Mahadev Betting App: दोस्तों केंद्रीय एजेंसियाँ धडाधड छापे मार रही हैं। राजस्थान में तमिलनाडु में और दिल्ली में भी। दिल्ली में तो चर्चा यहाँ तक चल रही है कि यही हाल रहा तो किसी दिन अरविंद केजरीवाल को जेल में ही कैबिनेट मीटिंग न करनी पड़ जाए! और अब ed छतीसगढ़ में भी ऐक्टिव हो गई है ये तो होना ही था छत्तीसगढ़ में भी तो चुनाव है अब ed ने CM भूपेश बघेल पर सिकंजा कसा है जी हाँ ED ने दावा किया है की महादेव बेटिंग ऐप के प्रमोटर से (CM Bhupesh Baghel) सीएम भूपेश बघेल ने 508 करोड़’ लिए है
2 नवंबर को,, ईडी को खुफिया जानकारी मिली कि 7 और 17 नवंबर 2023 को होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजरमहादेव ऐप के प्रमोटरों द्वारा छत्तीसगढ़ में बड़ी मात्रा में नकदी ले जाई जा रही है. ईडी ने होटल ट्राइटन और एक अन्य स्थान पर तलाशी ली. भिलाई और सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के चुनावी खर्चों के लिए बड़ी मात्रा में नकदी पहुंचाने के लिए खास तौर पर संयुक्त अरब अमीरात से भेजे गए एक कैश कूरियर असीम दास को डिटेन किया गया
ED ने असीम दास को गिरफ्तार किया
ईडी ने 5.39 करोड़ रुपये की नकद राशि (उनकी कार और उनके आवास से) बरामद की है. असीम दास ने स्वीकार किया है कि जब्त की गई धनराशि महादेव ऐप (Mahadev App) प्रमोटरों द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य में आगामी चुनाव खर्चों के लिए एक राजनेता ‘बघेल’ को देने की व्यवस्था की गई थी. ईडी ने महादेव ऐप के कुछ बेनामी बैंक खातों का भी पता लगाया है जिनमें 15.59 करोड़ रुपये की शेष राशि फ्रीज कर दी गई है. ईडी ने असीम दास को गिरफ्तार कर लिया है.
दरअसल, इस सट्टेबाजी सिंडिकेट के प्रमोटर विदेश में बैठे हैं और अपने दोस्तों और सहयोगियों की मदद से भारत भर में हजारों पैनल चला रहे हैं जो खासकर छत्तीसगढ़ से हैं और उन्होंने हजारों करोड़ रुपये कमाए हैं. ईडी ने पहले ही 4 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और 450 करोड़ रुपये से अधिक की अपराधिक आय जब्त कर ली है और 14 आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है
असीम दास से पूछताछ और उसके पास से बरामद फोन की फोरेंसिक जांच से और शुभम सोनी द्वारा भेजे गए ईमेल की जांच से कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. इस मामले में पहले ही कई भुगतान किए जा चुके हैं. जिसके मुताबिक महादेव ऐप प्रमोटर्स ने अब तक लगभग 508 करोड़ रुपये का भुगतान छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को किया है. ये अपने आप में जांच का विषय है
आरोपी 7 दिनों के लिए ईडी की हिरासत में
आगे की जांच के दौरान ईडी ने पुलिस कांस्टेबल भीम यादव से भी पूछताछ की और उसे गिरफ्तार कर लिया. ईडी की जांच से पता चला है कि पिछले 3 वर्षों में भीम यादव ने अनधिकृत रूप से दुबई की यात्रा की थी. उसने वहां जाकर रवि उप्पल और सौरभ चंद्राकर से मुलाकात की थी. महादेव एप के भव्य समारोहों में भाग लिया था और उसकी यात्रा का खर्च आहूजा के मेसर्स रैपिड ट्रैवल्स ने उठाया था जो महादेव एप की एक मनी लॉन्ड्रिंग और टिकटिंग कंपनी है. वह छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ अधिकारियों और राजनेताओं के लाभ के लिए महादेव ऐप प्रमोटरों से रिश्वत की रकम हासिल करने का जरिया था.
दोनों आरोपियों को अब पीएमएलए स्पेशल जज रायपुर की अदालत में पेश किया गया और ईडी ने उनके चौंकाने वाले कबूलनामे की पुष्टि करने और मनी लॉन्ड्रिंग के सबूतों का पता लगाने के लिए उनसे हिरासत में पूछताछ की मांग की है. कोर्ट ने आरोपियों को 7 दिनों के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया है. इस मामले में आगे की जांच जारी है.
