India Alliance Meeting: दोस्तों राजनीति का कोई आखिरी पड़ाव नहीं होता. चुनाव का आना -जाना, पार्टियों का बनना- टूटना और सबसे बड़ा राजनेताओं का बदलते रहना. ऐसे कई पड़ाव हैं जो इसके रंग को फीका नहीं होने देते पाँच राज्यों के विधानसभा परिणाम के बाद जब अभी सरकारें भी ठीक से बनी भी नही विधानसभा कैबिनेट में कौन शामिल होगा? कौन नही? लेकिन इसकी (I.N.D.I.A) राजनैतिक हलचल राज्यों से लेकर दिल्ली तक जारी है। और आगामी लोकसभा चुनाव के लिए राजनीतिक बिसात बिछनी शुरु हो गई। जी हाँ, एक तरफ भाजपा राज्यों में सरकार बनाने में लगी हुई है वहीं दूसरी ओर अन्य राजनीतिक दल ,,भाजपा के लिए चक्र चक्रव्यूह रचने में लगी हुई है इसी के चलते इंडिया गठबंधन की कल बैठक हुई
अभी तक इंडिया गठबंधन की 4 बैठके हो चुकी है और कोई भी बैठक बिना किसी विवाद के खत्म नहीं हुई। हर बार कुछ न कुछ ऐसा हो जाता है कि बैठक का अंत खुशगवार माहौल में नहीं होता। करीब चार घंटे की बैठक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मीडिया को संबोधित किया। सबकुछ ऐसा प्रदर्शित किया जा रहा था कि 28 दलों के नेता बैठक में आए और यह बहुत बड़ी उपलब्धि थी लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस से ही यह संकेत मिल गया कि सबकुछ ठीक नहीं था। आमतौर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस को विपक्ष के सभी प्रमुख नेता बारी-बारी से संबोधित करते हैं। खड़गे के बोलने के बाद उम्मीद थी नीतीश, लालू और ममता भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलेंगी।, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। खड़गे के बोलने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस खत्म घोषित कर दी गई। आखिर ऐसा क्यों हुआ
I.N.D.I.A गठबंधन की चौथी बैठक
सूत्रों का कहना है कि आरजेडी संस्थापक लालू यादव और जेडीयू नेता व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कांग्रेस अध्यक्ष का नाम बतौर पीएम पेश करने से खुश नहीं थे। खड़गे का नाम टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी और अरविन्द केजरीवाल ने पेश किया था जिस पर सभी एकमत थे लेकिन बाद में जब प्रेस कॉन्फ्रेंस संबोधित करने की बारी आई तो लालू और नीतीश दोनों ने मना कर दिया। उनका मना करने का अंदाज ऐसा था जैसे वो बहुत नाराज हों। बैठक के दौरान ही दोनों नेता उठकर भी चले गए थे। लेकिन खुद खड़गे ने इस प्रस्ताव पर रुचि नहीं दिखाई। उन्होंने केजरीवाल और ममता से फिलहाल चुनाव पर ध्यान देने के लिए कहा।
अब सवाल तो ये भी उठता है खड़गे नहीं तो कौन होगा pm face लालू और नीतीश खड़गे का नाम पेश किए जाने पर सहमत नहीं थे तो आखिर उनकी पसंद क्या है। लालू की पसंद राहुल गांधी हैं। लालू कई मौकों पर यह बात कहते रहे हैं कि राहुल गांधी को अगला पीएम बनाया जाना चाहिए। दूसरी तरफ नीतीश कुमार खुद को भी दावेदार मानते हैं। उनकी पार्टी तो लगातार यह संकेत दे रही है कि नीतीश को अगला पीएम चेहरा बनाया जाए। जेडीयू की यूपी यूनिट ने फूलपुर से नीतीश को चुनाव लड़ने का आग्रह किया। जेडीयू ने बाकायदा मांग की कि नीतीश को इंडिया गठबंधन का संयोजक बनाया जाए। नीतीश समर्थकों ने मंगलवार की बैठक से पहले पोस्टरबाजी भी की जिसमें नीतीश को इंडिया का संयोजक बनाने की मांग की गई।
क्या रहा विपक्ष की बैठक का निचोड़
