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Kawad Yatra 2024: Yogi प्रशासन का नया फरमान मुसलमानों की दुकान से न खरीदे कुछ!

Kawad Yatra 2024: दोस्तों नए भारत को इस तरह से बनाया गया है की अमृतकाल मे हर जगह महोबत की दुकान खोली गई पीएम मोदी जी कहते ही है हम किसी मे भेदभाव नहीं करते सभी जाति धर्म समान है मोदी जी का नारा ही है सबका साथ सबका विकास लेकिन (Yogi) बीजेपी नेता ने अब कह दिया हमे नहीं चाहिए सबका साथ सबका विकास पीएम मोदी को ही ललकार दिया बहुत हुआ सबका साथ सबका विकास जो हमारे साथ अब उसका होगा विकास अब लोकसभा चुनाव प्रचार में तो मोदी बीजेपी के नारे भाषण सुन ही चुके हो आप पूरा चुनाव प्रचार मुसलमानों के इर्द गिर्द घुमाया जिसका खामयाजा भुगतना भी पड़ा लेकीन  अब फिर डबल इंजन सरकार योगी प्रसाशन फरमान जारी कर रहा की कोई मुसलमानों की दुकान से कुछ न खरीदे पूरा मामला क्या है वो आपको आगे बताउगी

कांवड़ यात्रा के लिए CM Yogi का ‘Veg. इंतजाम’

उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा के लिए पूरी तैयारी कर ली है। खुद सीएम योगी तैयारियों को लेकर लगातार निर्देश दे रहे हैं। कावड़ियों पर पुष्पवर्षा होगी कांवड़ यात्रा के लिए सीएम योगी ने ‘Veg. इंतजाम’. कर दिया है यूपी में अब लिखना होगा ‘आरिफ फल वाला’. अमर अकबर एंथनी..यानि सबको बतानी पड़ेगी अपनी पहचान कावड़ यात्रा को लेकर एक नया नियम जारी किया है. आदेश के अनुसार अब कावड़ यात्रा के रास्ते में हर खाने वाली दुकान या ठेले के मालिक को अपना नाम बोर्ड पर लगाना होगा ताकि कोई कांवड़िया गलती से मुसलमान की दुकान से कुछ न खरीद ले

आदेश जारी कर कहा गया है कि “यह फैसला कावड़ियों में किसी भी प्रकार से कंफ्यूजन से बचने के लिए लिया गया है ताकि किसी प्रकार का आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू न हो और कानून-व्यवस्था बनी रहे. इसलिए इसका निर्देश दिया गया है और सब इसका स्वेच्छा से पालन कर रहे हैं. इस फैसले पर अदसदुद्दीन ओवैसी से लेकर महुआ मोईत्रा तक ने योगी सरकार को घेरा है। यूपी के मुजफ्फरनगर में कांवड़ यात्रा के रास्ते में तमाम मुस्लिमों की दुकानें भी पड़ती हैं जो फल चाय एवं अन्य खाद्य सामग्री बेचते हैं। पुलिस यात्रा के बंदोबस्त में लगी है और उन्हीं में से एक इंतजाम ये भी है कि सभी मुस्लिम दुकानदारों को अपनी पहचान बताते हुए कारोबार करना होगा। बता दें कि हिंदू संगठन बार बार ये आरोप लगा रहे थे कि मुस्लिम दुकानदार अपनी पहचान छिपाकर कारोबार कर रहे हैं। उनके मुताबिक कांवड़ियों के लिए ये ज़रूरी है कि वे जहां से सामान खरीदें उसका धर्म भी जान लें। कैमरे के सामने तकरीबन सभी दुकानदारों ने प्रशासन के फैसले को सही बताया। दुकानदार प्रशासन का आदेश मान कर बोर्ड लगाना शुरू कर चुके हैं लेकिन इस फैसले पर सियासत शुरू हो गई है

विपक्ष ने साधा निशाना

ओवैसी ने सोशल मीडिया पर लिखा है ‘उत्तर प्रदेश पुलिस के आदेश के अनुसार अब हर खाने वाली दुकान या ठेले के मालिक को अपना नाम बोर्ड पर लगाना होगा ताकि कोई कांवड़िया गलती से मुसलमान की दुकान से कुछ न खरीद ले। इसे दक्षिण अफ्रीका में अपारथाइड कहा जाता था और हिटलर की जर्मनी में इसका नाम ‘Juden Boycott’ था।

