Delhi hospitals: दोस्तों आज के सभी अखबारों में पहले ही पन्ने पर या दूसरे पन्ने पर एक खबर है अस्पतालों में भ्रष्टाचार चरम पर अलग अलग अखबारों में अलग अलग हेड्लाइन पाई इस खबर ने जनसत्ता ने लिखा केंद्र संचालित अस्पतालों में भ्रष्टाचार चरम पर nbt ने लिखा अपने बड़े अस्पतालों में फैले भ्रष्टाचार पर चुप क्यों है केंद्र सरकार वही अमर उजाला ने लिखा केंद्र के अस्पतालों में भ्रष्टाचार चरम पर पहुंचा अब ये खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है आप इसका अंदाजा इसी से लगा सकते है की अखबारों में पहले पन्ने पर इसने अपनी जगह बनाई है
दरअसल मामला ये है अस्पताल में इलाज न मिलने से एक 14 साल की लड़की की मौत हो गई और इसी पर दिल्ली में सियासत शुरू हो गई बड़े दुःख के साथ कहना पड़ रहा है इस पर लोग एक दूसरे पर दोष मढ़ रहे हो क्या दिल्ली सरकार की कोई जिम्मेदारी नही भारत का नागरिक मरा वो भी दिल्ली में और केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार दोनो राजनीति कर रहे है क्या इनके लिए जनता की कोई वैल्यू नही
आपके अस्पतालों में दलालों को पैसे देने पर मिलती है सीट- AAP
राजधानी दिल्ली के तिमारपुर की संजय बस्ती में रह रही 14 साल की लड़की दिल्ली के अलग-अलग अस्पतालों में जिंदगी की भीख मांग रही थी . लड़की को ब्लड कैंसर था. किसी भी अस्पताल में इलाज के लिए बेड नहीं मिल रहा था एम्स अस्पताल में 15 दिनों तक लगातार चक्कर काटती रही बावजूद इसके इलाज नहीं मिला. आखिरकार बच्ची की मौत हो गई. परिजनों का दावा है कि बच्ची ने खुद डॉक्टर से हाथ जोड़कर कई बार इलाज के लिए गुहार लगाई थी लेकिन इन सब के बावजूद एम्स अस्पताल के अधिकारियों का दिल नहीं पसीजा
अब आम आदमी पार्टी के नेता दिलीप पांडे ने केंद्र के अधीन दिल्ली के अस्पतालों में हो रही दलाली को लेकर सरकार पर निशाना साधा. कहा कि मरीज के सीधे जाने पर अस्पताल प्रबंधन कहता है सीट नहीं है. लेकिन दलालों को 35, 40 या 50 हजार रुपये देने पर वहीं बेड मिल जाता है. अस्पताल प्रबंधन दलालों के साथ मिला हुआ है. भाजपा सरकार दिल्ली सरकार के मंत्रियों के पीछे जितने संसाधन लगा रही है, यदि उतनी ऊर्जा व्यवस्थाओं को सुधारने में लगाया होता तो यह नौबत नहीं आती. आप पहले ये सुनिए
सुना आपने 4 महीने तक दिल्ली के अस्पताल में बच्ची का इलाज चला जब वहाँ पर इलाज संभव नहीं हुआ तो refer किया गया अब इनसे कोई पूछे दिल्ली सरकार तो अपने अस्पतालों को वर्ल्ड क्लास बताती है फिर दिल्ली सरकार के वर्ल्ड क्लास अस्पताल को किसी मरीज़ को AIIMS भेजने की जरूरत क्यों पड़ी दिल्ली का स्वास्थ्य मॉडल किधर गया? लेकिन सवाल तो सही पूछा है की इस खबर ने आपका दिल दुखाया है या नहीं पर सच्चाई ये है इस खबर से न भाजपा का दिल दुखा है और न ही आम आदमी पार्टी का क्योंकि इस गंभीर मुद्दे पर भी राजनीति हो रही है एक दूसरे पर आरोप लगा रहे है आपने खुद ही सुना होगा पांडे जी ने क्या कहा की बीजेपी आप मंत्रियों के पीछे पड़ी है अब भला इस मुद्दे से इस बात का क्या तालुक आप खुद ही समझ सकते है
