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Arvind Kejriwal: केजरीवाल की जमानत से किसे फायदा किसे नुकसान ?

Arvind Kejriwal: आपको अब तक ये पता चल गया होगाकी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कथित शराब घोटाले में 1 जून तक अंतरिम जमानत मिल गई। जो राहत हाई कोर्ट से नहीं मिल रही थीवो सर्वोच्च अदालत ने चुनावी मौसम में आम आदमी पार्टी को दे दी अब रिहाई हो चुकी है राहत मिल गई है राहत मिलते ही (Arvind Kejriwal bail out) केजरीवाल ऐक्टिव हो गए है हिंदुत्व को धार आक्रामक प्रचार और मीडिया से सीधी बात कर रहे है जमानत तो मिल गई लेकिन इसी के साथ कई सवाल भी खड़े हो गए है क्या अब हेमंत सोरेन को भी जमानत मिलेगी केजरीवाल का आम आदमी पार्टी को क्या फायदा होने वाला है? केजरीवाल का कांग्रेस के लिए क्या मायने है?क्या केजरीवाल से बीजेपी की रणनीति पर असर पड़ेगा? अब जमानत तो मिली क्या जीत भी मिलेगी?

1 june तक Arvind Kejriwal बहार

केजरीवाल ने बहार आते कहा ईडी इस लोकतंत्र को चोट पहुंचाने वाली संस्था के रुप में देखी जाने लगी है। जिस तरह से विपक्ष के नेताओं को ईडी के केस में फंसा कर जेल में डाला जाता है उसके डर के कारण नेता अपनी पार्टियां छोड़ कर बीजेपी के हाथ-पांव पकड़ रहे हैं केजरीवाल ने बाहर आकर सबको ललकार दिया।रणनीति के तहत केजरीवाल शनिवार से ही यानि आज से ही काम पर जुट गये। हिंदुत्व को धारदेने के लिए आज सुबह 11 बजे दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित हनुमान मंदिर जाकर दर्शन किए दूसरा कार्यक्रम दोपहर एक बजे अपने पार्टी कार्यालय में प्रेस कांफ्रेंस की इसके अलावा शाम को मेगा रोड शो किया

आम आदमी पार्टी में कहने को कई बड़े और कद्दावर नेता मौजूद हैं संजय सिंह भी कम लोकप्रिय नहीं माने जाते हैं। लेकिन आम आदमी पार्टी की संरचना इस तरह से हुई है कि वहां पर अरविंद केजरीवाल के इर्द-गिर्द ही सारी सियासत चलती है। इसी वजह से जब सीएम केजरीवाल की कथित शराब घोटाले में गिरफ्तारी हुई सबसे पहला असर आम आदमी पार्टी के प्रचार पर पड़ा। एक तरफ बीजेपी तो काफी आक्रमक दिखाई दे रही थी आम आदमी पार्टी सिर्फ सहानुभूति और सुनीता केजरीवाल को आगे कर माहौल बनाने की कवायद में दिखी।

लेकिन अब जब अरविंद केजरीवाल प्रचार के लिए बाहर आ गए हैं आम आदमी पार्टी को बड़ी राहत है। उनके कैडर में एक अलग जोश दिख रहा है। शुक्रवार रात को जब केजरीवाल को जमनत मिली थी आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जिस तरह से दिवाली मनाई जिस तरह से नारेबाजी हुई वो बताने के लिए काफी था कि इस राष्ट्रीय दल के लिए असल चुनाव अब शुरू हुए हैं।

केजरीवाल के बहार आने से AAP को राहत

इसके ऊपर अरविंद केजरीवाल की सियासी शख्सियत को कमतर नहीं आका जा सकता। हवा का रुख कैसे और कब बदलना है किस मुद्दे को किस तरह से भुनाना है ये उन्हें अच्छे तरीके से आता है। इसी वजह से चुनाव से ठीक पहले उनका बाहर आना जमीन पर बड़ा परिवर्तन ला सकता है। अभी तक तो जेल में बैठे कैदी केजरीवाल के जरिए सहानुभूति की कोशिश हो रही थी लेकिन अब आपबीती बताकर केजरीवाल सहानुभूति लेने की कोशिश करेंगे।

आम आदमी पार्टी ये भी समझती है कि अरविंद केजरीवाल का असर सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं रहने वाला है बल्कि उनका बाहर आना पंजाब हरियाणा तक अपना असर रखेगा। दिल्ली में तो चार सीटों पर आम आदमी पार्टी चुनाव लड़ रही है वहीं पंजाब में 13 और हरियाणा में एक सीट उसे मिली है। अब केजरीवाल अपने प्रचार के जरिए जमीन पर माहौल बना सकते हैं।

BJP के लिए फायदेमंद केजरीवाल ?

