Waqf Board Amendment Bill 2024: भाजपाई-हित में जारी वक्फ बोर्ड बिल!
Waqf Board Amendment Bill 2024: केंद्र की एनडीए सरकार ने लोकसभा में आज वक्फ बोर्ड बिल को पेश किया सरकार की प्राथमिकता है कि इस बिल को सदन में आम सहमति से पारित करवाया जाए और गरीब मुस्लिम मुस्लिम महिला अनाथ मुस्लिम को न्याय दिलाया जाए.लेकिन सरकार पर आरोप लग रहे है की ये वक्फ बिल नहीं अडाणी बिल है. वक्फ की जमीन सरकार अडाणी को दे देगी. क्या दोस्तों को जमीन देने के लिए मोदी जी ये बिल लेकर आ रहे हैं.अगर ऐसा नहीं है तो इस बात की लिखकर गारंटी दी जाए कि वक्फ बोर्ड की जमीनें बेची नहीं जाएंगी
Waqf Board Amendment Bill 2024 संसद मे पेश
वक्फ बोर्ड से जुड़े कानून में संशोधन के लिए गुरुवार यानी आज लोकसभा में विधेयक पेश किया सदन में इस विधेयक पर विस्तार से चर्चा होगी. सरकार चाहती है कि इस बिल में सभी दलों को साथ लिया जाए और सर्वसम्मति बनाने के लिए बिल को सेलेक्ट कमेटी को भी भेजा जा सकता है. इस बिल को लेकर सरकार ने पिछले दो महीने में करीब 70 ग्रुप से मशविरा किया है. उसके बाद इसे अंतिम रूप दिया है.आइए देखते है विधेयक में क्या बड़े बदलाव होने जा रहे हैं…
सरकार की प्राथमिकता है कि इस बिल को सदन में आम सहमति से पारित करवाया जाए और गरीब मुस्लिम मुस्लिम महिला अनाथ मुस्लिम को न्याय दिलाया जाए. अगर सदन में इस बिल पर आम सहमति नहीं बनी तो सरकार इस बिल को और ज्यादा चर्चा के लिए किसी संयुक्त समिति को भी भेज सकती है. इस बिल का मकसद वक्फ संपत्तियों को अवैध कब्जे से निजात दिलाना है. अभी वक्फ बोर्ड डिफेंस और भारतीय रेलवे के बाद देश में तीसरा सबसे बड़ा भूस्वामी (चल-अचल संपत्ति) है. हालांकि रेलवे और डिफेंस सरकारी संपत्ति हैं.
Waqf Board से जुड़े दो बिल
सरकार वक्फ से जुड़े दो बिल संसद में ला रही है. एक बिल के जरिए मुसलमान वक्फ कानून 1923 को समाप्त किया जाएगा. दूसरे बिल के जरिए वक्फ कानून 1995 में महत्वपूर्ण संशोधन होंगे. अब तक वक्फ अधिनियम 1995 नाम था. अब संशोधन विधेयक को नया नाम दिया गया. इसे ‘एकीकृत वक्फ प्रबंधन सशक्तिकरण दक्षता और विकास अधिनियम 1995’ नाम दिया गया है.संशोधन बिल 2024 के जरिए सरकार 44 संशोधन करने जा रही है. सरकार ने कहा कि बिल लाने का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन और संचालन करना है. वक्फ कानून 1995 का नाम बदल कर एकीकृत वक्फ प्रबंधन सशक्तिकरण दक्षता और विकास अधिनियम 1995 होगा.
अब तक अधिनियम में ‘वक्फ’ में मुस्लिम कानून द्वारा मान्यता प्राप्त विभिन्न प्रकार के वक्फ शामिल हैं लेकिन संशोधन विधेयक में जो व्यक्ति कम से कम पांच साल से मुस्लिम धर्म का पालन कर रहा है वही अपनी चल अचल संपत्ति को वक्फ को दान कर सकता है. इसमें यह भी सुनिश्चित किया गया है कि वक्फ-अलल-औलाद महिलाओं के विरासत अधिकारों से इनकार नहीं कर सकता हैवक्फ कानून 1995 के सेक्शन 40 को हटाया जा रहा है. इस कानून के तहत वक्फ बोर्ड को किसी भी संपत्ति को वक्फ की संपत्ति घोषित करने का अधिकार था. लेकिन अब संपत्ति को लेकर अधिकारों पर कैंची चला दी गई है. दरअसल वक्फ अधिनियम की धारा 40 पर सबसे ज्यादा विवाद है. धारा 40 में प्रावधान है कि अगर वक्फ बोर्ड किसी संपत्ति को वक्फ संपत्ति समझता है तो वो उसे नोटिस देकर और फिर जांच करके तय कर सकता है कि वो वक्फ की जमीन है. वो यह भी तय कर सकता है कि ये शिया वक्फ है या फिर सुन्नी. वक्फ बोर्ड के फैसले के खिलाफ सिर्फ ट्रिब्यूनल में ही जाने का अधिकार है.
ये हुआ बदलाव
मूल अधिनियम में वक्फ संपत्तियों के सर्वे के लिए सर्वे कमिश्नरों की नियुक्ति का प्रावधान है.लेकिन संशोधन विधेयक में कलेक्टर या डिप्टी कलेक्टर ही सर्वे कमिश्नर होगा. इससे नीचे पद वाले अधिकारी को जिम्मेदारी नहीं दी जा सकती है.संशोधन विधेयक में वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन और मैनेजमेंट ट्रांसपेरेंसी और एफिसियंसी का ख्याल रखा गया है. इसके लिए एक सेंट्रल पोर्टल और डेटाबेस का प्रावधान है. अब किसी भी संपत्ति को वक्फ के रूप में दर्ज करने से पहले सभी संबंधितों को उचित नोटिस दिया जाएगा और राजस्व कानूनों के अनुसार एक विस्तृत प्रक्रिया से गुजरना होगा.
