Election Result 2023 : दोस्तों तीन राज्यों में चुनाव और कांग्रेस दोनों शांति से निपट गए। सही है भाजपा की चुनावी रणनीति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) का जादू और मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लाड़ ने करतब दिखाए और कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ हो गया। और अब बात आगे की होनी चाहिए . नतीजों के बाद अब BJP में नई दौड़ शुरू हो गई है। यह दौड़ है मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने की। पेंच अकेले राजस्थान में ही नहीं है। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी नेता का चयन दुविधा से भरा हुआ है।
राजस्थान में तो दिल्ली से बुलावे आने लगे हैं। कुछ को आए हैं। कुछ को नहीं आए। जिन्हें बुलावा आया वे तो दिल्ली कूच कर गए लेकिन जिन्हें बुलावा नहीं मिला वे अपने समर्थक विधायकों को घर बुलाकर विचार- विमर्श कर रहे हैं। हो सकता है एक- दूसरे को जीत की बधाई दे रहे हों। BJP के इन तीनों ही राज्यों में पुराने और अनुभवी चेहरे हैं लेकिन सवाल ये है कि BJP पुरानों पर भरोसा जताएगी या फिर नए चेहरों को सामने लाएगी।
राजस्थान में वसुंधरा नहीं तो कौन होगा सीएम?
दोस्तों राजस्थान में रिवाज कायम रखते हुए BJP ने जीत दर्ज की है। यहां पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे साल 2003 से ही BJP का चेहरा रही हैं लेकिन इस चुनाव में BJP ने किसी को चेहरा नहीं बनाया। क्या वसुंधरा को सीएम बनाया जाएगा? वैसे पिछले पांच साल में केंद्रीय नेतृत्व के साथ उनकी जो खींचतान रही है उससे इसकी संभावना कम जरूर लगती है। BJP ने सांसद दीया कुमारी को भी यहां चुनाव लड़वाया और सेफ सीट से चुनाव में उतारा था। क्या यहा वसुंधरा की जगह दीयाकुमारी को बैठाने की तैयारी है। इस पर चुनाव के दौरान भी खूब चर्चा हुई। दीया कुमारी को मुख्यमंत्री पद का मजबूत दावेदार माना जा रहा है।
अलवर से सांसद बालकनाथ का नाम भी चल रहा है BJP ने इन्हें भी तिजारा सीट से चुनाव लड़वाया। बालकनाथ नाथ संप्रदाय से आते हैं। वही संप्रदाय जिससे उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ आते हैं। बालकनाथ रोहतक के बाबा मस्तनाथ मठ के महंत हैं और उन्हें राजस्थान का योगी भी कहा जाता है। वैसे मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की यहां कोई कमी नहीं है। प्रदेश अध्यक्ष सी. पी. जोशी से लेकर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन मेघवाल से लेकर किरोणी लाल मीणा तक के नाम चर्चा में हैं। हालांकि BJP में मजाक में यह भी कहा जाता है कि जिसका नाम चला समझो उसका नाम कटा
मध्य प्रदेश में कौन होगा शिवराज का विकल्प?
दोस्तों शिवराज सिंह ने टफ पिच पर जगह बनाई और BJP ने मध्य प्रदेश में प्रचंड जीत दर्ज की है। हालांकि, BJP ने चुनाव प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर लड़ा था। ऐसे में यह बड़ा सवाल है कि जब शिवराज के नाम पर चुनाव नहीं लड़ा गया था तो क्या BJP उन्हें मुख्यमंत्री बनाएगी? अगर BJP ने असम का मॉडल फॉलो किया तो यह मामा के लिए झटका हो सकता है। BJP अगर बहुमत के आंकड़े के आसपास ही होती तो शिवराज के सीएम बनने की ज्यादा संभावना होती लेकिन इस प्रचंड बहुमत के साथ BJP के पास प्रयोग करने का पूरा मौका है। क्या BJP लोकसभा चुनाव से पहले प्रयोग करेगी? ये बड़ा सवाल है ??
मुख्यमंत्री बनने के लिए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम भी चल रहा है। हालांकि, उनका पुराना कांग्रेसी होना आड़े आ सकता है क्योंकि पार्टी के भीतर गुटबाजी बढ़ सकती है और BJP नहीं चाहेगी कि लोकसभा चुनाव से पहले कुछ खलबली मचे। इस दौड़ में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की दावेदारी भी मजबूत मानी जा रही है। चर्चा में कैलाश विजयवर्गीय से लेकर प्रदेश अध्यक्ष वी. डी. शर्मा का नाम भी है। OBC नेता के तौर पर प्रह्लाद पटेल से लेकर आदिवासी नेता फग्गन सिंह कुलस्ते का नाम भी लिया जा रहा है। हालांकि, BJP ने कई मौकों पर दिखाया है कि वे ऐसे नाम को सामने लाती है जिसकी कहीं चर्चा ही नहीं हो रही होती।
दोस्तों चुनाव परिणाम से पहले मप्र में बड़े- बड़े तुर्रम कांग्रेस की सरकार की संभावना जताते थक नहीं रहे थे। जो कोई स्पष्ट घोषणा नहीं करना चाहते थे, वे काँटे की टक्कर कहकर बच जाते थे। इस काँटे की टक्कर का बड़ा अच्छा जवाब दिया था मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने। उन्होंने कहा था कि कोई काँटे की टक्कर नहीं है। काँटा तो निकाल दिया है लाड़ली बहनों ने। सचमुच इतनी करारी मात दी कि कांग्रेस और उसके नेता कमलनाथ के पास मुँह छिपाने की जगह भी नहीं छोड़ी गई। इसलिए शिवराज की सरकार का दावा तो बनता है। ऐसा हुआ तो शिवराज पाँचवीं बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगे
छत्तीसगढ़ में रमन सिंह नहीं तो कौन?
छत्तीसगढ़ में भी BJP ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर ही चुनाव लड़ा और जीत का श्रेय भी मोदी और मोदी की गारंटी को ही जा रहा है। यहां रमन सिंह 2003 से लेकर 2018 तक BJP के मुख्यमंत्री रहे और इस बार भी चुनाव जीते हैं। हालांकि, BJP फिर से उन्हें मौका देगी इस पर संशय भी है। मुख्यमंत्री पद के लिए प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव का नाम भी आगे बताया जा रहा है। वह OBC नेता हैं और OBC समुदाय के साहू समाज से आते हैं। छत्तीसगढ़ में साहू समाज की आबादी करीब 12 फीसदी है। केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह के नाम की भी चर्चा चल रही है। वह आदिवासी समुदाय से आती हैं और इस बार BJP ने उन्हें विधानसभा चुनाव लड़वाया। आदिवासी नेता लता उसेंडी का नाम भी दौड़ में बताया जा रहा है
लेकिन आख़िरी फ़ैसला नरेंद्र मोदी ही करेंगे जिनके चेहरे पर तीनों राज्यों में पार्टी को जीत मिली है। चूँकि फ़ैसला दिल्ली से ही होना है इसलिए परिपाटी की मानी जाए तो सारे क़यास धरे के धरे रह जाएँगे। राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के नेताओं का फ़ैसला यक़ीनन चौंकाने वाला ही होगा। मोदी जी इस मामले में हमेशा चौंकाते रहे हैं। इस बार भी निश्चित तौर पर ऐसा ही करेंगे। आपको क्या लगता किसके सिर सजेगा मुख्यमंत्री का ताज अपनी राय कमेन्ट कर जरूर बताएँ