वैसे अरविंद केजरीवाल का बाहर निकलना सिर्फ आम आदमी पार्टी के लिए राहत नहीं है अगर सियासी चश्मे से समझा जाए तो बीजेपी के लिए नुकसान नहीं बल्कि यहां फायदा छिपा है। असल में कुछ ऐसे सर्वे सामने आए थे जहां कहा गया कि जेल में कैद केजरीवाल की वजह से आम आदमी पार्टी को सहानुभूति मिल रही है और कुछ सीटों पर बीजेपी को उसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता था। ऐसे में अगर केजरीवाल जेल से बाहर नहीं आते बीजेपी के लिए उस नेरेटिव से लड़ना संभव ही नहीं होता। प्रचार के दौरान यही मुद्दा उठाया जाता कि दिल्ली के सीएम को जेल में डाला गया।

लेकिन अब जब केजरीवाल बाहर आ चुके हैं बीजेपी पर कम से कम ये आरोप नहीं लगेगा कि चुनावी मौसम में सीएम को जेल में रखा गया है। इसके ऊपर केजरीवाल क्योंकि जमानत पर बाहर निकले हैं इस आधार का भी बीजेपी पूरा फायदा उठाएगी।क्योंकि  क्लीन चिट मिलने में और सिर्फ जमानत मिलने में काफी फर्क होता है। यहां तो सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक कह दिया है कि एक जून को केजरीवाल को सरेंडर करना पड़ेगा।और  ये ‘सरेंडर’ शब्द ही बीजेपी को सियासी इम्युनिटी देने का काम करेगा और आप के सहानुभूति फैक्टर का काउंटर भी बनेगा।

बीजेपी नेताओं ने तो कहना शुरू कर दिया है कि केजरीवाल पर गंभीर आरोप लगे हुए हैं कोर्ट ने इस बात को स्वीकार किया है सिर्फ जमानत देकर कुछ दिन के लिए बाहर जाकर अनुमति मिली है। यानी कि भ्रष्टाचार की पिच पर बीजेपी और ज्यादा आक्रमक होकर बैटिंग करेगी। आपको याद ही होगा इससे पहले राहुल और सोनिया गांधी को लेकर भी ये हमले होते हैं कि दोनों जमानत पर बाहर हैं। बीजेपी लगातार नेशनल हेराल्ड का मुद्दा उठाकर तंज कसने का काम करती है। अब वही अंदाज आम आदमी पार्टी और केजरीवाल को लेकर रहने वाला है।

Congress पर क्या पड़ेगा असर ?

कांग्रेस पार्टी पर भी अरविंद केजरीवाल की रिहाई का असर पड़ने वाला है। बात अगर नुकसान की करें तो कांग्रेस कभी नहीं चाहती कि मुकाबला मोदी बनाम केजरीवाल का बने। आम आदमी पार्टी की तो ये कोशिश रहती है लेकिन देश की सबसे पुरानी पार्टी इससे असहज है क्योंकि उस स्थिति में राहुल गांधी की दावेदारी कमजोर पड़ जाती है। इस समय इंडिया गठबंधन में कांग्रेस अपनी स्थिति को मजबूत रखना चाहती है दिखाना चाहती है कि राहुल की अगुवाई में विपक्षी एकजुटता देखने को मिल रही है। लेकिन दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी का हर नेता भी कहता नहीं थकता कि मोदी सिर्फ और सिर्फ केजरीवाल से डरते हैं।

और जिस तरह से सुनीता केजरीवाल ने पिछले महीने केजरीवाल की गैर मोजूदगी  में और इंडिया गठबंधन के नेताओं के सामने 6 गारंटियों का ऐलान किया था उसने भी केजरीवाल की दावेदारी को ही मजबूत बनाया। ऐसे में अब जब केजरीवाल खुद बाहर हैं कांग्रेस को भी अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ेगा ऐसा बदलाव जहां पर केजरीवाल राहुल गांधी पर भारी ना पड़ जाएं। अगर फायदे की बात करें तो वो बस इतना है कि आने वाले दिनों में केजरीवाल और राहुल की साथ में संयुक्त रैली हो सकती है ऐसे में इंडिया गठबंधन को कुछ मजबूती मिल सकती है।

Supreme Court ने क्या कहा ?

