Site icon जनता की आवाज

Gautam Adani के लिए America से Hindenburg Research से बड़ी आफ़त! Bloomberg report on Adani

modi adani

modi adani

Bloomberg report on Adani: दोस्तों वैसे तो हमारे देश की ed, सीबीआई जांच एजेंसी की आखे ओर कान बहुत तेज है जहां भी भ्रष्टाचार होता हुआ देखती है वहाँ तुरंत पहुँच जाती है पर इनका भी एक दायरा है सत्ता पक्ष में न हो ओर ना मोदी मित्र हो तभी तो (Gautam Adani) अदानी ग्रुप पर इनकी नजर नहीं पड़ी देश के जांच एजेंसी की इतना प्रभावसाली होने के बावजूद भी अदानी समूह के खिलाफ अमेरिका की जांच एजेंसी को जाच करनी पड़ रही है

दोस्तों जब hidenburg की एक (Hindenburg Research) रिपोर्ट ने ही अदानी को अर्श से फर्श पर ला पटका था और इस बार जो जांच हो रही है वो अमेरिका अधिकारी कर रहे है तो अब इस जांच से कंपनी पर क्या असर होगा आपको पता ही होगा लेकिन इस जांच का दायरा बस अदानी ओर उसकी कंपनी तक सीमित नहीं है बल्कि इसमे भारतीय अधिकारी भी शामिल कीये जा रहे है मतलब अगर अदानी फसे तो भारतीय अधिकारियों के लेकर भी फसएंगे जांच में क्या सामने आएगा ये तो जल्द पता ही चल जाएगा क्योंकि जांच अमेरिका (America) मे हो रही है और अमेरिका में अडानी समूह का बच पाना बहुत मुश्किल है इस बार यूएस की एक एजेंसी ने गौतम अडानी के खिलाफ रिश्वतखोरी की जांच शुरू कर दी है।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट ने बढ़ाई अडानी ग्रुप की टेंशन।

यूएस में अडानी ग्रुप के खिलाफ वहां के सरकारी वकीलों के समूह ने जांच शुरू कर दी है अमेरिका में हो रही यह जांच अदानी ग्रुप के साथ-साथ ग्रुप के चेयर पर्सन गौतम अदानी के खिलाफ की जा रही है ये पूरा मामला एक एनर्जी प्रोजेक्ट से जुड़ा बताया जा रहा है। अधिकारी ये पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि अडानी समूह या इससे जुड़े लोगों ने क्या भारतीय अधिकारियों को एक एनर्जी प्रोजेक्ट में मन मुताबिक काम करवाने के लिए रिश्वत देने में तो नहीं शामिल थे? इस जांच के दायरे में भारतीय रिन्युएबल एनर्जी कंपनी, अजोर पावर ग्लोबल लिमिटेड (Azure Power Global Ltd) भी शामिल है

अब जान लेते है आखिर अडानी ग्रुप के खिलाफ यह जांच कौन कर रहा है रिश्वतखोरी की जांच के पीछे न्यूयॉर्क के पूर्व डिस्ट्रिक्ट का अटॉर्नी ऑफिस और वाशिंगटन के न्याय विभाग की फ्रॉड यूनिट काम कर रही है सूत्रों के माने तो फिलहाल अमेरिकी अधिकारियों ने इस मामले में कोई भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है। वैसे अमेरिका का कानून अपने अधिकारियों को विदेश में हुए भ्रष्टाचार को क्रॉस एग्जामिनेशन और जांच करने की परमिशन देता है।

अमेरिकी कानून के अनुसार, इस तरह की किसी भी जांच के लिए एक शर्त होती है। अमेरिका के निवेशक का पैसा यदि उसमें लगा हुआ है तो इस तरह के मामले में जांच की जा सकती है। 24 जनवरी 2023 को हिडेनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में अडानी समूह पर मनी लांड्रिंग के जरिए शेयर मैनिपुलेशन करने के आरोप लगाए गए थे। केस की जांच अमेरिका में अब शुरू हुई है। भारत में भी सुप्रीम कोर्ट ने 16 सदस्यों की कमेटी बनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को जांच करने के लिए कहा था। सेबी ने एक हिसाब से अडानी समूह को क्लीन चिट दे दी है। सुप्रीम कोर्ट में भी यह मामला लगभग ठंडे बस्ते में चला गया है।

क्या घूस देकर धंधा लेता है अडानी ग्रुप?