इस मामले में पहले दाखिल किए गए आरोप पत्र से पता चला था कि महादेव ऐप प्रमोटरों द्वारा भूपेश बघेल के दो ओएसडी और उनके करीबी लोगों को हवाला के जरिए भुगतान किया गया था. इसके अलावा महादेव ऐप के प्रमोटर नियमित रूप से वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को भुगतान करते थे.
खास बात ये है कि यूएई से आए कैश कूरियर असीम दास के फोन से ईडी को एक ऑडियो मिली है. दावा किया जा रहा है कि इस ऑडियो में शुभम सोनी और असीम दास के बीच बातचीत हो रही है. जिसमें सोनी कैश कूरियर असीम दास को कह रहा है कि तुम रायपुर जाओ और वहां चुनाव के लिए बघेल को चुनाव के लिए पैसा पहुंचा दे.
डिप्टी सीएम टी.एस. सिंह देव ने साधा निशाना
छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम टी.एस. सिंह देव ने इस मामले पर कहा कि चुनाव से पहले (BJP) पूरी तरह अपेक्षित लाइन पर चले गये हैं. ये आरोपों का सिलसिला है. क्योंकि मोदी सरकार ईडी को राजनीतिक दलों के खिलाफ हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रही है. हम उन पर कैसे भरोसा कर सकते हैं? ये सभी आरोप हैं. मनी ट्रेल में नाम लेना सबसे आसान काम है. इससे पहले एक डायरी काफी सुर्खियों में रही थी. अब वे दूसरे नाम ले रहे हैं. आपको ईडी के मामले में अपील करने का अधिकार नहीं है. किसी पर भी मामला दर्ज किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि ऐसे मामले में नकद लेनदेन साबित करना कठिन है. वे बताएं कि 500 करोड़ कहां हैं? वह नकदी कहां है?
इस समय राज्य में चुनाव हो रहे हैं। सब कुछ चुनाव आयोग के हाथों में है। पुलिस के अलावा सीआरपीएफ़ के जवान जांच कर रहे हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि इतनी बड़ी रकम लेकर लोग किस तरह से छत्तीसगढ़ पहुंच पा रहे हैं? कहीं इसमें भी तो केंद्रीय एजेंसियों की सांठगांठ नहीं चल रही है? कहीं ये रकम ,,उन संदूकों में तो भरकर नहीं लाई गई है जो ईडी के अफ़सरों और सुरक्षा एजेंसियों के साथ विशेष विमान पहुंची हैं?
क्या मोदी सरकार जांच एजेंसियों के सहारे लड़ेगी चुनाव ?
अब विपक्ष का सवाल है कि ईडी और आईटी के छापे विपक्षी नेताओं पर ही क्यों पड़ रहे हैं? क्या सत्ता पक्ष के नेता सबके सब पाक- साफ़ हैं? चुनाव के वक्त चुनावी राज्यों में विपक्ष को गिराने के लिए उसके नेताओं को प्रक्रियाओं में उलझाए रखने के लिए ऐसा किया जा रहा है। जिन नॉन इलेक्शन स्टेट में छापे मारे जा रहे हैं वहाँ सत्ता पक्ष का उद्देश्य यह है कि वहाँ के नेता प्रचार करने के लिए चुनावी राज्यों में न जा पाएँ। जहां तक सत्ता पक्ष का सवाल है अगर विपक्षी नेता इतने ही पाक- साफ़ हैं तो डर क्यों रहे हैं। हालाँकि सत्ता पक्ष की इस बात में कोई सकारात्मक तर्क नज़र नहीं आता। लेकिन सत्ता पक्ष का मुँह आख़िर कौन बंद करा सकता है?
दरअसल, राजनीति में कोई भी पाक- साफ़ नहीं है। तभी विपक्षी नेता खुलकर ईडी और आईटी के छापों का जवाब नहीं दे पा रहे हैं क्योंकि जो कोई बयान देगा उसे भी छापों का डर सताने लगेगा। यही वजह है कि सब के सब अपना मुँह सिलकर बैठे हैं। छापे चल रहे हैं और चंदे पर बहस भी। दोनों का ही कोई इलाज नहीं है। चुनाव आयोग इन दोनों ही विषयों को छूना तक नहीं चाहता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह दोनों मिलकर भी कांग्रेस का छत्तीसगढ़ में मुकाबला नहीं कर पा रहे हैं तो वे जांच एजेंसियों के सहारे चुनाव लड़ना चाहते है।आपकी इस मुद्दे पर क्या राय है कमेन्ट कर जरूर बताएँ