Chandigarh Mayor Election: लोकतंत्र का चीर हरण करने के बाद छाती ठोक कर कहा जा रहा है की मोदी है तो मुमकिन है वाकीय दोस्तों मोदी है तो सब मुमकिन है आज हकीकत सामने आ गई बेईमानी से (Election Hijack) चुनाव जीतने के बाद कहा जा रहा है की हमने विपक्षी गठबंधन का घमंड तोड़ दिया है बीजेपी पोस्ट करती है की इंडिया गठबंधन को हमने धूल चटा दी है ये तो सिर्फ झाकी है मतलब की picture अभी बाकी है दोस्तों mayor चुनाव तक को बीजेपी ने हैक कर लिया है mayor चुनाव जीतने के लिए बीजेपी इतना गिर सकती है तो सोचो लोकसभा चुनाव में क्या होगा क्या ऐसे चुनाव हाईजैक करके 400 पार जाएगी मोदी सरकार
दोस्तों आख़िरकार चंडीगढ़ के मेयर का इलेक्शन बीजेपी ‘जीत’ गयी। बीजेपी ने इस जीत के लिए जिस अनैतिकता का परिचय दिया वह पिता के आदेश पर पल भर (BJP) में भाई भरत के लिए अयोध्या का राजपाट छोड़ने वाले राम का रास्ता नहीं हो सकता। यह रास्ता है छल-बल से अपने भाई कुबेर से उसकी स्वर्णपुरी लंका और पुष्पक विमान छीन लेने वाले रावण का। बीजेपी के अयोध्या-कांड में छिपी ‘राम-भक्ति’ और उसके ‘राम-राज्य’ की हक़ीक़त यही है। बीजेपी (INDIA Alliance) अनीति और दुराचरण का यह अध्याय तब लिख रही है जब उसका दावा पूरे ‘भारत को राम-मय’ कर देने का है। पर भगवान राम के आदर्शों से बीजेपी को कोई मतलब नहीं है खासकर चुनाव तक
क्या बीजेपी ने मेयर चुनाव हाईजैक किया ?
चंडीगढ़ में जो कुछ हुआ उसे दिनदहाड़े डकैती कहा जा सकता है। बीजेपी के प्रत्याशी मनोज सोनकर का मुकाबला कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के संयुक्त प्रत्याशी कुलदीप कुमार से था। उन्हें 20 पार्षदों का समर्थन था लेकिन कुलदीप कुमार को महज 12 वोट मिले। उनके पक्ष में पड़े आठ वोट अवैध घोषित कर दिये गये।, इस तरह 16 वोट पाकर बीजेपी जीत गयी। पहले ये विडिओ देखिए आप इस विडिओ में पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह मतपत्रों में छेड़छाड़ करते स्पष्ट नज़र आ रहे हैं। यह विपक्ष के वोटों को अवैध करने के लिये किया गया।
कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के एक साथ आ जाने से बीजेपी की जीत का कोई कारण ही नहीं था। वोटों का गणित उंगलियों पर किया जा सकता थ। लेकिन बीजेपी नहीं चाहती थी कि लोकसभा चुनाव से पहले उसकी हार से जुड़ी कोई खबर जनता के बीच जाये। नतीजा ये हुआ कि पहले पीठासीन अधिकारी बीमार हो गये जिससे चुनाव टल गया। और हाईकोर्ट के आदेश पर जब 30 जनवरी को वोट पड़े तो उन्हीं पीठासीन अधिकारी यानी अनिल मसीह ने विपक्ष के आठ वोटों को अवैध घोषित कर दिया।
ज़ाहिर है, इस मुद्दे पर राजनीतिक विवाद होगा। आंदोलन से लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाने तक का दौर चलेगा लेकिन इसने दुनिया भर के उन लोगों को एक बार फिर सही साबित किया है जो भारत के लोकतंत्र को संदेह की दृष्टि से देख रहे हैं। यह संयोग नहीं कि हम दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का दम भरते हैं लेकिन 2023 के लिबरल डेमोक्रेसी इंडेक्स में भारत को 108वें स्थान पर रखा गया है। साल भर पहले भारत सौवें स्थान पर था। यह भारतीय लोकतंत्र के साल दर साल कमज़ोर होते जाने का सबूत है। बात तो यहाँ तक पहुँच चुकी है कि भारत को दोषपूर्ण लोकतंत्र देशों की सूची में रखा जा रहा है यानी यहाँ ‘आंशिक लोकतंत्र’ ही है।
कैमरे पर वोट चुराती पकड़ी गई बीजेपी !
बीजेपी इस समय राजनीतिक दल से ज्यादा येन-केन प्रकारेण सत्ता हथियाने की चुनावी मशीन में तब्दील हो गयी है। किसी नीति सिद्धांत का उसके लिए कोई अर्थ नहीं रह गया है। जिन नीतीश कुमार पर कल तक वो भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने का आरोप लगाती थी उन्हें फिर अपने पाले में करके बिहार की सत्ता हथियाने में उसे कोई हिचक नहीं हुई।
महाराष्ट्र में जिन अजित पवार पर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्तर हज़ार करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया था आज वे बीजेपी के साथ मिलकर उपमुख्यमंत्री बतौर महाराष्ट्र की सरकार चला रहे हैं। और असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्व सरमा की कहानी सभी जानते हैं। बीजेपी ने उन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए श्वेतपत्र जारी किया था पर वे साथ आ गये तो बीजेपी सारे आरोप भूल गयी। दोस्तों इस लिस्ट में दर्जनों और नाम हैं जो उस दिन तक भ्रष्ट रहते हैं जिस दिन तक वे बीजेपी के पाले से बाहर रहते हैं। बीजेपी की वाशिंगमशीन में धुलकर भ्रष्टाचारी से लेकर बलात्कारी तक कोई भी पवित्र हो सकता है।
आम आदमी पार्टी के पार्षद ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में चंडीगढ़ मेयर चुनाव को चुनौती दी है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि मेयर का चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीक़े से नहीं हुआ और वोटों की गिनती के दौरान नियमों का घोर उल्लंघन हुआ है। याचिका में नए सिरे से चुनाव कराने के लिए दिशा-निर्देश देने का आग्रह किया गया है। अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया कि चंडीगढ़ मेयर चुनाव में बीजेपी ने गुंडागर्दी और बेईमानी की है. ऐसा दिन ‘लोकतंत्र के लिए काला दिन है. अगर इसी तरह रहा और 2024 के लोकसभा चुनाव में NDA गठबंधन की जीत होती है तो बीजेपी डोनाल्ड ट्रंप की तरह कुर्सी नहीं छोड़ेंगे. वे किसी भी हद तक जा सकते हैं.
दोस्तों चंडीगढ़ में जो हुआ उससे शक़ पैदा होता है कि बीजेपी 2024 का लोकसभा चुनाव जीतने के लिए क्या कुछ कर सकती है। ईवीएम को लेकर संदेहों की कड़ी अपनी जगह सामान्य चुनावी प्रक्रिया को भी वह दूषित करने से बाज़ नहीं आयेगी। आपकी इस मुद्दे पर क्या राय है हमे comment कर जरूर बताएँ