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Hathras Stampede: योगी सरकार ने दिया बाबा को तोहफा!

CM Yogi

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Hathras Stampede : दोस्तों हाथरस हादसे का जिम्मेदार कौन क्या इंतजाम रहे? इन सवालों के जवाब यूपी सरकार की तरफ से गठित एसआईटी ने खोज लिए हैं. जी हाँ ,,, 100 अधिक  लोगों के बयानों के साथ जांच पूरी कर रिपोर्ट गृह विभाग को सौंप दी गई है. रिपोर्ट एक तरह से आंखों में धूल झोंकने वाली है क्योंकि हैरान करने वाली बात ये है कि पूरे कांड में सूरजपाल उर्फ साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा का जिक्र तक नहीं है।क्यों क्योंकि भोले बाबा के तालुक राजनीति से जुड़े है …. अलबत्ता किसी साजिश का भी जिक्र इसमें नहीं है सीएम योगी ने भी साजिश का पता लगाने की बात कही थी। और साथ में भोले बाबा को एक संदेश भी दिया जिसके जरिए भोले बाबा को क्लीन चीट मिल गई

SIT ने योगी सरकार को दी रिपोर्ट

हाथरस के रतिभानपुर गांव में 2 जुलाई को एक सत्संग के दौरान भगदड़ मचने से 121 लोगों की मौत हो गई थी। 3 जुलाई को यूपी के मुख्यमंत्री मौके पर पहुंचे और उन्होंने एक एसआईटी को इस मामले की जांच सौंप दी। इसके अलावा अलग से भी एक न्यायिक जांच कमेटी बनाने और घटना के पीछे साजिश का पता लगाने की घोषणा की थी। एसआईटी में अतिरिक्त डीजी (आगरा जोन) अनुपम कुलश्रेष्ठ और अलीगढ़ कमिश्नर चैत्रा वी. थे। एसआईटी ने 8 जुलाई की देर रात योगी सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी।लेकिन इस रिपोर्ट में बाबा को जिम्मेदार ठहराया ही नहीं पूरी एसआईटी रिपोर्ट 300 पेज की है। इसमें भगदड़ की मुख्य वजह ज्यादा भीड़ का जमा होना बताया गया है। सत्संग के लिए 2 लाख से ज्यादा लोग पहुंचे थे जबकि अधिकारियों ने करीब 80000 लोगों के लिए इजाजत दी थी। सूत्रों ने बताया कि रिपोर्ट में 119 लोगों के बयान शामिल हैं।

रिपोर्ट में ये है लिखा

रिपोर्ट में हाथरस के जिला मजिस्ट्रेट आशीष कुमार पुलिस अधीक्षक निपुण अग्रवाल सब डिविजनल मजिस्ट्रेट और अन्य के बयान भी शामिल हैं।

रिपोर्ट में ये नहीं है

लेकिन रिपोर्ट में ये होना चाहिए था जो है ही नहीं

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक

हाथरस कांड को लेकर टाइम्स ऑफ इंडिया ने एसआईटी रिपोर्ट के हवाले से जो खबर प्रकाशित की है उसमें कहा गया है कि भोले बाबा के राजनीतिक संपर्कों का जिक्र रिपोर्ट में है और उन राजनीतिक चेहरों की पहचान भी की गई है। रिपोर्ट में चुनाव के दौरान भोले बाबा और उसके राजनीतिक संपर्कों की भूमिका का भी जिक्र है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मुख्य आरोपी देवप्रकाश मधुकर ने राजनीतिक दलों से फंड लेने के लिए संपर्क साधा था। उसने सत्संग आयोजन के नाम पर फंड मांगा था। बता दें कि मुख्य आरोपी देवप्रकाश मधुकर भोले बाबा का सबसे नजदीकी आदमी है। लेकिन ताज्जुब है कि भोले बाबा की सीधी भूमिका पर रिपोर्ट चुप है। सवाल यही है कि आखिर एसआईटी ने भोले बाबा का भी बयान क्यों नहीं लिया जिसकी आंखों के सामने यह घटना हुई और उसके बाद वो वहां से चला गया।