भारत में हाल ही में इलेक्टोरल बांड का मामला सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद तूल पकड़ रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इलेक्टोरल बांड के संबंध में समस्त जानकारी स्टेट बैंक आफ इंडिया को चुनाव आयोग को देनी पड़ी है। चुनाव आयोग ने स्टेट बैंक से मिली जानकारी को पोर्टल में अपलोड कर दिया है। उसके बाद से ही भारत में कॉर्पोरेट भ्रष्टाचार ईडी और सीबीआई की Involvement को लेकर तूफान मचा हुआ है। इलेक्टोरल बांड भारत का अभी तक का हुआ सबसे बड़ा भ्रष्टाचार का घोटाला बताया जा रहा है।

विपक्षी दलों द्वारा इस मामले में अडानी समूह के साथ-साथ सरकार को भी निशाने पर लिया गया है। भारत सरकार की अडानी समूह पर मेहरबानी रही है अमेरिका में गौतम अडानी के आचरण तथा अडानी समूह की कंपनी द्वारा भारतीय अधिकारियों को एनर्जी प्रोजेक्ट में अपने मन मुताबिक काम करने के लिए रिश्वत देने का आरोप है।

अमेरिकी न्यायालय तथा कानून विभाग की जांच में अडानी समूह को सारी जानकारी अनिवार्य रूप से देना पड़ेगा। अमेरिकी न्यायालयों और जांच एजेंसी का काम करने का तरीका भारत से अलग है। भारत में अडानी समूह के बचाव में सरकार खड़ी हो गई थी। अमेरिका में यह संभव नही हो पाएगा। भारत में रिलायंस समूह और अडानी समूह के बीच चल रही प्रतिस्पर्धा भी अमेरिकी जांच को नया मोड़ दे सकती है।

अडानी समूह का अंतरराष्ट्रीय व्यापार है। उसके अंतरराष्ट्रीय निवेशक हैं। अडानी समूह द्वारा अमेरिका में इस तरह की जांच से इनकार किया है, लेकिन जो रिपोर्ट आई है, उसके अनुसार अमेरिका में जांच शुरू हो गई है। भारत के आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है अमेरिका में अडानी समूह का बच पाना बहुत मुश्किल है। अमेरिका में भी राष्ट्रपति पद के चुनाव इसी वर्ष होना है। अमेरिका का मीडिया और अंतरराष्ट्रीय मीडिया इस तरह की खबरों को उजागर करने में जी-जान लगा देता है। ऐसा लगता है कि अब अडानी समूह की मुसीबतें बढ़ती चली जा रही हैं।

वैसे अमेरिका में कंपनी के खिलाफ हो रही इस जांच को लेकर अडानी ग्रुप का कहना है कि उनके ग्रुप के चेयरपर्सन गौतम अडानी के खिलाफ हो रही ऐसी किसी भी जांच के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है हमारा बिजनेस ग्रुप उच्च स्तरीय मानकों पर काम करता है। हम भारत और बाकी देशों के भ्रष्टाचार विरोधी कानून के अधीन है और उसका पालन भी करते हैं दोस्तों भले ही अदानी ग्रुप ने इससे पल्ला झाड लिया हो

लेकिन ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के बाद सोमवार को अदानी समूह के तहत सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों में गिरावट आई समूह की प्रमुख कंपनी अदानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड शुरुआती कारोबार में लगभग 4% गिर गई, जबकि अदानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड में 2.9% की गिरावट आई। सोमवार के आंकड़ों से पता चलता है, कि ब्लूमबर्ग रिपोर्ट के मद्देनजर, अडानी के डॉलर-मूल्य वाले बांडों में भारी नुकसान हुआ है क्या हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट की ही तरह यह जांच अदानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर धराशाई कर देगी। आपको क्या लगता है हमे अपनी राय कमेन्ट कर जरुए बताएँ

Exit mobile version