Budget 2024 : FM Nirmala Sitaraman ने बताया बजट 2024 किसके लिए नायडू, नीतीश, या जनता!
Budget 2024 : बजट की तारीखों का ऐलान हो चुका है ये मोदी 3.0 सरकार और NDA गठबंधन का पहला पूर्ण बजट होगाक्या इस बजट में सहयोगी दल को कुछ बड़ा और खास मिलने वाला है हमको आपको सबको ये जानने में बड़ी दिलचस्पी होती है की इस बार बजट में क्या हो सकता है (FM Nirmala Sitaraman) और क्या होना चाहिए ?? क्या टैक्स में कुछ राहत मिलेगी क्या महंगाई कम करने के लिए सरकार कुछ कदम उठाएगी इस बार का बजट कैसा रहने वाला है? क्या यह एक बार फिर से बड़े कॉर्पोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने वाला होने जा रहा है? या जिस प्रकार से लोकसभा चुनावों में मोदी को झटका लगा है उसे ध्यान में रखते हुए मतदाताओं को लुभाने के लिए नई फ्रीबीज की घोषणा की जा सकती है दोस्तों यही वह केंद्रीय मुद्दा है जो आगामी बजट को परिभाषित करेगा। मोदी सरकार के इस चैलिंजिंग टाइम में बजट में क्या होगा ??
मोदी सरकार 3.0 का पहला बजट 23 जुलाई को पेश होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगातार सातवीं बार बजट पेश करेंगी। बजट सत्र 22 जुलाई से 12 अगस्त तक चलेगा। वे ऐसा करने वाली देश की पहली वित्त मंत्री बन जाएंगी। साथ ही उनके सामने ऐसा बजट पेश करने की चुनौती भी है जो महंगाई को हवा न दे अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाए।राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पूर्ण बजट के पहले ही संकेत दे चुकी है कह चुकी है की इस बजट सत्र में कई ऐतिहासिक कदम और बड़े आर्थिक फैसले लिए जाएंगे।अब 2024 का बजट नायडू नीतीश या जनता किसके लिए होगा ये उम्मीद तो पहले से ही थी नायडू और नीतीश जो NDA में आते-जाते रहे हैं बीजेपी के लिए किंगमेकर की भूमिका निभाने के बदले में अपने राज्यों के लिए ज्यादा फंड की मांग करेंगे।और दोनों ने बढ़ चड़कर की
नीतीश – नायडू ने की बड़ी मांग
Bloomberg की रिपोर्ट के मुताबिक अकेले नायडू ने 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की वित्तीय सहायता मांगी। TDP सुप्रीमो ने इस हफ्ते की शुरुआत में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण दोनों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने अपनी मांगों पर जोर दिया।आंध्र प्रदेश ने अपनी राजधानी अमरावती और पोलावरम सिंचाई प्रोजेक्ट के विकास के लिए पैसा मांगा है। अमरावती का मुद्दा सीएम नायडू के लिए काफी अहम है।नायडू विजयवाड़ा विशाखापत्तनम और अमरावती में मेट्रो परियोजनाओं एक लाइट रेल प्रोजेक्ट और विजयवाड़ा से मुंबई और नई दिल्ली के लिए वंदे भारत ट्रेन के लिए भी पैसा चाहते हैं।इसके अलावा उन्होंने पिछड़े जिलों के लिए ग्रांट और रामायपट्टनम बंदरगाह और कडप्पा में एक इंटीग्रेटेड स्टील प्लांट जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के लिए समर्थन मांगा है।
डॉक्यूमेंट के अनुसार इस बीच बिहार नौ नए हवाई अड्डों दो बिजली परियोजनाओं दो नदी जल प्रोग्राम और सात मेडिकल कॉलेज बनाने के लिए पैसे की मांग कर रहा है। हालंकी इन प्रोजेक्ट के लिए कितने पीरियड के लिए पैसा मांगा जा रहा है ये तय नहीं है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार दोनों राज्य ये भी चाहते हैं कि केंद्र सभी राज्यों को इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च के लिए सरकार की ओर से दिए जाने वाले बिना शर्त लॉन्ग टर्म लोन को लगभग दोगुना कर 1 लाख करोड़ रुपए कर दे।1 फरवरी को NDA 2.0 के अंतरिम बजट में सरकार ने “पूंजी निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहायता” योजना के रूप में लगभग 1.3 लाख करोड़ रुपए अलग रखे। इसका आधा हिस्सा कुछ आर्थिक सुधारों के लागू करने पर आधारित है।दस्तावेज और सूत्रों के अनुसार राज्य भी बाजार से पैसा उधार लेने के लिए ज्यादा गुंजाइश चाहते हैं क्योंकि इसकी लिमिट केंद्र की तरफ से तय की गई हैं।रॉयटर्स ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय से संपर्क किया लेकिन अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। बता दे की अंतरिम बजट में केंद्र ने राजकोषीय घाटे को GDP का 5.1% रखने का लक्ष्य रखा था।क्या पता मोदी जी ये वित्तीय सहायता दे भी दे लेकिन इससे जनता का कल्याण होगा ये तो नहीं लगता मोदी जी का बिहार का नीतीश का विकास तो आप देख ही रहे हो आए दिन धडलले से ढह रहा है नायडू नीतीश की बात हो गई अब जनता पर आ जाते है
लोकलुभावन योजना लाएगी मोदी सरकार?
