Google Block BJP Ads: BJP ने Google Ads पर खर्च किए 30 Crore | Google Ad Library data
Google Block BJP Ads: सुना आपने, मोदी जी कहते कुछ है ओर करते कुछ है मोदी सरकार ‘भाजपा’ शब्द का प्रचार करदाताओं के पैसे से कर रही हैं. आपके रुपये ‘भाजपा’ के प्रचार में उपयोग करने का एक नया तरीका खोजा है मोदी सरकार ने. पैसे का खेल है हर कीमत पर प्रचार का खेल है विज्ञापन का खेल है आपने देखा होगा जैसे ही आप किसी वेबसाईट पर जाते है या यूट्यूब पर जाते है तो विज्ञापन में क्या देखने को मिलता है (Google Ad Library data) मोदी जी, बीजेपी, कमल, मोदी जी मुसकुराते हुए आपका स्वागत करते है क्यों हर बार यही सामने आता है
पिछले महीने BJP ने Google वीडियो विज्ञापनों पर 22 करोड़ रुपये खर्च किए और BJP ने Google के नियमों को तोड़ा है जिसके कारण उनका विज्ञापन हटा दिया गया। Google का नियम कहता है, 90 दिनों में 3 से ज़्यादा उल्लंघन होने पर विज्ञापनदाता का खाता निलंबित कर दिया जाएगा। विपक्ष के बैंक अकाउंट फ्रीज़ हो जाते हैं सोशल मीडिया अकाउंट बैन हो जाते है लेकिन बीजेपी (Google Ads) नियमों का उल्लंघन होने के बावजूद अभी भी BJP Google विज्ञापनों का उपयोग कैसे कर रही है ओर क्यों ??? बीजेपी का खाता, अकाउंट कब निलंबित होगा?
Google ने हटाएँ bjp के ads
दोस्तों भाजपा ने मोदी की छवि चमकाने पर मात्र 30 करोड़ खर्च किए वो भी एक महीने में 30 करोड़ विज्ञापन पर खर्च हुआ है ये में नहीं गूगल डेटा रिपोर्ट कह रही है दोस्तों जहां एक तरफ पूरा देश महंगाई बेरोजगारी से परेसान है और मोदी जी अपना प्रचार करने में मस्त है दोस्तों जनता की जनहित के काम तो मोदी जी कर नहीं पा रहे है पर चाहते है की उनकी छवि जनता के सामने चमकती रहे मोदी जी ने 9 सालों में जितनी भी योजना लॉन्च की है वो या तो उनके अमीर दोस्तों को लाभ पहुचाने वाली की है या गरीब की कमर तोड़ने की
दोस्तों भारतीय जनता पार्टी ने अपने ऑनलाइन विज्ञापन पर पूरी ताकत लगा दी है। ऑनलाइन विज्ञापन के लिए बहुत अच्छा खासा पैसा चाहिए होता है। Google Ads Transparency Centre के आंकड़ों के अनुसार मुख्य रूप से उत्तर भारतीय राज्यों को टारगेट करते हुए पिछले 30 दिनों में 29.7 करोड़ रुपये भाजपा ने खर्च किए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 2019 के पिछले चुनाव और उसके बाद हुए राज्यों के चुनाव के मुकाबले यह दोगुना से ज्यादा है। इन विज्ञापनों के केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं का प्रचार है। कई भाषाओं में वीडियो बनाए गए हैं।, जिन्हें उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों में सोशल मीडिया पर दिखाया जा रहा है।
