दोस्तों दिल्ली समेत देश भर में ईद उल अज़हा का त्योहार 10 जुलाई को मनाया जाएगा। दिल्ली के आसमान में गुरुवार को बादलों के छाए रहने की वजह से चांद का दीदार नहीं हो सका, लेकिन तमिलनाडु, बिहार, पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों में आम तौर पर बकरीद का चांद नजर आया है।चांदनी चौक में फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम डॉ मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने बताया, ”दिल्ली और आसपास के इलाकों में बारिश होने और आसमान में बादल छाए रहने की वजह से चांद नहीं दिख पाया है।
दोस्तों बकरीद मीठी ईद के ठीक दो महीने के बाद इस्ला मिक कैलेंडर के सबसे आखिरी महीने की 10 तारीख को मनाई जाती है। इस बार बकरीद 10 जुलाई को मनाई जाएंगी पूरी दुनिया के मुसलमान इस महीने में पवित्र मक्का सऊदी अरब में इकट्ठे होकर हज मनाते हैं। ईद उल अजहा भी इसी दिन मनाई जाती है। माना जा रहा है कि इस बार कोरोना के चलते हज को लेकर केवल कुछ ही लोगों का ग्रुप हज यात्रा पर जाएगा। आइए जानते हैं मुसलमानों में क्योंा और कैसे मनाते हैं बकरीद का त्योगहार।
बकरीद के लिए मुसलमान अपने घर में लाड़-प्या्र से पल रहे बकरे की कुर्बानी देते हैं। जिन लोगों के घर में बकरा नहीं होता है वे ईद से कुछ दिन पहले बाजार से बकारा खरीदकर उसे घर ले आते हैं और फिर बकरीद के दिन उसकी कुर्बानी देते हैं। उसके बाद बकरे के मीट को 3 हिस्सोंआ में बांट दिया जाता है। पहला हिस्साो गरीब फकीरों में बांट दिया जाता है और दूसरा हिस्साब रिश्ते दारों को भिजवाया जाता है और तीसरा हिस्सा घर में पकाकर खाया जाता है।
दोस्तों बकरीद को कुर्बानी के जज्बाकत को सलाम करने के महापर्व के रूप में मनाया जाता है। अल्लापह की राह में पैगंबर मोहम्म द के पूर्वज इब्राहिम द्वारा दी गई कुर्बानी को याद करने के उपलक्ष्यल में बकरीद मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि इब्राहिम की इबादत से खुश होकर खुदा ने उनकी दुआओं को कुबूल किया और उसके बाद अल्लाह ने उनकी परीक्षा ली। इस परीक्षा में अल्लाह ने इब्राहिम से उनकी सबसे कीमती और प्यारी चीज की बली देने की मांग की। जिसके बाद पैगंबर इब्राहिम ने अपने बेटे इस्माइल को इसी दिन अल्लाह के हुक्म पर अल्लाह की राह में कुर्बान करने जा रहे थे, तो अल्लाह ने उनके बेटे को जीवनदान दे दिया और वहां एक पशु की कुर्बानी दी गई थी जिसकी याद में यह पर्व मनाया जाता है।
दोस्तों तीन दिन चलने वाले बकरीद के त्यौहार में मुस्लिम समुदाय के संपन्न लोग अपनी हैसियत के हिसाब से उन पशुओं की कुर्बानी देते हैं जिन्हें भारतीय कानूनों के तहत प्रतिबंधित नहीं किया गया है। मुस्लिम समुदाय के जिन लोगों के पास करीब 613 ग्राम चांदी है या इसके बराबर के पैसे हैं या कोई और सामान है, उन पर कुर्बानी वाजिब है। ‘वही दोस्तों आपको ये भी बता दे की ‘ये जरूरी नहीं है कि कुर्बानी अपने घर या शहर में ही की जाए क़ुरबानी कहीं दूर भी की जा सकती है।
तो दोस्तों बकरीद को लेकर ये थी वो जानकारी जो हमने आपको बताई बहुत से लोगों के मन में ये बात होती है की मुस्लमान बकरीद का त्यौहार क्यों मनाते है। इस बार बकरीद का त्यौहार 10 जुलाई को मनाया जाएगा ।