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कसम खाई है कि वो इस घटना के पीछे साजिश का पता लगा कर रहेंगे। एसआईटी रिपोर्ट उन्हें मिल चुकी है जिसमें किसी साजिश का जिक्र नहीं है। लेकिन सीएम योगी के बयान का भोले बाबा ने पूरा फायदा उठा लिया है। भोले बाबा ने घटना के चार दिनों बाद प्रशासनिक गतिविधियां देखने के बाद अपना बयान न्यूज एजेंसी एएनआई के जरिए दिया। बाबा ने कहा कि इस घटना के पीछे जरूर कोई साजिश है। उसके दो दिन बाद बाबा के वकील एपी सिंह का बयान आया कि सत्संग के दौरान 10-15 लोगों का समूह आया और उसने वहां जहर का स्प्रे यानी छिड़काव किया। इससे भगदड़ मच गई। वकील एपी सिंह के इस बयान का पुलिस ने अभी तक कोई संज्ञान नहीं लिया है।

घटना के प्रत्यक्षदर्शियों के तमाम वीडियो बयान सोशल मीडिया पर अभी भी मौजूद हैं। जिसमें वो कह रहे हैं कि बाबा ने उसके चरणों की धूल लेने के लिए लोगों को उकसाया। लोग टूट पड़े और वहां भगदड़ मच गई। तमाम लोगों ने वीडियो बयान में कहा कि इस घटना के लिए अगर कोई जिम्मेदार है तो वो भोले बाबा ही है। कुछ लोगों ने कहा कि प्रशासन और भोले बाबा ने इतनी भीड़ क्यों जमा होने दी। 80 हजार की भीड़ क्या दस पुलिसकर्मी संभाल सकते हैं। साफ-साफ दिख रहा है कि वहां भीड़ संभालने में न तो आयोजकों की कोई दिलचस्पी थी और न ही प्रशासन की।  प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया की  सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी और कुछ आला अफसरों ने हाथरस आकर हमारे बयान लिए हैं। हमने उन्हीं बातों को फिर से रखा है।

सवाल वही बाबा को क्लीन चिट क्यों ?

किसी की श्रद्धा पर सवाल नहीं उठाया जा सकता लेकिन इन बाबाओं के भीड़ वाले कार्यक्रम खुले मैदान में क्यों नहीं करवाए जाते? प्रशासन इन्हें साफ- साफ़ क्यों नहीं कहता कि कार्यक्रम करना हो तो खुले मैदान में कीजिए वरना नहीं।ऐसा क़ानून क्यों नहीं बनता कि इस तरह की त्रासदी हो तो आयोजकों के साथ इन बाबाओं को भी ज़िम्मेदार माना जा सके। सवाल यह है कि राज्य सरकार पुलिस और प्रशासन सभी की चेतना किसी बड़े हादसे या त्रासदी के बाद ही जागृत क्यों होती है। ऐसे कार्यक्रमों के लिए पहले से पुख़्ता इंतज़ाम क्यों नहीं किए जाते? आख़िर हमारी चेतना को किसी बड़ी त्रासदी का इंतज़ार क्यों रहता है? हाथरस में जो हुआ …वह सिर्फ एक उदाहरण है कि कैसे देशभर में सत्तारूढ़ शासन के संरक्षण में कई हिंदू धर्मगुरु अपने पंथों के साथ फल-फूल रहे हैं। इस प्रकार भोले बाबा की “सुरक्षित” फरारी और वर्तमान भयावह अपराध के लिए उन पर आपराधिक आरोप दायर करने में योगी शासन की अनिच्छा हिंदुत् आश्रम के नेताओं और संघी मनुवादी शासन के बीच अपवित्र सांठगांठ को उजागर करती है।सवाल अब भी वही है बाबा को क्लीन चिट क्यों दी गई आखिरकार बाबा पर किसका समर्थन है किसने कहने पर बाबा को बचाया जा रहा है आपको क्या लगता है हमे कमेन्ट कर जरूर बताएँ।

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