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Hindenburg report on SEBI: Adani फिर बेनकाब, हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को SEBI chief Madhabi Buch ने स्वीकारा !

Hindenburg Research

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Hindenburg report on SEBI: ये कहावत तो आपने जरूर सुनी होगी,, सैयां जी कोतवाल तो डर कहे का ,,यानि अगर पकड़े भी गए तो बच जाएंगे अब समझ आया अडानी पर सेबी की इतनी मेहरबान क्यों थी। क्यों कॉर्पोरेट घरानों (Adani) का कर्ज माफ हो जाता है घोटाले की जांच करने वाला खुद घोटालेबाज निकलादेश के सबसे बड़े लोकतंत्र में सबसे महत्वपूर्ण जांच एजेंसी जिस पर सुप्रीम कोर्ट तक भी आँख बंद करके भरोसा करता है अगर उसकी चेयर पर्सन नकली निकल जाए ये तो किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा (SEBI chief Madhabi Buch) साफ शब्दों में कहे तो दूध की रखवाली बिल्ली के हाथों में सोप रखी थी  सत्ता सरकार के इस अमृतकाल में कुछ भी संभव है। मोदी सरकर में सिस्टम ही ऐसा बना रखा है या तो उनका करीबी पकड़ा नहीं जाएगा अगर पकड़ा भी गया तो बचा लिया जाएगा इससे बड़ा घोटाला और कुछ नहीं हो सकता ।

Hindenburg की नई रिपोर्ट मे खुलासा

दोस्तों अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की ताजा रिपोर्ट में काफी सारे चौंकाने वाले दावे किए हैं। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि सेबी की चीफ माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच के पास अडानी मनी साइफनिंग घोटाले मेंइस्तेमाल किए गए अस्पष्ट ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी। हिंडनबर्ग के आरोप केवल इतने पर ही सीमित नहीं रहे बल्कि इसमें कहा गया कि माधबी पुरी बुच और उनके पति की मॉरीशल की ऑफशोर कंपनी ग्लोबल डायनामिक ऑपर्चुनिटी फंड में हिस्सेदारी है।इसमें सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि गौतम अडानी के भाई ने इसी कंपनी में अरबों डॉलर का इंवेस्ट किया है। ऐसा आरोप है किइन सभी पैसों का इस्तेमाल शेयरों में बढ़ोतरी लाने के लिए किया गया था। साथ ही रिपोर्ट में कहा गया कि सेबी ने इस मामले में सही तरह से जांच नहीं की है जबकि अडानी पर रिपोर्ट 18 महीने पहले ही आ गई थी।

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ह्लिसिलब्लोअर के दस्तावेजों के मुताबिक ऐसा लगता है कि पहली बार माधबी बुच और उनके पति धवल बुच ने 5 जून 2015 को सिंगापुर में आईपीई प्लस फंड 1 में अपना एकाउंट खोला। आईआईएफएल में हस्ताक्षरित फंड की घोषणा यह बताती है कि निवेश का स्रोत सैलरी है और दंपति का कुल अनुमानित आय 10 मिलियन डालर है। लिंकडिन प्रोफाइल के मुताबिक माधबी बुच अप्रैल 2017 में सेबी की होल टाइम मेंबर नियुक्त की जाती हैं।राजनीतिक तौर पर इस संवेदनशील नियुक्ति के ठीक एक सप्ताह पहले 22 मार्च 2017 को माधबी के पति धवल बुच मारीशस फंड एडमिनिस्ट्रेटर ट्रिडेंट ट्रस्ट को पत्र लिखते हैं। दस्तावेज में यह सब कुछ अंकित है। यह ईमेल उनके और उनकी पत्नी के ग्लोबल डायनमिक अपार्च्यूनिटीज फंड (जीडीओएफ) में निवेश से संबंधित था।