Google की विज्ञापन ट्रांसपेरेंसी डिपोजटरी से पता चलता है कंपनी की नीतियों का उल्लंघन करने के तहत Google ने BJP के 50% से अधिक वीडियो हटा दिए हैं इन विज्ञापनों को उनके राजनीतिक कंटेट की वजह से हटाया गया। अल्फाबेट का मालिक Google राजनीतिक दलों को तीन सुविधाएं प्रदान करता है जिसमें Google Search, वेबसाइटों और एप्लिकेशन में फैला इसका डिस्प्ले नेटवर्क और YouTube लेकिन इन तीनों के अलावा Google राजनीतिक पार्टियों को बड़े लेवल पर जनता के लिए राजनीतिक विज्ञापन की अनुमति नहीं देता है।
Google ने 50% से अधिक BJP के वीडियो विज्ञापन से हटाए
हालांकि Google राजनीतिक दलों को जनता के लिए गंभीर राजनीतिक विज्ञापन करने की अनुमति नहीं देता है। जिनमें जनता को टारगेट बनाना या रीमार्केटिंग और कस्टमर मेच शामिल हो। यह अबतक स्पष्ट नहीं है कि Google ने इन वीडियों को क्यों हटाया है। Google ने इस बात पर कहा कि राजनीतिक दल ने कंपनी की पॉलिसी की उल्लंघ किया है। इसलिए Google से विज्ञापनों को हटाना पड़ा।
Google ऐड ट्रांसपेरेंसी सेंटर के अनुसार, लोकसभा चुनाव 2019 में 11 अप्रैल से 19 मई तक 7 चरणों में लोकसभा चुनाव हुए। BJP ने 6 अप्रैल से 17 मई तक ,,लगातार राजनीतिक विज्ञापनों के साथ कई राज्यों में मतदाताओं को टारगेट बनाया। इसके बाद भी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के चुनाव 10 फरवरी से 7 मार्च तक हुए। इस दौरान भी BJP ने 4 मार्च तक राजनीतिक विज्ञापनों को जारी रखा। हालांकि, विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी ने 6 महीने पहले यानि अक्टूबर 2021 में चुनाव प्रचार शुरु कर दिया था।
दोस्तों डिजिटल भारत के साथ अब डिजिटल नेता भी देखने को मिल रहे हैं ऐसे में कौन-सी पार्टी चुनाव प्रचार में कितना पैसा खर्च कर रही है आइए देखते है गूगल डेटा रिपोर्ट कह रही है कि 2023 में कुछ राज्यों के चुनाव पर ही भाजपा ने 19 करोड़ रुपये खर्च किए थे। Google विज्ञापन से पता चलता है कि भाजपा ने 2023 में लगभग ₹19 करोड़ खर्च किए इसमें विधानसभा चुनावों के दौरान विज्ञापन और पूरे वर्ष के दौरान मोदी सरकार की उपलब्धि को उजागर करने वाले विज्ञापन भी शामिल थे। काफी विज्ञापन यूट्यूब पर दिए गए थे।
प्रचार के लिए विज्ञापन इंडस्ट्री की लगी लॉट्री
पिछले साल का खर्च मुख्य रूप से विधानसभा चुनावों के लिए था। कर्नाटक विधानसभा चुनावों में पार्टी ने Google विज्ञापनों पर ₹7.2 करोड़ खर्च किए। लेकिन भाजपा चुनाव नहीं जीत सकी। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने गूगल ऐड पर 7.71 करोड़ रुपये खर्च किए। तेलंगाना भाजपा को कुछ भी हासिल नहीं हुआ ,,लेकिन विज्ञापनों पर उसने बहुत खर्च किया। केसीआर के नेतृत्व वाली बीआरएस ₹12.1 करोड़ के विज्ञापन खर्च के साथ दूसरे स्थान पर रही। कांग्रेस ने Google Ads पर 4.59 करोड़ रुपये खर्च किए। हालांकि इसमें कर्नाटक में खर्च किया गया पैसा भी शामिल है।