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बैठक में सीटों को साझा करने का मुद्दा सबसे ऊपर रहा। गठबंधन जनवरी या फरवरी में साझा प्रत्याशियों का एलान करने के प्रयास में है। इंडिया गठबंधन की बैठक में निर्णय लिया गया कि जनवरी तक राज्यवार सब कमेटियां बना दी जाएंगी। गठबंधन का झंडा भी साझा होगा। इसके अलावा जनवरी से साझा रैलियों की शुरुआत होगी। संयुक्त रैलियों में पटना, नागपुर, कोलकाता और चेन्नई को प्राथमिकता पर रखा गया है।
राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में हार के बावजूद बैठक में कांग्रेस के तेवर जस के तस यानी गरम नजर आए। तीनों राज्यों में कांग्रेस अपने वोट शेयर को लेकर उत्साहित नजर आई। सूत्रों ने बताया कि हिंदी पट्टी के राज्यों में गठबंधन की दूसरी पार्टियों के पास कोई ठोस दावेदारी नहीं है। लिहाजा कांग्रेस यहां फायदे में हैं। जबकि कर्नाटक, हिमाचल और तेलंगाना में पार्टी की सरकार के कारण उसे फायदा मिल सकता है। इसलिए पार्टी इन राज्यों में अन्य दलों को सीट नहीं देने के मूड में नहीं है। जबकि राजस्थान, हिमाचल, हरियाणा, उत्तराखंड और गुजरात में पिछले चुनाव में सभी सीटें हारने के बाद भी कांग्रेस एक भी सीट दूसरे दलों के साथ बांटने को तैयार नहीं है। यहां 70 सीटें हैं। कांग्रेस पार्टी ने बैठक में साफ कहा कि इन राज्यों में कांग्रेस का सीधा मुकाबला भाजपा से है। इंडिया गठबंधन में वही सियासी चुनौती देने में सक्षम है। बैठक में महाराष्ट्र, यूपी, पंजाब, दिल्ली और बिहार के सीट शेयरिंग को लेकर भी चर्चा हुई।
सूत्रों ने बताया कि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए 270 सीटें कांग्रेस के पास रहेंगी। जबकि अन्य 270 सीटें अन्य दलों को देने की तैयारी में है। बैठक में सीट शेयरिंग को लेकर को लेकर मोटे तौर पर बनी सहमति के अनुसार, 270 सीट ऐसी हैं जहां कांग्रेस अपने उम्मीदवार उतारेगी। जबकि बाकी 270 ऐसी सीटें हैं जहां गठबंधन दलों को सीटें साझा करनी हैं। इंडिया गठबंधन ने चार राज्यों के लिए सीटों का बंटवारा राज्यों की यूनिट को सौंप दिया है जबकि चार कठिन राज्य मान गए हैं। इसलिए उनकी सीट का बंटवारा पार्टी के शीर्ष नेता करेंगे।
कांग्रेस महाराष्ट्र की 48, बिहार की 40, तमिलनाडु की 39 और उत्तर प्रदेश की 80 सीटें एनसीपी, शिवसेना उद्धव, द्रमुक, आरजेडी और सपा के साथ मिलकर लड़ेगी। इन राज्यों में 197 सीटें हैं। बैठक में केरल की 20, बंगाल की 42, पंजाब की 13 और दिल्ली की 7 सीटों पर चर्चा हुई। इन सभी राज्यों की सीटों का बंटवारा सबसे आखिर में लेने का निर्णय लिया गया है। इन चार राज्यों में 82 सीटें हैं। सूत्रों ने बताया कि केरल में सीट शेयरिंग बहुत आसान नहीं है। जबकि बंगाल में जो भी सहमति बनेगी, वह कांग्रेस और टीएमसी के बीच ही बनेगी। पंजाब और दिल्ली में कांग्रेस और आप के बीच सहमति होनी है। इसलिए इन राज्यों का निर्णय बाद में लिया जाएगा।
बैठक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने कहा कि विपक्षी सांसदों के निलंबन पर हम 22 दिसंबर को विरोध प्रदर्शन करेंगे। आने वाले दिनों में पूरे देश में विपक्षी गठबंधन की 8 से 10 मीटिंग्स होंगी। गठबंधन के लोग अगर एक मंच पर नहीं आएंगे तो लोगों को कैसे मालूम चलेगा। दिल्ली में हुई चौथी बैठक में नीतीश और लालू की नाराजगी इंडिया गठबंधन को महंगी पड़ सकती है। आपको क्या लगता है इस बैठक का कोई निचोड़ निकला है या नहीं अपनी राय कमेन्ट कर जरूर दीजिए