क्या लोकलुभावन योजना लाएगी मोदी सरकार??? मुझे नहीं लगता क्योंकि पीएम मोदी जी का जैसा व्यक्तित्व है वे 63 लोकसभा सीटों के नुकसान और उनकी सरकार के अल्पमत में आ जाने के बावजूद विचलित नहीं होने वाले हैं। इसके बजाय उनके दूसरे कार्यकाल में पिछले कुछ बजटों में जो रुझान देखने को मिला था उसे जारी रखते हुए तीसरे कार्यकाल के पहले बजट में भी मितव्ययता वाला बजट होगा।
आपको मोदी जी का वो बयान तो याद ही होगा जिसमें उन्होंने रेवड़ी (फ्रीबीज) कल्चर के खिलाफ बयान दिया था जिसके बाद चुनाव पूर्व 2023-24 का बजट मतदाताओं को रिझाने वाला बजट तैयार नहीं किया गया बल्कि राजकोषीय खर्चों को कसने पर जोर दिया गया था। इसी प्रकार फरवरी 2024 में पेश किया गया चुनाव पूर्व अंतरिम बजट भी मतदाताओं के लिए उदार खर्च वाला चुनाव-पूर्व बजट नहीं साबित हो सका।
अंतरिम बजट की सीमाओं के बावजूद वित्त मंत्री चाहतीं तो मतदाताओं के लिए ढेर सारी पेशकश कर सकती थीं लेकिन उन्होंने खुद को काबू में रखा और अंतरिम बजट के लिए राजकोषीय सख्ती की दिशा ही तय रखी। इसलिए पूर्ण बजट में भी इसी के अनुरूप स्पिरिट देखने को मिलने वाली हैऔर पूर्ण बजट भी अंतरिम बजट से कुछ खास अलग नहीं रहने जा रहा है जिसका रोडमैप पहले ही तैयार किया जा चुका है।
पहले भी कर चुके है मोदी ये काम
लेकिन पीएम मोदी न सिर्फ अधिनायकवादी हैं बल्कि वे अधिनायकवादी लोकलुभावन नेता भी हैं। राजनीतिक तौर पर वोट हासिल करने के लिए वे सरकारी खजाने का मुंह खोलने से भी नहीं झिझकेंगे। क्योंकि मोदी ने अपने पहले दस वर्षों के कार्यकाल में मुफ्त खाद्यान्न योजना या पीएमएवाई आवास जैसी कल्याणकारी योजनाओं पर जितना खर्च किया उतना यूपीए सरकार ने अपने पिछले दस वर्षों में नहीं किया था। इस सबके बावजूद उनकी सीटों की संख्या में 63 सीटों की घटोत्तरी हो गई। यह कोई साधारण झटका नहीं है। इसे वे अपनी बर्बादी के जोखिम पर ही नजरअंदाज कर सकते हैं। क्या पता इसलिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को इस लहर को उलटने के लिए कह दे क्योंकि उनके पास विकल्प क्या हैं?