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पत्र में धवल बुच ने यह निवेदन किया था कि एकाउंट को आपरेट करने वाले वे अकेले आधिकारिक व्यक्ति होंगे। इससे लगता है कि राजनीतिक तौर पर संवेदनशील पद पर नियुक्त होने से पहले अपनी पत्नी की संपत्ति को वहां से वह हटाना चाहते थे।माधबी बुच के निजी ईमेल को संबोधित 26 फरवरी 2018 के एक एकाउंट स्टेटमेंट में ढांचे कापूरा विवरण सामने आता है: “जीडीओएफ सेल 90 (आईपीई प्लस फंड 1)”। एक बार फिर यह मारीशस में रजिस्टर्ड फंड का सेल एक जटिल ढांचे में ढेर सारी पर्तों के साथ गहराई से जुड़ा पाया जाता है जिसे विनोद अडानी द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा था।उसके बाद 25 फरवरी 2018 को बुच के सेबी के होल टाइम सदस्यता के दौरान वह व्यक्तिगत तौर पर अपने निजी ईमेल एकाउंट का इस्तेमाल कर इंडिया इंफोलाइन को अपने पति के नाम से व्यवसाय करने की बात लिखती हैं जिससे फंड में इकाइयों को भुनाया जा सके।

संक्षेप में हजारों मुख्यधारा के इज्जतदार आनशोर इंडियन म्यूचुअल फंड प्रोडक्ट की मौजूदगी के बावजूद एक इंडस्ट्री जिसको रेगुलेट करने की उनको जिम्मेदारी मिली है दस्तावेज बताते हैं कि सेबी चेयरपर्सन माधबी बुच और उनके पति का एक बहुपर्तों वाले आफशोर फंड ढांचे में स्टेक है। छोटी संपत्ति के साथ यह बात भी जगजाहिर है कि न्यायिक तौर पर उसके बड़े खतरे हैं और एक ऐसी कंपनी द्वारा नियंत्रित है जिसका वायरकार्ड घोटाले से रिश्ता है उसी इकाई में जिसे एक अडानी का निदेशक संचालित करता है और सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बात उसे विनोद अडानी द्वारा इस्तेमाल किया जाता है जिस पर अडानी के पैसों को साइफन कराने के घोटाले में शामिल होने का आरोप है। क्या अडानी समूह भारतीय कंपनियों की शेयर कीमतों को मैनिपुलेट करने पर रोक लगाने के नियमों को बाईपास करने के लिए बिजनेस एसोसिएट्स को फ्रंट मेन की तरह इस्तेमाल करता है।आज तक सेबी ने इन फंड्स के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।

27 मार्च 2013 को अगोरा पार्टनर्स प्राइवेट लिमिटेड को सिंगापुर में रजिस्टर किया गया था। इसने खुद को बिजनेस और मैनेजमेंट कंसल्टेंसी के तौर पर घोषित किया था। 2014 की कंपनी की वार्षिक रिटर्न के मुताबिक माधबी बुच इसकी 100 फीसदी स्टेकहोल्डर थीं। अप्रैल 2017 में लिंकडिन के मुताबिक माधबी बुच ने होल टाइम मेंबर के तौर पर सेबी ज्वाइन किया और फिर 1 मार्च 2022 को वह सेबी की चेयरपर्सन बनीं। लेकिन फिर भी वह अगोरा पार्टनर्स की 16 मार्च 2022 तक 100 फीसदी की हिस्सेदार बनी रहीं। सिंगापुर का रिकार्ड यही बताता है।इस तरह के हितों के टकराहट की राजनीतिक संवेदनशीलता का लगता है ख्याल करते हुए उन्होंने अगोरा पार्टनर्स में अपनी हिस्सेदारी को अपने पति धवल बुच को हस्तांरित कर दिया।

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सिंगापुर की यह ऑफशोर इकाई वित्तीय स्टेटमेंट जारी करने की अपनी बाध्यता से अलग है। इसलिए यह साफ नहीं हो पाया है कि यह कितना धन अपने कंसल्टिंग बिजनेस और किससे हासिल किया। यह चेयरपर्सन के बाहरी व्यवसायिक हितों की जांच करने वालों के लिए बेहद महत्वपूर्ण सूचना है।सीधे ईमेल के प्रमाण को देखते हुए यह इसलिए विशेष महत्व का हो जाता है कि सेबी चेयरपर्सन माधबी बुच अपने पति के नाम से आफशोर फंड इकाइयों के साथ पाइवेट ईमेल के जरिये बिजनेस कर रही हैं।