बता दे की  सुप्रीम कोर्ट का आदेश चुनावों के दौरान राजनीतिक ज़रूरतों के लिए एक नई मिसाल कायम करता है। अब तक हाईकोर्ट द्वारा राजनीतिक नेताओं को दी गई जमानत की पुष्टि करने के लिए शीर्ष अदालत का हस्तक्षेप ऐसे मामलों में था जहां मुकदमे के दौरान नियमित जमानत दी गई थी – और विशेष परिस्थितियों में आवश्यक अंतरिम जमानत नहीं दी गई थी।

केजरीवाल के आदेश में शीर्ष अदालत ने कहा कि अंतरिम जमानत “प्रत्येक मामले के तथ्यों” के आधार पर दी जाती है और “यह मामला “अपवाद नहीं” है हालांकि इसने उच्च राजनीतिक दांव को स्वीकार किया यह देखते हुए कि “अपीलकर्ता  अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय पार्टियों में से एक के नेता हैं। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि यह चुनावों के मद्देनजर इस तरह के और हस्तक्षेपों के लिए दरवाजा खुला छोड़ देता है।

सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें चुनाव प्रचार करने की अनुमति देने के अलावा मुख्यमंत्री के रूप में केजरीवाल की भूमिका पर भी आंशिक रूप से बंधन में डाल दिया। अपनी पांच जमानत शर्तों में से एक में सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को आधिकारिक फाइलों पर हस्ताक्षर करने की अनुमति दी जो “दिल्ली के उपराज्यपाल की मंजूरी/अनुमोदन प्राप्त करने के लिए जरूरी और आवश्यक हैं।” बिना पोर्टफोलियो वाले मुख्यमंत्री के रूप में सरकार में केजरीवाल की प्राथमिक भूमिका एलजी के साथ सभी मामलों पर आधिकारिक तौर पर संवाद करना है।

क्या हेमंत सोरेन को मिलेगी जमानत ?

मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 31 जनवरी को गिरफ्तार किए गए झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की जमानत याचिका उच्च न्यायालय में लंबित है। राज्य में 13 मई से शुरू होने वाले लोकसभा चुनाव के आखिरी चार चरणों में मतदान होगा।तो क्या केजरीवाल की तरह ही हेमंत सोरेन को जमानत मिलेगी ???? केजरीवाल की पत्नी ने झारखंड में जा कर इंडी एलायंस के उम्मीदवारों के समर्थन में चुनाव प्रचार किया तो हेमंत सोरेन की पत्नी ने दिली में हुई इंडी एलायंस की रैली में भाषण दिया था| अब अगर केजरीवाल के बाद हेमंत सोरेन को भी जमानत मिल जाती है तो दोनों देश भर में चुनावी रैलियों को संबोधित करके इंडी एलायंस के पक्ष में हवा बना सकते हैं

जमानत तो मिली केजरीवाल को  क्या जीत भी मिलेगी?मुझे नहीं लगता कि इससे चुनाव परिणामों पर कोई असर पड़ेगा. ये केजरीवाल के लिए कोई पॉजिटिव ऑर्डर साबित नहीं होगा. क्योंकि इस ऑर्डर का मतलब समझिए. केजरीवाल दिल्ली सीएम के दफ्तर में नहीं जा सकते. वो दिल्ली सचिवालय में नहीं जा सकेंगे. केजरीवाल शराब नीति केस के मेरिट्स के बारे में कोई बयान नहीं दे सकते. न ही इससे जुड़े किसी गवाह से बात कर सकते हैं और इसकी कोई फाइल भी नहीं देख सकते हैं. ऐसे में केजरीवाल जनता के बीच आ तो गए लेकिन उन्हें जनता को बताना पड़ेगा कि वो क्यों सीएम रहते हुए उनके दफ्तर में नहीं जा सकते. निश्चित तौर पर ये केजरीवाल के लिए यहां से आगे का सफर आसान नहीं होगा.”आपको क्या लगता है हमे कमेन्ट कर जरूर बताएँ

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