ग्रामीण संकट के चलते किसानों की नाराजगी गहराते बेरोजगारी संकट पर युवाओं के गुस्से और महिला मतदाताओं के बीच आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में भयावह वृद्धि के कारण मोदी की लोकप्रियता में आई भारी गिरावट इस सबके बावजूद हुआ जब मोदी ने इन तीनों वर्गों पर बेहद सावधानीपूर्वक निशाना बनाया था भले ही चुनाव पूर्व उन्होंने जो भी उदारता दिखाई हो।इसमें 80% से अधिक ग्रामीण परिवारों को 4 वर्षों से अधिक समय तक मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराया गया। कृषक परिवारों के लिए पीएमएवाई आवास योजना का बड़े पैमाने पर विस्तार किया गया। पीएम किसान कार्यक्रम के तहत प्रत्येक किसान को प्रति वर्ष 6000 रुपये की नकद सहायता प्रदान की गई थी।
27 करोड़ से ज्यादा संख्या में महिलाओं को मुद्रा ऋण दिया गया जो दुनियाभर में कहीं भी नहीं किया गया जहां पर सत्तारूढ़ पूंजीपति वर्ग के द्वारा तथाकथित वित्तीय समावेशन का अभ्यास किया जाता है। उज्ज्वला योजना के तहत 10 करोड़ महिलाओं को मुफ्त गैस चूल्हे दिए गये। असल में महिलाओं को अपने मुख्य वोटबैंक के तौर पर साधना मोदी की रणनीतिक प्राथमिकता में था। इसके बावजूद ये तीनों वर्ग उनके विरुद्ध हो गये।पीएम मोदी के पास उन्हें एक बार फिर से और ज्यादा रियायतें देकर लुभाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। लेकिन वास्तव में उनके पास क्या विकल्प हैं? आइए जनते है
किसानों के लिए किया ये काम ?
दोस्तों बड़े पैमाने पर किसानों की सामूहिक आत्महत्याओं की अनुपस्थिति का अर्थ यह नहीं है कि कृषि संकट कम हो चुका है। मोदी उस कड़वी दवा का स्वाद चखने के बेहद करीब आ चुके थे जिसे किसानों के शांत गुस्से की वजह से वाजपेयी को 2004 की अपनी हार के तौर पर निगलना पड़ा था। मौजूदा ग्रामीण संकट कितना गंभीर है और निर्मला अपने पूर्ण बजट में किसानों की स्थिति में सुधार लाने के लिए क्या कर सकती हैं?
पिछले छह वर्षों से कृषि क्षेत्र 4% या इससे ऊपर की दर से बढ़ रही है जो अपनेआप में एक तरह का रिकॉर्ड है। कृषि ऋण 2017-18 में 10 लाख करोड़ रुपये था वह वर्ष 2024-25 में दोगुना होकर 20 लाख करोड़ रुपये (अंतरिम बजट में लक्ष्य) हो चुका है। इस सबके बावजूद मोदी के दूसरे कार्यकाल के दौरान वास्तविक रूप से ग्रामीण आय में प्रति वर्ष 2% की गिरावट देखने को मिली है। यह सब मोदी के किसानों की आय दोगुनी करने के बहुप्रचारित लक्ष्य के बावजूद है।कृषि संकट का समाधान कैसे किया जाए इस बारे में मोदी को कोई अंदाज़ा नहीं है। मोदी ने 2016 में किसानों की आय दोगुनी करने के अपने लक्ष्य की घोषणा की थी। उन्होंने कृषि क्षेत्र के लिए बजट आवंटन को लगभग तीन गुना कर दिया- 50264 करोड़ रुपये (संशोधित अनुमान) से 127528 करोड़ रुपये (अंतरिम बजट में बजट अनुमान)। इसका अर्थ हुआ किकृषि मंत्रालय एवं किसान कल्याण हेतु बजटीय आवंटन 2016 के बाद से दोगुने से अधिक हो चुका है। लेकिन इसके बावजूद दोगुना अर्थात 200% की वृद्धि तो दूर- मोदी के दूसरे कार्यकाल में किसानों की वास्तविक आय में प्रति वर्ष 2% की दर से गिरावट ही देखने को मिली है। क्या 6000 रुपये की नकद सहायताको दोगुना करेगी वित्त मंत्री क्या अब किसानों की प्रमुख मांग एमएसपी को कानूनी गारंटी मिलेगी?क्या मोदी किसानों की आवाज सुनेंगे… और खरीद के दायरे को विस्तारित करेंगे?।