नए बिल में केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों की भूमिका में भी बदलाव किया गया है. इन निकायों में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुसलमानों का प्रतिनिधित्व भी होगा. केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड में मुस्लिम और गैर मुस्लिम का उचित प्रतिनिधित्व होगा. महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाएगा. केंद्रीय परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड में दो महिलाओं को रखना अनिवार्य होगा. एक केंद्रीय पोर्टल और डेटाबेस के जरिए वक्फ के रजिस्ट्रेशन के तरीके को सुव्यवस्थित किया जाएगा.नए बिल में आगाखानी और बोहरा वक्फ को परिभाषित किया गया है. इस विधेयक में बोहरा और आगाखानियों के लिए एक अलग औकाफ बोर्ड बनाए जाने का प्रस्ताव है. मसौदे में मुस्लिम समुदायों में अन्य पिछड़ा वर्ग शिया सुन्नी बोहरा आगाखानी को प्रतिनिधित्व दिए जाने का प्रावधान है.वक्फ परिषद में केंद्रीय मंत्री तीन सांसद मुस्लिम संगठनों के तीन नुमाइंदे मुस्लिम कानून के तीन जानकार सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के दो पूर्व जज एक प्रसिद्ध वकील राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चार लोग भारत सरकार के अतिरिक्त या संयुक्त सचिव आदि होंगे. इनमें से कम से कम दो महिलाओं का होना जरूरी है.
विधेयक में ट्रिब्यूनल स्ट्रक्चर में सुधार
मूल अधिनियम में अपील के लिए कुछ पावर और प्रावधानों के साथ वक्फ ट्रिब्यूनल की स्थापना की गई थी. लेकिन संशोधन विधेयक में ट्रिब्यूनल स्ट्रक्चर में सुधार किया गया है. अब दो सदस्यीय ट्रिब्यूनल होगा. ट्रिब्यूनल के आदेशों के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील के लिए 90 दिनों की समय-सीमा दी जाएगी. वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण के लिए सर्वे कमिश्नर का अधिकार कलेक्टर या कलेक्टर द्वारा नामित डिप्टी कलेक्टर को होगा.मूल अधिनियम में स्पष्ट रूप से विविध प्रतिनिधित्व को अनिवार्य नहीं किया गया है. जबकि संशोधन विधेयक में केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में शिया सुन्नी बोहरा आगाखानी अन्य पिछड़े वर्गों मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुसलमानों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने का प्रावधान रखा गया है.
मूल अधिनियम में वक्फ के प्रबंधकों को शुद्ध वार्षिक आय का सात प्रतिशत वार्षिक योगदान देना जरूरी है. लेकिन संशोधन विधेयक में कम से कम पांच हजार रुपये की शुद्ध वार्षिक आय वाले वक्फ के लिए वार्षिक योगदान को घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है.वक्फ संपत्तियों को विशेष दर्जा दिया गया है जो किसी ट्रस्ट आदि से ऊपर है. यह अधिनियम ‘औकाफ’ को रेगुलेट करने के लिए लाया गया था.बता दे की एक वकीफ द्वारा दान की गई और वक्फ के रूप में नामित संपत्ति को ‘औकाफ’ कहते हैं. वकीफ उस व्यक्ति को कहते हैं जो मुस्लिम कानून द्वारा पवित्र धार्मिक या धर्मार्थ के रूप में मान्यता प्राप्त उद्देश्यों के लिए संपत्ति दान करता है. संशोधित वक्फ एक्ट 1995 का सेक्शन 3(R) कहता है कि अगर कोई संपत्ति किसी उद्देश्य के लिए पवित्र धार्मिक या चेरिटेबल परोपरकारी मान ली जाए तो वो वक्फ की संपत्ति हो जाएगी. अधिनियम में आखिरी बार 2013 में संशोधन किया गया था.
सरकार ने बिजनेस एडवाइजरी कमेटी से कहा कि वो लोकसभा की भावना का आकलन करने के बाद इस पर फैसला करेगी. सरकार ने कमेटी की बैठक में कहा कि वो गुरुवार को लोकसभा में पेश होने के बाद विधेयक पर चर्चा और इसे पारित कराने पर जोर नहीं देगी. इस बात की संभावना है कि सरकार विधेयक को संसदीय पैनल के पास भेजने पर सहमत हो सकती है. हालांकि लोकसभा की विभाग-संबंधित स्थायी समितियों का अभी तक गठन नहीं हुआ है. यदि सरकार इस तरह की कार्रवाई पर निर्णय लेती है तो सदन विधेयक की जांच के लिए स्थायी समिति की अनुपस्थिति में एक अलग पैनल बना सकता है. अखिलेश यादव ने वक्फ बिल का विरोध करते हुए एक्स पर लिखा- ‘वक्फ बोर्ड’ का ये सब संशोधन भी बस एक बहाना है. रक्षा रेल नज़ूल लैंड की तरह जमीन बेचना निशाना है. वक्फ बोर्ड की जमीनें डिफेंस लैंड रेल लैंड नज़ूल लैंड के बाद ‘भाजपाइयों के लाभार्थ योजना’ की शृंखला की एक और कड़ी मात्र हैं. भाजपा रियल स्टेट कंपनी की तरह काम कर रही है. उसे अपने नाम में ‘जनता’ के स्थान पर ‘जमीन’ लिखकर नया नामकरण कर देना चाहिए: भारतीय जमीन पार्टी. खैर आपकी इस बिल पर क्या राय है हमे कमेन्ट कर जरूर बताये