दिलीप पांडेय ने कहा कि दिल्ली के अंदर जो केंद्र सरकार के अधीन अस्पताल है. इन अस्पतालों में एम्स और सफदरजंग जैसे बड़े अस्पताल हैं. सफदरजंग अस्पताल में बेड नहीं है यह कहकर मरीजों को लौटा दिया जाता है. क्योंकि यहां पर अस्पताल प्रबंधन और दलालों के बीच साठगांठ है. अस्पताल में सीधे मरीज के जाने पर अस्पताल प्रबंधन की ओर से कह दिया जाता है कि बेड खाली नहीं है. लेकिन जब मरीज दलाल को रुपये दे देते हैं तो बेड मिल जाता है. इस तरह की घटना क्रिमिनल एक्ट के तहत आता है. कहा कि मेरा सीधा सवाल है कि इन अस्पतालों में सीधे आने वाले मरीजों को बेड क्यो नहीं मिल रहा है? और दलाल को पैसे देने पर बेड मिल जा रहा है क्यो? इस तरह के भ्रष्टाचार के ऊपर जहां अस्पताल का प्रशासन भी लिप्त है. स्वास्थ्य मंत्री, गृह मंत्री और प्रधानमंत्री चुप क्यों है.
बच्ची की मौत पर दिल्ली में सियासत
इसी पर पलटवार करते हुए दिल्ली भाजपा के सचिव हरीश खुराना व बांसुरी स्वराज ने कहा है कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों मैं भ्रष्टाचार व्याप्त है। शिकायतों के कारण दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज को अस्पतालों में छापेमारी करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। डा अंबेडकर अस्पताल में हालिया छापामारी के बाद मंत्री सौरभ ने स्वीकार किया कि एक सुरक्षा गार्ड नगद पैसे के बदले जरूरतमंद मरीजों को सुविधा दे रहा था। इसी तरह कई मोहल्ला क्लीनिकों में डाक्टरों व मेडिकल स्टाफ के भ्रष्टाचार की बात स्वीकारी थी।
दिल्ली सरकार के तीन बड़े अस्पतालों में जीबी पंत, जीटीबी और LNJP में कितने घोटाले चल रहे हैं। ऐसे में आम आदमी पार्टी के नेता और विधायक दिलीप पांडे दिल्ली में केंद्र सरकार के अस्पतालों का नाम खराब करने की कोशिश कर रहे हैं, जो दिल्लीवासियों को विशेषज्ञ उपचार प्रदान कर रहे हैं। पांडे को दिल्ली सरकार के अस्पतालों में जाकर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार देखना चाहिए या मंत्री सौरभ भारद्वाज से इस पर रपट मांगनी चाहिए।
अब देखा अपने भाजपा ने क्या बयान दिया की केंद्र सरकार के अस्पतालों का नाम खराब किया जा रहा है लापरवाही, भ्रष्टाचार, की वजह से बच्ची की मौत हो गई और अब भी ऐसे बयान दिए जा रहे क्या ही बात है ,,,,,,दोस्तों हम सब अच्छे से जानते है न तो भाजपा दूध की धुली है और न ही आम आदमी पार्टी दोनों ही भ्रष्टाचार में लिप्त है कौन ज्यादा है कौन कम ?राजनीति में ये up down चलता ही रहता है दोस्तों सवाल ये उठता है इनकी नाकामी , लापरवाही आम जनता को भुगतनी पड़ती है इनका कुछ नहीं जाता आपकी इस मुद्दे पर क्या राय है कमेन्ट कर जरूर बताएँ