आख़िरकार उनकी सरकार ने किसानों के साथ केवल एक लिखित समझौते पर हस्ताक्षर किए थे कि सरकार एमएसपी को कानूनी गारंटी देने की उनकी मांग का सम्मान करती है ताकि उन्हें अपने आंदोलन को खत्म करने के लिए राजी किया जा सके। क्या एनडीए सरकार अपने वादे को निभाएगी क्या निर्मला एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी की मांग मानकरकिसानों को अनुग्रहित करेंगी? या फिर इस मांग पर एक बार फिर किसान आंदोलन के सिरे चढने से मोदी सरकार को और भी ज्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा? देश में करीब 25 करोड़ किसान हैं। लेकिन 2024-25 के अंतरिम बजट में मात्र 4 करोड़ किसानों को फसल बीमा योजनाओं के तहत कवर करने का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना से केवल बड़े और अमीर किसानों सहित बीमा कंपनियों को लाभ पहुंचता है छोटे किसानों को नहीं।इसलिए मोदी को फिर से किसानों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। युवा भी बढती बेरोजगारी से खफा हैं।क्या इस बजट में बेरोजगारी का समाधान निकलेगा
युवाओ के लिए किया ये काम
मौजूदा सकल बेरोजगारी दर लगभग 8% है। मार्च 2024 में ग्रेजुएट्स के बीच बेरोजगारी की दर 29.1% यानी औसत से तीन गुना से भी अधिक है। लोकसभा चुनावों में मोदी को 14 जून 2022 को मोदी सरकार ने घोषणा की थी कि सरकार अगले 18 महीनों के दौरान सरकारी रोजगार के क्षेत्र में 10 लाख रिक्त पदों को भरेगी। 27 जुलाई 2023 को केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने संसद के समक्ष घोषणा की थी कि सरकारी नौकरियों में 9.6 लाख पद खाली पड़े हैं। 18 महीने बाद फरवरी 2024 में चुनाव की पूर्व संध्या पर मोदी ने घोषणा की थी कि वे युवाओं को 1 लाख रोजगार आदेश वितरित करेंगे। आख़िरकार “जॉब मेला” में युवाओं को लगभग 70000 जॉब आर्डर वितरित किये गये। यह किसी भूखे हाथी के सामने मुट्ठी भर मूंगफली डालने के समान है। अग्निवीर योजना की चुनावी कीमत भी काफी महंगी पड़ती दिख रही है। क्या निर्मला अग्निवीर से रंग में भंग की भरपाई करेंगी जिसकी हिंदी पट्टी में सत्ताधारी पार्टी को भारी कीमत चुकानी पड़ी है?
महिलाओ ने नकारा मोदी को
महिला मतदाताओं का समर्थन चुनावी सफलता के लिए सबसे अहम है। मोदी इसे पहचानने वाले पहले व्यक्ति थे। लेकिन लोकसभा चुनाव ने साफ कर दिया है कि उज्ज्वला या मुद्रा योजना के बावजूद महिला मतदाता मोदी के प्रति आकर्षित नहीं है।भारत की एकमात्र महिला वित्त मंत्री होने के बावजूद निर्मला सीतारमण का महिला आबादी के प्रति सरोकार सभी पूर्व वित्त मंत्रियों की तुलना में कम रहा है। कर्नाटक में सिद्धारमैया और तमिलनाडु में एमके स्टालिन की महिला समर्थक योजनाएं केंद्र के लिए गंभीर प्रतिस्पर्धी चुनौती पेश कर रही हैं। लाडली बहना योजना के तहत महिलाओं को प्रति माह 1000 रुपये की नकद सहायता की बदौलत भाजपा मध्य प्रदेश में अपनी जोरदार वापसी कर पाने में सफल रही है। लेकिन आश्चर्य की बात है कि इस योजना के सूत्रधार शिवराज सिंह चौहान को पद से हटाने का आदेश दे दिया गया है। लेकिन उनकी इस योजना का भूत निर्मला को परेशान करने जा रहा है। क्या वे महिलाओं के लिए केंद्रीय नकद सहायता योजना शुरू करने के बढ़ते दबाव के लिए तैयार हैं? 4 राज्यों में चुनाव होने हैं और देखना होगा क्या सीतारमण इन राज्यों में मतदाताओं को लुभाने के लिए कुछ लोकप्रिय योजनाओं की घोषणा करती हैं या नहीं। खैर आपको क्या लगता है हमे कमेन्ट कर जरूर बताएँ