी शुरू कर दी।

बीते 3 साल में छत्तीसगढ़ में 67,000 यात्री ट्रेन रद्द की

यहाँ तक कि कोयला मंत्रालय ने अपने पत्रों में एपीपी की दलीलों को भी वैसे ही दोहराया जैसे की, अगर इन 15 ब्लाकों में खनन कार्य शुरू नहीं होता है, तो देश में कोयले की भयंकर कमी आ जाएगी। फिर अंत में कोयला मंत्रालय ने पर्यावरण मंत्रालय द्वारा, प्रतिबंधित 15 कोयला ब्लाकों में से चार में खनन की अनुमति दी । इनमें मध्यप्रदेश का एक ब्लॉक भी था और जिसके लिए एपीपी ने विशेष रूप से पैरवी की थी। बीते 3 साल में छत्तीसगढ़ में 67,000 यात्री ट्रेन रद्द की गई है।

इस पर राज्य के लोगों के बीच चर्चा है कि कोयला लाने या ले जाने के लिए अदानी को दिक्कत ना हो इसीलिए ट्रेनें रद्द कर दी गई है। आरटीआइ की जानकारी बताती हैं कि जब कोरोना में सब बंद था, तब भी अदानी का कोयला परिवहन जारी था। ,,यानी इन्वाइरनमेंट को पूरी तरह से तबाह करने वाला प्रोजेक्ट भी मोदी जी ने अदानी को सौंपा है। हर एक सेक्टर में अदानी को फायदा पहुंचे इसके लिए या तो नियम तोड़े गए या नए कानून बनाए गए

मोदी जी खुद विदेशों का दौरा करके विदेशी कम्पनीज़ के साथ अडानी का डील फाइनल कर के देश लौटे ? यही वजह है कि सदन से लेकर सड़क तक कोनी कैपिटलिज्म पर जब मोदी से अदानी पर सवाल पछा जाता है, तो मोदी जी और उनकी पूरी की पूरी सरकार मुह छुपाती नजर आती है। देश को लगातार नुकसान पहुंचा करके मोदी ने अडानी की जेब क्यों भरी? इसका खुलासा रवि और ठाकुर ने हाल ही में दिल्ली पुलिस मामले में पूछताछ के लिए ले करके गई थी। उन्होंने ये दो इनवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट ने ये बताया कि मोदी जी का अदानी को फायदा पहुंचाने के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड और चुनावी चंदा सबसे बड़ी वजह है। 2019 चुनाव में सबसे ज्यादा खर्चा करके भारतीय जनता पार्टी ने वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था।

55,000 करोड़ रुपये बीजेपी ने 2019 चुनाव में फूंक दिया था और लगातार हमने देखा कि 2014 के बाद से अडानी की संपत्ति में जीस तरह से बढ़ोतरी हुई। जीस तरह से अडानी अर्श से फर्श पर पहुँच गया और जीस तरह से अदानी को फायदा पहुंचाने का काम मोदी जी और उनकी सरकार ने किया इस पर सवाल उठता है कि 2019 चुनाव और तमाम चुनावों में जिसके चलते मोदी जी ने उनकी पार्टी ने 55,000 करोड़ का खर्चा करके वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया? इतना पैसा आखिरकार कहाँ से आता है? आखिर अडानी पर मोदी सरकार इतनी मेहरबान क्यों है अपनी राय कमेन्ट कर जरूर दीजिएगा

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