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सेबी चेयरपर्सन माधबी बुच के पति धवल बुच ने अपने बारे में लिंकडिन पर लिखा है कि सप्लाई चेन के सभी पक्षों और खरीद में गहरा अनुभव। उन्होंने अपना ज्यादातर समय उपभोक्ता कंपनी यूनिलीवर में बिताया जिसमें वह चीफ प्रोक्योरमेंट अफसर तक गए।यही स्रोत बताता है कि पिछले दो दशकों से वह किसी भी फंड के लिए काम नहीं किए यह रीयल इस्टेट हो या कि कैपिटल मार्केट फर्म।

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इन इलाकों में अनुभव की कमी होने के बावजूद उन्होंने एक ग्लोबल प्राइवेट इक्विटी फर्म ब्लैकस्टोन ज्वाइन किया जो भारत में बड़ी निवेश वाली कंपनी है। इसमें उन्हें जुलाई 2019 को पद मिला सीनियर एडवाइजर का।बता दे की ब्लैकस्टोन भारत में आरईआईटी को स्पांसर करने वाली और बड़ा निवेश करने वाली फर्मों में से एक है।भारत का पहला आरईआईटी इंबैसी को सेबी की संस्तुति 1 अप्रैल 2019को मिली जिसको स्पांसर ब्लैकस्टोन ने किया था। यह जुलाई 2019 में बुच के ब्लैकस्टोन ज्वाइन करने से ठीक तीन महीने पहले हुआ। 13 महीने बाद अगस्त 2020 में सेबी की संस्तुति के बाद ब्लैकस्टोन समर्थित माइंडस्पेस आरईआईटी भारत की दूसरी आईपीओ के लिए आरईआईटी बनी।

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ब्लैकस्टोन अब नेक्सस सेलेक्ट ट्रस्ट को स्पांसर करता है जिसे आईसीआईसीआई रिसर्च के मुताबिक भारत का सबसे बड़ा असेट का रिटेल प्लेटफार्म कहा जाता है।इसकी लिस्टिंग मई 2023 में हुई और भारत का चौथा ट्रेडेड आरईआईटी बन गया। रिटेल इस्टेट में ब्लैकस्टोन के बहुत दूसरे सारे हित हैं।

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ब्लैकस्टोन में धवल बुच के सलाहकार रहने के दौरान सेबी ने ढेर सारे महत्वपूर्ण आरईआईटी रेगुलेशन से संबंधित बदलाव प्रस्तावित किए पास करवाए और फैसिलिटेट किए।मार्च 2022 में माधबी बुच के चेयरपर्सन बनने के बाद सेबी ने ढेर सारे आरईआईटी कानून को प्रस्तावित करने के साथ उन्हें लागू किया है जिन्होंने प्रामाणिक तौर पर ब्लैकस्टोन को फायदा पहुंचाया है। जिसमें उनके पति काम करते हैं।

1- आरईआईटीएस पर 7 कंसल्टेशन पेपर

2- आरईआटीएस और एक अमेंडमेंट पर मास्टर सर्कुलर से संबंधित 3 कंसालिडेटेड अपडेट

3- माइक्रो स्माल और मीडियम आरईआईटीस के लिए एक नया रेगुलेटरी फ्रेमवर्क

4-आरईआटीएस के आफर फार सेल के लिए एक नया रेगुलेटरी फ्रेमवर्क।

5-ब्लैक स्टोन जैसे यूनिट होल्डर को निदेशक नामित करने के लिए नया बोर्ड नामिनेशन

इस दौरान दिसंबर 2023 में ब्लैकस्टोन ने इंबैसी आरईआईटी में मौजूद अपने पूरे कैश को निकाल लिया। जिसकी कीमत 71 बिलियन रुपये थी यानि 853 मिलियन डालर। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक साल का सबसे बड़ा ब्लाक ट्रेड।शायद भारत में आरईआईटी की सबसे बड़ी चैंपियन सेबी चेयरपर्सन माधबी बुच हैं जिन्होंने विभिन्न कांफ्रेंसेज में असेट क्लास को प्रमोट किया।20 मार्च 2023 को आयोजित न्यूज 18 की राइजिंग भारत सम्मिट में उन्होंने कहा कि आरईआईटीएस भविष्य के लिए उनका सबसे फेवरिट प्रोडक्ट हैं।एक साल बाद सेबी-एनआईएसएम की रिसर्च कांफ्रेंस में मार्च 2024 को उन्होंने निवेशकों से आरईआईटी पर सकारात्मक विचार रखने की अपील की।2 अप्रैल 2024 को सीआईआई कारपोरेट गवर्नेंस सम्मिट में चेयरपर्सन ने आरईआईटीएस में भीषण विकास की संभावना जाहिर की। और कहा कि यह आईएनवीआईटी और म्यूनिसिपल बांड के साथ एक दिन भारत के जीडीपी के बराबर हो जाएगा।