वही सांसद महुआ मोईत्रा ने मुजफ्फरनगर प्रशासन के इस फैसले को संविधान विरोधी बताते हुए लिखा ‘आगे क्या? क्या मुसलमान अपनी पहचान के लिए अपनी आस्तीन पर स्टार ऑफ डेविड का निशान पहनेंगे? अगली बार जब कांवडियों या उनके परिवारों को डॉक्टर या खून की आवश्यकता हो तो उनके इलाज के लिए दूसरी कांवड़ ढूंढ लें। यह पूरी तरह से अवैध और संविधान विरोधी है।’

वही काँग्रेस नेता पवन खेड़ा ने इस आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए ‘ कहा “सिर्फ राजनीतिक दलों को ही नहीं सभी सही सोच वाले लोगों और मीडिया को इस राज्य प्रायोजित कट्टरता के खिलाफ उठ खड़े होना चाहिए। हम भाजपा को देश को अंधकार युग में वापस धकेलने की अनुमति नहीं दे सकते।”

बीजेपी ने कहा बंद करो सबका साथ सबका विकास !

दोस्तों बीजेपी की तरफ से हमेशा कहा जाता है  ‘सबका साथ सबका विकास’ मोदी का विजन देश में सारे जाति समुदाय धर्म के लोगों को साथ लेकर चलने का है। लेकिन राजनीति का लंबा अनुभव रखने वाले शुभेंदु अधिकारी जैसे नेता जब मंच से यह कहते हैं कि अब बीजेपी को इस नारे की कोई जरूरत नहीं है तो इसका मतलब आप समझते है बीजेपी इस लोकसभा चुनाव में उसे मुस्लिम वोटों के न मिलने से चिंतित है। बीजेपी के नेताओं के द्वारा अकसर यह कहा जाता है कि केंद्र या बीजेपी शासित किसी भी राज्य सरकार ने मुसलमानों से किसी तरह का भेदभाव नहीं किया है और सभी सरकारी योजनाओं का उन्हें फायदा मिल रहा है लेकिन बावजूद इसके मुस्लिम समुदाय उन्हें वोट नहीं देता।

शुभेंदु के अलावा असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा  कि असम में मुस्लिम जनसंख्या 40% पर पहुंच चुकी है जबकि 1952 में असम में केवल 12% मुसलमान थे। उन्होंने कहा कि ये मेरे लिए राजनीति का मुद्दा नहीं है बल्कि जीने-मरने का मुद्दा है।वही केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह का एक वीडियो कुछ दिन पहले आया था जिसमें उन्होंने कहा था कि एक मौलाना से जब उन्होंने पूछा कि क्या उनके साथ सरकारी योजनाओं का फायदा लेने के मामले में कोई भेदभाव किया गया तो उन्होंने कहा कि कोई भेदभाव नहीं हुआ लेकिन गिरिराज सिंह के मुताबिक मौलाना ने उन्हें वोट नहीं दिया।

दोस्तों पीएम मोदी ने एक चुनावी जनसभा में वोट जिहाद लव जिहाद और लैंड जिहाद की बात की थी। इस तरह के बयानों की वजह से ही पूरे चुनाव के दौरान हिंदू-मुस्लिम का मुद्दा हावी रहा था।बीजेपी ने इस बार लोकसभा चुनाव में एनडीए के लिए 400 पार का नारा दिया था लेकिन एनडीए सिर्फ 292 सीटंं ही जीत सका। निश्चित रूप से पार्टी के लिए यह एक बड़ा झटका था और अल्पसंख्यक मतदाताओं की उसके प्रति बेरुखी को इसके पीछे एक बड़ी वजह माना गया।बीजेपी को सबसे ज्यादा नुकसान उत्तर प्रदेश पश्चिम बंगाल बिहार और महाराष्ट्र में हुआ है और इन सभी राज्यों में मुस्लिम आबादी कई सीटों पर हार और जीत का फैसला करने की क्षमता रखती है।

भारत में मुस्लिम समुदाय की आबादी 14 प्रतिशत है और देशभर की 543 लोकसभा सीटों में से 86 लोकसभा सीटों पर मुस्लिम समुदाय की आबादी कम से कम 20% या उससे ज्यादा है। यह 86 सीटें 12 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में हैं। 86 में से 16 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां पर मुसलमानों की आबादी 50% से ज्यादा है।लोकसभा चुनाव के प्रचार और इसके नतीजों के बाद जिस तरह बीजेपी के नेताओं के बयान मुस्लिम समुदाय को लेकर आ रहे हैं उससे यह सवाल खड़ा हो रहा है  क्या बीजेपी अब हार्डकोर हिंदुत्व की राजनीति करेगी? क्योंकि पार्टी नेताओं के एक बड़े तबके का मानना है कि मुस्लिम समुदाय तमाम सरकारी योजनाओं का फायदा लेने के बाद भी उन्हें वोट नहीं देता।खैर आपकी इस पर क्या राय है हमे कोममें कर जरूर बताएँ

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