Delhi Meerut RRTS: देश के पहले रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम में छह एयरकंडीशंड कोच वाली ट्रेनें होंगी। छह कोच की ट्रेन में कुल 450 पैसेंजर सीट्स रहेंगी। एक प्रीमियम कोच (RAPIDX Train) होगा जबकि दूसरा महिलाओं के लिए रिजर्व रहेगा। RAPIDX स्टेशन ऐसे बनाए जा रहे हैं जहां नौ कोच वाली ट्रेन खड़ी हो सके। दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर पर 5-10 मिनट के गैप पर ट्रेन मिल जाएगी। पूरा कॉरिडोर (rapid rail) पब्लिक के लिए 2025 तक खुलेगा। हालांकि, पब्लिक को RRTS से सफर (delhi meerut rapid train project) का मौका जल्द ही मिलने वाला है। साहिबाबाद #rapidrail से दुहाई के बीच 17 किलोमीटर लंबा प्रॉयरिटी सेक्शन खोलने की तैयारी है। अभी इस छोटे रूट पर ट्रेनों की फ्रीक्वेंसी तय नहीं की गई है।
एवरेज स्पीड 100kmph होगी
नैशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट सिस्टम कॉर्पोरेशन के एक अधिकारी ने कहा, ‘RRTS अपनी तरह का पहला रेल आधारित, हाई स्पीड, हाई फ्रीक्वेंसी रीजनल ट्रांजिट सिस्टम है जिसे 180 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चलने के लिए डिजाइन किया गया है। इसकी एवरेज स्पीड 100kmph होगी जो मेट्रो रेल के तीन गुने से भी ज्यादा है।’ अधिकारी ने दावा किया कि RAPIDX NCR का सबसे तेज, आरामदायक और सुरक्षित ट्रांसपोर्ट मीडियम बनेगा।
सिर्फ 12 मिनट में साहिबाबाद से दुहाई
RRTS के प्रॉयरिटी सेक्शन यानि (साहिबाबाद से दुहाई) पर यात्रा सिर्फ 12 मिनट में पूरी हो सकेगी। दिल्ली से मेरठ के बीच पूरा कॉरिडोर खुलने के बाद बड़ा बदलाव आएगा। अभी दिल्ली से मेरठ आने-जाने में तीन घंटे तक लग जाते हैं। RAPIDX से दिल्ली और मेरठ के बीच का सफर सिर्फ 50 मिनट में पूरा होगा।
कई जगहों पर वायाडक्ट बनाए
वही NCRTC के एक अधिकारी के अनुसार, ‘प्रॉयरिटी सेक्शन के बनने के साथ ही दिल्ली, मेरठ और गाजियाबाद में RRTS कॉरिडोर दिखने लगे हैं। कई जगहों पर वायाडक्ट बनाए गए हैं और खड़े पिलर बदलती ट्रांसपोर्ट सर्विस की झलक दिखा रहे हैं। दिल्ली से मेरठ के बीच कॉरिडोर पर 25 स्टेशन हैं और ज्यादातर का ढांचा खड़ा हो चुका है।
क्यों इतना खास है दिल्ली-मेरठ RRTS प्रोजेक्ट
दोस्तों इस प्रोजेक्ट के तहत RRTS स्टेशनों और ट्रेनों में 24×7 सीसीटीवी मॉनिटरिंग होगी।
कोच में हर साइड तीन एंट्री-एग्जिट गेट होंगे ताकि यात्री आसानी से चढ़-उतर सकें।
ट्रेनों को 2×2 ट्रांसवर्स सीटिंग में डिजाइन किया गया है। खड़े होने और सामान रखने के लिए के लिए पर्याप्त जगह होगी।
डायनैमिक रूट मैप, ऑटो कंट्रोल एम्बिएंट लाइटिंग सिस्टम, हीटिंग वेंटिलेशन और एयरकंडीशनिंग के अलावा और सुविधाएं रहेंगी।
RRTS की सभी ट्रेनों को गुजरात के सावली स्थित प्लांट में बनाया जा रहा है।
दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर से रोज करीब 8 लाख लोगों के सफर करने की उम्मीद है।
इस प्रोजेक्ट से हर साल करीब 2,50,000 टन कार्बन डाइऑक्साइड कम करने में मदद मिलेगी