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हालांकि इन बयानों को देने के दौरान वह रेगुलेशन से इसके असली लाभार्थी का खुलासा करने में नाकाम रहीं: फंड जिसे उनके पति ब्लैकस्टोन को एडवाइस करते हैं। माधबी बुच का मौजूदा समय में भारतीय कंसल्टिंग बिजनेस जिसे अगोरा एडवाइजरी के नाम से जाना जाता हैमें 99 फीसदी स्टेक है जहां उनके पति एक निदेशक हैं।2022 में इस इकाई ने 261000 की कंसल्टिंग से आय अर्जित की थी जो उस समय सेबी में उनकी घोषित सैलरी से 4.4 गुना ज्यादा थी। सर्टिफिकेट ऑफ इनकारपोरेशन के मुताबिक अगोरा एडवाइजरी प्राइवेट लिमिटेड को 7 मई 2013 को स्थापित किया गया थ। इसने कंसल्टेंसी को अपना मुख्य बिजनेस बताया था।आज माधबी बुच अपने पति और निदेशक धवल बुच के साथ इसकी 99 फीसदी की मालकिन हैं।

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सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और उनके पति ने शनिवार को हिंडनबर्ग के आरोपों को निराधार बताया और कहा कि उनका फाइनेंस एक खुली किताब है. माधबी पुरी बुच और धवल बुच ने एक बयान में यह भी कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हिंडनबर्ग रिसर्च जिसके खिलाफ सेबी ने प्रवर्तन कार्रवाई की है और कारण बताओ नोटिस जारी किया है उसने उसी के जवाब में चरित्र हनन का प्रयास करने का विकल्प चुना है.

Madhabi Puri Buch की इस सफाई पर हिंडनबर्ग ने रविवार को ही नई पोस्ट शेयर कर कहा कि मार्केट रेग्युलेटर सेबी चीफ के इस बयान पर  कहा कि SEBI प्रमुख बुच की हमारी रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े कर रही है और बताती है कि उन्होंने कई बातों को स्वीकार किया है. हिंडनबर्ग ने अपने एक्स अकाउंट पर अपनी पोस्ट में लिखा कि व्हिसलब्लोअर डॉक्यूमेंट्स से पता चलता है कि बुच ने सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में काम करते हुए बिजनेस करने के लिए अपने पर्सनल ईमेल आईडी का इस्तेमाल किया. यही नहीं उन्होंने इसके लिए अपने पति के नाम का भी इस्तेमाल किया.

अमेरिकी शॉर्ट सेलर की ओर से बीते 25 फरवरी 2018 को भेजे गए एक ई-मेल का जिक्र भी किया. इस दौरान हिंडनबर्ग ने फिर से सवाल खड़ा किया कि आधिकारिक पद पर रहते हुए माधबी पुरी बुच ने अपने पति के नाम से और कौन से इन्वेस्टमेंट या बिजनेस किए हैं? मतलब साफ है  जो जांच कर रहा था जिसकी जांच कर रहा था उसके पास पैसे जांच करने वाले ने भी लगा रखे थे आखिर सेबी की अध्यक्ष माधवी पुरी बुच ने अभी तक इस्तीफा क्यों नहीं दिया? अगर निवेशकों की गाढ़ी कमाई डूब जाती है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा  पीएम मोदी सेबी अध्यक्ष या गौतम अडाणी?’’हिंडनबर्ग की रिपोर्ट की अगर यह बात सही है तो इससे बड़ा घोटाला कुछ नहीं हो सकता। सेबी का काम था अदाणी मामले की जांच करे और इसकी प्रमुख ने उसी बेनामी फंड में पैसा लगाया जिसका संबंध कथित रुप से गौतम अदाणी से था।  अब सरकार के पास सेबी चीफ को हटाकर जांच करने के अलावा कोई रास्ता नहीं।

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