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G20 India 2023: विश्व मंच पर बढ़ी साख, सर्वसम्मति ने साबित कर दी भारत के कूटनीतिक नेतृत्व की क्षमता

G20 India 2023

G20 India 2023

G20 India 2023: करीब सालभर चली G 20 की बैठकों में यह संदेह लगातार बना रहा कि जब शिखर सम्मेलन होगा तो क्या अंतिम घोषणापत्र यानी ‘डिक्लेरेशन’ को सभी सदस्य देशों की मंज़ूरी मिल पाएगी। जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने दिल्ली पहुँचने में असमर्थता जताई तो वह संदेह और अधिक पुख़्ता हो गया। शुक्रवार को प्रगति मैदान में स्थापित अंतरराष्ट्रीय मीडिया सेंटर में भी इस संदेह को लेकर सवाल पूछे गए।

हालांकि, शिखर सम्मेलन के पहले ही दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मास्टर स्ट्रोक लगा दिया। ‘डिक्लेरेशन’ पर सभी देशों की सहमति बन गई। न चीन दुखी हुआ, न रूस परेशान हुआ। भारत ने जी 20 के सभी देशों को खुश कर दिया। इतना ही नहीं, जी 20 के गत वर्ष हुए सम्मेलन में अफ्रीकी संघ ने इस समूह में शामिल करने का आग्रह किया था। दिल्ली में सभी सदस्य राष्ट्रों की मौजूदगी में पीएम मोदी ने अफ्रीकी संघ को जी 20 का स्थायी सदस्य बनाने की घोषणा कर दी। सभी सदस्य देशों ने इसका स्वागत किया।

पहले ही दिन मोदी की घोषणा

शिखर सम्मेलन के पहले ही दिन, दूसरे सत्र की शुरुआत में पीएम मोदी ने विदेशी मेहमानों को संबोधित करते हुए कहा, नई दिल्ली ‘जी 20 डिक्लेरेशन’ पर सहमति बनी है। इसके बाद मोदी ने कहा, मैं चाहता हूं कि इस डिक्लेरेशन को ‘एडॉप्ट’ कर लिया जाए। कुछ ही देर बाद मोदी ने घोषणा कर दी कि दिल्ली ‘डिक्लेरेशन’ को मंजूर कर लिया गया है। भारत की अध्यक्षता में हो रहे शिखर सम्मेलन में यह एक बड़ी जीत थी।

सूत्रों का कहना है कि पहले रूस यूक्रेन लड़ाई को लेकर जी 20 में कुछ बातें शामिल करने की बात कही जा रही थी। सालभर चली बैठकों में कई मुद्दों पर इन दोनों देशों का रुख सकारात्मक नहीं रहा। इसी वजह से सदस्य राष्ट्रों को यह चिंता सता रही थी कि सम्मेलन में अंतिम घोषणापत्र पर सहमति बन पाएगी या नहीं। जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने सम्मेलन में खुद के भाग लेने पर असमर्थता जताई तो अंतिम घोषणापत्र का मामला गहरा गया। इसके बाद अंतिम घोषणापत्र में कुछ बदलाव किए गए।

चीन को भी अप्रत्यक्ष तौर से दे दिया संदेश

पीएम मोदी ने जब घोषणा पत्र स्वीकार होने की बात कही तो उसकी झलक दस्तावेज में भी दिखाई पड़ी। घोषणापत्र के नौवें पैरे में लिखा था, हम इस बात की पुष्टि करते हैं कि जी 20, अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए एक प्रमुख मंच है। यह समूह भू-राजनीतिक और सुरक्षा मुद्दों को हल करने का मंच नहीं है। हालाँकि हम स्वीकार करते हैं कि इन मुद्दों का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण परिणाम हो सकता है। भारत ने यह बात कह कर चीन और रूस, दोनों को संदेश दे दिया। हालाँकि चीन का कहीं नाम नहीं लिया।

रूस-यूक्रेन के लिए भी कह दी ये बात

इसके बाद 13वें पैरे में लिखा, हम सभी राज्यों से क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को, अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के मुताबिक बनाए रखने की अपील करते हैं। मानवीय कानून, शांति और स्थिरता की रक्षा करने वाली बहुपक्षीय प्रणाली सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों को बनाए रखने का आह्वान करते हैं। विभिन्न देशों के मध्य संघर्षों का शांतिपूर्ण समाधान और संकटों के हल के लिए प्रयास करने के साथ ही कूटनीति और संवाद महत्वपूर्ण हैं। हम वैश्विक अर्थव्यवस्था पर युद्ध के प्रतिकूल प्रभाव को संबोधित करने के अपने प्रयास में एकजुट होंगे। यूक्रेन में व्यापक एवं न्यायसंगत और टिकाऊ शांति का समर्थन करने वाली सभी प्रासंगिक और रचनात्मक पहलों का स्वागत करेंगे। बशर्ते, ये सभी पहल, संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सभी उद्देश्यों और सिद्धांतों को कायम रखें। एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य की भावना से राष्ट्रों के बीच शांतिपूर्ण, मैत्रीपूर्ण और अच्छे पड़ोसी संबंधों को बढ़ावा देना होगा।

मोदी ने अपनी गारंटी पूरी की

पीएम मोदी ने जी 20 सम्मेलन के पहले सत्र में कहा था कि 21वीं सदी दुनिया को नयी दिशा देने का समय है। पहले सत्र के बाद जब, घोषणापत्र पर सहमति बनी तो पीएम मोदी ने अपनी एक गारंटी पूरी करने की घोषणा भी कर दी। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने बताया, पिछले साल इंडोनेशिया में हुए सम्मेलन में अफ़्रीकन यूनियन ने पीएम मोदी से आग्रह किया था कि उसे भी समूह का सदस्य बनाया जाए। इस पर पीएम मोदी ने उन्हें गारंटी दी थी कि वे अफ़्रीकन यूनियन को जी 20 का सदस्य बनवाएंगे।

बैठक के पहले सत्र में नाइजीरिया के राष्ट्रपति ने स्थायी सदस्य बनने पर अफ़्रीकन यूनियन को बधाई दी। उन्होंने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, एक महाद्वीप के रूप में, हम जी 20 मंच का उपयोग कर, वैश्विक मंच पर अपनी आकांक्षाओं को और आगे बढ़ाने के लिए तत्पर हैं। कूटनीति के जानकारों का कहना है कि यही मोदी का मास्टर स्ट्रोक है। पहले रूस और चीन को नाराज नहीं होने दिया और दूसरा, अफ़्रीकन यूनियन को जी20 में शामिल कर चीन के दबदबे को कंट्रोल में रखने का अप्रत्यक्ष संदेश दे दिया।

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