Google की विज्ञापन लाइब्रेरी में 20 फरवरी 2019 से डेटा है। तब से ₹206.2 करोड़ के 73,246 विज्ञापन डाले जा चुके हैं। इस विज्ञापन खर्च में भाजपा का लगभग 24% हिस्सा है जो करीब 50 करोड़ है, जबकि डीएमके का हिस्सा 21.3 करोड़ या 10.38%। कांग्रेस ने 2019 से Google विज्ञापनों पर ₹14.6 करोड़ खर्च किए हैं। यहां यह बताना जरूरी है कि भाजपा और अन्य पार्टियों ने मेटा के प्लैटफॉर्मों यानी फेसबुक, इंस्टाग्राम, वाट्सऐप पर जो विज्ञापन किए उसका खर्च अलग है।
दोस्तों मेटा की विज्ञापन लाइब्रेरी मई 2018 में लॉन्च की गई थी और यह सात साल तक डेटा बरकरार रखती है। ट्विटर, जिसे अब एक्स कहा जाता है,, ने जून 2018 में एक समान ट्रांसपिरेंसी केंद्र लॉन्च किया था लेकिन जनवरी 2021 में इसे बंद कर दिया। क्योंकि इसने नवंबर 2019 से मंच पर किसी भी राजनीतिक विज्ञापन की सेवा बंद कर दी थी। लेकिन एक्स प्लेटफ़ॉर्म को अपने विज्ञापन ट्रांसपिरेंसी केंद्र को फिर से लॉन्च करने के लिए मजबूर होना पड़ा। क्योंकि यूरोपीय संघ ने डिजिटल सेवा अधिनियम का पालन करना जरूरी कर दिया है। जिसके तहत तथ्यों को बताना पड़ता है।
Google किसी राजनीतिक दल, राजनीतिक उम्मीदवार या लोकसभा या विधानसभा के वर्तमान सदस्य द्वारा प्रदर्शित या चलाए जाने वाले किसी भी विज्ञापन को राजनीतिक विज्ञापन मानता है। चुनावी विज्ञापन चलाने की अनुमति देने से पहले विज्ञापनदाताओं को भारत चुनाव विज्ञापन का सत्यापन पूरा करना होता है। यही वजह है कि सारा डेटा सामने आ जाता है। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने भी मंगलवार को गूगल विज्ञापन का मुद्दा प्रेस कॉन्फ्रेंस में उठाया।, सुप्रिया ने कहा- इंटरनेट पर जहां देखो वहां PM मोदी नज़र आ रहे हैं। ये BJP के विज्ञापनों का ही कमाल है, क्योंकि वह पैसा पानी की तरह बहा रही है।
बहरहाल, ऑनलाइन राजनीतिक विज्ञापन के प्रति भाजपा की वित्तीय प्रतिबद्धता सार्वजनिक चर्चा को आकार देने में डिजिटल प्लेटफार्मों के बढ़ते महत्व को उजागर करती है। 2019 के बाद से पार्टी ने फेसबुक सहित हजारों विज्ञापनों के माध्यम से अपने संदेशों को प्रसारित करने के लिए पर्याप्त बजट खर्च किया है।, विपक्ष इसी वजह से भाजपा को विज्ञापन आधारित पार्टी कहता है। उत्तर भारत में हालांकि भाजपा मजबूत स्थिति में है। कई राज्यों में उसकी सरकार है। हाल ही में उसने बिहार में नीतीश कुमार को अपने पाले में शामिल कर लिया है। लेकिन इसके बावजूद विज्ञापनों का फोकस उत्तर भारत पर है तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि भाजपा उत्तर भारत को लेकर कॉन्फिडेंट नहीं है।
दोस्तों अगर मोदी जी जनता के लिए काम किया होता महंगाई ,,बेरोजगारी ,,घोटालों पर ध्यान दिया होता तो आज प्रचार में करोड़ों रुपए खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ती जो प्रचार करके लोगों की नजरों में आने की जरूरत पड़ रही है अगर काम किया होता तो खुद ब खुद जनता प्रचार करती जनता को चाहिए ही क्या? अपनी राय कमेन्ट कर जरूर बताएँ